अध्याय 9: ठोसों के यांत्रिक गुण (Mechanical Properties of Solids)
परिचय
इस अध्याय में हम ठोस पदार्थों के उन गुणों का अध्ययन करेंगे जो उन पर लगाए गए बलों के कारण उनमें होने वाले विकृतियों से संबंधित हैं। ठोसों के ये यांत्रिक गुण विभिन्न इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि पुलों का डिज़ाइन, मशीनी पुर्जों का निर्माण, और विभिन्न सामग्रियों की ताकत और लचीलेपन को समझना। हम प्रतिबल (stress), विकृति (strain), हुक का नियम (Hooke's law) और प्रत्यास्थता गुणांक (moduli of elasticity) जैसी अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
9.1 प्रत्यास्थता (Elasticity)
**प्रत्यास्थता** किसी पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण वह अपने आकार और आयाम को पुनः प्राप्त कर लेता है जब उस पर से बाहरी बल हटा दिया जाता है। इस गुण को प्रदर्शित करने वाले पदार्थों को **प्रत्यास्थ पदार्थ (Elastic Materials)** कहते हैं। जब बाहरी बल हटा दिया जाता है और वस्तु अपने मूल आकार में वापस नहीं आती है, तो उसे **अप्रत्यास्थ या प्लास्टिक पदार्थ (Plastic Materials)** कहते हैं।
- **विरूपण बल (Deforming Force):** वह बल जो किसी वस्तु के आकार या आकृति को बदल देता है।
- **प्रत्यानयन बल (Restoring Force):** वह आंतरिक बल जो विरूपण बल के कारण उत्पन्न होता है और वस्तु को उसके मूल आकार में वापस लाने की कोशिश करता है।
9.2 प्रतिबल (Stress)
**प्रतिबल** आंतरिक प्रत्यानयन बल प्रति इकाई अनुप्रस्थ-काट क्षेत्र है जो एक वस्तु के अंदर उत्पन्न होता है जब उस पर विरूपण बल लगाया जाता है। $$ \text{प्रतिबल (Stress)} = \frac{\text{प्रत्यानयन बल (Restoring Force)}}{\text{क्षेत्रफल (Area)}} = \frac{F}{A} $$ प्रतिबल की SI इकाई **न्यूटन प्रति वर्ग मीटर (N/m$^2$)** या **पास्कल (Pa)** है।
प्रतिबल विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं:
- **अनुदैर्ध्य प्रतिबल (Longitudinal Stress):** जब बल लंबाई के अनुदिश लगाया जाता है।
- **तनन प्रतिबल (Tensile Stress):** जब लंबाई बढ़ती है।
- **संपीडक प्रतिबल (Compressive Stress):** जब लंबाई घटती है।
- **आयतन प्रतिबल या द्रवचालित प्रतिबल (Volumetric Stress or Hydraulic Stress):** जब बल वस्तु के आयतन में परिवर्तन करता है (जैसे द्रव के अंदर)।
- **अपरूपण प्रतिबल या स्पर्शरेखीय प्रतिबल (Shearing Stress or Tangential Stress):** जब बल वस्तु के आकार को बदलता है (कोण बनाता है) बिना आयतन में परिवर्तन किए।
9.3 विकृति (Strain)
**विकृति** प्रतिबल के कारण वस्तु के आयामों में होने वाले सापेक्ष परिवर्तन का माप है। यह एक आयामहीन राशि है (कोई इकाई नहीं)। $$ \text{विकृति (Strain)} = \frac{\text{आयाम में परिवर्तन (Change in Dimension)}}{\text{मूल आयाम (Original Dimension)}} $$ विकृति भी प्रतिबल के प्रकार के अनुसार विभिन्न प्रकार की होती है:
- **अनुदैर्ध्य विकृति (Longitudinal Strain):** लंबाई में परिवर्तन/मूल लंबाई ($\Delta L/L$)।
- **आयतन विकृति (Volumetric Strain):** आयतन में परिवर्तन/मूल आयतन ($\Delta V/V$)।
- **अपरूपण विकृति (Shearing Strain):** स्पर्शरेखीय बल के कारण उत्पन्न कोणीय विस्थापन ($\phi \approx x/L$)।
9.4 हुक का नियम (Hooke's Law)
**हुक का नियम** बताता है कि प्रत्यास्थता सीमा के भीतर, प्रतिबल विकृति के अनुक्रमानुपाती होता है। $$ \text{प्रतिबल (Stress)} \propto \text{विकृति (Strain)} $$ $$ \text{प्रतिबल (Stress)} = E \times \text{विकृति (Strain)} $$ जहाँ $E$ **प्रत्यास्थता गुणांक (Modulus of Elasticity)** है। यह गुणांक पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है और यह दर्शाता है कि पदार्थ कितना प्रत्यास्थ है।
प्रतिबल-विकृति वक्र (Stress-Strain Curve)
