अध्याय 8: रेडॉक्स अभिक्रियाएँ (Redox Reactions)

परिचय

हमारे दैनिक जीवन में होने वाली कई रासायनिक अभिक्रियाएँ, जैसे जंग लगना, ईंधन का जलना, बैटरियों का काम करना, और यहाँ तक कि श्वसन भी, **रेडॉक्स अभिक्रियाओं** के उदाहरण हैं। रेडॉक्स अभिक्रियाएँ वे रासायनिक अभिक्रियाएँ हैं जिनमें परमाणुओं की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ बदलती हैं। इस अध्याय में, हम ऑक्सीकरण और अपचयन की अवधारणाओं को विस्तार से समझेंगे, ऑक्सीकरण संख्या निर्धारित करना सीखेंगे, और रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के विभिन्न तरीकों का अध्ययन करेंगे। हम रेडॉक्स अभिक्रियाओं के प्रकार और दैनिक जीवन में उनके अनुप्रयोगों पर भी चर्चा करेंगे।

8.1 ऑक्सीकरण और अपचयन की अवधारणाएँ (Concepts of Oxidation and Reduction)

ऑक्सीकरण और अपचयन की अवधारणा को समय के साथ विकसित किया गया है।

8.1.1 पारंपरिक अवधारणा (Classical Concept)

8.1.2 इलेक्ट्रॉनिक अवधारणा (Electronic Concept)

यह अवधारणा इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण पर आधारित है और आधुनिक रसायन विज्ञान में अधिक व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।

8.2 ऑक्सीकरण संख्या (Oxidation Number / Oxidation State)

ऑक्सीकरण संख्या एक अणु या आयन में एक परमाणु पर काल्पनिक आवेश है, यदि सभी बंध आयनिक होते। यह रेडॉक्स अभिक्रियाओं को पहचानने और उनका विश्लेषण करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

ऑक्सीकरण संख्या के नियम (Rules for Assigning Oxidation Numbers):

  1. मुक्त अवस्था में तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या: किसी भी तत्व की मुक्त या अनकंबाइंड अवस्था में ऑक्सीकरण संख्या **शून्य** होती है।
    • उदाहरण: $\text{H}_2$, $\text{O}_2$, $\text{Cl}_2$, $\text{Na}$, $\text{Fe}$ की ऑक्सीकरण संख्या 0 है।
  2. एकपरमाणुक आयनों की ऑक्सीकरण संख्या: एकपरमाणुक आयनों (जैसे $\text{Na}^+, \text{Mg}^{2+}, \text{Cl}^-$) की ऑक्सीकरण संख्या उनके आवेश के बराबर होती है।
  3. हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या: अधिकांश यौगिकों में हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या **+1** होती है।
    • धातु हाइड्राइड (जैसे $\text{NaH}$, $\text{CaH}_2$) में यह **-1** होती है।
  4. ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या: अधिकांश यौगिकों में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या **-2** होती है।
    • परॉक्साइड (जैसे $\text{H}_2\text{O}_2$, $\text{Na}_2\text{O}_2$) में यह **-1** होती है।
    • सुपरॉक्साइड (जैसे $\text{KO}_2$) में यह **-1/2** होती है।
    • ऑक्सीजन फ्लोराइड ($\text{OF}_2$) में यह **+2** होती है।
  5. समूह 1 के तत्वों (क्षार धातुएँ) की ऑक्सीकरण संख्या: हमेशा **+1** होती है।
  6. समूह 2 के तत्वों (क्षारीय मृदा धातुएँ) की ऑक्सीकरण संख्या: हमेशा **+2** होती है।
  7. हैलोजन की ऑक्सीकरण संख्या: फ्लोरीन की ऑक्सीकरण संख्या हमेशा **-1** होती है। अन्य हैलोजनों की ऑक्सीकरण संख्या -1 होती है जब वे अन्य हैलोजनों से अधिक विद्युतऋणात्मक तत्वों के साथ बंधे होते हैं, लेकिन वे +1, +3, +5, +7 जैसी धनात्मक ऑक्सीकरण संख्याएँ भी प्रदर्शित कर सकते हैं जब वे ऑक्सीजन या अधिक विद्युतऋणात्मक हैलोजन के साथ बंधे होते हैं।
  8. उदासीन अणु में ऑक्सीकरण संख्याओं का योग: एक उदासीन अणु में सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं का बीजगणितीय योग **शून्य** होता है।
  9. बहुपरमाणुक आयन में ऑक्सीकरण संख्याओं का योग: एक बहुपरमाणुक आयन में सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं का बीजगणितीय योग आयन के **कुल आवेश** के बराबर होता है।
Examples of calculating oxidation numbers in compounds.

