अध्याय 6: कार्य, ऊर्जा और शक्ति (Work, Energy and Power)

परिचय

कार्य, ऊर्जा और शक्ति भौतिकी की मौलिक अवधारणाएँ हैं जो ब्रह्मांड में होने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस अध्याय में, हम इन अवधारणाओं को विस्तार से समझेंगे, उनके बीच के संबंधों का पता लगाएंगे और विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय हमें यह समझने में मदद करेगा कि बल कैसे वस्तुओं में गति पैदा करते हैं, कार्य में कैसे परिवर्तित होते हैं, और कैसे ऊर्जा का संरक्षण होता है।

6.1 कार्य (Work)

भौतिकी में, **कार्य** तब किया जाता है जब कोई बल किसी वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित करता है। यदि किसी वस्तु पर बल ($F$) लगाया जाता है और वस्तु बल की दिशा में दूरी ($d$) विस्थापित होती है, तो किया गया कार्य ($W$) निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है:

$$W = F \cdot d \cdot \cos\theta$$

जहाँ $\theta$ बल और विस्थापन सदिशों के बीच का कोण है। कार्य एक अदिश राशि है, और इसकी SI इकाई **जूल (J)** है। यदि बल और विस्थापन एक ही दिशा में हों, तो $\cos\theta = 1$ और $W = Fd$ होता है। यदि वे लंबवत हों, तो $\cos\theta = 0$ और किया गया कार्य शून्य होता है।

6.2 ऊर्जा (Energy)

**ऊर्जा** कार्य करने की क्षमता है। यह भी एक अदिश राशि है और इसकी SI इकाई भी **जूल (J)** है। ऊर्जा विभिन्न रूपों में मौजूद होती है, और एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकती है। ऊर्जा के प्रमुख प्रकार हैं:

कार्य-ऊर्जा प्रमेय (Work-Energy Theorem)

यह प्रमेय बताता है कि किसी वस्तु पर सभी बलों द्वारा किया गया कुल कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है: $$W_{net} = \Delta K = K_f - K_i$$ जहाँ $K_f$ अंतिम गतिज ऊर्जा और $K_i$ प्रारंभिक गतिज ऊर्जा है।

ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy)

ऊर्जा संरक्षण का नियम कहता है कि एक विलगित निकाय में, ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है; इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा) का संरक्षण तभी होता है जब निकाय पर केवल संरक्षी बल (जैसे गुरुत्वाकर्षण बल, स्प्रिंग बल) कार्य कर रहे हों।

Illustration showing concepts of work, energy, and power, perhaps with an object being lifted, a moving car, and an engine.

6.3 शक्ति (Power)

**शक्ति** कार्य करने की दर या ऊर्जा के हस्तांतरण की दर है। यह एक अदिश राशि है और इसकी SI इकाई **वॉट (W)** है।

औसत शक्ति ($P_{avg}$) को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है:

$$P_{avg} = \frac{\Delta W}{\Delta t} = \frac{\Delta E}{\Delta t}$$

जहाँ $\Delta W$ किया गया कार्य है, $\Delta E$ ऊर्जा में परिवर्तन है, और $\Delta t$ लिया गया समय है। तात्कालिक शक्ति ($P$) को बल और वेग के अदिश गुणनफल के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है: $$P = \vec{F} \cdot \vec{v}$$

शक्ति हमें बताती है कि कार्य कितनी तेजी से किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, एक मशीन जो कम समय में अधिक कार्य करती है, उसकी शक्ति अधिक होती है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. कार्य की SI इकाई क्या है?

    कार्य की SI इकाई जूल (Joule) है।

  2. गतिज ऊर्जा का सूत्र क्या है?

    गतिज ऊर्जा का सूत्र $K = \frac{1}{2}mv^2$ है।

  3. शक्ति की परिभाषा क्या है?

    शक्ति कार्य करने की दर या ऊर्जा के हस्तांतरण की दर है।

  4. क्या गुरुत्वाकर्षण बल एक संरक्षी बल है?

    हाँ, गुरुत्वाकर्षण बल एक संरक्षी बल है।

  5. एक वस्तु पर बल लगाने पर कब कोई कार्य नहीं किया जाता है?

    जब बल और विस्थापन एक-दूसरे के लंबवत हों या जब कोई विस्थापन न हो, तो कोई कार्य नहीं किया जाता है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. कार्य-ऊर्जा प्रमेय को स्पष्ट करें।

    कार्य-ऊर्जा प्रमेय बताता है कि किसी वस्तु पर सभी बलों द्वारा किया गया शुद्ध कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है। $W_{net} = \Delta K$

  2. स्थितिज ऊर्जा के दो उदाहरण दें।

    स्थितिज ऊर्जा के दो उदाहरण हैं गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा (किसी ऊँचाई पर वस्तु के कारण) और स्प्रिंग स्थितिज ऊर्जा (एक संपीड़ित या खींचे हुए स्प्रिंग में)।

  3. शक्ति को बल और वेग के संदर्भ में कैसे व्यक्त किया जा सकता है?

