अध्याय 10: झांसी की रानी (Jhansi Ki Rani)

कविता: झांसी की रानी

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,

बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी।

गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,

दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन छबीली थी,

लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी।

नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,

बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।

वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद जुबानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,

देख मराठे पुलकित होते, उसकी तलवारों के वार।

नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,

सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार।

महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,

ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में।

राजमहल में बजी बधाई, खुशियाँ छाई झाँसी में,

सुभट बुंदेलों की विरुदावलि सी वह आई झाँसी में।

चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,

किंतु कालगति चुपके चुपके काली घटा घेर लाई।

तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,

रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।

निसंतान मरे राजा जी, रानी शोक-समानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


बुझा दीप झाँसी का तब डलहौजी मन में हरषाया,

राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया।

फ़ौरन फ़ौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,

लावारिस का वारिस बनकर, ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।

अश्रुपूर्ण रानी ने देखा, झाँसी हुई बिरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,

कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर पर भी घात।

उदयपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात,

जबकि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।

बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


रानी रोईं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,

उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार।

सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अख़बार,

‘नागपुर के जेवर ले लो, लखनऊ के नौलख हार’।

यों परदे की इज़्ज़त पर देशी बिकवाते खु़द्दारी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


देखी झाँसी, दिल्ली देखी, देखा लखनऊ, इलाहाबाद,

देखा कानपुर, मेरठ, दिल्ली, कलकत्ता, मद्रास आदि।

देखा, सबने देखा है कि अपना देश था बेआबाद,

अब आया है फिर से वह दिन, वह समय नहीं जो बीता बाद।

बिका हुआ हर सामान जो था, वापस लाया जाता था,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


रानी लक्ष्मीबाई ने कर लिया था अब कुछ निश्चय तो,

झाँसी की मिटटी में मिल जाए, ऐसा हर कोई भय तो।

अपने घर का हर एक व्यक्ति, मन में निश्चय कर ले तो,

अपने हाथों से ही दुश्मन का सिर कुचला कर ले तो।

तब झांसी की रानी की बहादुरी और गौरवशाली थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


रानी भी अब हो गई सयानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥


मिली हमें आज़ादी, हुई विजय, इतिहास में अमर हमारी झाँसी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी॥

कवयित्री: सुभद्रा कुमारी चौहान

कविता का सार (Summary of the Poem)

**'झाँसी की रानी'** कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित एक वीर रस प्रधान कविता है, जो **रानी लक्ष्मीबाई** के अदम्य साहस, वीरता और देशभक्ति का वर्णन करती है। यह कविता 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय भारत की स्थिति और रानी के योगदान को बताती है।

कवयित्री बताती हैं कि जब अंग्रेजों के अत्याचारों से भारत बूढ़ा और कमजोर हो गया था, तब 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी भड़की, जिससे भारत में नई जवानी और जोश आ गया। सभी ने अपनी खोई हुई आज़ादी का महत्व समझा और अंग्रेजों को देश से निकालने का प्रण लिया। इसी समय रानी लक्ष्मीबाई की पुरानी तलवार चमक उठी।

कविता रानी लक्ष्मीबाई के बचपन से लेकर उनके संघर्ष तक का सफर तय करती है। उन्हें बचपन में 'छबीली' नाम से पुकारा जाता था और वे कानपुर के नाना साहेब की मुँहबोली बहन थीं। जहाँ अन्य बच्चे खेलते थे, वहीं लक्ष्मीबाई बरछी, ढाल, कृपाण जैसे हथियारों से खेला करती थीं। उन्हें वीर शिवाजी की कहानियाँ कंठस्थ थीं, जो उनकी वीरता का प्रतीक है। वे साक्षात् लक्ष्मी या दुर्गा का अवतार थीं, जिनकी तलवारबाजी देख मराठे भी प्रसन्न होते थे। नकली युद्ध रचना, घेराबंदी और शिकार खेलना उनके प्रिय खेल थे।

उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव से हुआ, जिससे झाँसी के महलों में खुशियाँ छा गईं। लेकिन जल्द ही दुर्भाग्य ने घेर लिया जब राजा की असामयिक मृत्यु हो गई और वे निसंतान थे। अंग्रेजों की 'हड़प नीति' के तहत डलहौजी ने झाँसी पर कब्जा करने का अवसर पा लिया। रानी ने अपने राज्य को बचाने के लिए भरपूर संघर्ष किया।