8.3 रेडॉक्स अभिक्रियाओं के प्रकार (Types of Redox Reactions)

रेडॉक्स अभिक्रियाओं को कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

8.4 रेडॉक्स अभिक्रियाओं का संतुलन (Balancing Redox Reactions)

रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के लिए दो मुख्य विधियाँ हैं:

8.4.1 ऑक्सीकरण संख्या विधि (Oxidation Number Method)

इस विधि में ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन का उपयोग करके समीकरण को संतुलित किया जाता है।

  1. असंतुलित समीकरण लिखें।
  2. उन परमाणुओं को पहचानें जिनकी ऑक्सीकरण संख्या बदल रही है।
  3. प्रत्येक परमाणु के लिए ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन को निर्धारित करें।
  4. ऑक्सीकरण और अपचयन में कुल वृद्धि और कमी को बराबर करने के लिए गुणांक (coefficients) का उपयोग करें।
  5. आवेश को संतुलित करने के लिए $\text{H}^+$ (अम्लीय माध्यम में) या $\text{OH}^-$ (क्षारीय माध्यम में) जोड़ें।
  6. हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं को संतुलित करने के लिए $\text{H}_2\text{O}$ जोड़ें।

8.4.2 अर्ध-अभिक्रिया विधि (Half-Reaction Method) / आयन-इलेक्ट्रॉन विधि (Ion-Electron Method)

यह विधि अभिक्रिया को दो अर्ध-अभिक्रियाओं (एक ऑक्सीकरण और एक अपचयन) में विभाजित करती है, जिन्हें अलग-अलग संतुलित किया जाता है और फिर जोड़ा जाता है।

  1. असंतुलित समीकरण को आयनिक रूप में लिखें।
  2. ऑक्सीकरण और अपचयन अर्ध-अभिक्रियाओं में विभाजित करें।
  3. प्रत्येक अर्ध-अभिक्रिया को परमाणुओं और आवेश के लिए अलग-अलग संतुलित करें:
    • परमाणुओं को संतुलित करें:
      • O परमाणुओं को संतुलित करने के लिए $\text{H}_2\text{O}$ जोड़ें।
      • H परमाणुओं को संतुलित करने के लिए $\text{H}^+$ जोड़ें (अम्लीय माध्यम में)।
      • क्षारीय माध्यम में: $\text{H}^+$ को संतुलित करने के बाद, $\text{H}^+$ के समान संख्या में दोनों तरफ $\text{OH}^-$ जोड़ें। $\text{H}^+$ और $\text{OH}^-$ को $\text{H}_2\text{O}$ के रूप में संयोजित करें।
    • आवेश को संतुलित करें: इलेक्ट्रॉन जोड़कर आवेश को संतुलित करें।
  4. दोनों अर्ध-अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या को बराबर करने के लिए उपयुक्त गुणांकों से गुणा करें।
  5. दोनों अर्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ें और सामान्य पदों को रद्द करें।
  6. यदि आवश्यक हो तो दर्शक आयनों (spectator ions) को जोड़कर पूर्ण समीकरण प्राप्त करें।

8.5 रेडॉक्स अभिक्रियाओं के अनुप्रयोग (Applications of Redox Reactions)

रेडॉक्स अभिक्रियाओं का जीवन और उद्योग में व्यापक अनुप्रयोग है:

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. ऑक्सीकरण की इलेक्ट्रॉनिक अवधारणा क्या है?

    ऑक्सीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक परमाणु, आयन या अणु इलेक्ट्रॉन खोता है।

  2. अपचायक अभिकर्मक क्या होता है?

    अपचायक अभिकर्मक वह पदार्थ होता है जो दूसरे पदार्थ को अपचयित करता है और स्वयं इलेक्ट्रॉन खोकर ऑक्सीकृत होता है।

  3. मुक्त अवस्था में एक तत्व की ऑक्सीकरण संख्या क्या होती है?

    मुक्त अवस्था में (जैसे $\text{O}_2$, $\text{Na}$) एक तत्व की ऑक्सीकरण संख्या शून्य होती है।

  4. परॉक्साइड में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या क्या होती है?

