अध्याय 12: संसार पुस्तक है

**लेखक: जवाहरलाल नेहरू (पत्र का अंश)**

पत्र का सार (Summary of the Letter)

'संसार पुस्तक है' भारत के प्रथम प्रधानमंत्री **जवाहरलाल नेहरू** द्वारा अपनी बेटी **इंदिरा गांधी** को लिखे गए पत्रों का एक अंश है। यह पत्र नेहरू जी ने अपनी बेटी को तब लिखा था जब वह मसूरी में थीं और नेहरू जी इलाहाबाद में थे। इस पत्र में नेहरू जी इंदिरा को यह समझाते हैं कि जिस प्रकार पुस्तकों से हमें ज्ञान मिलता है, उसी प्रकार **सारा संसार भी एक पुस्तक के समान है**, जिसे पढ़कर ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

नेहरू जी बताते हैं कि अगर हमें इस 'संसार रूपी पुस्तक' को पढ़ना है, तो हमें अपने आस-पास की चीजों को ध्यान से देखना और समझना होगा। वे उदाहरण देते हैं कि कैसे **पहाड़, समुद्र, नदियाँ, पत्थर, रेगिस्तान और छोटे-छोटे कंकड़** भी हमें पृथ्वी के पुराने इतिहास की कहानियाँ सुनाते हैं। वे कहते हैं कि हमें इन प्राकृतिक चीज़ों को ध्यान से देखकर, उनके बनने की प्रक्रिया को समझकर और उनमें हुए बदलावों को देखकर इतिहास के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है।

वे यह भी समझाते हैं कि पुरानी चीजों, जैसे पत्थरों और जीवाश्मों (fossil) से, हमें पृथ्वी के लाखों-करोड़ों साल पुराने जीवन के बारे में जानकारी मिलती है। हर छोटा-बड़ा पत्थर, हर नदी, और हर चीज़ अपनी एक कहानी कहती है। इस तरह, नेहरू जी इंदिरा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहकर, **व्यापक और प्राकृतिक अवलोकन** के माध्यम से दुनिया को जानने और समझने की प्रेरणा देते हैं। उनका संदेश है कि सच्ची समझ और ज्ञान केवल पुस्तकों से नहीं, बल्कि अपने आस-पास के संसार से भी आता है, बशर्ते हम उसे सही नज़र से देखें और समझने की कोशिश करें।

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शब्दार्थ (Word Meanings)

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अभ्यास (Exercises)

पत्र से (From the Letter)

  1. लेखक ने 'संसार' को 'पुस्तक' क्यों कहा है?

    लेखक ने 'संसार' को 'पुस्तक' इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार पुस्तकों को पढ़कर हम ज्ञान प्राप्त करते हैं, ठीक उसी प्रकार संसार में मौजूद विभिन्न प्राकृतिक चीज़ों जैसे पहाड़, नदियाँ, पत्थर, रेगिस्तान आदि को ध्यान से देखकर और समझकर भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और पृथ्वी के इतिहास तथा विकास को जान सकते हैं। ये सभी चीज़ें हमें प्रकृति और जीवन के बारे में कहानियाँ बताती हैं।

  2. लेखक ने पुराने ज़माने की बातों को जानने के लिए किन चीज़ों का सहारा लेने को कहा है?

    लेखक ने पुराने ज़माने की बातों को जानने के लिए किताबों के अलावा पहाड़ों, समुद्रों, नदियों, पत्थरों, रेगिस्तानों और छोटे-छोटे कंकड़ों जैसे प्राकृतिक चीज़ों का सहारा लेने को कहा है। उन्होंने जीवाश्मों और पुरानी चट्टानों के अध्ययन को भी महत्वपूर्ण बताया है।

  3. छोटे-छोटे कंकड़ क्या कहानी बताते हैं?

    छोटे-छोटे कंकड़ यह कहानी बताते हैं कि वे कभी किसी पहाड़ के हिस्से थे। पानी की धारा या बारिश के बहाव से वे नीचे आए, गोल और चिकने हुए। उनकी यह यात्रा बताती है कि प्रकृति की शक्तियाँ कैसे काम करती हैं और कैसे चीज़ें समय के साथ बदलती हैं। यह एक छोटे से कंकड़ के माध्यम से पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास की एक झलक है।

  4. लाखों-करोड़ों वर्ष पहले हमारी पृथ्वी कैसी थी?

