अध्याय 6: पार नज़र के

**लेखक: जयंत विष्णु नार्लीकर (वैज्ञानिक कथा)**

कहानी का सार (Summary of the Story)

'पार नज़र के' **जयंत विष्णु नार्लीकर** द्वारा लिखी एक रोमांचक वैज्ञानिक कथा है। यह कहानी मंगल ग्रह पर रहने वाले प्राणियों के बारे में है, जो ज़मीन के नीचे सुरंग बनाकर रहते हैं। कहानी का मुख्य पात्र **छोटू** नाम का एक बच्चा है, जो अपने पिता के साथ काम पर जाने के लिए उत्सुक रहता है। उसके पिता एक गुप्त सुरंग से होकर काम पर जाते हैं, जहाँ सिर्फ़ विशेष पासधारक ही जा सकते हैं।

एक दिन छोटू अपने पिता का **सिक्योरिटी पास** चुराकर सुरंग में चला जाता है। वहाँ वह एक बटन दबा देता है, जिससे एक **अंतरिक्ष यान** (स्पेसशिप) धरती पर उतरता हुआ दिखाई देता है। यह यान दरअसल मंगल ग्रह पर उतर रहा होता है। यान को देखकर छोटू डर जाता है और उसे पिताजी पकड़ लेते हैं।

जब अंतरिक्ष यान मंगल की धरती पर उतरता है, तो वहाँ की केंद्रीय नियंत्रण कमेटी (कंट्रोल रूम) के लोग बहुत चिंतित हो जाते हैं। वे नहीं जानते कि यह कौन-सा यान है और इससे क्या खतरा हो सकता है। कमेटी के सदस्य इस पर चर्चा करते हैं कि क्या किया जाए - यान को नष्ट किया जाए या उस पर नज़र रखी जाए। अंत में, वे यान पर नज़र रखने का फैसला करते हैं।

एक यंत्र (रोबोटिक आर्म) यान से बाहर निकलता है और मिट्टी के नमूने लेने लगता है। छोटू के पिता, जो उस कंट्रोल रूम में होते हैं, बताते हैं कि यह एक **वैज्ञानिक अन्वेषण** है और डरने की कोई बात नहीं। वे बताते हैं कि इस यान को पृथ्वी से भेजा गया है और यह मंगल ग्रह की मिट्टी के नमूने ले रहा है। छोटू का पिता उन्हें बताता है कि हजारों साल पहले मंगल पर जीवन था, लेकिन सूरज में बदलाव के कारण वातावरण बदल गया, जिससे उन्हें भूमिगत रहना पड़ा। अब वे अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए विशेष उपकरणों पर निर्भर हैं।

यह कहानी हमें बताती है कि ब्रह्मांड में हम अकेले नहीं हो सकते और विज्ञान किस तरह से जीवन को बचाने और जानने में मदद करता है। यह बच्चों में **वैज्ञानिक जिज्ञासा** और **अज्ञात के प्रति कौतूहल** जगाती है।

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शब्दार्थ (Word Meanings)

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अभ्यास (Exercises)

कहानी से (From the Story)

  1. छोटू का परिवार कहाँ रहता था?

    छोटू का परिवार मंगल ग्रह पर ज़मीन के नीचे बनी एक कॉलोनी में रहता था।

  2. छोटू मंगल ग्रह पर जाने के लिए इतना उत्सुक क्यों था?

    छोटू मंगल ग्रह की ऊपरी सतह पर जाने के लिए इतना उत्सुक इसलिए था क्योंकि उसके पिता वहीं काम पर जाते थे और उस रास्ते से सिर्फ़ कुछ लोग ही जा सकते थे। उसे उस जगह के बारे में बहुत जिज्ञासा थी, जहाँ जाने से उसे रोका जाता था।

  3. सिक्योरिटी पास चुराकर छोटू ने क्या किया?

    सिक्योरिटी पास चुराकर छोटू ने अपने पिता के गुप्त रास्ते से होते हुए कंट्रोल रूम तक पहुँच गया। वहाँ उसने एक पैनल पर लगे बटन को दबा दिया, जिससे एक अंतरिक्ष यान मंगल की धरती पर उतरने लगा।

  4. अंतरिक्ष यान को देखकर केंद्रीय नियंत्रण कमेटी ने क्या फैसला लिया?

    अंतरिक्ष यान को देखकर केंद्रीय नियंत्रण कमेटी ने पहले तो चिंता व्यक्त की। वे यान को नष्ट करने पर विचार कर रहे थे, लेकिन अंत में उन्होंने यान पर नज़र रखने और उसकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करने का फैसला लिया।

  5. छोटू के पिता ने मंगल पर जीवन के बारे में क्या बताया?

