अध्याय 8: गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)
परिचय
गुरुत्वाकर्षण ब्रह्मांड में सबसे मौलिक बलों में से एक है, जो सितारों, ग्रहों और आकाशगंगाओं की गति को नियंत्रित करता है। यह वह बल है जो हमें पृथ्वी पर टिकाए रखता है, ज्वार-भाटे का कारण बनता है, और सौरमंडल में ग्रहों को उनकी कक्षाओं में रखता है। इस अध्याय में, हम न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम (Newton's Universal Law of Gravitation) का अध्ययन करेंगे, जो दो द्रव्यमानों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का वर्णन करता है। हम गुरुत्वाकर्षण त्वरण (acceleration due to gravity) की अवधारणा, गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा (gravitational potential energy), और उपग्रहों (satellites) की गति पर भी विचार करेंगे, जिसमें पलायन वेग (escape velocity) और कक्षीय वेग (orbital velocity) शामिल हैं।
8.1 न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम
**न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम:** "ब्रह्मांड में प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को आकर्षित करता है, और आकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।"
गणितीय रूप से, इसे इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:
$$ F = G \frac{m_1 m_2}{r^2} $$जहाँ:
- $F$ = गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force)
- $G$ = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक (Universal Gravitational Constant)
- $G$ का मान लगभग $6.674 \times 10^{-11} \, Nm^2/kg^2$ है।
- $m_1, m_2$ = दो वस्तुओं के द्रव्यमान (Masses of the two objects)
- $r$ = दोनों वस्तुओं के केंद्रों के बीच की दूरी (Distance between their centers)
गुरुत्वाकर्षण एक सार्वभौमिक आकर्षक बल है जो हमेशा दो द्रव्यमानों को एक दूसरे की ओर खींचता है।
8.2 गुरुत्वीय त्वरण ($g$)
पृथ्वी जैसी बड़ी खगोलीय पिंड के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण किसी वस्तु पर लगने वाला त्वरण **गुरुत्वीय त्वरण ($g$)** कहलाता है। पृथ्वी की सतह पर, $g$ का औसत मान लगभग $9.8 \, m/s^2$ होता है।
गुरुत्वीय त्वरण का मान निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:
- **ऊंचाई (Altitude):** पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर $g$ का मान घटता है।
- **गहराई (Depth):** पृथ्वी की सतह के नीचे जाने पर भी $g$ का मान घटता है। केंद्र पर $g$ शून्य होता है।
- **पृथ्वी का आकार (Shape of Earth):** पृथ्वी पूर्ण गोलाकार नहीं है; यह ध्रुवों पर चपटी है और भूमध्य रेखा पर उभरी हुई है। इसलिए, ध्रुवों पर $g$ का मान भूमध्य रेखा की तुलना में थोड़ा अधिक होता है।
- **पृथ्वी का घूर्णन (Rotation of Earth):** पृथ्वी के घूर्णन के कारण भी $g$ के मान में थोड़ा परिवर्तन आता है, भूमध्य रेखा पर यह सबसे कम और ध्रुवों पर सबसे अधिक होता है।
8.3 गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
**गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (Gravitational Potential Energy):** किसी वस्तु को अनंत से गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
दो द्रव्यमानों $m_1$ और $m_2$ के निकाय की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा, जो एक दूसरे से $r$ दूरी पर हैं, निम्न द्वारा दी जाती है:
$$ U = -G \frac{m_1 m_2}{r} $$स्थितिज ऊर्जा हमेशा ऋणात्मक होती है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल एक आकर्षक बल है और कार्य वस्तु पर किया जाता है। जैसे-जैसे वस्तुएं एक-दूसरे से दूर जाती हैं ($r$ बढ़ता है), $U$ शून्य की ओर अग्रसर होता है (अधिक ऋणात्मक से कम ऋणात्मक या शून्य की ओर)।
8.4 पलायन वेग
**पलायन वेग (Escape Velocity):** यह न्यूनतम वेग है जिसके साथ किसी वस्तु को किसी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से हमेशा के लिए बचने के लिए प्रक्षेपित किया जाना चाहिए, ताकि वह कभी भी ग्रह पर वापस न गिरे।
पृथ्वी की सतह से पलायन वेग का सूत्र है:
$$ v_e = \sqrt{\frac{2GM}{R}} = \sqrt{2gR} $$जहाँ:
- $G$ = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक
- $M$ = ग्रह का द्रव्यमान
- $R$ = ग्रह की त्रिज्या
- $g$ = ग्रह की सतह पर गुरुत्वीय त्वरण
पृथ्वी के लिए, पलायन वेग लगभग $11.2 \, km/s$ है।
8.5 उपग्रहों की गति
**कक्षीय वेग (Orbital Velocity):** यह वह वेग है जिसके साथ एक उपग्रह किसी ग्रह के चारों ओर एक स्थिर कक्षा में घूमता है।
एक उपग्रह के लिए जिसकी कक्षा की त्रिज्या $r$ है:
$$ v_o = \sqrt{\frac{GM}{r}} $$जहाँ $M$ ग्रह का द्रव्यमान है जिसके चारों ओर उपग्रह परिक्रमा कर रहा है।
**आवर्तकाल (Time Period):** एक उपग्रह द्वारा एक परिक्रमा पूरी करने में लगने वाला समय।
$$ T = \frac{2\pi r}{v_o} = 2\pi \sqrt{\frac{r^3}{GM}} $$**भू-स्थिर उपग्रह (Geostationary Satellite):** एक उपग्रह जो पृथ्वी के भूमध्य रेखा के ऊपर एक निश्चित ऊंचाई पर परिक्रमा करता है और जिसका आवर्तकाल पृथ्वी के घूर्णन के आवर्तकाल (24 घंटे) के बराबर होता है, जिससे वह पृथ्वी पर एक निश्चित बिंदु के सापेक्ष स्थिर प्रतीत होता है।
8.6 केपलर के ग्रहीय गति के नियम
**केपलर के नियम (Kepler's Laws):** ये नियम ग्रहों की सूर्य के चारों ओर की गति का वर्णन करते हैं:
- **कक्षाओं का नियम (Law of Orbits):** सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में घूमते हैं, और सूर्य इन दीर्घवृत्तों के दो फोकस में से एक पर स्थित होता है।
- **क्षेत्रफलों का नियम (Law of Areas):** सूर्य को ग्रह से जोड़ने वाली रेखा समान समय अंतरालों में समान क्षेत्रफल तय करती है। इसका अर्थ है कि जब ग्रह सूर्य के करीब होता है तो वह तेजी से चलता है और जब वह दूर होता है तो धीमा हो जाता है।
- **आवर्तकालों का नियम (Law of Periods):** किसी भी ग्रह के परिक्रमण काल का वर्ग उसकी दीर्घवृत्ताकार कक्षा के अर्ध-दीर्घ अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है। $$ T^2 \propto a^3 $$ जहाँ $T$ आवर्तकाल है और $a$ अर्ध-दीर्घ अक्ष है।
केपलर के नियम न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम से व्युत्पन्न किए जा सकते हैं, जो इन खगोलीय गतियों के लिए गुरुत्वाकर्षण को मौलिक बल के रूप में स्थापित करता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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गुरुत्वाकर्षण बल किस पर निर्भर करता है?
गुरुत्वाकर्षण बल दो वस्तुओं के द्रव्यमानों के गुणनफल और उनके बीच की दूरी के वर्ग पर निर्भर करता है।
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सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक ($G$) का मान क्या है?
$G$ का मान लगभग $6.674 \times 10^{-11} \, Nm^2/kg^2$ है।
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पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण ($g$) का औसत मान कितना है?
पृथ्वी पर $g$ का औसत मान लगभग $9.8 \, m/s^2$ है।
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पलायन वेग क्या है?
पलायन वेग वह न्यूनतम वेग है जिसके साथ किसी वस्तु को किसी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से हमेशा के लिए बचने के लिए प्रक्षेपित किया जाना चाहिए।
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केपलर का दूसरा नियम क्या कहलाता है?
केपलर का दूसरा नियम "क्षेत्रफलों का नियम" (Law of Areas) कहलाता है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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गुरुत्वीय त्वरण ($g$) ऊंचाई के साथ कैसे बदलता है?
गुरुत्वीय त्वरण ($g$) पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर घटता जाता है। जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, वस्तु का पृथ्वी के केंद्र से दूरी बढ़ जाती है, और चूंकि गुरुत्वाकर्षण बल दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है, इसलिए $g$ का मान कम होता जाता है।
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गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा हमेशा ऋणात्मक क्यों होती है?
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा ऋणात्मक होती है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षक प्रकृति का होता है। यह दर्शाता है कि निकाय बंधा हुआ है और ऊर्जा को मुक्त करने के लिए कार्य किया जाना चाहिए ताकि वस्तुएं अनंत दूरी तक अलग हो सकें। अनंत पर स्थितिज ऊर्जा को शून्य माना जाता है।
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भू-स्थिर उपग्रह क्या होते हैं?
भू-स्थिर उपग्रह वे उपग्रह होते हैं जो पृथ्वी के भूमध्य रेखा के ऊपर एक निश्चित ऊंचाई पर पृथ्वी के समान आवर्तकाल (24 घंटे) के साथ परिक्रमा करते हैं। वे पृथ्वी पर एक निश्चित बिंदु के सापेक्ष स्थिर दिखाई देते हैं, जिससे वे संचार और मौसम निगरानी के लिए आदर्श बन जाते हैं।
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केपलर के तीसरे नियम का महत्व क्या है?