यह एक ग्राफ है जो प्रतिबल और विकृति के बीच के संबंध को दर्शाता है। यह किसी पदार्थ के यांत्रिक व्यवहार को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। वक्र के महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
- **आनुपातिकता सीमा (Proportional Limit):** वह बिंदु जहाँ तक हुक का नियम मान्य होता है।
- **प्रत्यास्थता सीमा (Elastic Limit):** वह बिंदु जहाँ तक पदार्थ अपने मूल आकार में वापस आ सकता है।
- **उपज बिंदु (Yield Point):** वह बिंदु जिसके बाद विकृति प्रतिबल के अनुपात में तेजी से बढ़ती है (स्थायी विरूपण शुरू होता है)।
- **तनन सामर्थ्य (Tensile Strength):** अधिकतम प्रतिबल जो एक पदार्थ फ्रैक्चर से पहले झेल सकता है।
- **भंगुरता बिंदु या फ्रैक्चर बिंदु (Fracture Point):** वह बिंदु जहाँ पदार्थ टूट जाता है।
9.5 प्रत्यास्थता गुणांक (Moduli of Elasticity)
प्रत्यास्थता गुणांक प्रतिबल और विकृति के अनुपात होते हैं, जो विभिन्न प्रकार के प्रतिबलों और विकृतियों के अनुरूप होते हैं:
- **यंग मापांक (Young's Modulus - Y):** अनुदैर्ध्य प्रतिबल और अनुदैर्ध्य विकृति का अनुपात। यह पदार्थ की तन्यता या संपीड़न के प्रतिरोध का माप है। $$ Y = \frac{\text{अनुदैर्ध्य प्रतिबल (Longitudinal Stress)}}{\text{अनुदैर्ध्य विकृति (Longitudinal Strain)}} = \frac{F/A}{\Delta L/L} $$ इसकी SI इकाई पास्कल (Pa) है।
- **आयतन मापांक (Bulk Modulus - B):** आयतन प्रतिबल और आयतन विकृति का अनुपात। यह द्रवचालित संपीड़न के प्रतिरोध का माप है। $$ B = \frac{\text{आयतन प्रतिबल (Volumetric Stress)}}{\text{आयतन विकृति (Volumetric Strain)}} = \frac{-P}{\Delta V/V} $$ जहाँ $P$ दाब है। इसकी SI इकाई पास्कल (Pa) है।
- **अपरूपण मापांक या दृढ़ता मापांक (Shear Modulus or Modulus of Rigidity - G):** अपरूपण प्रतिबल और अपरूपण विकृति का अनुपात। यह पदार्थ के आकार में परिवर्तन के प्रतिरोध का माप है। $$ G = \frac{\text{अपरूपण प्रतिबल (Shearing Stress)}}{\text{अपरूपण विकृति (Shearing Strain)}} = \frac{F_t/A}{\phi} $$ इसकी SI इकाई पास्कल (Pa) है।
पॉइसन अनुपात (Poisson's Ratio - $\nu$)
यह अनुप्रस्थ विकृति (transverse strain) और अनुदैर्ध्य विकृति (longitudinal strain) का अनुपात है जब किसी वस्तु को उसकी लंबाई के अनुदिश खींचा या संपीड़ित किया जाता है। $$ \nu = \frac{\text{अनुप्रस्थ विकृति (Transverse Strain)}}{\text{अनुदैर्ध्य विकृति (Longitudinal Strain)}} $$ यह एक आयामहीन राशि है।
9.6 प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा (Elastic Potential Energy)
जब किसी प्रत्यास्थ पदार्थ को विकृत किया जाता है, तो उसमें प्रत्यानयन बल के विरुद्ध कार्य किया जाता है। यह किया गया कार्य पदार्थ में **प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा** के रूप में संचित हो जाता है। प्रति इकाई आयतन संचित ऊर्जा का सूत्र है: $$ U = \frac{1}{2} \times \text{प्रतिबल (Stress)} \times \text{विकृति (Strain)} $$ या यंग मापांक के संदर्भ में: $$ U = \frac{1}{2} Y (\text{विकृति})^2 $$ यह संचित ऊर्जा तब मुक्त होती है जब वस्तु अपने मूल आकार में वापस आती है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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प्रत्यास्थता क्या है?
