अध्याय 16: वन के मार्ग में (Van Ke Marg Mein)

कविता: वन के मार्ग में (सवैया)

पुर ते निकसीं रघुबीर-बधू, धरि धीर दए मग में डग द्वै।

झलकीं भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गए मधुराधर वै॥

फिरि बूझति हैं 'चलनो अब केतिक, परनकुटी करिहौ कित ह्वै?'

तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै॥1॥


जल को गए लक्खन हैं, लरिका परिखौ, पिय! छाँह घरीक है ठाढ़े।

पोंछि पसेउ बयारि करौ, अरु पाँय पखारिहौं भूभुरि डाढ़े॥

तुलसी रघुबीर प्रिया श्रम जानि कै, बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।

जानकी नाह को नेहु लख्यो, पुलको तनु, बारि बिलोचन बाढ़े॥2॥

कवि: तुलसीदास

कविता का सार (Summary of the Poem)

यह कविता **गोस्वामी तुलसीदास** द्वारा रचित है और यह उनकी प्रसिद्ध कृति **'कवितावली'** के **अयोध्याकाण्ड** से ली गई है। इसमें उस मार्मिक क्षण का वर्णन है, जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के लिए अयोध्या छोड़कर जाते हैं। यह कविता **अवधी भाषा** में लिखी गई है और दो सवैयों के माध्यम से सीता जी की कोमलता, राम के प्रेम और लक्ष्मण के त्याग को दर्शाती है।

प्रथम सवैया का सार:

जब **सीता जी** नगर (अयोध्या) से निकलकर वन के मार्ग पर दो कदम ही चलती हैं, तो उनके माथे पर **पसीने की बूँदें झलकने** लगती हैं। उनके **मधुर होंठ सूख जाते** हैं। यह उनकी कोमलता और वन के कठोर मार्ग पर चलने की कठिनाई को दर्शाता है। वे थककर भगवान राम से पूछती हैं कि **"अभी और कितना चलना है और आप अपनी पर्णकुटी (पर्ण कुटीर/पत्तों की कुटिया) कहाँ बनाएंगे?"** सीता जी की ऐसी व्याकुलता और थकान देखकर, **भगवान राम की सुंदर आँखों से आँसू बहने लगते हैं।** यह राम के सीता के प्रति असीम प्रेम और उनकी पीड़ा को महसूस करने की गहराई को दर्शाता है।

द्वितीय सवैया का सार:

सीता जी अपनी थकान महसूस करती हैं, और सोचती हैं कि लक्ष्मण पानी लेने गए हैं। वे राम से कहती हैं, **"हे प्रिय! लक्ष्मण पानी लेने गए हैं, वे बालक हैं, थोड़ा इंतज़ार कर लेते हैं, किसी छायादार जगह पर थोड़ी देर खड़े होकर आराम कर लेते हैं।"** वे आगे कहती हैं कि **"मैं आपका पसीना पोंछती हूँ और हवा करती हूँ, और आपके गरम (धूल-भरी) पैरों को धो दूँगी।"**

तुलसीदास जी कहते हैं कि **भगवान राम ने अपनी प्रिय सीता के कष्ट को समझा (उनके शब्दों से उनकी थकान भांप ली)** और उनके पैरों से **कांटे निकालने के बहाने बहुत देर तक बैठे रहे**, ताकि सीता को कुछ देर आराम मिल सके। भगवान राम के इस **प्रेमपूर्ण व्यवहार** को देखकर, सीता जी का शरीर **पुलकित हो उठा** और उनकी **आँखों में आँसू भर आए** (खुशी के)। यह दृश्य राम-सीता के गहरे प्रेम और एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

प्रमुख बिंदु (Key Points)

शब्दार्थ (Word Meanings)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कविता से (From the Poem)

  1. पहले सवैये में कवि ने राम-सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है?

    पहले सवैये में कवि तुलसीदास ने उस प्रसंग का वर्णन किया है जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के लिए अयोध्या से निकलकर वन के मार्ग पर चल रहे होते हैं। इस दौरान सीता जी थक जाती हैं और उनके माथे पर पसीना आ जाता है, होंठ सूख जाते हैं। वे राम से पूछती हैं कि अभी और कितना चलना है और कुटिया कहाँ बनाएंगे। सीता की यह व्याकुलता देखकर राम की आँखों में आँसू आ जाते हैं।

  2. दूसरे सवैये में लक्ष्मण के लिए 'लरिका' शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है?

    दूसरे सवैये में लक्ष्मण के लिए 'लरिका' (अर्थात बालक) शब्द का प्रयोग सीता जी की ओर से **वात्सल्य और ममता** की भावना को प्रकट करने के लिए किया गया है। सीता जी जानती हैं कि लक्ष्मण पानी लेने दूर गए हैं और वे अभी छोटे हैं, उन्हें भी विश्राम की आवश्यकता होगी। इसलिए वे राम से कहती हैं कि लक्ष्मण के आने तक थोड़ी देर छाँव में रुककर उनका इंतज़ार कर लें। यह शब्द सीता के मन में लक्ष्मण के प्रति स्नेह और उनकी चिंता को दर्शाता है।

  3. राम ने सीता की थकावट दूर करने के लिए क्या उपाय किया?

