अध्याय 9: हाइड्रोजन (Hydrogen)
परिचय
**हाइड्रोजन (Hydrogen)** आवर्त सारणी का पहला तत्व है और ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है। इसकी अद्वितीय इलेक्ट्रॉनिक संरचना (केवल एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन) के कारण, यह आवर्त सारणी में एक विशिष्ट स्थान रखता है, जो क्षार धातुओं (समूह 1) और हैलोजनों (समूह 17) दोनों के गुणों के साथ समानता प्रदर्शित करता है। यह अध्याय हाइड्रोजन की स्थिति, इसके समस्थानिकों, इसके निर्माण के तरीकों, भौतिक और रासायनिक गुणों, इसके यौगिकों (जैसे हाइड्राइड और जल), कठोर और मृदु जल, हाइड्रोजन ईंधन, और इसके अनुप्रयोगों का विस्तार से अध्ययन करेगा।
9.1 आवर्त सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति (Position of Hydrogen in the Periodic Table)
हाइड्रोजन की आवर्त सारणी में एक अद्वितीय और कुछ हद तक विवादास्पद स्थिति है:
- **क्षार धातुओं (समूह 1) से समानता:**
- इसके पास एक s-इलेक्ट्रॉन होता है और यह +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है।
- यह हैलोजनों, ऑक्सीजन और सल्फर के साथ यौगिक बनाता है।
- **हैलोजनों (समूह 17) से समानता:**
- इसकी आयनीकरण एन्थैल्पी काफी उच्च होती है।
- यह एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करके H$^-$ आयन (हाइड्राइड) बनाता है, जैसे हैलोजन हैलाइड आयन बनाते हैं।
- यह द्विपरमाणुक अणु (H$_2$) बनाता है।
- **भिन्नताएँ:** यह एक धातु नहीं है और हैलोजनों जितना विद्युतऋणात्मक नहीं है। अपनी अद्वितीय प्रकृति के कारण, इसे अक्सर आवर्त सारणी में अलग से रखा जाता है।
9.2 हाइड्रोजन के समस्थानिक (Isotopes of Hydrogen)
हाइड्रोजन के तीन मुख्य समस्थानिक हैं:
- **प्रोटियम ($^1_1$H or H):** सबसे आम समस्थानिक (लगभग 99.985%), जिसमें केवल एक प्रोटॉन और कोई न्यूट्रॉन नहीं होता है।
- **ड्यूटेरियम ($^2_1$H or D):** भारी हाइड्रोजन के रूप में जाना जाता है, इसमें एक प्रोटॉन और एक न्यूट्रॉन होता है (लगभग 0.015%)। D$_2$O को भारी जल कहते हैं, जिसका उपयोग परमाणु रिएक्टरों में मंदक के रूप में होता है।
- **ट्राइटियम ($^3_1$H or T):** अत्यंत दुर्लभ समस्थानिक, इसमें एक प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉन होते हैं। यह रेडियोधर्मी होता है और इसका अर्ध-आयु काल 12.33 वर्ष होता है।
इन समस्थानिकों के रासायनिक गुण समान होते हैं (क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान है) लेकिन भौतिक गुणों में अंतर होता है (द्रव्यमान में अंतर के कारण)।
9.3 डाईहाइड्रोजन (H$_2$) का विरचन (Preparation of Dihydrogen)
डाईहाइड्रोजन को विभिन्न तरीकों से तैयार किया जा सकता है:
- **प्रयोगशाला विधि (Laboratory Methods):**
- धातुओं की अम्लों से अभिक्रिया: Zn + 2HCl → ZnCl$_2$ + H$_2$
- क्षार धातुओं की जल से अभिक्रिया: 2Na + 2H$_2$O → 2NaOH + H$_2$ (अत्यधिक विस्फोटक)
- धातुओं की क्षार से अभिक्रिया: 2NaOH + Zn → Na$_2$ZnO$_2$ + H$_2$
- **औद्योगिक विरचन (Industrial Preparation):**
- **विद्युत अपघटन:** अम्लीकृत जल का विद्युत अपघटन: 2H$_2$O(l) $\xrightarrow{\text{विद्युत अपघटन}}$ 2H$_2$(g) + O$_2$(g)
