अध्याय 10: नए साम्राज्य और राज्य (New Empires and Kingdoms)
परिचय
यह अध्याय हमें भारतीय उपमहाद्वीप में मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद विकसित हुए नए साम्राज्यों और राज्यों के बारे में बताता है। इसमें **गुप्त वंश**, **हर्षवर्द्धन**, और **पल्लव एवं चालुक्य** जैसे महत्वपूर्ण शासकों और राजवंशों की चर्चा की गई है।
10.1 प्रशस्तियाँ: समुद्रगुप्त के बारे में (Prashastis: About Samudragupta)
प्रशस्तियाँ विशेष प्रकार के अभिलेख होते थे, जो राजाओं की प्रशंसा में लिखे जाते थे। ये दरबारी कवियों द्वारा लिखे जाते थे और इनमें राजाओं के गुणों, विजयों और उपलब्धियों का वर्णन होता था।
- समुद्रगुप्त की प्रशस्ति: इलाहाबाद में अशोक स्तंभ पर एक शिलालेख है, जो समुद्रगुप्त की प्रशस्ति है। इसे समुद्रगुप्त के दरबारी कवि **हरिषेण** ने संस्कृत में लिखा था।
- समुद्रगुप्त की विजयें: इस प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को एक महान योद्धा, एक विद्वान, और एक उत्कृष्ट कवि के रूप में वर्णित किया गया है। इसमें उसकी चार प्रकार की विजयों का उल्लेख है:
- **आर्यावर्त के नौ शासक:** जिन राज्यों को उसने हराकर उनके साम्राज्यों को अपने में मिला लिया।
- **दक्षिणापथ के बारह शासक:** जिन्होंने आत्मसमर्पण किया और बाद में उन्हें फिर से शासन करने की अनुमति दी गई।
- **आंतरिक वनों के शासक:** जिन्होंने उसे श्रद्धांजलि दी।
- **बाहरी राज्य:** जैसे कुषाण और शक, और श्रीलंका के शासक, जिन्होंने अपनी पुत्रियों का विवाह उसे दिया और उपहार भेजे।
10.2 हर्षवर्द्धन और हर्षचरित (Harshavardhana and Harshacharita)
प्रशस्तियों के अलावा, कुछ शासकों के बारे में जानकारी उनकी आत्मकथाओं और अन्य दरबारी लेखन से मिलती है।
- हर्षवर्द्धन: वह लगभग 1400 साल पहले शासन करने वाले एक महत्वपूर्ण शासक थे।
- बाणभट्ट और हर्षचरित: हर्ष के दरबारी कवि **बाणभट्ट** ने उनकी जीवनी **'हर्षचरित'** संस्कृत में लिखी। यह हर्ष की वंशावली से शुरू होती है और उसके राजा बनने तक के जीवन का वर्णन करती है।
- हर्षवर्द्धन ने **कन्नौज** को अपनी राजधानी बनाया और बंगाल, मगध आदि को जीतने में सफल रहे। हालांकि, उन्हें नर्मदा नदी पार कर दक्कन की ओर बढ़ने से रोका गया।
10.3 पल्लव, चालुक्य और पुलकेशिन द्वितीय की प्रशस्ति (The Pallavas, Chalukyas and Pulakeshin II's Prashasti)
इस काल में दक्षिण भारत में **पल्लव** और **चालुक्य** महत्वपूर्ण राजवंश थे।
- पल्लवों का राज्य: उनकी राजधानी **काँचीपुरम** (आधुनिक तमिलनाडु) थी। उनका राज्य कावेरी डेल्टा के आसपास फैला हुआ था।
- चालुक्यों का राज्य: इनका राज्य कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच स्थित था, और इनकी राजधानी **ऐहोल** थी, जो एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी था। यह एक धार्मिक केंद्र भी था, जहाँ कई मंदिर थे।
पुलकेशिन द्वितीय की प्रशस्ति (Pulakeshin II's Prashasti)
- चालुक्यों के सबसे प्रसिद्ध शासक **पुलकेशिन द्वितीय** थे।
- उनकी प्रशस्ति उनके दरबारी कवि **रवि कीर्ति** ने लिखी थी।
- यह प्रशस्ति बताती है कि पुलकेशिन द्वितीय ने कई राज्यों के खिलाफ अभियान चलाया, जिसमें पल्लव और हर्षवर्द्धन भी शामिल थे। उसने **हर्षवर्द्धन को नर्मदा नदी पार करने से रोका**।
- अंततः, पल्लव और चालुक्य दोनों ही एक-दूसरे पर हमला करते रहते थे, जिससे दोनों राजवंश कमजोर पड़ गए। अंत में, **राष्ट्रकूटों** और **चोलों** ने इन पर नियंत्रण कर लिया।
10.4 प्रशासन कैसे काम करता था? (How Were These Kingdoms Administered?)
