अध्याय 2: विविधता एवं भेदभाव (Diversity and Discrimination)
परिचय
पिछले अध्याय में हमने विविधता को समझा कि यह कैसे हमारे जीवन को समृद्ध करती है। लेकिन विविधता हमेशा खुशहाल नहीं होती। कई बार, लोग विविधताओं के कारण एक-दूसरे के प्रति नकारात्मक भावनाओं का विकास कर लेते हैं, जिससे भेदभाव होता है। यह अध्याय बताता है कि विविधता कैसे भेदभाव की ओर ले जा सकती है और इसका मुकाबला कैसे किया जाए।
2.1 पूर्वाग्रह (Prejudice)
जब हम दूसरों के बारे में पूर्व-कल्पित विचार बना लेते हैं, तो उसे **पूर्वाग्रह** कहते हैं। इसका अर्थ है, किसी व्यक्ति या समूह के बारे में नकारात्मक या प्रतिकूल राय बनाना, अक्सर बिना किसी ठोस जानकारी के।
- पूर्वाग्रह कई चीजों के बारे में हो सकता है: लोगों के धार्मिक विश्वास, उनकी त्वचा का रंग, जिस क्षेत्र से वे आते हैं, वे जिस तरह से बोलते हैं, वे जो कपड़े पहनते हैं, आदि।
- उदाहरण के लिए, अगर हम यह सोचना शुरू कर दें कि अंग्रेजी सबसे अच्छी भाषा है और अन्य भाषाएँ महत्वपूर्ण नहीं हैं, तो हम अन्य भाषाओं के प्रति पूर्वाग्रह दिखा रहे हैं।
- पूर्वाग्रह के कारण लोग दूसरों का सम्मान नहीं करते, उन्हें हीन समझते हैं।
2.2 रूढ़िवादिता / रूढ़िवादी धारणाएँ (Stereotypes)
जब हम सभी लोगों को एक ही छवि में बांध देते हैं, या उनके बारे में निश्चित और स्थिर धारणाएँ बना लेते हैं, तो उसे **रूढ़िवादिता** या **रूढ़िवादी धारणाएँ** कहते हैं।
- रूढ़िवादिताएँ हमें प्रत्येक व्यक्ति को एक अद्वितीय व्यक्ति के रूप में देखने से रोकती हैं। हम उन्हें केवल उस 'समूह' के सदस्य के रूप में देखते हैं जिससे वे संबंधित हैं।
- उदाहरण के लिए, यह धारणा कि 'लड़के रोते नहीं' या 'लड़कियाँ कमजोर होती हैं' रूढ़िवादिताएँ हैं। ये धारणाएँ व्यक्तियों की वास्तविक क्षमताओं और भावनाओं को अनदेखा करती हैं।
- रूढ़िवादिताएँ किसी व्यक्ति को कुछ विशेष प्रकार के कार्यों को करने से रोक सकती हैं, क्योंकि समाज ने उनके लिए कुछ भूमिकाएँ तय कर दी हैं।
2.3 भेदभाव (Discrimination)
जब लोग पूर्वाग्रहों या रूढ़िवादिताओं के कारण दूसरों के साथ **असमान व्यवहार** करते हैं, तो उसे **भेदभाव** कहते हैं।
- भेदभाव तब होता है जब लोग अपने पूर्वाग्रहों या रूढ़िवादी धारणाओं के आधार पर कार्य करते हैं।
- भेदभाव के कारण लोगों को अक्सर कई गतिविधियों में भाग लेने से रोका जाता है, नौकरी पाने से, या यहाँ तक कि कुछ क्षेत्रों में जाने से भी रोका जाता है।
- भेदभाव कई कारकों के कारण हो सकता है:
- **धर्म:** विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच।
- **आर्थिक स्थिति:** गरीब और अमीर के बीच।
- **जाति:** जाति व्यवस्था के कारण (भारत में एक प्रमुख समस्या)।
- **लिंग:** पुरुष और महिला के बीच।
- **भौगोलिक क्षेत्र:** किसी विशेष क्षेत्र से आने वाले लोगों के प्रति।
2.3.1 असमानता और भेदभाव (Inequality and Discrimination)
- भेदभाव अक्सर **असमानता** से जुड़ा होता है। गरीबी एक प्रमुख कारक है जो भेदभाव का कारण बनती है।
- गरीब लोगों के पास अक्सर संसाधनों, अवसरों (शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल) तक पहुँच कम होती है, जिससे उन्हें समाज में सम्मान और समान व्यवहार नहीं मिलता।
- कई बार, लोग गरीब होने के साथ-साथ किसी विशेष धर्म, जाति या लिंग से संबंधित होने के कारण 'दोहरा भेदभाव' का अनुभव करते हैं।
2.4 जाति व्यवस्था और भेदभाव (Caste System and Discrimination)
भारत में, **जाति व्यवस्था** भेदभाव का एक बहुत ही सामान्य रूप और ऐतिहासिक कारण रही है।
- प्राचीन काल में, समाज को विभिन्न समूहों में विभाजित किया गया था, जिसे **वर्ण व्यवस्था** कहा जाता था, जो व्यवसाय पर आधारित थी। धीरे-धीरे, यह व्यवस्था जन्म पर आधारित हो गई और कठोर हो गई।
