अध्याय 11: द्रव्य के तापीय गुण (Thermal Properties of Matter)
परिचय
इस अध्याय में, हम पदार्थ के तापीय गुणों का अध्ययन करेंगे, जो विभिन्न तापमानों पर पदार्थ के व्यवहार से संबंधित हैं। हम ऊष्मा (heat), तापमान (temperature), ऊष्मा स्थानांतरण (heat transfer) के तरीकों और पदार्थों के तापीय विस्तार (thermal expansion) जैसी अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ये गुण इंजीनियरिंग, मौसम विज्ञान और रोजमर्रा की जिंदगी में भी महत्वपूर्ण हैं।
11.1 तापमान और ऊष्मा (Temperature and Heat)
**तापमान** किसी वस्तु की उष्णता या शीतलता की डिग्री का माप है। यह औसत गतिज ऊर्जा से संबंधित है। **ऊष्मा** ऊर्जा का वह रूप है जो तापमान अंतर के कारण एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित होती है। ऊष्मा ऊर्जा की SI इकाई **जूल (J)** है और तापमान की SI इकाई **केल्विन (K)** है।
- **थर्मोमेट्री (Thermometry):** तापमान मापने का विज्ञान।
- **तापमान के पैमाने:** सेल्सियस ($^\circ C$), फारेनहाइट ($^\circ F$), और केल्विन (K)। $$ K = ^\circ C + 273.15 $$ $$ ^\circ F = \frac{9}{5} ^\circ C + 32 $$
11.2 तापीय विस्तार (Thermal Expansion)
जब किसी पदार्थ का तापमान बढ़ता है, तो उसके कणों की औसत गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे वे अधिक कंपन करते हैं और एक-दूसरे से दूर चले जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, पदार्थ के आयामों में वृद्धि होती है, जिसे **तापीय विस्तार** कहते हैं।
- **रेखीय विस्तार (Linear Expansion):** लंबाई में परिवर्तन। $$ \Delta L = \alpha L \Delta T $$ जहाँ $\alpha$ **रेखीय विस्तार गुणांक (Coefficient of Linear Expansion)** है।
- **क्षेत्रफल विस्तार (Area Expansion):** क्षेत्रफल में परिवर्तन। $$ \Delta A = \beta A \Delta T $$ जहाँ $\beta$ **क्षेत्रफल विस्तार गुणांक (Coefficient of Area Expansion)** है और $\beta = 2\alpha$।
- **आयतन विस्तार (Volume Expansion):** आयतन में परिवर्तन। $$ \Delta V = \gamma V \Delta T $$ जहाँ $\gamma$ **आयतन विस्तार गुणांक (Coefficient of Volume Expansion)** है और $\gamma = 3\alpha$।
पानी का असामान्य विस्तार (Anomalous expansion of water): पानी $0^\circ C$ से $4^\circ C$ के बीच गर्म करने पर सिकुड़ता है और $4^\circ C$ पर इसका घनत्व अधिकतम होता है। $4^\circ C$ से ऊपर यह सामान्य रूप से फैलता है।
11.3 विशिष्ट ऊष्मा धारिता (Specific Heat Capacity)
**विशिष्ट ऊष्मा धारिता ($c$)** किसी पदार्थ के इकाई द्रव्यमान का तापमान $1^\circ C$ (या 1 K) बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा है। $$ Q = mc \Delta T $$ जहाँ $Q$ दी गई ऊष्मा, $m$ द्रव्यमान और $\Delta T$ तापमान में परिवर्तन है। इसकी SI इकाई **जूल प्रति किलोग्राम प्रति केल्विन (J kg$^{-1}$ K$^{-1}$)** है।
- **मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता (Molar Specific Heat Capacity):** प्रति मोल तापमान $1^\circ C$ बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा।
- **ऊष्मा धारिता (Heat Capacity):** किसी वस्तु का तापमान $1^\circ C$ बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा ($C = mc$)।
11.4 अवस्था परिवर्तन (Change of State)
जब किसी पदार्थ को ऊष्मा दी जाती है, तो उसका तापमान बढ़ सकता है, या उसकी अवस्था (ठोस, तरल, गैस) बदल सकती है। अवस्था परिवर्तन के दौरान, तापमान स्थिर रहता है।
- **गलनांक (Melting Point):** वह तापमान जिस पर एक ठोस तरल में बदलता है।
- **हिमांक (Freezing Point):** वह तापमान जिस पर एक तरल ठोस में बदलता है।
- **क्वथनांक (Boiling Point):** वह तापमान जिस पर एक तरल गैस में बदलता है।
- **गुप्त ऊष्मा (Latent Heat):** वह ऊष्मा ऊर्जा जो अवस्था परिवर्तन के दौरान अवशोषित या उत्सर्जित होती है, बिना तापमान बदले।