    लाखों-करोड़ों वर्ष पहले हमारी पृथ्वी बहुत गर्म थी। उस समय इस पर कोई जीव-जंतु या मनुष्य नहीं रह सकता था। यह आग का एक जलता हुआ गोला थी, जिसमें धीरे-धीरे बदलाव आते गए और यह जीवन के लायक बनती गई।

पत्र से आगे (Beyond the Letter)

  1. पाठ में दी गई किसी नदी या पहाड़ का नाम बताओ जो तुमने देखा हो। उसके बारे में कुछ वाक्य लिखो।

    (यह उत्तर विद्यार्थी के अनुभव के अनुसार भिन्न हो सकता है। उदाहरण के लिए:)
    मैंने **गंगा नदी** देखी है। यह भारत की सबसे पवित्र और सबसे बड़ी नदियों में से एक है। यह हिमालय से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। गंगा के किनारे कई बड़े शहर और तीर्थ स्थल बसे हुए हैं। यह नदी लाखों लोगों के जीवन का आधार है और भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  2. तुम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में किन चीज़ों से ज्ञान प्राप्त करते हो?

    मैं अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कई चीज़ों से ज्ञान प्राप्त करता/करती हूँ:

    • **लोगों से बातचीत करके:** दोस्त, परिवार और शिक्षकों से बातें करके मैं नई जानकारी सीखता/सीखती हूँ।
    • **टी.वी. और इंटरनेट से:** खबरें देखकर, डॉक्यूमेंट्री और शैक्षिक वीडियो देखकर मुझे दुनिया के बारे में पता चलता है।
    • **आस-पास के वातावरण से:** पेड़-पौधों, जानवरों और मौसम के बदलावों को देखकर प्रकृति के बारे में सीखता/सीखती हूँ।
    • **अनुभवों से:** अपनी गलतियों और सफलताओं से मैं सीखता/सीखती हूँ कि क्या सही है और क्या गलत।
    • **खेल-कूद से:** खेल मुझे टीम वर्क, धैर्य और हार-जीत को स्वीकार करना सिखाते हैं।

अनुमान और कल्पना (Estimation and Imagination)

  1. अगर नेहरू जी इंदिरा को पत्र नहीं लिखते तो क्या होता?

    अगर नेहरू जी इंदिरा को पत्र नहीं लिखते तो शायद इंदिरा केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित रह जातीं। वे दुनिया को एक बड़े संदर्भ में देखना और प्रकृति से सीखना नहीं समझ पातीं। यह पत्र उनके दृष्टिकोण को व्यापक बनाने और उन्हें अवलोकन तथा विश्लेषण की प्रेरणा देने में सहायक था, जो शायद पत्रों के बिना संभव न हो पाता।

  2. इस पत्र से तुम्हें क्या प्रेरणा मिली?

    इस पत्र से मुझे यह प्रेरणा मिली कि ज्ञान केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारे आस-पास का सारा संसार भी ज्ञान का एक विशाल स्रोत है। हमें हर चीज़ को जिज्ञासा और अवलोकन की नज़र से देखना चाहिए, क्योंकि हर पत्थर, नदी या पेड़ अपनी एक कहानी बताते हैं। यह हमें प्रकृति से जुड़ने और दुनिया को एक नई समझ के साथ देखने के लिए प्रेरित करता है।

भाषा की बात (Language Talk)

  1. पाठ में 'लाखों-करोड़ों' जैसे कई शब्द युग्म आए हैं। ऐसे ही पाँच शब्द युग्म छाँटकर लिखो।

    1. **छोटे-बड़े**
    2. **दिन-रात**
    3. **अंदर-बाहर**
    4. **कभी-कभी**
    5. **धीरे-धीरे**
    6. **मोटी-मोटी**

  2. 'तुम्हें यह जानकर हैरानी होगी' - इस वाक्य में 'जानकर' क्रिया विशेषण है। पाठ से ऐसे ही दो और उदाहरण छाँटकर लिखो।

    1. "सिर्फ़ एक छोटे-से रोड़े को देखकर भी तुम बहुत कुछ **सीख सकते हो**।" (यहां 'देखकर' क्रिया विशेषण है)
    2. "हम जो कुछ भी देखते हैं, उसे **समझकर** आगे बढ़ना चाहिए।" (यहां 'समझकर' क्रिया विशेषण है)
    3. "तुमने गोल-गोल चमकीला कंकड़ देखा होगा, क्या तुम्हें **सोचकर** हैरानी हुई?" (यहां 'सोचकर' क्रिया विशेषण है)

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