अध्याय 7: कणों के निकाय तथा घूर्णी गति (System of Particles and Rotational Motion)

परिचय

अब तक हमने मुख्य रूप से एकल कणों की गति का अध्ययन किया है। लेकिन वास्तविक दुनिया में, अधिकांश वस्तुएँ कई कणों से मिलकर बनी होती हैं। यह अध्याय हमें **कणों के निकाय** और उनकी गति का अध्ययन करने के लिए आवश्यक अवधारणाओं से परिचित कराएगा, विशेष रूप से **घूर्णी गति** पर ध्यान केंद्रित करेगा। हम द्रव्यमान केंद्र (Center of Mass), बल आघूर्ण (Torque), जड़त्व आघूर्ण (Moment of Inertia), और कोणीय संवेग (Angular Momentum) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाओं को समझेंगे, जो घूर्णन करने वाली वस्तुओं की गति का वर्णन करने के लिए आवश्यक हैं।

7.1 द्रव्यमान केंद्र (Center of Mass - COM)

**द्रव्यमान केंद्र** किसी निकाय का वह बिंदु होता है जहाँ निकाय का समस्त द्रव्यमान केंद्रित माना जा सकता है। यह वह बिंदु है जहाँ यदि कोई बाहरी बल लगाया जाए तो पूरा निकाय रैखिक रूप से गति करेगा, बिना किसी घूर्णन के।

द्रव्यमान केंद्र की अवधारणा रैखिक गति और घूर्णी गति को अलग-अलग विश्लेषण करने में मदद करती है।

7.2 दृढ़ पिंड (Rigid Body)

**दृढ़ पिंड** वह पिंड होता है जिसके किन्हीं भी दो कणों के बीच की सापेक्ष दूरी गति के दौरान अपरिवर्तित रहती है। वास्तव में, कोई भी पिंड पूर्णतः दृढ़ नहीं होता, लेकिन कई व्यावहारिक स्थितियों में वस्तुओं को दृढ़ पिंड के रूप में मानना एक अच्छा सन्निकटन (approximation) है। दृढ़ पिंड मुख्य रूप से दो प्रकार की गति प्रदर्शित कर सकता है:

7.3 बल आघूर्ण और कोणीय संवेग (Torque and Angular Momentum)

**बल आघूर्ण (Torque),** जिसे घूर्णी प्रभाव या बल-युग्म भी कहते हैं, वह भौतिक राशि है जो किसी अक्ष के परितः घूर्णन उत्पन्न करने या बदलने की प्रवृत्ति रखती है। यह बल के घूर्णी अनुरूप है। $$ \vec{\tau} = \vec{r} \times \vec{F} $$ जहाँ $\vec{r}$ स्थिति सदिश है (जिस बिंदु पर बल लग रहा है, उस बिंदु की अक्ष से दूरी), और $\vec{F}$ लगाया गया बल है। बल आघूर्ण की SI इकाई **न्यूटन-मीटर (Nm)** है।

**कोणीय संवेग (Angular Momentum)** घूर्णी गति में रैखिक संवेग का अनुरूप है। यह किसी अक्ष के परितः किसी घूमती हुई वस्तु की "घूर्णी जड़ता" और "घूर्णी वेग" का माप है। $$ \vec{L} = \vec{r} \times \vec{p} = \vec{r} \times (m\vec{v}) $$ या दृढ़ पिंड के लिए, $L = I\omega$, जहाँ $I$ जड़त्व आघूर्ण है और $\omega$ कोणीय वेग है। कोणीय संवेग की SI इकाई **जूल-सेकंड (Js)** है या **किलोग्राम-मीटर$^2$/सेकंड (kg m$^2$/s)** है।

कोणीय संवेग संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Angular Momentum)

यदि किसी निकाय पर कार्य करने वाला शुद्ध बाहरी बल आघूर्ण शून्य हो, तो निकाय का कुल कोणीय संवेग संरक्षित रहता है। यह नियम बताता है कि यदि कोई बाह्य बल आघूर्ण न हो, तो निकाय का कोणीय संवेग स्थिर रहेगा।

Illustration of torque and angular momentum with a rotating object and force vectors.

