अध्याय 8: ऐसे-ऐसे

**लेखक: विष्णु प्रभाकर**

एकांकी का सार (Summary of the Play)

'ऐसे-ऐसे' **विष्णु प्रभाकर** द्वारा लिखा गया एक हास्यप्रधान **एकांकी** (वन-एक्ट प्ले) है। यह एकांकी मोहन नाम के एक बच्चे पर केंद्रित है, जो स्कूल के काम से बचने के लिए 'ऐसे-ऐसे' नाम के एक **अनोखे पेट दर्द का बहाना** करता है।

मोहन के माता-पिता उसके इस अजीबोगरीब दर्द से बहुत परेशान होते हैं। उन्हें समझ नहीं आता कि मोहन को क्या हुआ है। वे उसे डॉक्टर, वैद्य और पड़ोसन (सुमन) को दिखाते हैं, लेकिन कोई भी उसकी बीमारी का सही-सही पता नहीं लगा पाता। सब यही सोचते हैं कि उसे कोई गंभीर बीमारी है। डॉक्टर और वैद्य अलग-अलग दवाएँ देते हैं और भारी फीस लेते हैं, जिससे परिवार और परेशान हो जाता है।

अंत में, मोहन के **मास्टरजी** आते हैं। वे मोहन को देखते ही उसकी सारी असलियत जान लेते हैं। मास्टरजी बता देते हैं कि मोहन ने **स्कूल का काम पूरा नहीं किया है** और इसीलिए यह सारा 'ऐसे-ऐसे' का नाटक कर रहा है। वे कहते हैं कि अक्सर बच्चे स्कूल के काम से बचने के लिए ऐसे ही बहाने बनाते हैं। मास्टरजी मोहन को समझाते हैं और उसे अपना काम पूरा करने की प्रेरणा देते हैं। इस एकांकी के माध्यम से लेखक बच्चों की चालाकी, माता-पिता की चिंता और बिना जानकारी के किसी भी चीज़ पर विश्वास करने की प्रवृत्ति को हास्यपूर्ण तरीके से दर्शाते हैं। यह एकांकी बच्चों को ईमानदारी से अपना काम करने की सीख भी देती है।

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शब्दार्थ (Word Meanings)

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अभ्यास (Exercises)

नाटक से (From the Play)

  1. मोहन के 'ऐसे-ऐसे' कहने पर माँ-पिताजी और मास्टरजी क्यों परेशान थे?

    मोहन के 'ऐसे-ऐसे' कहने पर माँ-पिताजी इसलिए परेशान थे क्योंकि मोहन को ऐसा अजीब दर्द हो रहा था जिसका वे कोई नाम नहीं जानते थे और न ही डॉक्टर-वैद्य बता पा रहे थे। उन्हें लगा कि मोहन को कोई गंभीर और रहस्यमयी बीमारी हो गई है। मास्टरजी इसलिए परेशान थे क्योंकि वे जानते थे कि मोहन ने अपना स्कूल का काम पूरा नहीं किया है और वह इसी बहाने से छुट्टी करना चाहता है।

  2. मोहन ने 'ऐसे-ऐसे' का बहाना क्यों बनाया?

    मोहन ने 'ऐसे-ऐसे' का बहाना इसलिए बनाया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े और वह अपना अधूरा गृहकार्य (होमवर्क) पूरा करने से बच सके। उसने सोचा कि इस तरह के अजीब बहाने से उसे छुट्टी मिल जाएगी।

  3. मास्टरजी ने मोहन की बीमारी को कैसे पकड़ा?

    मास्टरजी ने मोहन की बीमारी को उसकी चाल से पकड़ा। वे जानते थे कि मोहन एक होशियार लड़का है, लेकिन कभी-कभी कामचोर भी हो जाता है। उन्होंने आते ही मोहन से उसके स्कूल के काम के बारे में पूछा और तुरंत समझ गए कि मोहन ने होमवर्क नहीं किया है और इसी कारण वह यह 'ऐसे-ऐसे' का बहाना कर रहा है।

  4. डॉक्टर और वैद्य मोहन की बीमारी के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाते हैं?