कविता यह भी बताती है कि कैसे अंग्रेजों ने दिल्ली, लखनऊ, नागपुर जैसे कई राज्यों को भी हड़प लिया था और भारतीय राजाओं की इज्जत को बाजारों में नीलाम किया जा रहा था। इन अत्याचारों को देखकर रानी ने निश्चय किया कि वे किसी भी कीमत पर अपनी झाँसी नहीं देंगी। उन्होंने अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया। रानी लक्ष्मीबाई ने अकेले ही ब्रिटिश सेना का सामना किया, अपनी वीरता से सबको चकित कर दिया, और अंत में वीरगति को प्राप्त हुईं। उनकी शहादत ने अन्य भारतीयों को भी स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया। यह कविता आज भी हमें रानी के शौर्य, बलिदान और देशभक्ति की याद दिलाती है, और हमें एकता व संघर्ष की प्रेरणा देती है।

शब्दार्थ (Word Meanings)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कविता से (From the Poem)

  1. 'किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई' -

    (क) **इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?**
    इस पंक्ति में झाँसी के राजा गंगाधर राव की अकाल मृत्यु और उनके निसंतान होने की घटना की ओर संकेत है, जिससे झाँसी पर संकट के बादल मंडराने लगे थे।
    (ख) **काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?**
    काली घटा घिरने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि राजा की मृत्यु के बाद अंग्रेज अपनी 'हड़प नीति' के तहत झाँसी पर कब्ज़ा करने का मौका पा गए थे। यह झाँसी और रानी लक्ष्मीबाई के लिए एक बहुत बड़ी विपत्ति और दुःख का समय था।

  2. कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को 'बूढ़ा' कहकर और उसमें 'नई जवानी' आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?

    कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को 'बूढ़ा' कहकर कवयित्री यह बताना चाहती हैं कि अंग्रेजों के अत्याचारों और गुलामी के कारण भारत अपनी शक्ति, सम्मान और स्वतंत्रता खोकर कमजोर, लाचार और निष्क्रिय हो गया था। 'नई जवानी' आने की बात कहकर वह यह बताना चाहती हैं कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम ने भारतीयों में नया जोश, उत्साह और देशप्रेम भर दिया था, जिससे वे अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होने को तैयार हो गए और अपनी खोई हुई आज़ादी वापस पाने का संकल्प लिया।

  3. झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था?

    रानी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मनु था और उन्हें छबीली नाम से भी पुकारा जाता था। वह कानपुर के नाना साहेब की मुँहबोली बहन थीं। बचपन से ही उन्हें तलवारबाजी, घुड़सवारी, और युद्धकला में रुचि थी। वे बरछी, ढाल, कृपाण जैसे हथियारों से खेलती थीं और वीर शिवाजी की कहानियाँ सुनती थीं। उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव से हुआ। लेकिन राजा की निसंतान मृत्यु के बाद, अंग्रेजों ने झाँसी को हड़पने की कोशिश की। रानी ने इसे अस्वीकार कर दिया और 'मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी' का नारा देकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। उन्होंने अदम्य साहस और वीरता के साथ अंग्रेजों का सामना किया और अंत में देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

    उनका बचपन मेरे बचपन से बहुत अलग था। हम खिलौनों से खेलते हैं, कहानियाँ सुनते हैं और स्कूल जाते हैं, जबकि रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही युद्ध कलाएँ सीखती थीं और हथियारों से खेलती थीं। हमारा बचपन चिंतामुक्त और आरामदायक है, जबकि उनका बचपन देश की आज़ादी के संघर्ष और वीरता की शिक्षा से भरा था।

  4. वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो।

    इस कविता में आए पुरुषों के नाम हैं:

    • **नाना (साहेब)**
    • **वीर शिवाजी**
    • **गंगाधर राव (झाँसी के राजा)**
    • **डलहौजी (लॉर्ड डलहौजी)**
    • **पेशवा**
    इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियाँ:
    • **रानी दुर्गावती:** गोंडवाना की रानी, जिन्होंने मुगलों से वीरतापूर्वक युद्ध किया।
    • **चाँद बीबी:** अहमदनगर की सल्तनत की रक्षा करने वाली वीरांगना।
    • **रानी चेन्नम्मा:** कित्तूर रियासत की रानी, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
    • **बेगम हज़रत महल:** 1857 के विद्रोह में लखनऊ में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ीं।
    • **रानी अवंतीबाई लोधी:** रामगढ़ की रानी, जिन्होंने 1857 के विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

II. अनुमान और कल्पना (Estimation and Imagination)

  1. कविता में बुंदेलखंड के हरबोलों की बात कही गई है। हरबोलों के मुँह से और कौन-कौन सी कहानियाँ तुम सुनना चाहोगे?

