अध्याय 12: दशमः त्वम् असि (You Are Tenth) - प्रश्नोत्तर
अभ्यास के प्रश्न और उत्तर (Exercise Questions & Answers)
I. एक पद में उत्तर दें। (उत्तर एक शब्द या एक-दो वाक्यों में दें)
-
कति बालकाः स्नानाय अगच्छन्?
**दश** बालकाः स्नानाय अगच्छन्। (दस बालक स्नान के लिए गए।)
-
ते कुत्र स्नानम् अकुर्वन्?
ते **नदीजले** स्नानम् अकुर्वन्। (उन्होंने नदी के जल में स्नान किया।)
-
तेषाम् नायकः किम् अपृच्छत्?
तेषाम् नायकः **"अपि सर्वे बालकाः नदीम् उत्तीर्णाः?"** इति अपृच्छत्। (उनके नायक ने पूछा - "क्या सभी बालक नदी पार कर गए हैं?")
-
बालकाः दुःखिताः किमर्थम् आसन्?
बालकाः दुःखिताः आसन् यतः **ते एकं बालकं नद्यां मग्नम् अमन्यन्त**। (बालक दुखी थे क्योंकि वे एक बालक को नदी में डूबा हुआ मान रहे थे।)
-
मार्गे कः आगच्छत्?
मार्गे **कश्चित् पथिकः** आगच्छत्। (रास्ते में कोई पथिक आया।)
-
पथिकः किम् अवदत्?
पथिकः **"दशमः त्वम् असि"** इति अवदत्। (पथिक ने कहा - "दसवें तुम हो।")
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
-
बालक नदी में स्नान करने के बाद क्यों दुखी हो गए?
बालक नदी में स्नान करने के बाद दुखी हो गए क्योंकि जब उनके नायक ने उन्हें गिना तो उसने स्वयं को गिनना भूल गया। परिणामस्वरूप, उसे लगा कि नौ ही बालक हैं और दसवाँ बालक नदी में डूब गया है।
-
पथिक ने बालकों की समस्या का समाधान कैसे किया?
पथिक ने बालकों की समस्या का समाधान सरलता से किया। उसने नायक को सभी बालकों को फिर से गिनने को कहा और स्वयं गिनते हुए, अंत में नायक को बताया कि "दशमः त्वम् असि" (दसवें तुम हो), जिससे उनकी गलतफहमी दूर हो गई।
-
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी-कभी हम **स्पष्ट बात को भी अपनी गलतफहमी या असावधानी के कारण समझ नहीं पाते**। यह आत्मज्ञान और ध्यानपूर्वक अवलोकन के महत्व को भी दर्शाता है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
-
'दशमः त्वम् असि' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
'दशमः त्वम् असि' एक मनोरंजक और शिक्षाप्रद संस्कृत कहानी है। एक बार दस बालक स्नान करने के लिए नदी पर गए। उन्होंने नदी के जल में देर तक स्नान किया। स्नान के बाद जब वे नदी पार कर किनारे आए, तो उनके नायक ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी आ गए हैं, गिनती करनी शुरू की। उसने एक-एक करके सभी बालकों को गिना, लेकिन गलती से वह स्वयं को गिनना भूल गया। इस तरह, उसकी गिनती में हमेशा नौ ही बालक आए और वह मान बैठा कि दसवाँ बालक नदी में डूब गया है। सभी बालक इस बात से बहुत दुखी हो गए और चुपचाप बैठ गए।
उसी समय, रास्ते से एक पथिक वहाँ आया। उसने दुखी बालकों को देखकर उनके दुःख का कारण पूछा। बालकों के नायक ने पूरी बात बताई कि वे दस थे, लेकिन अब नौ ही बचे हैं और दसवाँ नदी में डूब गया है। पथिक ने स्थिति को समझा और मुस्कुराते हुए नायक को फिर से गिनती करने को कहा। जैसे ही नायक गिनती कर रहा था, पथिक ने प्रत्येक बालक की गिनती पर उँगली रखी और अंत में नायक पर उँगली रखकर कहा - "दशमः त्वम् असि" (दसवें तुम हो)। यह सुनकर सभी बालक अत्यंत प्रसन्न हुए क्योंकि उन्हें समझ आ गया कि कोई भी डूबा नहीं था, बल्कि गिनती करने वाला स्वयं को गिनना भूल गया था। इस प्रकार, पथिक की बुद्धिमानी से सभी बालक खुशी-खुशी अपने घर लौट गए।
-
यह कहानी कैसे दिखाती है कि कभी-कभी हमें अपनी समस्याओं को समझने के लिए बाहरी सहायता की आवश्यकता होती है?
'दशमः त्वम् असि' की कहानी इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कभी-कभी हम अपनी ही समस्याओं में इतना उलझ जाते हैं कि हमें स्पष्ट समाधान भी दिखाई नहीं देता, और ऐसे में हमें बाहरी सहायता या एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। दस बालक लगातार गिनती में गलती कर रहे थे क्योंकि वे अपनी ही गलती (स्वयं को न गिनना) को पहचान नहीं पा रहे थे। उनकी समस्या सरल थी, लेकिन वे उसे सुलझा नहीं पा रहे थे क्योंकि वे एक ही गलती बार-बार दोहरा रहे थे और अपने पूर्वाग्रह से बंधे हुए थे। उनका दुख वास्तविक था, लेकिन उसका कारण उनकी अपनी भूल थी।
जब पथिक आया, उसने एक **निष्पक्ष और बाहरी दृष्टिकोण** प्रदान किया। वह उन बालकों की समस्या को भावनात्मक रूप से नहीं देख रहा था, बल्कि तार्किक और वस्तुनिष्ठ रूप से देख रहा था। उसने नायक को एक सरल निर्देश दिया और साथ ही उसे गिनती करते समय स्वयं को गिनने का आभास कराया। पथिक की यह बाहरी सहायता बालकों के लिए आंखें खोलने वाली साबित हुई। यह दर्शाता है कि जब हम किसी समस्या में फंस जाते हैं, तो एक **नया दृष्टिकोण या किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह** हमें उस समस्या को समझने और उसका समाधान खोजने में मदद कर सकती है, जिसे हम अपनी सीमित सोच या गलत धारणाओं के कारण स्वयं नहीं देख पा रहे थे।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)