इन नए राज्यों में प्रशासन के तरीके मौर्यों से कुछ भिन्न थे:
- **स्थानीय प्रशासन में परिवर्तन:**
- राजाओं ने भूमि राजस्व के लिए कदम उठाए।
- पहले की तुलना में कई प्रशासनिक पद वंशानुगत हो गए। जैसे, कवि हरिषेण समुद्रगुप्त के दरबार में एक 'महादंडनायक' (मुख्य न्यायिक अधिकारी) होने के साथ-साथ 'कुमार-अमात्य' (एक महत्वपूर्ण मंत्री) और 'संधि-विग्राहक' (युद्ध और शांति का मंत्री) भी थे।
- कभी-कभी एक ही व्यक्ति कई पदों पर कार्य करता था।
- स्थानीय प्रशासन में प्रभावशाली पुरुषों की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी, जैसे 'नगर-श्रेष्ठी' (मुख्य बैंकर या शहर का व्यापारी) और 'सार्थवाह' (व्यापारियों के काफिले का नेता)।
- **सेना:**
- इन राजाओं के पास एक अच्छी तरह से संगठित सेना थी जिसमें हाथी, रथ, घुड़सवार और पैदल सैनिक शामिल थे।
- सेना में एक नए प्रकार का विकास हुआ: **सामंत**। ये वो लोग थे जो राजा को सैन्य सहायता प्रदान करते थे जब राजा को इसकी आवश्यकता होती थी। उन्हें नियमित वेतन नहीं मिलता था, बल्कि वे भूमि राजस्व से अपना भरण-पोषण करते थे और सैनिकों का भी प्रबंध करते थे। जब शासक कमजोर होते थे, तो सामंत स्वतंत्र होने का प्रयास करते थे।
10.5 दक्षिण के राज्यों में सभाएँ (Assemblies in the Southern Kingdoms)
दक्षिण भारतीय राज्यों, विशेषकर पल्लवों के अभिलेखों में, कई स्थानीय सभाओं का उल्लेख मिलता है:
- **सभा (Sabha):** यह ब्राह्मण भू-स्वामियों की एक सभा थी। यह सिंचाई, सड़कों, मंदिरों आदि के प्रबंधन के लिए उप-समितियों के माध्यम से कार्य करती थी।
- **उर (Ur):** यह उन गाँवों की सभा थी जहाँ गैर-ब्राह्मण भू-स्वामी होते थे।
- **नगरम (Nagaram):** यह व्यापारियों का एक संगठन था।
ये सभाएँ स्थानीय स्तर पर काफी शक्तिशाली थीं और इनका नियंत्रण समृद्ध और शक्तिशाली भू-स्वामियों और व्यापारियों के हाथों में था।
10.6 आम लोगों का जीवन (Ordinary People in the Kingdoms)
उस समय के आम लोगों के जीवन के बारे में जानने के लिए हमें नाटकों और अन्य खातों पर निर्भर रहना पड़ता है।
- **कालिदास:** वह गुप्त काल के प्रसिद्ध नाटककार थे। उनके नाटकों में अक्सर राजाओं और दरबारियों को संस्कृत बोलते हुए दिखाया जाता है, जबकि आम लोग और महिलाएँ **प्राकृत** बोलती हैं।
- उनका सबसे प्रसिद्ध नाटक **'अभिज्ञानशाकुंतलम्'** है, जो राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी है।
- **फाहियान:** एक चीनी बौद्ध तीर्थयात्री, जो उस समय भारत आए थे, ने अपने खातों में अछूतों के प्रति कठोर व्यवहार का वर्णन किया है। उन्हें शहर के बाहर रहना पड़ता था और किसी भी भीड़भाड़ वाले इलाके में प्रवेश करते समय ताली बजानी पड़ती थी ताकि अन्य लोग उनके संपर्क से बच सकें।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
समुद्रगुप्त की प्रशस्ति किसने लिखी थी?
समुद्रगुप्त की प्रशस्ति उनके दरबारी कवि हरिषेण ने लिखी थी।
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'हर्षचरित' पुस्तक के लेखक कौन हैं?
'हर्षचरित' पुस्तक के लेखक बाणभट्ट हैं।
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चालुक्यों की राजधानी क्या थी?
चालुक्यों की राजधानी ऐहोल थी।
-
पुलकेशिन द्वितीय का दरबारी कवि कौन था?
पुलकेशिन द्वितीय का दरबारी कवि रवि कीर्ति था।
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'अभिज्ञानशाकुंतलम्' नाटक किसने लिखा था?
'अभिज्ञानशाकुंतलम्' नाटक कालिदास ने लिखा था।
II. खाली स्थान भरें।
- प्रशस्तियाँ राजाओं की **प्रशंसा** में लिखे गए अभिलेख होते थे।
- हर्षवर्द्धन की जीवनी **हर्षचरित** संस्कृत में लिखी गई है।
- पल्लवों की राजधानी **काँचीपुरम** थी।
- सामंत वे लोग थे जो राजा को **सैन्य सहायता** प्रदान करते थे।
- ब्राह्मण भू-स्वामियों की सभा को **सभा** कहा जाता था।
- व्यापारियों के संगठन को **नगरम** कहा जाता था।
III. सही विकल्प चुनें।
-
किस शासक को नर्मदा नदी पार करने से रोका गया था?
- समुद्रगुप्त
- **हर्षवर्द्धन**
- पुलकेशिन द्वितीय
- चंद्रगुप्त मौर्य
सही उत्तर: हर्षवर्द्धन
-
ऐहोल किस राजवंश की राजधानी थी?
- पल्लव
- गुप्त
- मौर्य
- **चालुक्य**
सही उत्तर: चालुक्य
-
चीनी बौद्ध तीर्थयात्री फाहियान ने किसके शासनकाल में भारत का दौरा किया था?
- हर्षवर्द्धन
- समुद्रगुप्त
- **गुप्त शासकों (विशेषकर चंद्रगुप्त द्वितीय)**
- पुलकेशिन द्वितीय
सही उत्तर: गुप्त शासकों (विशेषकर चंद्रगुप्त द्वितीय)
IV. सही जोड़ी मिलाएं।
स्तंभ A | स्तंभ B (उत्तर) |
---|---|
समुद्रगुप्त | हरिषेण |
हर्षवर्द्धन | बाणभट्ट |
पुलकेशिन द्वितीय | रवि कीर्ति |
कालिदास | अभिज्ञानशाकुंतलम् |
सभा | ब्राह्मण भू-स्वामी |
नगरम | व्यापारियों का संगठन |
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