    शक्ति को बल ($\vec{F}$) और वेग ($\vec{v}$) के अदिश गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है: $P = \vec{F} \cdot \vec{v}$। यह हमें किसी क्षण पर शक्ति को जानने में मदद करता है।

  4. ऊर्जा संरक्षण का नियम क्या कहता है?

    ऊर्जा संरक्षण का नियम कहता है कि एक विलगित निकाय में ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है; इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. कार्य की अवधारणा को उदाहरणों के साथ समझाएँ और विभिन्न स्थितियों में किए गए कार्य का वर्णन करें।

    भौतिकी में, कार्य (Work) को एक बल के प्रभाव में होने वाले विस्थापन के रूप में परिभाषित किया जाता है। सरल शब्दों में, जब कोई बल किसी वस्तु को उस बल की दिशा में गति कराता है, तो कार्य किया गया माना जाता है। कार्य की गणना बल के परिमाण, विस्थापन के परिमाण और बल तथा विस्थापन के बीच के कोण के कोसाइन के गुणनफल से की जाती है: $W = Fd\cos\theta$। कार्य एक अदिश राशि है, जिसका अर्थ है कि इसमें केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं। इसकी SI इकाई जूल (Joule) है। 1 जूल कार्य तब होता है जब 1 न्यूटन का बल किसी वस्तु को अपनी दिशा में 1 मीटर विस्थापित करता है।

    कार्य की अवधारणा को विभिन्न स्थितियों से समझा जा सकता है। यदि आप एक बॉक्स को क्षैतिज रूप से धक्का देते हैं और वह चलता है, तो आपने कार्य किया है क्योंकि बल और विस्थापन एक ही दिशा में हैं ($\theta = 0^\circ, \cos0^\circ = 1$)। यदि आप एक भारी बस्ता उठाए हुए हैं और बस खड़े हैं या क्षैतिज रूप से चल रहे हैं, तो आपने गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल नीचे की ओर कार्य कर रहा है, जबकि आपका विस्थापन या तो शून्य है (खड़े रहने पर) या क्षैतिज है (चलने पर), यानी बल और विस्थापन के बीच $90^\circ$ का कोण है ($\cos90^\circ = 0$)। एक उपग्रह जो पृथ्वी के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में घूम रहा है, उस पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा कोई कार्य नहीं किया जाता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल हमेशा केंद्र की ओर होता है, जबकि उपग्रह का विस्थापन (वेग की दिशा) हमेशा स्पर्शरेखीय होता है, जो गुरुत्वाकर्षण बल के लंबवत है। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि कार्य के लिए बल और बल की दिशा में विस्थापन दोनों आवश्यक हैं।

  2. यांत्रिक ऊर्जा के संरक्षण के नियम को स्पष्ट करें और यह कब लागू होता है?

    यांत्रिक ऊर्जा के संरक्षण का नियम भौतिकी के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। यह बताता है कि यदि किसी निकाय पर केवल संरक्षी बल (जैसे गुरुत्वाकर्षण बल, स्प्रिंग बल) कार्य कर रहे हों और कोई गैर-संरक्षी बल (जैसे घर्षण, वायु प्रतिरोध) या बाहरी बल कार्य न कर रहे हों, तो निकाय की कुल यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा का योग) संरक्षित रहती है। इसका मतलब है कि गतिज ऊर्जा में कोई भी कमी स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होगी, और इसके विपरीत। गणितीय रूप से, $E_{total} = K + U = \text{स्थिरांक}$।

    यह नियम कई वास्तविक जीवन की स्थितियों में लागू होता है। उदाहरण के लिए, जब एक गेंद को किसी ऊँचाई से गिराया जाता है, तो उसकी स्थितिज ऊर्जा धीरे-धीरे गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती जाती है। जैसे ही गेंद नीचे आती है, उसकी ऊँचाई घटती है (स्थितिज ऊर्जा घटती है) और उसकी चाल बढ़ती है (गतिज ऊर्जा बढ़ती है), लेकिन उनकी योग (कुल यांत्रिक ऊर्जा) पूरे रास्ते में स्थिर रहता है, बशर्ते वायु प्रतिरोध को नगण्य माना जाए। इसी तरह, एक लोलक (pendulum) अपनी सबसे निचली स्थिति पर अधिकतम गतिज ऊर्जा और न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा रखता है, जबकि अपनी उच्चतम स्थिति पर अधिकतम स्थितिज ऊर्जा और न्यूनतम गतिज ऊर्जा रखता है। यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण उन प्रणालियों के विश्लेषण के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है जहाँ घर्षण और अन्य गैर-संरक्षी बलों का प्रभाव नगण्य होता है, जिससे हमें गति और ऊर्जा परिवर्तनों की भविष्यवाणी करने की अनुमति मिलती है।


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