- लोगों को उन जातियों में रखा गया था जिन्हें **ऊंची** और **नीची** जातियों के रूप में देखा जाता था।
- सबसे निचले पायदान पर रखे गए लोगों को **अछूत** या **दलित** (जिसका अर्थ है 'टूटा हुआ') कहा जाता था। उन्हें कई अधिकारों से वंचित किया गया था, जैसे:
- कुओं से पानी लेने से रोका गया।
- मंदिरों में प्रवेश करने से रोका गया।
- शिक्षा प्राप्त करने से रोका गया।
- कुछ विशेष प्रकार के काम करने के लिए मजबूर किया गया, जैसे कचरा साफ करना, मृत जानवरों को हटाना।
- इस प्रकार के भेदभाव ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया।
2.4.1 डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. B.R. Ambedkar)
- **डॉ. भीमराव अंबेडकर** को भारतीय संविधान के पिता और दलितों के सबसे महान नेता के रूप में जाना जाता है।
- वह स्वयं दलित समुदाय से थे और उन्होंने जाति-आधारित भेदभाव को बहुत करीब से अनुभव किया था।
- उन्होंने अपने जीवन में दलितों के लिए समानता और न्याय के लिए अथक संघर्ष किया।
- उन्होंने दलितों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने, अलग-अलग प्रकार के काम करने और मंदिर में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया।
- अंबेडकर ने 1927 में मंदिर प्रवेश आंदोलन का नेतृत्व किया।
- उन्होंने महसूस किया कि दलितों को इस व्यवस्था से बाहर निकलने के लिए विभिन्न सरकारी नौकरियों में प्रवेश करना होगा।
- उन्होंने दलितों को संगठित होने, आंदोलन करने और समान अधिकारों की मांग करने के लिए प्रेरित किया।
- भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसमें समानता के सिद्धांत को केंद्रीय मूल्य के रूप में स्थापित किया गया था।
2.5 समानता के लिए संघर्ष (Struggles for Equality)
भारत के इतिहास में कई लोगों ने असमानता और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया है।
- जाति व्यवस्था, लिंग आधारित भेदभाव, धार्मिक असमानता और गरीबी के खिलाफ कई आंदोलन हुए हैं।
- महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए, खासकर शिक्षा और समान वेतन के लिए संघर्ष किया है।
- आदिवासी, किसान और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों ने भी न्याय और समानता के लिए आवाज उठाई है।
2.6 संविधान और समानता (Constitution and Equality)
जब भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ, तो संविधान निर्माताओं ने महसूस किया कि समाज में असमानता एक बड़ी चुनौती थी।
- संविधान के निर्माताओं ने एक ऐसा भारत बनाने का सपना देखा जहाँ सभी समान हों।
- **भारतीय संविधान:** यह एक ऐसा दस्तावेज है जो भारत के लोगों के लिए कानून और दिशा-निर्देश निर्धारित करता है।
- संविधान भारत को एक **धर्मनिरपेक्ष** देश घोषित करता है, जिसका अर्थ है कि भारत में सभी धर्मों को समान सम्मान दिया जाता है और किसी एक धर्म को राजकीय धर्म के रूप में बढ़ावा नहीं दिया जाता।
- संविधान सभी नागरिकों को **समानता का अधिकार** देता है।
- **भेदभाव पर प्रतिबंध:** संविधान जाति, धर्म, नस्ल, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को निषिद्ध करता है।
- **अस्पृश्यता का उन्मूलन:** संविधान ने **अस्पृश्यता** को समाप्त कर दिया है (जिसका अर्थ है कि 'अछूत' व्यवहार अब अवैध और दंडनीय है)।
- लोगों को अब सार्वजनिक स्थानों, कुओं, मंदिरों आदि तक समान पहुँच प्राप्त है।
- सरकार ने समानता सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाए हैं और नीतियाँ (जैसे आरक्षण) लागू की हैं।
संविधान ने समानता के लिए एक मजबूत नींव रखी है। हालाँकि, यह एक निरंतर संघर्ष है और समाज में अभी भी भेदभाव मौजूद है। हमें समानता के मूल्यों को बढ़ावा देने और भेदभाव को खत्म करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
पूर्वाग्रह क्या है?
