अध्याय 7: बकस्य प्रतिकारः (The Crane's Revenge) - प्रश्नोत्तर

यह अध्याय एक गीदड़ (शृगाल) और एक बगुले (बक) की कहानी के माध्यम से 'जैसे को तैसा' का नैतिक संदेश देता है। यह दर्शाता है कि दुष्ट मित्र से बदला कैसे लिया जाता है, और हमें दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. वने कः वसति स्म?

    वने एकः **शृगालः बकः च** वसति स्म। (वन में एक गीदड़ और बगुला रहते थे।)

  2. शृगालस्य मित्रं कः आसीत्?

    शृगालस्य मित्रं **बकः** आसीत्। (गीदड़ का मित्र बगुला था।)

  3. बकः भोजनार्थं किम् अयच्छत्?

    बकः भोजनार्थं **क्षीरौदनम्** अयच्छत्। (बगुले ने भोजन के लिए खीर दी।)

  4. शृगालः बकाय भोजनं कस्मिन् पात्रे अयच्छत्?

    शृगालः बकाय भोजनं **स्थालिकायाम्** अयच्छत्। (गीदड़ ने बगुले को भोजन थाली में दिया।)

  5. बकः शृगालस्य प्रतिकारं कदा अकरोत्?

    बकः शृगालस्य प्रतिकारं **द्वितीयदिने** अकरोत्। (बगुले ने गीदड़ से दूसरे दिन बदला लिया।)

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. शृगालः बकेन सह कीदृशं व्यवहारम् अकरोत्?

    शृगालः बकेन सह **कुटिलं व्यवहारम्** अकरोत्। उसने बगुले को थाली में खीर दी, जिसे बगुला अपनी लंबी चोंच के कारण खा नहीं पाया। इस प्रकार उसने बगुले के साथ **धोखाधड़ी** की।

  2. बकस्य प्रतिकारः कथम् अभवत्?

    बगुले ने भी गीदड़ को अपने घर भोजन पर आमंत्रित किया और उसे एक **संकीर्ण मुख वाले कलश में खीर** दी। गीदड़ उस कलश में मुँह नहीं डाल सका, और बगुले ने अपनी चोंच से सारी खीर खा ली, इस प्रकार उसने **अपने अपमान का बदला** लिया।

  3. इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?

    इस कथा से शिक्षा मिलती है कि **जैसी करनी वैसी भरनी**। जो जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करता है, उसे भी वैसा ही फल मिलता है। अतः, हमें दूसरों के साथ **अच्छा व्यवहार** करना चाहिए।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. 'बकस्य प्रतिकारः' कथा का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

    'बकस्य प्रतिकारः' नामक यह कथा एक शृगाल (गीदड़) और एक बगुले (बक) की दोस्ती और उनके बीच के धोखे तथा बदले की कहानी है। एक वन में एक गीदड़ और एक बगुला रहते थे। वे दोनों मित्र थे। एक बार, गीदड़ ने बगुले को भोजन के लिए अपने घर आमंत्रित किया। जब बगुला भोजन के लिए गया, तो गीदड़ ने उसे एक थाली में खीर परोसी। गीदड़ ने तो आसानी से खीर खा ली, क्योंकि वह थाली में से चाट सकता था, लेकिन बगुला अपनी लंबी और पतली चोंच के कारण उस थाली में से कुछ भी नहीं खा पाया। वह भूखा ही रह गया और गीदड़ ने उसका उपहास किया। बगुले को यह देखकर बहुत दुख हुआ और उसने अपने अपमान का बदला लेने का निश्चय किया।

    दूसरे दिन, बगुले ने गीदड़ को अपने घर भोजन पर बुलाया। गीदड़ बगुले के घर प्रसन्नता से गया। बगुले ने गीदड़ को भोजन के लिए एक संकीर्ण (संकरे) मुख वाला कलश (घड़ा) दिया, जिसमें खीर थी। बगुले ने अपनी लंबी चोंच से आसानी से कलश में से सारी खीर खा ली, लेकिन गीदड़ अपनी चौड़ी मुँह के कारण कलश में मुँह नहीं डाल सका और भूखा ही रह गया। वह बगुले को खीर खाते हुए देखता रहा और उसे अपने बुरे व्यवहार का पश्चाताप हुआ। इस प्रकार, बगुले ने अपने मित्र के धोखे का उसी तरह से बदला लिया, जैसे गीदड़ ने उसके साथ किया था। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम उनसे अपने लिए चाहते हैं, क्योंकि बुरे कर्मों का फल अंततः बुरा ही होता है।

  2. कथा में निहित नैतिक मूल्यों और 'जैसे को तैसा' सिद्धांत की व्याख्या करें।

    'बकस्य प्रतिकारः' नामक यह कथा 'जैसे को तैसा' (Titto for Tat) के सिद्धांत पर आधारित है और यह हमें कई महत्वपूर्ण नैतिक मूल्य सिखाती है। कथा का मुख्य संदेश यह है कि यदि कोई आपके साथ बुरा व्यवहार करता है, तो उसे भी उसी प्रकार के व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है। गीदड़ ने बगुले को थाली में खीर परोसकर उसका अपमान किया था, यह जानते हुए कि बगुला अपनी लंबी चोंच के कारण थाली से खा नहीं पाएगा। यह गीदड़ की कुटिलता और मित्रता के प्रति बेईमानी को दर्शाता है। इस प्रकार, गीदड़ ने अपने मित्र के साथ धोखा और अनुचित व्यवहार किया।

    बगुले ने भी उसी तरह से बदला लिया। उसने गीदड़ को एक संकरे मुँह वाले कलश में खीर दी, जिससे गीदड़ भूखा रह गया। यह कार्य हालांकि बदला लेने वाला है, लेकिन यह गीदड़ को उसके अपने किए का परिणाम भुगतने पर मजबूर करता है। इस कहानी का नैतिक मूल्य यह है कि हमें दूसरों के साथ वही व्यवहार करना चाहिए जो हम अपने लिए उम्मीद करते हैं। यदि हम किसी के साथ दुष्टता करेंगे, तो हमें भी उसी दुष्टता का सामना करना पड़ सकता है। यह कथा बच्चों को ईमानदारी, दयालुता और दूसरों के प्रति सम्मान के महत्व को सिखाती है, और उन्हें यह समझने में मदद करती है कि बुरे व्यवहार के परिणाम बुरे ही होते हैं। यह दोस्ती में विश्वास और उचित आचरण बनाए रखने का संदेश देती है।

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