    परॉक्साइड (जैसे $\text{H}_2\text{O}_2$) में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या -1 होती है।

  5. एक ऐसी अभिक्रिया का उदाहरण दें जहाँ एक ही तत्व ऑक्सीकृत और अपचयित होता है।

    विषमानुपातन अभिक्रिया, उदाहरण के लिए, $2\text{H}_2\text{O}_2 \rightarrow 2\text{H}_2\text{O} + \text{O}_2$, जहाँ ऑक्सीजन ऑक्सीकृत और अपचयित दोनों होता है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. ऑक्सीकरण और अपचयन की पारंपरिक अवधारणा को संक्षेप में समझाएं।

    पारंपरिक अवधारणा के अनुसार, ऑक्सीकरण ऑक्सीजन का जुड़ना या हाइड्रोजन का निकलना है। इसके विपरीत, अपचयन हाइड्रोजन का जुड़ना या ऑक्सीजन का निकलना है। ये परिभाषाएँ कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए उपयोगी हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण के व्यापक विचार को शामिल नहीं करतीं।

  2. ऑक्सीकारक और अपचायक अभिकर्मक में अंतर स्पष्ट करें।

    ऑक्सीकारक (ऑक्सीडाइज़िंग एजेंट) वह पदार्थ है जो दूसरे पदार्थ को ऑक्सीकृत करता है और स्वयं इलेक्ट्रॉन प्राप्त करके अपचयित होता है। अपचायक (रिड्यूसिंग एजेंट) वह पदार्थ है जो दूसरे पदार्थ को अपचयित करता है और स्वयं इलेक्ट्रॉन खोकर ऑक्सीकृत होता है।

  3. $\text{K}_2\text{Cr}_2\text{O}_7$ में क्रोमियम की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करें।

    $\text{K}_2\text{Cr}_2\text{O}_7$ में पोटेशियम की ऑक्सीकरण संख्या +1 और ऑक्सीजन की -2 होती है। $2(+1) + 2(\text{Cr}) + 7(-2) = 0 \Rightarrow 2 + 2\text{Cr} - 14 = 0 \Rightarrow 2\text{Cr} = 12 \Rightarrow \text{Cr} = +6$। अतः, क्रोमियम की ऑक्सीकरण संख्या +6 है।

  4. एक विस्थापन रेडॉक्स अभिक्रिया का उदाहरण दें।

    एक विस्थापन रेडॉक्स अभिक्रिया का उदाहरण $\text{CuSO}_4\text{(aq)} + \text{Zn(s)} \rightarrow \text{ZnSO}_4\text{(aq)} + \text{Cu(s)}$ है। यहाँ, जस्ता (Zn) तांबे (Cu) को उसके लवण विलयन से विस्थापित करता है, जहाँ Zn ऑक्सीकृत होता है और Cu अपचयित होता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. ऑक्सीकरण संख्या विधि का उपयोग करके रेडॉक्स अभिक्रिया को कैसे संतुलित किया जाता है, संक्षेप में समझाएं।

    ऑक्सीकरण संख्या विधि रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करती है। सबसे पहले, असंतुलित समीकरण लिखा जाता है और उन परमाणुओं को पहचाना जाता है जिनकी ऑक्सीकरण संख्या बदल रही है। इसके बाद, प्रत्येक परमाणु के लिए ऑक्सीकरण संख्या में कुल वृद्धि (ऑक्सीकरण के लिए) और कमी (अपचयन के लिए) निर्धारित की जाती है। अगला महत्वपूर्ण कदम यह सुनिश्चित करना है कि ऑक्सीकरण संख्या में कुल वृद्धि और कुल कमी बराबर हो। यह उपयुक्त गुणांकों का उपयोग करके प्राप्त किया जाता है, जिन्हें रासायनिक सूत्र के सामने जोड़ा जाता है।

    गुणांकों को समायोजित करने के बाद, आवेश को संतुलित किया जाता है। अम्लीय माध्यम में, आवेश को संतुलित करने के लिए $\text{H}^+$ आयन जोड़े जाते हैं, जबकि क्षारीय माध्यम में, $\text{OH}^-$ आयन का उपयोग किया जाता है। अंत में, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं को संतुलित करने के लिए जल ($\text{H}_2\text{O}$) के अणुओं को समीकरण के उपयुक्त तरफ जोड़ा जाता है। यह विधि सुनिश्चित करती है कि न केवल परमाणुओं की संख्या दोनों तरफ समान हो, बल्कि आवेश भी संतुलित हो, जो एक रेडॉक्स अभिक्रिया के लिए आवश्यक है। यह विधि विशेष रूप से उन जटिल रेडॉक्स अभिक्रियाओं के लिए उपयोगी है जहाँ इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण स्पष्ट रूप से नहीं दिखता।

  2. अर्ध-अभिक्रिया विधि (आयन-इलेक्ट्रॉन विधि) का उपयोग करके रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के चरणों का वर्णन करें।