- **जल-गैस शिफ्ट अभिक्रिया (Water-Gas Shift Reaction):** भाप को गर्म कोक पर प्रवाहित करने से जल-गैस (CO + H$_2$) बनती है। CO(g) + H$_2$O(g) $\xrightarrow{\text{FeCrO}_4\text{ catalyst, 673K}}$ CO$_2$(g) + H$_2$(g) यह अभिक्रिया CO को CO$_2$ में परिवर्तित करके हाइड्रोजन की उपज बढ़ाती है।
- **पेट्रोलियम से:** हाइड्रोकार्बन के भाप सुधार द्वारा।
9.4 डाईहाइड्रोजन के गुण (Properties of Dihydrogen)
- **भौतिक गुण:** रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन गैस; पानी में अघुलनशील; ज्वलनशील (हवा में विस्फोटक मिश्रण बनाता है)। यह सबसे हल्का ज्ञात पदार्थ है।
- **रासायनिक गुण:**
- **अभिक्रियाशीलता:** इसका H-H आबंध बहुत मजबूत होता है, इसलिए यह अपेक्षाकृत निष्क्रिय होता है, लेकिन उच्च तापमान पर या उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रियाशील होता है।
- **धातुओं से अभिक्रिया (हाइड्राइड बनाना):** 2Na(s) + H$_2$(g) → 2NaH(s)
- **अधातुओं से अभिक्रिया:**
- हैलोजनों से: H$_2$(g) + X$_2$(g) → 2HX(g) (जहाँ X = F, Cl, Br, I)
- ऑक्सीजन से: 2H$_2$(g) + O$_2$(g) → 2H$_2$O(l) (विस्फोटक)
- नाइट्रोजन से (हैबर प्रक्रम): N$_2$(g) + 3H$_2$(g) $\rightleftharpoons$ 2NH$_3$(g)
- **कार्बनिक यौगिकों से अभिक्रिया (हाइड्रोजनीकरण):** वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण में वनस्पति घी बनाने के लिए उपयोग होता है।
- **धातु ऑक्साइडों का अपचयन:** CuO + H$_2$ → Cu + H$_2$O
9.5 हाइड्राइड (Hydrides)
हाइड्रोजन धातुओं और अधातुओं दोनों के साथ द्विपदी यौगिक बनाता है जिन्हें हाइड्राइड कहते हैं।
- **आयनिक या लवणीय हाइड्राइड (Ionic or Saline Hydrides):** समूह 1 और 2 की धातुएँ (Mg, Ca, Sr, Ba को छोड़कर) हाइड्रोजन के साथ मिलकर आयनिक हाइड्राइड बनाती हैं (जैसे NaH, CaH$_2$)। ये ठोस होते हैं और गलित अवस्था में विद्युत के सुचालक होते हैं।
- **सहसंयोजी या आणविक हाइड्राइड (Covalent or Molecular Hydrides):** p-ब्लॉक तत्व हाइड्रोजन के साथ सहसंयोजी आबंध बनाते हैं (जैसे CH$_4$, NH$_3$, H$_2$O, HF)। इन्हें इलेक्ट्रॉन-समृद्ध, इलेक्ट्रॉन-परिशुद्ध और इलेक्ट्रॉन-न्यून हाइड्राइड में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- **धात्विक या अंतराकाशी हाइड्राइड (Metallic or Interstitial Hydrides):** d-ब्लॉक और f-ब्लॉक के तत्व (कुछ अपवादों के साथ) हाइड्रोजन को अपनी जालक संरचना में अवशोषित करके अस्टॉइकियोमेट्रिक हाइड्राइड बनाते हैं। ये अधातुएँ धातुओं की तरह विद्युत के सुचालक होते हैं।
9.6 जल (Water - H$_2$O)
जल पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण और प्रचुर यौगिकों में से एक है।
- **संरचना:** जल एक मुड़ा हुआ (bent) आणविक संरचना वाला ध्रुवीय अणु है, जिसमें ऑक्सीजन परमाणु पर दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं। यह व्यापक हाइड्रोजन आबंधन दर्शाता है।
- **गुण:**
- उच्च क्वथनांक और गलनांक (हाइड्रोजन आबंधन के कारण)।
- उच्च विशिष्ट ऊष्मा, संलयन की उच्च ऊष्मा, वाष्पीकरण की उच्च ऊष्मा।
- पानी का घनत्व 4°C पर अधिकतम होता है।
- यह एक उत्कृष्ट विलायक है (ध्रुवीय प्रकृति के कारण)।
9.7 कठोर और मृदु जल (Hard and Soft Water)
जल की कठोरता उसमें घुलनशील कैल्शियम (Ca$^{2+}$) और मैग्नीशियम (Mg$^{2+}$) आयनों की उपस्थिति के कारण होती है। कठोर जल साबुन के साथ झाग नहीं देता है।