7.4 जड़त्व आघूर्ण (Moment of Inertia - I)

**जड़त्व आघूर्ण** घूर्णी गति में द्रव्यमान के अनुरूप है। यह किसी वस्तु के घूर्णी गति में परिवर्तन का विरोध करने की माप है। यह वस्तु के द्रव्यमान और घूर्णन अक्ष से उसके द्रव्यमान के वितरण पर निर्भर करता है। $$ I = \sum m_i r_i^2 $$ जहाँ $m_i$ प्रत्येक कण का द्रव्यमान है और $r_i$ उसकी घूर्णन अक्ष से लंबवत दूरी है। जड़त्व आघूर्ण की SI इकाई **किलोग्राम-मीटर$^2$ (kg m$^2$)** है।

समांतर अक्षों का प्रमेय (Parallel Axes Theorem)

यह प्रमेय किसी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण को द्रव्यमान केंद्र से गुजरने वाली एक समानांतर अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण से संबंधित करता है। $$ I = I_{CM} + Md^2 $$ जहाँ $I_{CM}$ द्रव्यमान केंद्र से गुजरने वाली समानांतर अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण है, $M$ पिंड का कुल द्रव्यमान है, और $d$ दोनों समानांतर अक्षों के बीच की दूरी है।

लंबवत अक्षों का प्रमेय (Perpendicular Axes Theorem)

यह प्रमेय केवल समतल पटल (planar laminas) के लिए लागू होता है। यह बताता है कि एक समतल पटल के लंबवत अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण, उस समतल में स्थित दो परस्पर लंबवत अक्षों के परितः जड़त्व आघूर्णों के योग के बराबर होता है, बशर्ते तीनों अक्ष एक ही बिंदु पर प्रतिच्छेद करें। $$ I_z = I_x + I_y $$

7.5 घूर्णी गतिज ऊर्जा (Rotational Kinetic Energy)

घूर्णन करने वाली वस्तु में निहित गतिज ऊर्जा को **घूर्णी गतिज ऊर्जा** कहते हैं। इसका सूत्र रैखिक गतिज ऊर्जा के अनुरूप है: $$ K_{rot} = \frac{1}{2}I\omega^2 $$ जहाँ $I$ जड़त्व आघूर्ण है और $\omega$ कोणीय वेग है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. द्रव्यमान केंद्र क्या है?

    द्रव्यमान केंद्र किसी निकाय का वह बिंदु है जहाँ निकाय का समस्त द्रव्यमान केंद्रित माना जा सकता है।

  2. बल आघूर्ण की SI इकाई क्या है?

    बल आघूर्ण की SI इकाई न्यूटन-मीटर (Nm) है।

  3. जड़त्व आघूर्ण की परिभाषा दें।

    जड़त्व आघूर्ण घूर्णी गति में किसी वस्तु के घूर्णी गति में परिवर्तन का विरोध करने की माप है।

  4. एक दृढ़ पिंड की परिभाषा क्या है?

    एक दृढ़ पिंड वह पिंड होता है जिसके किन्हीं भी दो कणों के बीच की सापेक्ष दूरी गति के दौरान अपरिवर्तित रहती है।

  5. कोणीय संवेग संरक्षण का नियम कब लागू होता है?

    कोणीय संवेग संरक्षण का नियम तब लागू होता है जब निकाय पर कार्य करने वाला शुद्ध बाहरी बल आघूर्ण शून्य हो।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. द्रव्यमान केंद्र का क्या महत्व है?

    द्रव्यमान केंद्र किसी निकाय की रैखिक गति को उसके घूर्णी गति से अलग करने में मदद करता है। किसी भी बाहरी बल के तहत, द्रव्यमान केंद्र का त्वरण केवल बाहरी बल पर निर्भर करता है, आंतरिक बलों पर नहीं।

  2. बल आघूर्ण और बल में क्या अंतर है?

    बल रैखिक गति में परिवर्तन या त्वरण उत्पन्न करता है, जबकि बल आघूर्ण घूर्णी गति में परिवर्तन या कोणीय त्वरण उत्पन्न करता है। बल रैखिक अनुरूप है, बल आघूर्ण घूर्णी अनुरूप है।

  3. जड़त्व आघूर्ण किन कारकों पर निर्भर करता है?

    जड़त्व आघूर्ण वस्तु के द्रव्यमान और घूर्णन अक्ष के सापेक्ष उसके द्रव्यमान के वितरण पर निर्भर करता है। समान द्रव्यमान वाली दो वस्तुओं का जड़त्व आघूर्ण भिन्न हो सकता है यदि उनका द्रव्यमान वितरण भिन्न हो।

  4. समांतर अक्षों का प्रमेय क्या है?