    अर्ध-अभिक्रिया विधि, जिसे आयन-इलेक्ट्रॉन विधि भी कहा जाता है, रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने का एक शक्तिशाली तरीका है, खासकर जब अभिक्रियाएँ आयनिक रूप में होती हैं। इस विधि में, पूरी रेडॉक्स अभिक्रिया को दो अलग-अलग अर्ध-अभिक्रियाओं में तोड़ा जाता है: एक ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया (जहाँ इलेक्ट्रॉन खो जाते हैं) और एक अपचयन अर्ध-अभिक्रिया (जहाँ इलेक्ट्रॉन प्राप्त होते हैं)। इन दोनों अर्ध-अभिक्रियाओं को फिर अलग-अलग संतुलित किया जाता है। सबसे पहले, प्रत्येक अर्ध-अभिक्रिया में शामिल परमाणुओं को संतुलित किया जाता है। ऑक्सीजन परमाणुओं को संतुलित करने के लिए $\text{H}_2\text{O}$ अणु जोड़े जाते हैं, और हाइड्रोजन परमाणुओं को संतुलित करने के लिए $\text{H}^+$ आयन जोड़े जाते हैं (यदि अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में हो)। यदि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में है, तो $\text{H}^+$ को संतुलित करने के बाद, $\text{H}^+$ की समान संख्या में $\text{OH}^-$ आयन दोनों तरफ जोड़े जाते हैं, और $\text{H}^+$ तथा $\text{OH}^-$ को $\text{H}_2\text{O}$ में संयोजित किया जाता है।

    परमाणुओं को संतुलित करने के बाद, प्रत्येक अर्ध-अभिक्रिया में आवेश को इलेक्ट्रॉनों को जोड़कर संतुलित किया जाता है। ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन उत्पाद की तरफ होते हैं, और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन अभिकारक की तरफ होते हैं। इसके बाद, दोनों अर्ध-अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या को बराबर किया जाता है, जिसके लिए आवश्यक होने पर पूरी अर्ध-अभिक्रिया को एक उपयुक्त गुणांक से गुणा किया जाता है। अंत में, दोनों संतुलित अर्ध-अभिक्रियाओं को एक साथ जोड़ा जाता है, और जो भी समान पद (जैसे इलेक्ट्रॉन, $\text{H}_2\text{O}$, या $\text{H}^+$) दोनों तरफ हों, उन्हें रद्द कर दिया जाता है। यह विधि सुनिश्चित करती है कि द्रव्यमान और आवेश दोनों समीकरण के दोनों ओर संतुलित हों।

  3. दैनिक जीवन में रेडॉक्स अभिक्रियाओं के कुछ महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों पर चर्चा करें।

    रेडॉक्स अभिक्रियाएँ हमारे दैनिक जीवन और विभिन्न उद्योगों में सर्वव्यापी हैं। ऊर्जा उत्पादन इसका एक प्रमुख उदाहरण है। ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस का जलना (दहन) अनिवार्य रूप से रेडॉक्स अभिक्रियाएँ हैं, जिनमें ईंधन ऑक्सीकृत होता है और ऑक्सीजन अपचयित होता है, जिससे ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसी तरह, हमारे शरीर में होने वाला श्वसन भी एक जटिल रेडॉक्स प्रक्रिया है जहाँ ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है और ऊर्जा मुक्त होती है जो जैविक कार्यों के लिए उपयोग की जाती है।

    बैटरी और इलेक्ट्रोकेमिकल सेल रेडॉक्स अभिक्रियाओं के प्रत्यक्ष अनुप्रयोग हैं। ये उपकरण रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं या इसके विपरीत, ऑक्सीकरण-अपचयन प्रक्रियाओं के माध्यम से। उदाहरण के लिए, एक सामान्य ड्राई सेल या लेड-एसिड बैटरी में, धातुओं का ऑक्सीकरण और अन्य पदार्थों का अपचयन होता है जिससे इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होता है। धातुओं का संक्षारण (जैसे लोहे में जंग लगना) भी एक अवांछित रेडॉक्स अभिक्रिया है जहाँ धातु वायुमंडलीय ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आकर धीरे-धीरे ऑक्सीकृत होती है। इसके अतिरिक्त, धातु विज्ञान में अयस्कों से शुद्ध धातुओं का निष्कर्षण (जैसे बॉक्साइट से एल्यूमीनियम या हेमेटाइट से लोहा) और पानी के शुद्धिकरण में क्लोरीन या ओजोन का उपयोग भी रेडॉक्स अभिक्रियाओं पर आधारित होते हैं। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि रेडॉक्स अभिक्रियाएँ हमारे पर्यावरण और प्रौद्योगिकी के कई पहलुओं को कैसे प्रभावित करती हैं।


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