- **मृदु जल (Soft Water):** वह जल जिसमें Ca$^{2+}$ और Mg$^{2+}$ आयन नहीं होते हैं और जो साबुन के साथ आसानी से झाग देता है।
- **कठोर जल (Hard Water):** वह जल जिसमें Ca$^{2+}$ और Mg$^{2+}$ आयन होते हैं। कठोरता दो प्रकार की होती है:
- **अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness):** बाइकार्बोनेट आयनों (Ca(HCO$_3$)$_2$, Mg(HCO$_3$)$_2$) की उपस्थिति के कारण। इसे उबालकर या क्लार्क की विधि द्वारा हटाया जा सकता है।
- **स्थायी कठोरता (Permanent Hardness):** सल्फेटों (CaSO$_4$, MgSO$_4$) और क्लोराइडों (CaCl$_2$, MgCl$_2$) की उपस्थिति के कारण। इसे धावन सोडा, केलगन विधि, आयन-विनिमय विधि या संश्लेषित रेजिन विधि द्वारा हटाया जा सकता है।
9.8 हाइड्रोजन परॉक्साइड (Hydrogen Peroxide - H$_2$O$_2$)
हाइड्रोजन परॉक्साइड एक महत्वपूर्ण ऑक्सीकारक, अपचायक और विरंजक अभिकर्मक है।
- **विरचन:**
- BaO$_2$ · 8H$_2$O की अम्लों से अभिक्रिया।
- H$_2$SO$_4$ या अमोनियम सल्फेट के विद्युत अपघटन द्वारा।
- ऑटोऑक्सीकरण विधि द्वारा (2-एल्काइलैन्थ्राक्विनॉल के ऑक्सीकरण द्वारा)।
- **गुण:** रंगहीन तरल, विशिष्ट गंध के साथ। यह आसानी से विघटित होकर जल और ऑक्सीजन बनाता है: 2H$_2$O$_2$(l) → 2H$_2$O(l) + O$_2$(g)
- **संरचना:** यह एक गैर-समतलीय (non-planar), खुली पुस्तक जैसी संरचना होती है।
- **उपयोग:** एंटीसेप्टिक (पर्हाइड्रोल), विरंजन एजेंट, रॉकेट प्रणोदक, ऑक्सीकारक के रूप में।
9.9 डाईहाइड्रोजन के उपयोग (Uses of Dihydrogen)
- **अमोनिया का संश्लेषण (हैबर प्रक्रम):** उर्वरक और नाइट्रिक अम्ल के उत्पादन के लिए।
- **वनस्पति घी का उत्पादन:** वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण द्वारा।
- **धातुओं का उत्पादन:** भारी धातुओं के ऑक्साइडों के अपचयन में।
- **मेथेनॉल का उत्पादन:** CO(g) + 2H$_2$(g) → CH$_3$OH(l)
- **हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उत्पादन:** H$_2$ + Cl$_2$ → 2HCl
- **रॉकेट ईंधन:** तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन का मिश्रण।
- **ईंधन कोशिकाएँ (Fuel Cells):** विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए। हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है क्योंकि इसका दहन उत्पाद केवल जल होता है।
- **धातु कर्म:** कुछ धातुओं को पिघलाने और काटने के लिए ऑक्सी-हाइड्रोजन टॉर्च में।
9.10 हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था (Hydrogen Economy)
हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था ऊर्जा का एक संभावित भविष्य का स्रोत है, जहाँ हाइड्रोजन ऊर्जा का मुख्य वाहक होगा। इसका लक्ष्य ऊर्जा के उपयोग और परिवहन को अधिक कुशल और प्रदूषण-मुक्त बनाना है।
- यह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करेगा।
- हाइड्रोजन के दहन से प्रदूषण नहीं होता (उत्पाद केवल जल है)।
- इसे जल से (विद्युत अपघटन द्वारा) और अन्य नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित किया जा सकता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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हाइड्रोजन के किन्हीं दो समस्थानिकों के नाम बताएँ।
हाइड्रोजन के दो समस्थानिक प्रोटियम (H) और ड्यूटेरियम (D) हैं।
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भारी जल का रासायनिक सूत्र क्या है?
