अध्याय 11: जो देखकर भी नहीं देखते
परिचय
"जो देखकर भी नहीं देखते" हेलेन केलर द्वारा लिखा गया एक प्रेरणादायक निबंध है। हेलेन केलर एक ऐसी असाधारण महिला थीं जो बचपन में ही अपनी आँखों की रोशनी और सुनने की शक्ति खो चुकी थीं। इस निबंध में, वह हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम अपनी इंद्रियों, विशेषकर देखने की शक्ति का कितना कम उपयोग करते हैं, जबकि उनके पास यह शक्ति न होने पर भी वे दुनिया को गहराई से महसूस कर पाती थीं।
महत्वपूर्ण सूचना: यहाँ पर अध्याय की पूरी मूल कहानी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है क्योंकि यह कॉपीराइट सामग्री है। नीचे कहानी का सार और प्रश्नोत्तर दिए गए हैं जो आपको इस अध्याय को समझने में मदद करेंगे।
कहानी का सार (Summary of the Essay)
लेखिका हेलेन केलर अक्सर उन लोगों से मिलती थीं जिनके पास आँखें होती हैं, लेकिन वे दुनिया की सुंदरता और बारीकियों को ठीक से देख या महसूस नहीं कर पाते। वे अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताती हैं कि जब वे अपने दोस्तों के साथ जंगल से सैर करके लौटती थीं, तो उनसे पूछती थीं कि उन्होंने क्या देखा। उनके दोस्त अक्सर जवाब देते थे कि उन्होंने कुछ खास नहीं देखा। यह बात हेलेन को बहुत हैरान करती थी, क्योंकि उनके पास आँखें न होने के बावजूद, वे प्रकृति को स्पर्श, गंध और आवाज़ के माध्यम से पूरी तरह से महसूस कर पाती थीं।
हेलेन केलर पेड़ों की चिकनी या खुरदुरी छाल, फूलों की कोमल पंखुड़ियाँ, पत्तियों का लहराना, और चिड़ियों का चहचहाना महसूस कर सकती थीं। उन्हें झरने के पानी को हाथ में लेकर उसकी शीतलता और उसके बहने की आवाज़ सुनकर असीम आनंद मिलता था। वे बताती हैं कि जिन चीज़ों को सामान्य लोग आँखों से देखकर भी अनदेखा कर देते हैं, वे उन्हें अपनी उंगलियों से छूकर, अपनी नाक से सूँघकर और अपने कानों से सुनकर महसूस करती थीं।
लेखिका का मानना है कि आँखें होने का अर्थ केवल देखना नहीं है, बल्कि दुनिया की सुंदरता को समझना और उसकी सराहना करना भी है। वे कल्पना करती हैं कि यदि उन्हें केवल एक दिन के लिए आँखें मिल जाएँ, तो वे सबसे पहले अपनी प्रिय गुरु **मिस सुलीवन** का चेहरा देखना चाहेंगी, जिन्होंने उन्हें जीवन का मार्ग दिखाया। इसके बाद, वे अपने दोस्तों के चेहरों को निहारेंगी और शाम होते-होते प्रकृति के अद्भुत दृश्यों, जैसे सूर्यास्त के रंगों को देखना चाहेंगी।
इस निबंध के माध्यम से हेलेन केलर यह संदेश देती हैं कि हम अक्सर उन चीज़ों के महत्व को नहीं समझते जो हमारे पास हैं। जब तक कोई चीज़ हमसे दूर नहीं हो जाती, तब तक हम उसकी कद्र नहीं करते। वे हमें यह सिखाती हैं कि हमें अपनी सभी इंद्रियों का पूर्ण उपयोग करके जीवन के हर पल का आनंद लेना चाहिए और अपने आस-पास की दुनिया की हर छोटी-बड़ी चीज़ की सुंदरता और महत्व को पहचानना चाहिए, क्योंकि यह जीवन एक अनमोल उपहार है। यह पाठ हमें बताता है कि सच्ची दृष्टि केवल आँखों से नहीं, बल्कि **मन की आँखों** से भी होती है।
---पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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हेलेन केलर बचपन में किन इंद्रियों से वंचित हो गई थीं?
हेलेन केलर बचपन में ही अपनी आँखों की रोशनी (देखने की शक्ति) और सुनने की शक्ति से वंचित हो गई थीं।
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लेखिका के अनुसार लोग अपनी किस शक्ति का कम उपयोग करते हैं?
लेखिका के अनुसार लोग अपनी देखने की शक्ति का बहुत कम उपयोग करते हैं।
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हेलेन केलर जंगल की सैर के बाद अपने दोस्तों से क्या पूछती थीं?
हेलेन केलर जंगल की सैर के बाद अपने दोस्तों से पूछती थीं कि उन्होंने क्या-क्या देखा।
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अगर हेलेन केलर को एक दिन के लिए आँखें मिल जाएँ, तो वे सबसे पहले किसका चेहरा देखना चाहेंगी?
अगर हेलेन केलर को एक दिन के लिए आँखें मिल जाएँ, तो वे सबसे पहले अपनी गुरु मिस सुलीवन का चेहरा देखना चाहेंगी।
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इस पाठ में "जो देखकर भी नहीं देखते" से क्या तात्पर्य है?