प्रत्यास्थता किसी पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण वह बाहरी बल हटाने पर अपने मूल आकार और आयाम को पुनः प्राप्त कर लेता है।
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प्रतिबल की SI इकाई क्या है?
प्रतिबल की SI इकाई न्यूटन प्रति वर्ग मीटर (N/m$^2$) या पास्कल (Pa) है।
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विकृति की कोई इकाई क्यों नहीं होती है?
विकृति समान आयामों के दो अनुपातों का अनुपात है (जैसे लंबाई/लंबाई), इसलिए इसकी कोई इकाई नहीं होती है।
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हुक का नियम क्या बताता है?
हुक का नियम बताता है कि प्रत्यास्थता सीमा के भीतर, प्रतिबल विकृति के अनुक्रमानुपाती होता है।
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यंग मापांक क्या मापता है?
यंग मापांक किसी पदार्थ की तन्यता या संपीड़न के प्रति प्रतिरोध को मापता है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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तनन प्रतिबल और संपीडक प्रतिबल में क्या अंतर है?
तनन प्रतिबल तब उत्पन्न होता है जब एक वस्तु को खींचा जाता है और उसकी लंबाई बढ़ती है, जबकि संपीडक प्रतिबल तब उत्पन्न होता है जब एक वस्तु को दबाया जाता है और उसकी लंबाई घटती है। दोनों अनुदैर्ध्य प्रतिबल के प्रकार हैं।
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प्रतिबल-विकृति वक्र में 'उपज बिंदु' का क्या महत्व है?
उपज बिंदु वह बिंदु है जिसके बाद पदार्थ स्थायी रूप से विरूपित होना शुरू हो जाता है। इस बिंदु के बाद बल हटाने पर भी वस्तु अपने मूल आकार में पूरी तरह से वापस नहीं आ पाती है।
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अपरूपण मापांक को परिभाषित करें।
अपरूपण मापांक (या दृढ़ता मापांक) अपरूपण प्रतिबल और अपरूपण विकृति का अनुपात होता है। यह पदार्थ के आकार में परिवर्तन या मरोड़ने के प्रतिरोध का माप है।
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पॉइसन अनुपात क्या दर्शाता है?