    छोटू के पिता ने बताया कि हज़ारों साल पहले मंगल ग्रह पर जीवन था और सभी लोग धरती पर रहते थे। लेकिन सूरज में हुए बदलाव के कारण वहाँ का वातावरण बदल गया, जिससे जीवन असंभव हो गया। इसलिए उन्हें ज़मीन के नीचे बंकर बनाकर रहना पड़ा और अब वे विशेष उपकरणों के सहारे जीवित हैं।

कहानी से आगे (Beyond the Story)

  1. मंगल ग्रह पर जीवन के बारे में तुमने और क्या-क्या पढ़ा या सुना है?

    मंगल ग्रह पर जीवन के बारे में मैंने पढ़ा/सुना है कि वैज्ञानिक अभी भी वहाँ पानी की मौजूदगी और सूक्ष्म जीवों की संभावना की तलाश कर रहे हैं। कई रोवर और यान मंगल पर भेजे गए हैं जो वहाँ की मिट्टी, चट्टानों और वातावरण का अध्ययन कर रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि क्या कभी मंगल पर जीवन था या भविष्य में हो सकता है।

  2. अगर तुम छोटू की जगह होते तो क्या करते?

    अगर मैं छोटू की जगह होता/होती तो शायद मैं भी उत्सुकता में अपने पिता का पास लेकर उस रास्ते पर जाने की कोशिश करता/करती। हालाँकि, अगर मैं पिताजी के साथ कंट्रोल रूम में होता/होती, तो मैं उनकी बात ध्यान से सुनता/सुनती और उनकी अनुमति के बिना किसी भी बटन को नहीं दबाता/दबाती।

अनुमान और कल्पना (Estimation and Imagination)

  1. यह कहानी हमें क्या संदेश देती है?

    यह कहानी हमें संदेश देती है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से मनुष्य कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है। यह हमें ब्रह्मांड के रहस्य और अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। साथ ही, यह बच्चों में जिज्ञासा और अन्वेषण (exploration) की भावना को बढ़ावा देती है। यह बताती है कि किसी भी काम में बड़ों की बात मानना कितना महत्वपूर्ण है।

  2. कहानी के शीर्षक 'पार नज़र के' का क्या अर्थ है? स्पष्ट करें।

    कहानी का शीर्षक 'पार नज़र के' का अर्थ है 'जो आँखों के सामने न हो' या 'जो दिख न रहा हो'। इस कहानी में यह शीर्षक कई संदर्भों में सार्थक है:

    • **मंगल की सतह:** मंगल ग्रह की सतह पर अब जीवन संभव नहीं है और वहाँ की हवा, तापमान आदि मनुष्य की नज़र से 'पार' हैं, यानी उनके अनुकूल नहीं हैं।
    • **भूमिगत जीवन:** मंगलवासी ज़मीन के 'पार', यानी ज़मीन के नीचे बंकरों में रहते हैं, जहाँ उन्हें ऊपरी सतह की कठोर परिस्थितियों से 'नज़र बचाकर' रहना पड़ता है।
    • **अज्ञात यान:** पृथ्वी से आया अंतरिक्ष यान मंगलवासियों के लिए 'नज़र के पार' का मेहमान था, क्योंकि उन्हें उसके आने की उम्मीद नहीं थी और उसके इरादे अज्ञात थे।
    • **वैज्ञानिक रहस्य:** कहानी में वैज्ञानिक अन्वेषण और ब्रह्मांड के रहस्य 'नज़र के पार' की दुनिया के बारे में हमारी जिज्ञासा को बढ़ाते हैं।
    इस प्रकार, शीर्षक कहानी के केंद्रीय विषय - एक ऐसी दुनिया की खोज और अस्तित्व जो हमारी सामान्य दृष्टि से परे है - को बखूबी दर्शाता है।

भाषा की बात (Language Talk)

  1. नीचे कुछ संज्ञा शब्द दिए गए हैं। इनका लिंग-भेद पहचानकर सही स्थान पर लिखें:

    सुरंग, सतह, यंत्र, पास, कंप्यूटर, कुर्सी, फीस, आवाज़, स्टेशन, कॉलोनी, अंतरिक्ष यान।

    **पुल्लिंग (Masculine):** यंत्र, पास, कंप्यूटर, अंतरिक्ष यान, स्टेशन
    **स्त्रीलिंग (Feminine):** सुरंग, सतह, कुर्सी, फीस, आवाज़, कॉलोनी

  2. पाठ से 5 विशेषण शब्द और उनके विशेष्य छाँटकर लिखिए:

    • **खुफिया** (विशेषण) - **रास्ता** (विशेष्य)
    • **छोटी-सी** (विशेषण) - **खिड़की** (विशेष्य)
    • **अजीब** (विशेषण) - **सी आकृति** (विशेष्य)
    • **बड़ी** (विशेषण) - **बात** (विशेष्य)
    • **वैज्ञानिक** (विशेषण) - **अन्वेषण** (विशेष्य)
    • **कुछ** (विशेषण) - **शब्द** (विशेष्य)


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