अध्याय 13: अणुगति सिद्धांत (Kinetic Theory)

परिचय

अणुगति सिद्धांत गैसों के मैक्रोस्कोपिक गुणों (जैसे दाब, तापमान) को उनके संघटक अणुओं की सूक्ष्म गति से जोड़ता है। यह सिद्धांत यह समझने में मदद करता है कि तापमान और दाब जैसी मात्राएँ आणविक स्तर पर कैसे उत्पन्न होती हैं। यह गैसों के व्यवहार को समझाने और आदर्श गैस समीकरण की व्युत्पत्ति में मौलिक है।

13.1 आदर्श गैस की संकल्पना (Concept of Ideal Gas)

**आदर्श गैस** एक सैद्धांतिक गैस है जिसमें कण (अणु) बिंदु द्रव्यमान होते हैं और उनके बीच कोई अंतरा-आणविक बल नहीं होता है, सिवाय उन टकरावों के जो पूरी तरह से प्रत्यास्थ होते हैं। वास्तविक गैसें कम घनत्व और उच्च तापमान पर आदर्श गैसों के व्यवहार के करीब आती हैं।

आदर्श गैस के अभिधारणाएँ (Postulates of Ideal Gas)

13.2 दाब के लिए व्यंजक (Expression for Pressure)

अणुगति सिद्धांत के अनुसार, एक गैस द्वारा डाला गया दाब पात्र की दीवारों पर अणुओं के लगातार और प्रत्यास्थ टकराव के कारण होता है। दाब का व्यंजक इस प्रकार दिया गया है:

$$ P = \frac{1}{3} \frac{Nm}{V} v^2_{rms} = \frac{1}{3} \rho v^2_{rms} $$

जहाँ $P$ दाब, $N$ अणुओं की संख्या, $m$ प्रत्येक अणु का द्रव्यमान, $V$ गैस का आयतन, $\rho$ गैस का घनत्व, और $v_{rms}$ अणुओं का **वर्ग माध्य मूल चाल (Root Mean Square Speed)** है।

13.3 तापमान और गतिज ऊर्जा की व्याख्या (Interpretation of Temperature and Kinetic Energy)

अणुगति सिद्धांत के अनुसार, गैस के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा गैस के परम तापमान (Absolute Temperature) के सीधे आनुपातिक होती है।

$$ \bar{K} = \frac{1}{2} m \bar{v^2} = \frac{3}{2} k_B T $$

जहाँ $\bar{K}$ अणु की औसत गतिज ऊर्जा, $m$ अणु का द्रव्यमान, $k_B$ **बोल्ट्ज़मैन स्थिरांक (Boltzmann Constant)** ($1.38 \times 10^{-23}$ J/K), और $T$ परम तापमान है।

यह संबंध दर्शाता है कि तापमान वास्तव में अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा का माप है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, अणुओं की गतिज ऊर्जा और उनकी औसत चाल भी बढ़ती है।

13.4 आदर्श गैस समीकरण (Ideal Gas Equation)

अणुगति सिद्धांत का उपयोग करके आदर्श गैस समीकरण को व्युत्पन्न किया जा सकता है:

$$ PV = nRT $$

जहाँ $P$ दाब, $V$ आयतन, $n$ मोलों की संख्या, $R$ **सार्वभौमिक गैस स्थिरांक (Universal Gas Constant)** ($8.314$ J mol$^{-1}$ K$^{-1}$), और $T$ परम तापमान है।

इसे अणुओं की संख्या के संदर्भ में भी लिखा जा सकता है:

$$ PV = N k_B T $$

जहाँ $N$ कुल अणुओं की संख्या है।

Illustration of gas molecules moving randomly inside a container and colliding with walls.

13.5 ऊर्जा का समविभाजन नियम (Law of Equipartition of Energy)

**ऊर्जा का समविभाजन नियम** बताता है कि तापीय साम्यावस्था में, प्रति अणु औसत ऊर्जा प्रत्येक स्वतंत्रता की कोटि (degree of freedom) के लिए $\frac{1}{2} k_B T$ होती है।

एक अणु की कुल औसत गतिज ऊर्जा $= f \times \frac{1}{2} k_B T$।

विशिष्ट ऊष्मा धारिता (Specific Heat Capacity)

आदर्श गैसों की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता को ऊर्जा के समविभाजन नियम का उपयोग करके व्युत्पन्न किया जा सकता है:

13.6 माध्य मुक्त पथ (Mean Free Path)

**माध्य मुक्त पथ ($\lambda$)** एक गैस अणु द्वारा लगातार दो टकरावों के बीच तय की गई औसत दूरी है। यह गैस के अणुओं के आकार और घनत्व पर निर्भर करता है।

$$ \lambda = \frac{1}{\sqrt{2} \pi d^2 n} $$

जहाँ $d$ अणु का व्यास और $n$ प्रति इकाई आयतन अणुओं की संख्या है।

माध्य मुक्त पथ का उपयोग गैसों में विसरण, श्यानता और ऊष्मा चालकता जैसी परिवहन घटनाओं को समझाने के लिए किया जाता है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. आदर्श गैस क्या है?