पॉइसन अनुपात अनुप्रस्थ विकृति और अनुदैर्ध्य विकृति का अनुपात है। यह दर्शाता है कि किसी वस्तु को खींचने या दबाने पर उसकी चौड़ाई में कितना परिवर्तन होता है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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प्रतिबल-विकृति वक्र को विस्तार से समझाएँ और इसके विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालें।
प्रतिबल-विकृति वक्र एक ग्राफिकल प्रतिनिधित्व है जो किसी सामग्री पर लगाए गए प्रतिबल और उसके परिणामस्वरूप होने वाली विकृति के बीच संबंध को दर्शाता है। यह वक्र सामग्री के यांत्रिक गुणों और व्यवहार को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। जब किसी धातु के तार को धीरे-धीरे खींचा जाता है और प्रतिबल के साथ उत्पन्न विकृति को प्लॉट किया जाता है, तो हमें एक विशिष्ट वक्र प्राप्त होता है। इस वक्र पर कई महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं।
सबसे पहले, **आनुपातिकता सीमा (Proportional Limit)** है, जहाँ तक प्रतिबल विकृति के सीधे आनुपातिक होता है, और हुक का नियम मान्य होता है। इस सीमा के ठीक ऊपर **प्रत्यास्थता सीमा (Elastic Limit)** होती है, जहाँ तक सामग्री बल हटाने पर अपने मूल आकार में पूरी तरह से वापस आ सकती है। यदि प्रतिबल इस सीमा से अधिक हो जाता है, तो सामग्री स्थायी रूप से विकृत हो जाती है। इसके बाद **उपज बिंदु (Yield Point)** आता है, जो वह बिंदु है जहाँ प्रतिबल में थोड़ी वृद्धि के साथ विकृति तेजी से बढ़ती है; इस बिंदु पर स्थायी विकृति स्पष्ट होती है। उपज बिंदु के बाद, सामग्री **प्लास्टिक क्षेत्र (Plastic Region)** में प्रवेश करती है, जहाँ वह बिना टूटे काफी हद तक विकृत हो सकती है। अंत में, **तनन सामर्थ्य (Tensile Strength)** अधिकतम प्रतिबल है जो सामग्री फ्रैक्चर से पहले झेल सकती है, और **भंगुरता बिंदु या फ्रैक्चर बिंदु (Fracture Point)** वह बिंदु है जहाँ सामग्री वास्तव में टूट जाती है। यह वक्र सामग्री की दृढ़ता (ductility), भंगुरता (brittleness) और सामर्थ्य (strength) को दर्शाता है।
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यंग मापांक, आयतन मापांक और अपरूपण मापांक को परिभाषित करें और उनके बीच के अंतर को स्पष्ट करें।
प्रत्यास्थता गुणांक (Moduli of Elasticity) वे स्थिरांक हैं जो किसी पदार्थ की प्रत्यास्थता का माप होते हैं और यह बताते हैं कि वह बल लगाने पर कितनी आसानी से विकृत होगा। ये गुणांक प्रतिबल और विकृति के विशिष्ट अनुपातों के रूप में परिभाषित होते हैं, जो बल के अनुप्रयोग के तरीके पर निर्भर करते हैं। **यंग मापांक (Young's Modulus, $Y$)** अनुदैर्ध्य प्रतिबल और अनुदैर्ध्य विकृति का अनुपात है। यह किसी पदार्थ की लंबाई में परिवर्तन (खींचने या दबाने) के प्रति उसके प्रतिरोध को मापता है। उदाहरण के लिए, एक उच्च यंग मापांक वाला पदार्थ, जैसे कि स्टील, एक ही बल के तहत कम विकृत होगा, जबकि रबर जैसे कम यंग मापांक वाले पदार्थ अधिक विकृत होंगे।
**आयतन मापांक (Bulk Modulus, $B$)** आयतन प्रतिबल (या दाब) और आयतन विकृति का अनुपात है। यह मापता है कि कोई पदार्थ सभी दिशाओं से समान रूप से लगाए गए बल के तहत अपने आयतन को बदलने का कितना विरोध करता है, जैसा कि एक तरल पदार्थ में डूबे होने पर होता है। यह पदार्थों की संपीड़न क्षमता का संकेत देता है। अंत में, **अपरूपण मापांक (Shear Modulus, $G$)**, जिसे दृढ़ता मापांक भी कहा जाता है, अपरूपण प्रतिबल और अपरूपण विकृति का अनुपात है। यह मापता है कि कोई पदार्थ अपरूपण बल के तहत अपने आकार को बदलने (या मरोड़ने) का कितना विरोध करता है। ये तीनों मापांक पदार्थ के विभिन्न यांत्रिक गुणों को दर्शाते हैं, और एक ही पदार्थ के लिए उनके मान भिन्न हो सकते हैं, क्योंकि वे अलग-अलग प्रकार के विकृतियों के प्रति प्रतिरोध को मापते हैं।
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