जब हम दूसरों के बारे में पूर्व-कल्पित विचार बना लेते हैं और उन्हें नकारात्मक रूप से देखते हैं, तो उसे पूर्वाग्रह कहते हैं।
-
रूढ़िवादिता का क्या अर्थ है?
रूढ़िवादिता का अर्थ है जब हम सभी लोगों को एक ही छवि में बांध देते हैं या उनके बारे में निश्चित और स्थिर धारणाएँ बना लेते हैं।
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भेदभाव कब होता है?
भेदभाव तब होता है जब लोग अपने पूर्वाग्रहों या रूढ़िवादी धारणाओं के आधार पर दूसरों के साथ असमान या अनुचित व्यवहार करते हैं।
-
दलित शब्द का क्या अर्थ है?
दलित शब्द का अर्थ है 'टूटा हुआ' या 'कुचला हुआ'। यह उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें पहले अछूत माना जाता था।
-
भारतीय संविधान के पिता के रूप में किसे जाना जाता है?
डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के पिता के रूप में जाना जाता है।
II. खाली स्थान भरें।
- जब लोग पूर्वाग्रहों या रूढ़िवादिताओं के कारण दूसरों के साथ असमान व्यवहार करते हैं, तो उसे **भेदभाव** कहते हैं।
- भारत में भेदभाव का एक प्रमुख ऐतिहासिक कारण **जाति व्यवस्था** रही है।
- **डॉ. बी.आर. अंबेडकर** दलितों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले एक महान नेता थे।
- भारतीय संविधान ने **अस्पृश्यता** को समाप्त कर दिया है।
- भारत को एक **धर्मनिरपेक्ष** देश घोषित किया गया है, जिसका अर्थ है कि सभी धर्मों को समान सम्मान दिया जाता है।
III. सही विकल्प चुनें।
-
भेदभाव का सबसे सामान्य कारण क्या हो सकता है?
- विविधता
- सांस्कृतिक अंतर
- **असमानता (विशेषकर गरीबी)**
- भौगोलिक स्थिति
सही उत्तर: असमानता (विशेषकर गरीबी)
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डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने किस आंदोलन का नेतृत्व किया था?
- भारत छोड़ो आंदोलन
- असहयोग आंदोलन
- **मंदिर प्रवेश आंदोलन**
- नमक सत्याग्रह
सही उत्तर: मंदिर प्रवेश आंदोलन
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भारतीय संविधान क्या सुनिश्चित करता है?
- केवल कुछ धर्मों को प्राथमिकता
- केवल ऊंची जातियों के लिए अधिकार
- **सभी नागरिकों के लिए समानता**
- लिंग के आधार पर भेदभाव
सही उत्तर: सभी नागरिकों के लिए समानता
IV. सही जोड़ी मिलाएं।
स्तंभ A | स्तंभ B (उत्तर) |
---|---|
पूर्वाग्रह | दूसरों के बारे में पूर्व-कल्पित विचार |
रूढ़िवादिता | लोगों को एक छवि में बांधना |
भेदभाव | असमान व्यवहार |
दलित | 'टूटा हुआ' या 'कुचला हुआ' |
डॉ. बी.आर. अंबेडकर | भारतीय संविधान के पिता |
अस्पृश्यता | संविधान द्वारा समाप्त |
धर्मनिरपेक्षता | सभी धर्मों को समान सम्मान |
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