अध्याय 14: जल (Water) - प्रश्नोत्तर

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. जलचक्र (Water Cycle) क्या है?

    पृथ्वी पर जल के विभिन्न रूपों (ठोस, तरल, गैस) का लगातार परिसंचरण जलचक्र कहलाता है।

  2. वाष्पीकरण (Evaporation) किसे कहते हैं?

    जल का वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रिया वाष्पीकरण कहलाती है।

  3. संघनन (Condensation) क्या है?

    जल वाष्प का ठंडा होकर पुनः तरल जल की बूंदों में परिवर्तित होना संघनन कहलाता है।

  4. वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) क्यों महत्वपूर्ण है?

    वर्षा जल संचयन भविष्य के उपयोग के लिए वर्षा के पानी को इकट्ठा करने और बचाने की एक विधि है, जो पानी की कमी को पूरा करने में सहायक है।

  5. भौम जल (Groundwater) क्या है?

    मिट्टी के नीचे पाई जाने वाली जल की परत को भौम जल या भूजल कहते हैं, जो कुओं और हैंडपंपों द्वारा प्राप्त होता है।

  6. सूखा (Drought) क्या है?

    लंबे समय तक वर्षा की कमी के कारण किसी क्षेत्र में पानी की गंभीर कमी की स्थिति को सूखा कहते हैं।

  7. बाढ़ (Flood) क्या है?

    अत्यधिक वर्षा के कारण जल स्तर का सामान्य से अधिक बढ़ जाना और भूमि के बड़े हिस्से का डूब जाना बाढ़ कहलाता है।

  8. जल के दो मुख्य स्रोत क्या हैं?

    जल के दो मुख्य स्रोत वर्षा जल और भूजल (कुओं, हैंडपंपों से) हैं।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. जल के कोई दो उपयोग बताएं।

    जल के अनेक उपयोग हैं। इसका एक मुख्य उपयोग **पीने और भोजन बनाने** में है, जो मानव जीवन के लिए अनिवार्य है। दूसरा महत्वपूर्ण उपयोग **कृषि** में फसलों की सिंचाई के लिए है, जिसके बिना कृषि संभव नहीं है।

  2. जल की कमी के क्या कारण हो सकते हैं?

    जल की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे **जनसंख्या वृद्धि**, जिससे पानी की मांग बढ़ जाती है। **औद्योगिकीकरण** और कृषि में अत्यधिक जल का उपयोग भी एक बड़ा कारण है। इसके अलावा, **जलवायु परिवर्तन** के कारण अनियमित वर्षा और भूजल का अत्यधिक दोहन भी जल की कमी का कारण बनता है।

  3. नदियों, झीलों और तालाबों का पानी बादलों तक कैसे पहुँचता है?

    नदियों, झीलों और तालाबों का पानी सूर्य की गर्मी के कारण लगातार **वाष्पीकरण** द्वारा वाष्प में बदलता रहता है। यह जल वाष्प हवा में ऊपर उठती है और वायुमंडल में ठंडी होकर छोटी-छोटी जल बूंदों में संघनित हो जाती है, जो बादल बनाती हैं।

  4. बाढ़ आने पर क्या हानियाँ हो सकती हैं?

    बाढ़ से भारी हानियाँ हो सकती हैं। यह फसलों को नष्ट कर देती है, घरों और इमारतों को क्षतिग्रस्त करती है, जिससे जान-माल का नुकसान होता है। बाढ़ से पीने के पानी के स्रोत दूषित हो जाते हैं और विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. जलचक्र का वर्णन करें और पृथ्वी पर जीवन के लिए इसका महत्व समझाएँ।