भारी जल का रासायनिक सूत्र D$_2$O है।
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जल-गैस शिफ्ट अभिक्रिया का समीकरण लिखें।
जल-गैस शिफ्ट अभिक्रिया का समीकरण है: CO(g) + H$_2$O(g) $\xrightarrow{\text{catalyst}}$ CO$_2$(g) + H$_2$(g)।
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कठोर जल क्या होता है?
कठोर जल वह जल होता है जिसमें कैल्शियम (Ca$^{2+}$) और मैग्नीशियम (Mg$^{2+}$) के घुलनशील लवण (जैसे बाइकार्बोनेट, सल्फेट, क्लोराइड) मौजूद होते हैं, जिसके कारण यह साबुन के साथ आसानी से झाग नहीं देता है।
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हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना कैसी होती है?
हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना एक गैर-समतलीय (non-planar) और खुली पुस्तक जैसी होती है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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हाइड्रोजन को आवर्त सारणी में 'शरारती तत्व' क्यों कहा जाता है?
हाइड्रोजन को 'शरारती तत्व' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह क्षार धातुओं (समूह 1) और हैलोजनों (समूह 17) दोनों के साथ समानता प्रदर्शित करता है, जिससे आवर्त सारणी में इसकी विशिष्ट स्थिति निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है।
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अस्थायी कठोरता को कैसे दूर किया जा सकता है?
अस्थायी कठोरता को उबालकर दूर किया जा सकता है, जिससे घुलनशील बाइकार्बोनेट अघुलनशील कार्बोनेट में बदल जाते हैं और अवक्षेपित हो जाते हैं। इसे क्लार्क की विधि (चूना मिलाकर) द्वारा भी हटाया जा सकता है।
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हाइड्रोजन परॉक्साइड के दो मुख्य उपयोग बताएँ।
हाइड्रोजन परॉक्साइड का उपयोग एक एंटीसेप्टिक के रूप में (पर्हाइड्रोल), विरंजन एजेंट के रूप में कागज, कपड़ा आदि को ब्लीच करने के लिए, और रॉकेट प्रणोदक में ऑक्सीकारक के रूप में होता है।
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हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था ऊर्जा का एक संभावित भविष्य का स्रोत है जहाँ हाइड्रोजन प्राथमिक ऊर्जा वाहक के रूप में कार्य करता है। इसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करना है क्योंकि हाइड्रोजन के दहन से केवल जल बनता है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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डाईहाइड्रोजन के औद्योगिक विरचन की विभिन्न विधियों का वर्णन करें।
डाईहाइड्रोजन का औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन विभिन्न तरीकों से किया जाता है। सबसे आम तरीकों में से एक जल का विद्युत अपघटन है, विशेष रूप से अम्लीकृत जल का। इस प्रक्रिया में, विद्युत धारा को जल से गुजारा जाता है, जिससे यह हाइड्रोजन गैस (कैथोड पर) और ऑक्सीजन गैस (एनोड पर) में विघटित हो जाता है: $2H_2O(l) \xrightarrow{\text{विद्युत अपघटन}} 2H_2(g) + O_2(g)$। यह विधि उच्च शुद्धता वाली हाइड्रोजन उत्पन्न करती है लेकिन ऊर्जा-गहन होती है।
