अध्याय 4: चाँद से थोड़ी-सी गप्पें
परिचय
"चाँद से थोड़ी-सी गप्पें" हिंदी बसंत, कक्षा 6 की एक सुंदर और कल्पनाशील कविता है। इस कविता में एक **दस-ग्यारह साल की लड़की** चाँद से बातें कर रही है। वह चाँद को संबोधित करते हुए उसे एक गोल-मटोल, गोरा-चिट्टा वस्त्र पहने हुए मानती है, जिसमें तारे जड़े हुए हैं। वह चाँद के घटने-बढ़ने को एक बीमारी बताती है और उससे कहती है कि उसकी यह बीमारी ठीक नहीं होती। यह कविता बच्चों की कल्पनाशीलता, जिज्ञासा और प्रकृति के प्रति उनके भोलेपन को दर्शाती है। कविता के रचयिता **शमशेर बहादुर सिंह** हैं।
कविता का सार (Summary of the Poem)
यह कविता एक छोटी बच्ची के नजरिए से चाँद के बारे में है। बच्ची चाँद से बातें करती है और उसे सलाह देती है। वह चाँद को कहती है कि वह बिलकुल गोल है, लेकिन फिर भी वह थोड़ा-सा तिरछा दिखाई देता है। बच्ची चाँद को बताती है कि उसने जो पोशाक (वस्त्र) पहनी हुई है, वह चारों दिशाओं में फैली हुई है और उसमें तारे जड़े हुए हैं।
बच्ची चाँद से पूछती है कि वह अपनी पोशाक का घेरा क्यों नहीं खोलता। वह चाँद के घटने-बढ़ने की प्रक्रिया को एक बीमारी मानती है और कहती है कि यह बीमारी उसे कभी ठीक नहीं होती। वह चाँद को बताती है कि उसे घटने और बढ़ने की आदत है। जब वह घटता है तो घटता ही चला जाता है और जब बढ़ता है तो बढ़ता ही चला जाता है, जब तक कि वह बिलकुल गोल न हो जाए। अंत में, बच्ची कहती है कि चाँद को अपनी यह बीमारी ठीक करनी चाहिए। यह कविता बच्चों की मासूमियत और उनकी कल्पनाओं को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत करती है।
---पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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यह कविता किसने लिखी है?
यह कविता शमशेर बहादुर सिंह ने लिखी है।
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कविता में चाँद से कौन बातें कर रहा है?
कविता में एक दस-ग्यारह साल की लड़की चाँद से बातें कर रही है।
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लड़की चाँद की पोशाक के बारे में क्या कहती है?
लड़की कहती है कि चाँद ने तारों से जड़ी हुई एक पोशाक पहनी है जो चारों दिशाओं में फैली हुई है।
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लड़की चाँद के घटने-बढ़ने को क्या मानती है?
लड़की चाँद के घटने-बढ़ने को एक बीमारी मानती है।
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चाँद कितना गोल दिखाई देता है?
लड़की के अनुसार चाँद बिलकुल गोल दिखाई देता है, लेकिन फिर भी थोड़ा-सा तिरछा है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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बच्ची चाँद को गोल-मटोल क्यों कहती है?
बच्ची चाँद को गोल-मटोल इसलिए कहती है क्योंकि वह पूर्णिमा के दिन उसे पूरा गोल देखती है। उसकी कल्पना में चाँद एक मोटा-सा, गोरा-चिट्टा व्यक्ति है जिसने आकाश की चादर ओढ़ रखी है।
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लड़की चाँद को तिरछा दिखने का कारण क्या बताती है?
लड़की चाँद को थोड़ा-सा तिरछा दिखने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताती, बल्कि यह उसकी मासूमियत और अवलोकन की कमी को दर्शाता है कि उसे चाँद पूरा गोल होने पर भी थोड़ा तिरछा लग रहा है।
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चाँद के घटने-बढ़ने को बीमारी कहने का क्या अर्थ है?
चाँद के घटने-बढ़ने को बीमारी कहने का अर्थ यह है कि बच्ची को चाँद की कलाएँ बदलने का वैज्ञानिक कारण नहीं पता। उसे लगता है कि चाँद की सेहत ठीक नहीं रहती, इसलिए वह कभी छोटा और कभी बड़ा हो जाता है। यह उसके भोलेपन को दर्शाता है।
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बच्ची चाँद को क्या सलाह देती है?