    बुंदेलखंड के हरबोलों के मुँह से मैं महाराजा छत्रसाल, आल्हा-ऊदल, और अन्य स्थानीय वीरों की कहानियाँ सुनना चाहूँगा। इसके अलावा, लोक कथाएँ, प्रेम कथाएँ, और प्रकृति से जुड़ी कहानियाँ भी सुनना पसंद करूँगा, क्योंकि वे उस क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती हैं।

  2. रानी लक्ष्मीबाई के जीवन से प्रेरणा लेकर, तुम अपने देश के लिए क्या करना चाहोगे?

    रानी लक्ष्मीबाई के जीवन से प्रेरणा लेकर, मैं अपने देश के लिए कई काम करना चाहूँगा:

    • **ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा:** अपने हर काम को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करूँगा, चाहे वह पढ़ाई हो या कोई और ज़िम्मेदारी।
    • **शिक्षा का प्रचार:** शिक्षा के महत्व को समझकर, स्वयं भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करूँगा और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करूँगा, क्योंकि शिक्षा ही किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार है।
    • **पर्यावरण संरक्षण:** अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखूँगा और पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दूँगा, जैसे पेड़ लगाना और पानी बचाना।
    • **सामाजिक समरसता:** समाज में सभी लोगों के साथ मिलजुल कर रहूँगा, किसी भी प्रकार के भेदभाव को बढ़ावा नहीं दूँगा और ज़रूरतमंदों की मदद करूँगा।
    • **साहस और आत्मनिर्भरता:** मुश्किलों का सामना साहस से करूँगा और आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करूँगा ताकि देश पर बोझ न बनूँ, बल्कि उसका सहारा बनूँ।

III. भाषा की बात (Language Talk)

  1. कविता में 'मर्दानी' शब्द का प्रयोग रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी और वीरता के लिए किया गया है। तुम 'मर्दानी' शब्द का प्रयोग किन-किन संदर्भों में कर सकते हो?

    'मर्दानी' शब्द का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जा सकता है जो बहादुरी, साहस, निडरता, और दृढ़ता जैसे गुणों का प्रदर्शन करे, भले ही वह स्त्री या पुरुष हो।

    • किसी महिला सैनिक या पुलिस अधिकारी की वीरता के लिए।
    • किसी महिला एथलीट के अदम्य साहस और जुझारूपन के लिए।
    • किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए जो विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत न हारे और डटकर सामना करे।
    • उदाहरण: "वह **मर्दानी** की तरह मुश्किलों से लड़ी।" या "उसने **मर्दानी** चाल से दुश्मन का सामना किया।"

  2. कविता में आए 'सिंहासन हिल उठे', 'भृकुटी तानी थी', 'काली घटा घेर लाई', 'बुझा दीप झाँसी का' - इन वाक्यांशों का अर्थ स्पष्ट करो।

    • **सिंहासन हिल उठे:** इसका अर्थ है कि राजाओं और शासकों की सत्ता डगमगा गई थी, वे भयभीत हो गए थे। अंग्रेजों के अत्याचारों और उनके प्रति विद्रोह की भावना इतनी प्रबल थी कि शासक वर्ग भी विचलित हो उठा था।
    • **भृकुटी तानी थी:** इसका अर्थ है कि राजवंशों ने गुस्सा या क्रोध प्रकट किया। अंग्रेजों की नीतियों और उनके द्वारा राज्यों को हड़पने के कारण भारतीय राजा क्रोधित और आक्रोशित थे।
    • **काली घटा घेर लाई:** इसका अर्थ है कि बुरा समय या भयानक मुसीबत आ गई थी। यह वाक्यांश राजा गंगाधर राव की मृत्यु और झाँसी के अंग्रेजी राज के अधीन होने के खतरे को दर्शाता है।
    • **बुझा दीप झाँसी का:** इसका अर्थ है कि झाँसी की खुशियाँ और आशाएँ समाप्त हो गईं। राजा के निधन और कोई वारिस न होने के कारण झाँसी पर संकट आ गया था, जिससे झाँसी का भविष्य अंधकारमय लगने लगा।


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