$$ Q = mL $$
जहाँ $L$ पदार्थ की **गुप्त ऊष्मा** है।
- **गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Fusion):** ठोस से तरल में बदलने के लिए।
- **वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporisation):** तरल से गैस में बदलने के लिए।
11.5 ऊष्मा स्थानांतरण (Heat Transfer)
ऊष्मा हमेशा उच्च तापमान वाली वस्तु से निम्न तापमान वाली वस्तु की ओर स्थानांतरित होती है। ऊष्मा स्थानांतरण के तीन मुख्य तरीके हैं:
- **चालन (Conduction):** कणों के सीधे संपर्क के माध्यम से ऊष्मा का स्थानांतरण, जिसमें कण स्वयं अपनी स्थिति नहीं बदलते। यह मुख्य रूप से ठोस पदार्थों में होता है। $$ \frac{Q}{t} = -KA \frac{\Delta T}{\Delta x} $$ जहाँ $K$ **ऊष्मा चालकता (Thermal Conductivity)** है।
- **संवहन (Convection):** तरल पदार्थ (तरल या गैस) के वास्तविक गति के माध्यम से ऊष्मा का स्थानांतरण। यह मुख्य रूप से तरल पदार्थ और गैसों में होता है (जैसे पानी का उबलना, वायुमंडलीय धाराएँ)।
- **विकिरण (Radiation):** विद्युत चुम्बकीय तरंगों (जैसे अवरक्त विकिरण) के रूप में ऊष्मा का स्थानांतरण। इसे किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है और यह निर्वात में भी हो सकता है (जैसे सूर्य से पृथ्वी तक ऊष्मा)।
न्यूटन का शीतलन नियम (Newton's Law of Cooling)
यह नियम बताता है कि किसी वस्तु के ऊष्मा हानि की दर उसके और उसके परिवेश के बीच तापमान के अंतर के अनुक्रमानुपाती होती है, यदि तापमान का अंतर छोटा हो। $$ \frac{dQ}{dt} \propto (T - T_0) $$ जहाँ $T$ वस्तु का तापमान और $T_0$ परिवेश का तापमान है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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तापमान की SI इकाई क्या है?
तापमान की SI इकाई केल्विन (K) है।
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पानी का अधिकतम घनत्व किस तापमान पर होता है?
पानी का अधिकतम घनत्व $4^\circ C$ पर होता है।
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गुप्त ऊष्मा को परिभाषित करें।
गुप्त ऊष्मा वह ऊष्मा ऊर्जा है जो अवस्था परिवर्तन के दौरान अवशोषित या उत्सर्जित होती है, बिना तापमान में परिवर्तन किए।
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ऊष्मा स्थानांतरण के तीन मुख्य तरीके कौन से हैं?
ऊष्मा स्थानांतरण के तीन मुख्य तरीके चालन (Conduction), संवहन (Convection), और विकिरण (Radiation) हैं।
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न्यूटन का शीतलन नियम किस सिद्धांत पर आधारित है?
न्यूटन का शीतलन नियम बताता है कि किसी वस्तु के ऊष्मा हानि की दर उसके और उसके परिवेश के बीच तापमान के अंतर के अनुक्रमानुपाती होती है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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रेखीय, क्षेत्रफल और आयतन विस्तार गुणांक में संबंध स्पष्ट करें।
रेखीय, क्षेत्रफल और आयतन विस्तार गुणांक $(\alpha, \beta, \gamma)$ आपस में संबंधित हैं। क्षेत्रफल विस्तार गुणांक $\beta = 2\alpha$ होता है, और आयतन विस्तार गुणांक $\gamma = 3\alpha$ होता है। यह संबंध दर्शाता है कि कैसे एक ही पदार्थ की विभिन्न विमाओं में तापीय विस्तार होता है।
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ठोसों, द्रवों और गैसों में ऊष्मा चालन कैसे भिन्न होता है?
ठोसों में ऊष्मा चालन मुख्य रूप से कणों के कंपन द्वारा होता है। द्रवों और गैसों में चालन होता है, लेकिन संवहन अधिक प्रभावी होता है क्योंकि कण स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। गैसों में कणों के बीच की दूरी अधिक होने के कारण चालन सबसे कम होता है।
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वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा का क्या महत्व है?
वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा वह ऊर्जा है जो तरल को गैस में बदलने के लिए आवश्यक होती है। यह प्रक्रिया शरीर के शीतलन (पसीना) और रेफ्रिजरेशन जैसी कई प्राकृतिक और तकनीकी प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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संवहन धाराएँ कहाँ देखी जा सकती हैं? दो उदाहरण दें।
संवहन धाराएँ तब उत्पन्न होती हैं जब तरल या गैस के गर्म हिस्से ऊपर उठते हैं और ठंडे हिस्से नीचे आते हैं। इन्हें उबलते पानी (पानी की ऊपरी परत गर्म होकर उठती है, ठंडी नीचे आती है) और वायुमंडल में मौसम (गर्म हवा ऊपर उठती है, ठंडी हवा नीचे आती है) में देखा जा सकता है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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पानी के असामान्य विस्तार को समझाएं और इसके पर्यावरणीय महत्व पर चर्चा करें।
पानी का असामान्य विस्तार एक अनूठी घटना है जहाँ $0^\circ C$ से $4^\circ C$ तक गर्म होने पर पानी सिकुड़ता है, बजाय इसके कि वह फैले। इसका घनत्व $4^\circ C$ पर अधिकतम होता है। $4^\circ C$ के बाद, यह सामान्य रूप से फैलता है। यह असामान्य व्यवहार अन्य तरल पदार्थों से भिन्न है जो गर्म होने पर लगातार फैलते हैं। सर्दियों में, जब झीलें और तालाब जमना शुरू करते हैं, तो सतह का पानी ठंडा होकर $4^\circ C$ तक पहुंचता है और नीचे चला जाता है, जबकि निचला $4^\circ C$ पानी ऊपर रहता है। जब सतह का तापमान $4^\circ C$ से नीचे गिरता है, तो पानी जमने लगता है, लेकिन बर्फ की परत पानी की सतह पर तैरती रहती है क्योंकि बर्फ का घनत्व पानी से कम होता है।
यह घटना जलीय जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पानी के असामान्य विस्तार के कारण, झीलों और तालाबों के तल में पानी $4^\circ C$ पर रहता है, भले ही सतह पर बर्फ जम गई हो। यह $4^\circ C$ का पानी जलीय पौधों और जानवरों को ठंड के मौसम में जीवित रहने में मदद करता है। यदि पानी का व्यवहार सामान्य होता, तो पूरी झील ऊपर से नीचे तक जम जाती, जिससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो जाता। इस प्रकार, पानी का यह अद्वितीय गुण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।
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विशिष्ट ऊष्मा धारिता, गुप्त ऊष्मा, और ऊष्मा चालकता को परिभाषित करें और बताएं कि ये पदार्थ के तापीय गुणों को समझने में कैसे योगदान करते हैं।
पदार्थ के तापीय गुणों को समझने के लिए विशिष्ट ऊष्मा धारिता, गुप्त ऊष्मा और ऊष्मा चालकता महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। **विशिष्ट ऊष्मा धारिता ($c$)** एक पदार्थ की आंतरिक ऊर्जा को संग्रहीत करने की क्षमता का माप है। यह बताती है कि किसी इकाई द्रव्यमान के पदार्थ का तापमान एक डिग्री सेल्सियस (या केल्विन) बढ़ाने के लिए कितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है। जिन पदार्थों की विशिष्ट ऊष्मा धारिता अधिक होती है, वे तापमान परिवर्तन के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं; उन्हें गर्म करने के लिए अधिक ऊष्मा की आवश्यकता होती है और वे अधिक समय तक गर्म रहते हैं (जैसे पानी)। यह भवनों को गर्म करने या ठंडा करने और जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है।
दूसरी ओर, **गुप्त ऊष्मा ($L$)** वह ऊष्मा ऊर्जा है जो किसी पदार्थ की अवस्था बदलने के लिए आवश्यक होती है (जैसे ठोस से तरल या तरल से गैस में) बिना उसके तापमान को बदले। यह ऊर्जा कणों के बीच के अंतरा-आणविक बंधों को तोड़ने या बनाने में उपयोग होती है। उदाहरण के लिए, बर्फ को पानी में पिघलाने के लिए गलन की गुप्त ऊष्मा की आवश्यकता होती है, भले ही तापमान $0^\circ C$ पर स्थिर रहे। यह अवधारणा रेफ्रिजरेशन, वाष्पीकरण और संघनन प्रक्रियाओं में मौलिक है। अंत में, **ऊष्मा चालकता ($K$)** यह मापती है कि कोई पदार्थ कितनी कुशलता से ऊष्मा को अपने माध्यम से चालन द्वारा स्थानांतरित कर सकता है। उच्च ऊष्मा चालकता वाले पदार्थ (जैसे धातु) ऊष्मा के अच्छे चालक होते हैं, जबकि कम चालकता वाले पदार्थ (जैसे लकड़ी या फोम) ऊष्मा रोधक होते हैं। ये तीनों गुण एक साथ किसी पदार्थ के ऊष्मा के प्रति प्रतिक्रिया और उसके व्यवहार की एक व्यापक तस्वीर प्रदान करते हैं, जो विभिन्न इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण है।
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