इस पाठ में "जो देखकर भी नहीं देखते" से तात्पर्य उन लोगों से है जिनके पास आँखें तो हैं, लेकिन वे अपने आस-पास की दुनिया की सुंदरता और बारीकियों को ठीक से महसूस नहीं करते या उनकी सराहना नहीं करते।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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हेलेन केलर अपने दोस्तों के जवाबों से क्यों हैरान होती थीं?
हेलेन केलर अपने दोस्तों के जवाबों से हैरान होती थीं क्योंकि उनके दोस्तों के पास आँखें होते हुए भी वे प्रकृति में कुछ खास नहीं देख पाते थे, जबकि हेलेन केलर बिना आँखों के भी स्पर्श, गंध और आवाज़ से हर चीज़ को गहराई से महसूस कर लेती थीं।
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हेलेन केलर प्रकृति को किन-किन तरीकों से महसूस करती थीं?
हेलेन केलर प्रकृति को स्पर्श (पेड़ों की छाल, फूलों की पंखुड़ियाँ), गंध (फूलों की खुशबू), और आवाज़ (चिड़ियों का चहचहाना, झरने की कलकल) के माध्यम से महसूस करती थीं।
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इस निबंध का मुख्य संदेश क्या है?
इस निबंध का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपनी सभी इंद्रियों का पूरा उपयोग करके जीवन और अपने आस-पास की दुनिया की हर छोटी-बड़ी चीज़ की सुंदरता और महत्व को पहचानना चाहिए। हमें अपने पास जो कुछ भी है, उसकी कद्र करनी चाहिए।
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लेखिका अपनी इंद्रियों के बारे में क्या कहती हैं?
लेखिका कहती हैं कि हम अपनी इंद्रियों का पूरा उपयोग नहीं करते हैं। जो चीज़ें हमारे पास सहजता से उपलब्ध होती हैं, हम अक्सर उनकी कद्र नहीं करते और जब वे हमसे छिन जाती हैं, तभी हमें उनकी कमी महसूस होती है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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हेलेन केलर के जीवन और उनके विचारों से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
हेलेन केलर का जीवन स्वयं में एक अद्भुत प्रेरणा है। बचपन में ही देखने और सुनने की शक्ति खो देने के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने ब्रेल लिपि सीखी, उच्च शिक्षा प्राप्त की, और एक प्रसिद्ध लेखिका और समाज सेविका बनीं। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि शारीरिक अक्षमताएँ हमें अपने सपनों को पूरा करने से नहीं रोक सकतीं, अगर हमारे अंदर दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन हो। वे हमें सिखाती हैं कि सच्ची शक्ति शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक होती है।
उनके विचारों से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपनी इंद्रियों और जीवन में मिली हर चीज़ का महत्व समझना चाहिए। वे उन लोगों को जागरूक करती हैं जिनके पास आँखें हैं, लेकिन वे दुनिया की सुंदरता और बारीकियों को महसूस नहीं करते। वे बताती हैं कि जीवन के छोटे-छोटे पलों और प्राकृतिक सौंदर्य में भी असीम खुशी छिपी होती है, जिसे केवल अनुभव करने की आवश्यकता है। हेलेन केलर हमें सिखाती हैं कि हमें हर पल को जीना चाहिए, अपने आस-पास की दुनिया को ध्यान से देखना और महसूस करना चाहिए, और जीवन के हर पहलू की सराहना करनी चाहिए, क्योंकि जीवन एक अनमोल उपहार है।
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लेखिका ने प्रकृति के जिन रूपों का वर्णन किया है, वे उन्हें किस प्रकार महसूस करती थीं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
लेखिका हेलेन केलर के लिए प्रकृति का अनुभव आँखों से नहीं, बल्कि उनकी अन्य इंद्रियों – स्पर्श, गंध और श्रवण – के माध्यम से होता था, जो उनके लिए उतनी ही जीवंत थीं जितनी सामान्य लोगों के लिए दृष्टि। वे प्रकृति के हर तत्व को छूकर, सूँघकर और सुनकर महसूस करती थीं, जिससे उन्हें दुनिया की गहरी समझ और आनंद मिलता था।
उदाहरण के लिए, वे पेड़ों की छालों को छूकर उनकी बनावट महसूस करती थीं, चाहे वह चिकनी हो या खुरदुरी। फूलों की नाजुक पंखुड़ियों को वे अपनी उंगलियों से छूकर उनकी कोमलता और आकार का अनुभव करती थीं। फूलों की सुगंध उन्हें उनकी उपस्थिति का एहसास कराती थी। चिड़ियों का मधुर चहचहाना, झरने के पानी की कलकल और पत्तों की सरसराहट उन्हें प्रकृति के संगीत को सुनाती थी। वे मिट्टी की नमी और उसकी खुशबू को महसूस करती थीं, जिससे उन्हें जीवन और विकास का अनुभव होता था। इस प्रकार, हेलेन केलर ने अपनी अन्य इंद्रियों को इतना विकसित कर लिया था कि वे दुनिया को उस गहराई से महसूस कर पाती थीं, जिसे आँखें रखने वाले लोग भी अक्सर अनदेखा कर देते हैं। उनका अनुभव हमें बताता है कि सच्ची संवेदनशीलता केवल आँखों से नहीं, बल्कि मन और आत्मा से आती है।
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