एक और महत्वपूर्ण औद्योगिक विधि जल-गैस शिफ्ट अभिक्रिया है। इस विधि में, पहले भाप को गर्म कोक पर प्रवाहित करके "जल-गैस" (कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन का मिश्रण) तैयार की जाती है: $C(s) + H_2O(g) \xrightarrow{1270K} CO(g) + H_2(g)$। जल-गैस से अतिरिक्त हाइड्रोजन प्राप्त करने के लिए, कार्बन मोनोऑक्साइड को भाप के साथ लगभग 673 K पर आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया कराई जाती है: $CO(g) + H_2O(g) \xrightarrow{\text{FeCrO}_4\text{ catalyst, 673K}} CO_2(g) + H_2(g)$। इस अभिक्रिया को जल-गैस शिफ्ट अभिक्रिया कहते हैं। प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड को फिर अवशोषण द्वारा हटा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, पेट्रोलियम उत्पादों (जैसे मेथेन या अन्य हाइड्रोकार्बन) के भाप सुधार (steam reforming) द्वारा भी हाइड्रोजन का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। उदाहरण के लिए, मेथेन का भाप सुधार: $CH_4(g) + H_2O(g) \xrightarrow{\text{Ni catalyst, 1173K}} CO(g) + 3H_2(g)$। ये औद्योगिक विधियाँ विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन की आपूर्ति करती हैं।
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कठोर जल और मृदु जल में क्या अंतर है? स्थायी कठोरता को दूर करने की किसी एक विधि का विस्तृत वर्णन करें।
जल की कठोरता उसमें घुलनशील कैल्शियम ($Ca^{2+}$) और मैग्नीशियम ($Mg^{2+}$) आयनों की उपस्थिति के कारण होती है। **मृदु जल** वह जल होता है जिसमें ये आयन अनुपस्थित होते हैं या बहुत कम मात्रा में होते हैं, और यह साबुन के साथ आसानी से झाग देता है। इसके विपरीत, **कठोर जल** में ये आयन अधिक मात्रा में होते हैं और यह साबुन के साथ झाग बनाने में कठिनाई पैदा करता है, क्योंकि साबुन के आयन कठोरता पैदा करने वाले आयनों के साथ अघुलनशील अवक्षेप बनाते हैं (स्कम)। कठोरता दो प्रकार की होती है: अस्थायी और स्थायी। अस्थायी कठोरता बाइकार्बोनेट आयनों के कारण होती है, जबकि स्थायी कठोरता सल्फेट और क्लोराइड आयनों के कारण होती है।
स्थायी कठोरता को दूर करने के लिए कई विधियाँ हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण विधि **आयन-विनिमय विधि** या **ज़ियोलाइट/परम्यूटिट विधि** है। इस विधि में, सोडियम ज़ियोलाइट ($Na_2Al_2Si_2O_8 \cdot xH_2O$ या $Na_2Z$) का उपयोग किया जाता है। जब कठोर जल को ज़ियोलाइट बिस्तर पर से गुजारा जाता है, तो ज़ियोलाइट में मौजूद सोडियम आयन जल में मौजूद कठोरता पैदा करने वाले कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों द्वारा विस्थापित हो जाते हैं। प्रतिक्रियाएँ इस प्रकार होती हैं: $Na_2Z(s) + Ca^{2+}(aq) \rightarrow CaZ(s) + 2Na^+(aq)$ और $Na_2Z(s) + Mg^{2+}(aq) \rightarrow MgZ(s) + 2Na^+(aq)$। इस प्रक्रिया में, कठोरता पैदा करने वाले $Ca^{2+}$ और $Mg^{2+}$ आयन ज़ियोलाइट द्वारा अवशोषित हो जाते हैं और सोडियम आयन जल में चले जाते हैं, जिससे जल मृदु हो जाता है। जब ज़ियोलाइट अपनी क्षमता खो देता है (अर्थात, सभी $Na^+$ आयन विस्थापित हो जाते हैं), तो इसे सोडियम क्लोराइड के विलयन से उपचारित करके पुनर्जीवित किया जा सकता है: $CaZ(s) + 2NaCl(aq) \rightarrow Na_2Z(s) + CaCl_2(aq)$। यह विधि अत्यधिक प्रभावी है और इसका उपयोग घरेलू और औद्योगिक दोनों उद्देश्यों के लिए बड़े पैमाने पर जल को मृदु करने के लिए किया जाता है।
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