    जलचक्र, जिसे हाइड्रोलॉजिकल चक्र भी कहते हैं, पृथ्वी पर जल के विभिन्न रूपों - ठोस (बर्फ), तरल (जल), और गैसीय (जल वाष्प) - का एक सतत संचलन है। यह पृथ्वी के वायुमंडल, भूमि और महासागरों के बीच जल के आवागमन को दर्शाता है। जलचक्र की शुरुआत महासागरों, नदियों, झीलों और पौधों की पत्तियों से होने वाले **वाष्पीकरण (Evaporation)** और **वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)** से होती है, जहाँ सूर्य की ऊष्मा के कारण जल वाष्प में बदलकर वायुमंडल में ऊपर उठता है। जैसे-जैसे जल वाष्प ऊपर उठती है, यह ठंडी होती जाती है और **संघनन (Condensation)** की प्रक्रिया द्वारा छोटी-छोटी जल बूंदों या बर्फ के क्रिस्टलों में बदल जाती है, जो मिलकर बादल बनाते हैं।

    जब बादल में पर्याप्त मात्रा में जल बूंदें या बर्फ के क्रिस्टल जमा हो जाते हैं और वे भारी हो जाते हैं, तो वे **वर्षा (Precipitation)** के रूप में पृथ्वी पर वापस गिरते हैं, चाहे वह बारिश, बर्फ, ओले या हिमपात के रूप में हो। यह जल फिर नदियों, झीलों में बहकर वापस महासागरों में पहुँचता है, या मिट्टी में रिसकर **भौम जल (Groundwater)** बन जाता है। भौम जल भी अंततः झरनों या नदियों के माध्यम से सतह पर आ सकता है। जलचक्र पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें पीने, कृषि और उद्योगों के लिए लगातार स्वच्छ जल उपलब्ध कराता है। यह जलवायु को नियंत्रित करने में भी मदद करता है और पृथ्वी के विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों को बनाए रखता है। इसके बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता।

  2. जल बचाने के लिए किन्हीं तीन तरीकों का वर्णन करें।

    जल एक अमूल्य संसाधन है और इसकी बचत करना हम सभी की जिम्मेदारी है। जल बचाने के कई प्रभावी तरीके हैं जिन्हें दैनिक जीवन में अपनाया जा सकता है। पहला महत्वपूर्ण तरीका है **वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting)**। इसमें वर्षा के पानी को सीधे घरों की छतों से या अन्य सतहों से इकट्ठा करके उसे टंकियों में संग्रहित करना या सीधे जमीन में रिचार्ज करना शामिल है। यह संग्रहित जल घरेलू कार्यों, बागवानी या भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है, जिससे मीठे पानी के पारंपरिक स्रोतों पर दबाव कम होता है।

    दूसरा तरीका है **दैनिक उपयोग में जल का विवेकपूर्ण उपयोग करना**। इसमें छोटी-छोटी आदतें शामिल हैं जैसे नहाते समय बाल्टी और मग का उपयोग करना बजाय शावर के, जिससे पानी की काफी बचत होती है। दाँत ब्रश करते समय या बर्तन धोते समय नल को खुला न छोड़ना, लीकेज वाले नलों और पाइपों को तुरंत ठीक करवाना भी महत्वपूर्ण है। कार धोने के लिए पाइप की बजाय बाल्टी का उपयोग करना, और बागवानी में सुबह या शाम को पानी देना जब वाष्पीकरण कम हो, ये सभी पानी की बर्बादी को कम करते हैं।

    तीसरा महत्वपूर्ण तरीका है **कृषि और उद्योग में जल प्रबंधन में सुधार करना**। कृषि में, **ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation)** और **स्प्रिंकलर (Sprinkler)** जैसी आधुनिक सिंचाई विधियों का उपयोग करके पानी की अत्यधिक बचत की जा सकती है, क्योंकि ये सीधे पौधों की जड़ों तक पानी पहुँचाते हैं और वाष्पीकरण से होने वाली हानि को कम करते हैं। उद्योगों को भी पानी के पुनर्चक्रण (Recycling) और पुन: उपयोग (Reuse) की तकनीकों को अपनाना चाहिए, जिससे ताजे पानी की खपत कम हो। इन उपायों को अपनाकर हम पानी की कमी की समस्या से निपट सकते हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस महत्वपूर्ण संसाधन को संरक्षित कर सकते हैं।

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