केपलर का तीसरा नियम, आवर्तकालों का नियम ($T^2 \propto a^3$), ग्रहों के परिक्रमण काल और उनकी कक्षाओं के आकार के बीच एक मात्रात्मक संबंध स्थापित करता है। यह नियम सौरमंडल में ग्रहों की गति को समझने और नए ग्रहों या उपग्रहों की कक्षाओं की गणना करने के लिए महत्वपूर्ण है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम को स्पष्ट करें और इसकी सीमाओं का उल्लेख करें।
न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम ब्रह्मांड में किन्हीं भी दो वस्तुओं के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का वर्णन करता है। यह बताता है कि दो द्रव्यमानों ($m_1$ और $m_2$) के बीच आकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के सीधे समानुपाती होता है और उनके केंद्रों के बीच की दूरी ($r$) के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इसे $F = G \frac{m_1 m_2}{r^2}$ के रूप में गणितीय रूप से व्यक्त किया जाता है, जहाँ $G$ सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक है। यह नियम सेब के पेड़ से गिरने से लेकर ग्रहों की सूर्य के चारों ओर की गति तक, विभिन्न प्रकार की गुरुत्वाकर्षण परिघटनाओं की सफलतापूर्वक व्याख्या करता है। यह खगोलीय यांत्रिकी की नींव है और इसने उपग्रहों और अंतरिक्ष यानों की गति की भविष्यवाणी करने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है।
हालांकि न्यूटन का नियम अत्यधिक सफल है, इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं। यह अत्यंत तीव्र गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों या बहुत उच्च गति पर (जो प्रकाश की गति के करीब हो) गुरुत्वाकर्षण की व्याख्या नहीं कर पाता है। इन स्थितियों में, आइंस्टीन का सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत अधिक सटीक विवरण प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, न्यूटन का नियम बुध ग्रह की कक्षा के सटीक पूर्वसर्ग (precession) की व्याख्या करने में विफल रहता है, जिसे सापेक्षता द्वारा समझाया गया है। इसके अलावा, न्यूटन का नियम गुरुत्वाकर्षण की प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता कि यह बल कैसे कार्य करता है (यानी, "दूर से क्रिया")। यह केवल बल के प्रभाव का वर्णन करता है, इसके अंतर्निहित तंत्र का नहीं। इन सीमाओं के बावजूद, सामान्य परिस्थितियों में न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम एक उत्कृष्ट सन्निकटन और भौतिकी का एक मूलभूत स्तंभ बना हुआ है।
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पलायन वेग और कक्षीय वेग की अवधारणाओं को विस्तार से समझाएं और उनके बीच के अंतर को स्पष्ट करें।
पलायन वेग और कक्षीय वेग दो महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं जो किसी खगोलीय पिंड के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में वस्तुओं की गति से संबंधित हैं। **पलायन वेग ($v_e$)** वह न्यूनतम गति है जिसके साथ किसी वस्तु को किसी ग्रह या तारे के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से पूरी तरह से मुक्त होने के लिए प्रक्षेपित किया जाना चाहिए। यदि किसी वस्तु को इस वेग से कम गति से प्रक्षेपित किया जाता है, तो वह अंततः वापस ग्रह पर गिर जाएगी या उसकी कक्षा में प्रवेश कर जाएगी। पलायन वेग वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता, बल्कि ग्रह के द्रव्यमान और त्रिज्या पर निर्भर करता है। पृथ्वी के लिए, यह लगभग $11.2 \, km/s$ है। पलायन वेग का उपयोग रॉकेटों और अंतरिक्ष यानों को गहरे अंतरिक्ष में भेजने के लिए किया जाता है।
दूसरी ओर, **कक्षीय वेग ($v_o$)** वह वेग है जिसके साथ एक वस्तु (जैसे एक उपग्रह या ग्रह) किसी बड़े खगोलीय पिंड के चारों ओर एक स्थिर कक्षा में घूमती है। इस वेग पर, गुरुत्वाकर्षण बल एक अभिकेन्द्रीय बल (centripetal force) के रूप में कार्य करता है, जो वस्तु को कक्षा में बनाए रखता है और उसे बाहर निकलने या अंदर गिरने से रोकता है। कक्षीय वेग कक्षा की त्रिज्या और केंद्रीय पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, पृथ्वी के निचले कक्षा में उपग्रहों का कक्षीय वेग लगभग $7.9 \, km/s$ होता है। मुख्य अंतर यह है कि पलायन वेग वस्तु को गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से पूरी तरह से मुक्त करने के लिए है, जबकि कक्षीय वेग वस्तु को गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में एक स्थिर कक्षा में रखने के लिए है। पलायन वेग हमेशा किसी दिए गए त्रिज्या पर कक्षीय वेग से $\sqrt{2}$ गुना अधिक होता है ($v_e = \sqrt{2} v_o$)।
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