    राम ने सीता की थकावट दूर करने के लिए एक बहुत ही संवेदनशील उपाय किया। उन्होंने सीता के शब्दों से उनकी थकान और व्याकुलता को समझ लिया। इसके बाद, उन्होंने अपने पैरों से **काँटे निकालने का बहाना करके बहुत देर तक बैठे रहे**, ताकि सीता जी को भी कुछ देर के लिए विश्राम मिल सके। राम के इस प्रेमपूर्ण व्यवहार ने सीता के मन को शांत और प्रसन्न कर दिया।

  4. राम और सीता के प्रेम को दर्शाने वाली पंक्तियाँ कविता से छाँटकर लिखो।

    राम और सीता के प्रेम को दर्शाने वाली पंक्तियाँ हैं:

    • "तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै॥"
    • "तुलसी रघुबीर प्रिया श्रम जानि कै, बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।"
    • "जानकी नाह को नेहु लख्यो, पुलको तनु, बारि बिलोचन बाढ़े॥"

II. अनुमान और कल्पना (Estimation and Imagination)

  1. जंगल के रास्ते में राम, सीता और लक्ष्मण को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा?

    जंगल के रास्ते में राम, सीता और लक्ष्मण को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा:

    • **थकावट:** बिना रुके लंबी दूरी पैदल चलना, जिससे शरीर में दर्द और थकावट हुई होगी।
    • **प्यास और भूख:** रास्ते में साफ पानी और भोजन का अभाव।
    • **कठोर मार्ग:** पथरीले, ऊबड़-खाबड़ और काँटेदार रास्ते पर चलना।
    • **धूप और गर्मी:** खुले आसमान के नीचे तेज़ धूप में चलना।
    • **खतरनाक जानवर:** जंगली जानवरों का डर और उनसे बचाव।
    • **मौसम की मार:** बारिश, ठंड या आँधी-तूफान जैसी मौसमी कठिनाइयाँ।
    • **सुरक्षा:** राक्षसों और दुष्टों से अपनी सुरक्षा करना।
    • **आवास:** रात बिताने के लिए उचित और सुरक्षित स्थान का अभाव।
    • **मानसिक कष्ट:** राजमहल का सुख छोड़कर वन में आने का मानसिक कष्ट।

  2. आपके विचार में, श्री राम के लिए कांटे निकालना क्या केवल एक बहाना था या सचमुच कांटे थे? तर्क सहित उत्तर दो।

    मेरे विचार में, श्री राम के लिए कांटे निकालना **मुख्यतः एक बहाना** था, हालांकि पैरों में धूल और थकान के कारण कुछ छोटे-मोटे कांटे हो भी सकते थे। इसका मुख्य कारण यह था कि वे अपनी प्रिय पत्नी सीता जी की **अत्यधिक थकावट और व्याकुलता** को समझ गए थे। राजमहल के सुख में पली-बढ़ी सीता को पैदल चलने की आदत नहीं थी, और वन का मार्ग बहुत कठिन था। राम नहीं चाहते थे कि सीता को यह महसूस हो कि वे उनके कारण रुक रहे हैं या वे कमजोर पड़ रही हैं। इसलिए, उन्हें आराम देने के लिए उन्होंने यह तरीका अपनाया, जिससे सीता को भी सहजता से आराम मिल सके और उन्हें भी अपने पति का प्रेम व संवेदनशीलता महसूस हो। यह राम के **स्नेह और बुद्धिमत्ता** को दर्शाता है।

III. भाषा की बात (Language Talk)

  1. 'जल को गए लक्खन हैं, लरिका परिखौ, पिय! छाँह घरीक है ठाढ़े।' - इस पंक्ति को अवधी भाषा से आधुनिक हिंदी में रूपांतरित करो।

    आधुनिक हिंदी रूपांतरण: **"लक्ष्मण जल लेने गए हैं, वे बालक हैं, प्रिय! थोड़ी देर छाया में खड़े होकर उनकी प्रतीक्षा कर लेते हैं।"**

  2. कविता में प्रयोग हुए अवधी भाषा के किन्हीं पाँच शब्दों को छाँटकर उनके अर्थ लिखो।

    कविता में प्रयोग हुए अवधी भाषा के पाँच शब्द और उनके अर्थ:

    • **पुर:** नगर
    • **निकसीं:** निकलीं
    • **मग:** मार्ग
    • **डग:** कदम
    • **कनी जल:** पसीने की बूँदें
    • **पुट:** होंठ
    • **पिय:** प्रिय (पति)
    • **केतिक:** कितना
    • **कित ह्वै:** कहाँ
    • **तिय:** पत्नी
    • **लक्खन:** लक्ष्मण
    • **लरिका:** बालक
    • **परिखौ:** प्रतीक्षा करो
    • **घरीक:** थोड़ी देर
    • **ठाढ़े:** खड़े होकर
    • **पसेउ:** पसीना
    • **बयारि:** हवा
    • **पाँय:** पैर
    • **पखारिहौं:** धो दूँगी
    • **भूभुरि:** धूल/गरम रेत
    • **बिलंब लौं:** देर तक
    • **कंटक काढ़े:** कांटे निकाले
    • **नाह:** पति
    • **नेहु:** प्रेम
    • **तनु:** शरीर
    • **बारि बिलोचन बाढ़े:** आँखों में आँसू भर आए
    (यहाँ कोई भी पाँच चुन सकते हैं)

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