    आदर्श गैस एक सैद्धांतिक गैस है जिसके अणु बिंदु द्रव्यमान होते हैं और उनके बीच कोई अंतरा-आणविक बल नहीं होता है, सिवाय पूरी तरह से प्रत्यास्थ टकरावों के।

  2. वर्ग माध्य मूल चाल (RMS speed) क्या है?

    वर्ग माध्य मूल चाल गैस के अणुओं की चाल के वर्गों के औसत का वर्गमूल है, जो उनकी औसत गति का माप है।

  3. बोल्ट्ज़मैन स्थिरांक का मान क्या है?

    बोल्ट्ज़मैन स्थिरांक ($k_B$) का मान $1.38 \times 10^{-23}$ J/K है।

  4. स्वतंत्रता की कोटि से आप क्या समझते हैं?

    स्वतंत्रता की कोटियाँ वे स्वतंत्र तरीके हैं जिनमें एक अणु अपनी ऊर्जा को स्थानांतरित या घूर्णन या कंपन गति के रूप में अवशोषित कर सकता है।

  5. माध्य मुक्त पथ किस पर निर्भर करता है?

    माध्य मुक्त पथ गैस के अणुओं के व्यास और प्रति इकाई आयतन अणुओं की संख्या पर निर्भर करता है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. तापमान और गैस अणुओं की गतिज ऊर्जा के बीच संबंध स्पष्ट करें।

    अणुगति सिद्धांत के अनुसार, गैस के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा उसके परम तापमान के सीधे आनुपातिक होती है। इसका मतलब है कि जैसे-जैसे गैस का तापमान बढ़ता है, उसके अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा भी बढ़ती है, जिससे वे तेजी से गति करते हैं।

  2. आदर्श गैस के किन्हीं दो अभिधारणाओं का उल्लेख करें।

    आदर्श गैस की दो मुख्य अभिधारणाएँ हैं: गैस बड़ी संख्या में समान, छोटे कणों (अणुओं) से बनी होती है, और अणुओं के बीच कोई अंतरा-आणविक बल नहीं होता है (सिवाय प्रत्यास्थ टकरावों के)।

  3. एकपरमाणुक और द्विपरमाणुक गैसों के लिए स्वतंत्रता की कोटियाँ कितनी होती हैं?

    एकपरमाणुक गैसों (जैसे हीलियम) के लिए स्वतंत्रता की 3 कोटियाँ होती हैं (केवल स्थानांतरणीय)। द्विपरमाणुक गैसों (जैसे ऑक्सीजन) के लिए सामान्य तापमान पर स्वतंत्रता की 5 कोटियाँ होती हैं (3 स्थानांतरणीय और 2 घूर्णी)।

  4. रुद्धोष्म स्थिरांक ($\gamma$) का महत्व क्या है?

    रुद्धोष्म स्थिरांक ($\gamma$) स्थिर दाब पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा ($C_P$) और स्थिर आयतन पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा ($C_V$) का अनुपात है। इसका उपयोग रुद्धोष्म प्रक्रियाओं का वर्णन करने और गैसों के आणविक संरचना को समझने के लिए किया जाता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. अणुगति सिद्धांत की मुख्य अभिधारणाओं की व्याख्या करें और बताएं कि वे गैसों के स्थूल गुणों (macroscopic properties) को कैसे समझाते हैं।