    समांतर अक्षों का प्रमेय कहता है कि किसी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण, द्रव्यमान केंद्र से गुजरने वाली समानांतर अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण और पिंड के कुल द्रव्यमान व दोनों अक्षों के बीच की दूरी के वर्ग के गुणनफल के योग के बराबर होता है: $I = I_{CM} + Md^2$।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. कोणीय संवेग संरक्षण के नियम को उदाहरण सहित समझाएँ।

    कोणीय संवेग संरक्षण का नियम भौतिकी का एक मौलिक सिद्धांत है जो कहता है कि यदि किसी निकाय पर कार्य करने वाला शुद्ध बाहरी बल आघूर्ण (net external torque) शून्य हो, तो निकाय का कुल कोणीय संवेग (total angular momentum) संरक्षित रहता है। इसका अर्थ यह है कि निकाय का कोणीय संवेग समय के साथ स्थिर रहता है, भले ही निकाय के भीतर के कणों की स्थिति या गति बदल जाए। कोणीय संवेग कोणीय वेग और जड़त्व आघूर्ण का गुणनफल है ($L = I\omega$)। इसलिए, यदि कुल कोणीय संवेग संरक्षित रहना है, तो यदि जड़त्व आघूर्ण बदलता है, तो कोणीय वेग को तदनुसार समायोजित होना चाहिए।

    इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण एक बर्फ स्केटिंग करने वाला व्यक्ति है। जब स्केटिंग करने वाला व्यक्ति अपने हाथों को फैलाकर घूमता है, तो उसका जड़त्व आघूर्ण अधिक होता है, और वह अपेक्षाकृत धीमी गति से घूमता है। लेकिन जैसे ही वह अपने हाथों को शरीर के करीब खींचता है, उसके द्रव्यमान का वितरण घूर्णन अक्ष के करीब आ जाता है, जिससे उसका जड़त्व आघूर्ण कम हो जाता है। कोणीय संवेग को संरक्षित रखने के लिए, उसके कोणीय वेग को बढ़ना चाहिए, और वह तेजी से घूमने लगता है। इसी तरह, एक गोताखोर हवा में अपनी स्थिति को मोड़कर अपने घूर्णन की दर को नियंत्रित करता है। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि कैसे कोणीय संवेग का संरक्षण विभिन्न प्रणालियों में घूर्णी गति को नियंत्रित करता है, जहाँ बाहरी बल आघूर्ण नगण्य होते हैं।

  2. घूर्णी गतिज ऊर्जा और रैखिक गतिज ऊर्जा के बीच समानता और अंतर क्या हैं?

    घूर्णी गतिज ऊर्जा और रैखिक गतिज ऊर्जा दोनों ही ऊर्जा के रूप हैं जो गति से जुड़े हैं, लेकिन वे गति के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करते हैं। **रैखिक गतिज ऊर्जा** एक वस्तु की स्थानांतरीय गति के कारण होती है और इसका सूत्र $K_{lin} = \frac{1}{2}mv^2$ है, जहाँ $m$ वस्तु का द्रव्यमान है और $v$ उसकी रैखिक चाल है। यह ऊर्जा उस कार्य का माप है जो वस्तु को उसकी वर्तमान चाल तक त्वरित करने के लिए आवश्यक था जब वह आराम पर थी, या वह कार्य जो वस्तु अपनी चाल कम करते हुए कर सकती है।

    इसके विपरीत, **घूर्णी गतिज ऊर्जा** एक वस्तु की घूर्णी गति के कारण होती है, और इसका सूत्र $K_{rot} = \frac{1}{2}I\omega^2$ है। यहाँ, $I$ वस्तु का जड़त्व आघूर्ण है (जो घूर्णी गति में द्रव्यमान के अनुरूप है) और $\omega$ उसका कोणीय वेग है (जो रैखिक गति में रैखिक वेग के अनुरूप है)। दोनों ही ऊर्जा के अदिश रूप हैं और उनकी SI इकाई जूल (J) है। समानता यह है कि दोनों ही गतिज ऊर्जा के रूप हैं और $1/2 \times (\text{जड़त्व का माप}) \times (\text{वेग के वर्ग})$ के रूप में व्यक्त किए जाते हैं। मुख्य अंतर यह है कि रैखिक गतिज ऊर्जा पूरे वस्तु के विस्थापन से संबंधित है, जबकि घूर्णी गतिज ऊर्जा एक निश्चित अक्ष के चारों ओर वस्तु के घूमने से संबंधित है। एक लुढ़कती हुई वस्तु (जैसे पहिया) में रैखिक और घूर्णी दोनों गतिज ऊर्जाएँ होती हैं।


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