    डॉक्टर मोहन की बीमारी को पेट का दर्द, कब्ज या बदहजमी का नतीजा मानते हैं। वे उसे पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या बताते हैं। वैद्यजी मोहन की बीमारी को वात (गैस) और पित्त (एसिडिटी) का प्रकोप मानते हैं। वे भी पेट से जुड़ी समस्याओं का ही अनुमान लगाते हैं, लेकिन कोई भी असली वजह (होमवर्क न करना) नहीं पकड़ पाता।

नाटक से आगे (Beyond the Play)

  1. पाठ में आए कुछ मुहावरे और उनके अर्थ लिखें।

    • **हक्का-बक्का रह जाना:** हैरान रह जाना।
    • **जान में जान आना:** राहत महसूस करना।
    • **रातों की नींद हराम होना:** बहुत परेशान होना।
    • **भेद खुलना:** रहस्य प्रकट होना।
    • **चेहरे का रंग उड़ जाना:** डर जाना या घबरा जाना।

  2. अगर तुम मोहन की जगह होते तो क्या करते?

    अगर मैं मोहन की जगह होता/होती तो ऐसा बहाना नहीं बनाता/बनाती। मैं ईमानदारी से अपने माता-पिता और मास्टरजी को बता देता/देती कि मेरा काम पूरा नहीं है। मैं उनसे अतिरिक्त समय माँगता/मांगती और अपनी गलती स्वीकार करके होमवर्क पूरा करने की कोशिश करता/करती। बहाना बनाने से केवल परेशानी बढ़ती है और भरोसा टूटता है।

अनुमान और कल्पना (Estimation and Imagination)

  1. यह एकांकी आपको क्या संदेश देती है?

    यह एकांकी हमें कई संदेश देती है। पहला, हमें अपना काम ईमानदारी से और समय पर पूरा करना चाहिए, ताकि बाद में बहाने न बनाने पड़ें। दूसरा, बच्चों को बहानों से बचना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें ही नुकसान होता है और वे अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं। तीसरा, माता-पिता को बच्चों की हर बात पर आँख मूँदकर विश्वास नहीं करना चाहिए, बल्कि उनकी समस्याओं की तह तक जाने की कोशिश करनी चाहिए। यह एकांकी हमें बच्चों की मनःस्थिति को समझने और हास्य के माध्यम से एक अच्छी सीख देने का प्रयास करती है।

  2. क्या मोहन का बहाना बनाना सही था? अपने विचार लिखिए।

    मोहन का बहाना बनाना बिल्कुल सही नहीं था। बहाना बनाने से वह अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा था। इससे न केवल उसके माता-पिता परेशान हुए, बल्कि डॉक्टर और वैद्य का समय और पैसा भी बर्बाद हुआ। ऐसे बहानों से बच्चों में झूठ बोलने और काम से जी चुराने की आदत पड़ सकती है, जो भविष्य के लिए अच्छी नहीं है। अपनी गलती मानकर उसे ठीक करने की कोशिश करना ही सही तरीका होता है।

भाषा की बात (Language Talk)

  1. 'ऐसे-ऐसे' शब्द का प्रयोग मोहन ने दर्द के लिए किया। तुम 'ऐसे' शब्द का प्रयोग करते हुए कोई तीन वाक्य बनाओ।

    1. वह **ऐसे** काम करता है कि सब हैरान रह जाते हैं।
    2. तुमने **ऐसे** कैसे कह दिया कि मैं नहीं आऊँगा?
    3. जीवन में **ऐसे** बहुत से पल आते हैं जब हमें धैर्य रखना पड़ता है।

  2. पाठ से 5 संज्ञा शब्द और 5 क्रिया शब्द छाँटकर लिखिए।

    **संज्ञा शब्द:** मोहन, माँ, पिताजी, मास्टरजी, पेट, स्कूल, डॉक्टर, वैद्य, फीस, दवा, काम। (कोई भी पाँच)
    **क्रिया शब्द:** होना (होता था), करना (करते थे), आना (आते), जाना (जाना पड़ता), पूछना (पूछते हैं), समझना (समझ गए), देना (देते हैं), देखना (देखती है), पड़ना (पड़ता था)। (कोई भी पाँच)

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