    अणुगति सिद्धांत गैसों के स्थूल गुणों (जैसे दाब और तापमान) को उनके सूक्ष्म आणविक व्यवहार के आधार पर समझने के लिए एक शक्तिशाली मॉडल प्रदान करता है। इसकी कई प्रमुख अभिधारणाएँ हैं। पहली, गैसें बड़ी संख्या में अत्यंत छोटे, समान कणों (अणुओं) से बनी होती हैं जो लगातार और यादृच्छिक गति में होते हैं। दूसरी, इन अणुओं का कुल आयतन पात्र के आयतन की तुलना में नगण्य होता है, जिसका अर्थ है कि अणु स्वयं बहुत छोटे होते हैं। तीसरी, अणुओं के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतरा-आणविक बल नहीं होता है, सिवाय उन बहुत संक्षिप्त क्षणों के जब वे एक-दूसरे से या पात्र की दीवारों से टकराते हैं। अंत में, ये सभी टकराव पूरी तरह से प्रत्यास्थ होते हैं, जिसका अर्थ है कि टकराने वाले अणुओं की कुल गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है।

    ये अभिधारणाएँ गैसों के स्थूल गुणों को सीधे समझाती हैं। उदाहरण के लिए, **दाब** को पात्र की दीवारों पर अणुओं के लगातार और प्रत्यास्थ टकरावों के परिणामस्वरूप समझाया जाता है। प्रत्येक टकराव दीवार पर एक बल लगाता है, और इन बलों का औसत प्रति इकाई क्षेत्रफल दाब उत्पन्न करता है। **तापमान** को गैस के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा के रूप में परिभाषित किया जाता है। उच्च तापमान का अर्थ है अणुओं की उच्च औसत गतिज ऊर्जा और इसलिए उच्च औसत चाल, जिसके परिणामस्वरूप अधिक तीव्र और बार-बार टकराव होते हैं, जिससे दाब में वृद्धि होती है। इस प्रकार, अणुगति सिद्धांत सूक्ष्म आणविक स्तर से स्थूल गैस व्यवहार की ओर एक सीधा पुल प्रदान करता है।

  2. ऊर्जा के समविभाजन नियम को समझाएं और बताएं कि यह आदर्श गैसों की विशिष्ट ऊष्मा धारिता की व्याख्या कैसे करता है।

    ऊर्जा का समविभाजन नियम ऊष्मीय भौतिकी में एक मौलिक सिद्धांत है जो बताता है कि तापीय साम्यावस्था में, किसी भी गतिशील प्रणाली में कुल ऊर्जा सभी स्वतंत्रता की कोटियों के बीच समान रूप से वितरित होती है। विशेष रूप से, प्रत्येक स्वतंत्रता की कोटि (चाहे वह स्थानांतरणीय, घूर्णी, या कंपन हो) के लिए औसत ऊर्जा $\frac{1}{2} k_B T$ होती है, जहाँ $k_B$ बोल्ट्ज़मैन स्थिरांक और $T$ परम तापमान है। एक परमाणु के लिए, तीन स्थानांतरणीय स्वतंत्रता की कोटियाँ होती हैं (x, y, z अक्षों के अनुदिश गति), इसलिए इसकी कुल औसत गतिज ऊर्जा $3 \times \frac{1}{2} k_B T = \frac{3}{2} k_B T$ होती है। द्विपरमाणुक अणु के लिए, इसमें आमतौर पर 3 स्थानांतरणीय और 2 घूर्णी स्वतंत्रता की कोटियाँ होती हैं (कम तापमान पर कंपन को छोड़कर), जिससे कुल 5 कोटियाँ होती हैं, और औसत ऊर्जा $\frac{5}{2} k_B T$ होती है।

    यह नियम आदर्श गैसों की विशिष्ट ऊष्मा धारिता की व्याख्या करने में महत्वपूर्ण है। स्थिर आयतन पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा ($C_V$) को एक मोल गैस का तापमान एक केल्विन बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा के रूप में परिभाषित किया जाता है। यदि एक गैस के अणुओं में $f$ स्वतंत्रता की कोटियाँ हैं, तो एक मोल गैस की कुल आंतरिक ऊर्जा $U = N_A \times f \times \frac{1}{2} k_B T = \frac{f}{2} RT$ होती है (जहाँ $N_A$ एवोगेड्रो संख्या और $R = N_A k_B$ सार्वभौमिक गैस स्थिरांक है)। तब $C_V = \left( \frac{\partial U}{\partial T} \right)_V = \frac{f}{2} R$ होता है। स्थिर दाब पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा ($C_P$) के लिए, $C_P = C_V + R = \left( \frac{f}{2} + 1 \right) R$ होता है। यह नियम विभिन्न प्रकार की गैसों (एकपरमाणुक, द्विपरमाणुक, बहुपरमाणुक) के लिए सैद्धांतिक $C_V$ और $C_P$ मानों की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करता है, जो प्रायोगिक परिणामों के साथ बहुत अच्छी तरह से मेल खाते हैं।


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