बच्ची चाँद को सलाह देती है कि उसे अपनी घटने-बढ़ने की बीमारी ठीक कर लेनी चाहिए। वह चाहती है कि चाँद हमेशा एक जैसा रहे और यह बदलाव बंद हो जाए।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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"चाँद से थोड़ी-सी गप्पें" कविता में लड़की की कल्पनाशीलता का वर्णन करें।
"चाँद से थोड़ी-सी गप्पें" कविता में एक दस-ग्यारह साल की बच्ची की अद्भुत कल्पनाशीलता देखने को मिलती है। वह चाँद को एक जीवित व्यक्ति की तरह देखती है, जिससे वह खुलकर बातें करती है। वह चाँद को एक गोल-मटोल और गोरा-चिट्टा इंसान मानती है, जिसने पूरा आकाश ही अपनी पोशाक के रूप में पहन रखा है। इस पोशाक पर तारे जड़े हुए हैं, जो उसे और भी सुंदर बनाते हैं। यह कल्पना दर्शाती है कि बच्चे साधारण चीजों में भी कितनी असाधारण बातें सोच सकते हैं।
लड़की की कल्पना केवल चाँद को एक इंसान के रूप में देखने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह चाँद के घटने-बढ़ने की प्रक्रिया को भी अपनी तरह से समझती है। वह इसे एक ऐसी 'बीमारी' मानती है जो चाँद को कभी ठीक नहीं होती। यह बीमारी उसे परेशान करती है, और वह चाहती है कि चाँद इस बीमारी से मुक्त हो जाए ताकि वह हमेशा एक समान और पूरा गोल दिखाई दे। यह बच्चों की दुनिया को दर्शाता है जहाँ हर प्राकृतिक घटना के पीछे वे अपनी समझ और कल्पना के आधार पर कारण गढ़ लेते हैं, जो उनकी जिज्ञासा और मासूमियत को दर्शाता है। यह कविता बच्चों की अनूठी सोच और उनकी दुनिया को समझने के तरीके का एक सुंदर उदाहरण है।
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कविता में चाँद की किन विशेषताओं का वर्णन किया गया है और उन्हें बच्ची ने किस प्रकार समझा है?
कविता में चाँद की कई विशेषताओं का वर्णन किया गया है, जिन्हें बच्ची अपनी अनोखी और मासूम समझ से देखती है। सबसे पहले, वह चाँद को **बिलकुल गोल-मटोल** बताती है। यह पूर्णिमा के चाँद का वर्णन है जब वह अपनी पूरी गोलाई में दिखाई देता है। लेकिन बच्ची यह भी कहती है कि चाँद **थोड़ा-सा तिरछा** दिखाई देता है, जो उसकी नजर में एक खामी है, भले ही चाँद वास्तव में गोल ही होता है। यह बच्चों की अपूर्ण लेकिन प्यारी समझ को दर्शाता है।
दूसरी महत्वपूर्ण विशेषता जो बच्ची बताती है वह है चाँद की **पोशाक**। वह कल्पना करती है कि चाँद ने पूरा आकाश ही अपनी पोशाक के रूप में पहन रखा है, और इस पोशाक में **तारे जड़े हुए** हैं। यह एक बहुत ही सुंदर और काव्यपूर्ण वर्णन है जो आकाश के विशाल फैलाव और उसमें चमकते तारों को चाँद की व्यक्तिगत वेशभूषा के रूप में प्रस्तुत करता है। अंत में, चाँद की सबसे प्रमुख विशेषता, उसकी **घटने-बढ़ने की कलाएँ**, जिसे बच्ची **एक बीमारी** मानती है। वह नहीं जानती कि यह एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है। उसे लगता है कि चाँद की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए वह कभी घटता है और कभी बढ़ता है, और यह सिलसिला कभी रुकता नहीं। यह वर्णन बच्ची के भोलेपन, उसकी जिज्ञासा और प्राकृतिक घटनाओं को अपने मानवीय अनुभवों से जोड़ने की प्रवृत्ति को बखूबी दर्शाता है।
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