अध्याय 6: ऊष्मागतिकी (Thermodynamics)

परिचय

**ऊष्मागतिकी (Thermodynamics)** विज्ञान की वह शाखा है जो ऊर्जा के विभिन्न रूपों के बीच संबंधों और ऊर्जा परिवर्तनों के साथ होने वाले भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों से संबंधित है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि कोई प्रक्रिया स्वतः प्रवर्तित होगी या नहीं और अभिक्रिया में कितनी ऊर्जा का आदान-प्रदान होगा। यह अध्याय ऊष्मागतिकी की मूलभूत अवधारणाओं, ऊष्मागतिकी के नियमों और विभिन्न ऊष्मागतिक फलनों (जैसे एन्थैल्पी, एन्ट्रॉपी, गिब्स ऊर्जा) के अनुप्रयोगों पर केंद्रित होगा।

6.1 ऊष्मागतिकी के पद (Thermodynamic Terms)

6.2 आंतरिक ऊर्जा (Internal Energy - U or E)

आंतरिक ऊर्जा निकाय में सभी प्रकार की ऊर्जाओं (गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, कंपन ऊर्जा, घूर्णन ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, आदि) का योग होती है। यह एक **अवस्था फलन** है। आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन ($\Delta U$) दो तरीकों से हो सकता है: ऊष्मा (q) और कार्य (w) के आदान-प्रदान से।

$$ \Delta U = q + w $$

(जहाँ $q$ निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा है, $w$ निकाय पर किया गया कार्य है)।

6.3 ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of Thermodynamics)

**ऊर्जा संरक्षण का नियम** भी कहलाता है: "ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।" एक विलगित निकाय की कुल ऊर्जा स्थिर रहती है। गणितीय रूप से: $$ \Delta U = q + w $$

6.4 कार्य (Work - w)

रासायनिक ऊष्मागतिकी में, सबसे आम प्रकार का कार्य दाब-आयतन (PV) कार्य है, विशेषकर गैसों के विस्तार या संपीड़न से जुड़ा कार्य।

$$ w = -P_{बाह्य} \Delta V $$

(जहाँ $P_{बाह्य}$ बाहरी दाब है, $\Delta V$ आयतन में परिवर्तन है। ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि यदि आयतन बढ़ता है ($\Delta V > 0$), तो निकाय द्वारा कार्य किया जाता है ($w < 0$) और उसकी आंतरिक ऊर्जा घटती है।)

6.5 एन्थैल्पी (Enthalpy - H)

अधिकांश रासायनिक अभिक्रियाएँ स्थिर दाब पर होती हैं। ऐसी परिस्थितियों में ऊष्मा परिवर्तन को मापने के लिए एक नया अवस्था फलन, एन्थैल्पी (H) परिभाषित किया गया है।

$$ H = U + PV $$

स्थिर दाब पर एन्थैल्पी परिवर्तन ($\Delta H$) ऊष्मा परिवर्तन ($q_p$) के बराबर होता है:

$$ \Delta H = q_p $$

एन्थैल्पी परिवर्तन अभिक्रिया की ऊष्मा या एन्थैल्पी को इंगित करता है।

6.6 एन्थैल्पी परिवर्तनों का मापन (Measurement of Enthalpy Changes)

**कैलोरीमिति (Calorimetry):** ऊष्मा परिवर्तनों को मापने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रायोगिक तकनीक।

6.7 मानक एन्थैल्पी परिवर्तन (Standard Enthalpies of Reactions)

विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए मानक एन्थैल्पी परिवर्तनों को परिभाषित किया गया है। 'मानक' का अर्थ है 1 बार दाब पर और विशिष्ट तापमान (आमतौर पर 298 K)।

**हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन का नियम (Hess's Law of Constant Heat Summation):** यदि एक अभिक्रिया एक से अधिक चरणों में होती है, तो कुल एन्थैल्पी परिवर्तन चरणों के व्यक्तिगत एन्थैल्पी परिवर्तनों का योग होता है। यह नियम बताता है कि एन्थैल्पी परिवर्तन पथ पर निर्भर नहीं करता है।

$$ \Delta_r H^\circ = \sum \Delta_f H^\circ (\text{उत्पाद}) - \sum \Delta_f H^\circ (\text{अभिकारक}) $$

6.8 स्वतः प्रवर्तता (Spontaneity)

एक स्वतः प्रवर्तित प्रक्रिया वह है जो बाहरी सहायता के बिना होती है। स्वतः प्रवर्तता के लिए दो मुख्य कारक हैं: एन्थैल्पी (ऊर्जा में कमी) और एन्ट्रॉपी (यादृच्छिकता में वृद्धि)।

6.9 एन्ट्रॉपी (Entropy - S)

एन्ट्रॉपी निकाय की अव्यवस्था या यादृच्छिकता का माप है। यह एक अवस्था फलन है।

6.10 ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Second Law of Thermodynamics)

"एक स्वतः प्रवर्तित प्रक्रिया में, ब्रह्मांड की कुल एन्ट्रॉपी बढ़ती है।" $$ \Delta S_{ब्रह्मांड} = \Delta S_{निकाय} + \Delta S_{परिवेश} > 0 $$ एक स्वतः प्रवर्तित प्रक्रिया के लिए, $\Delta S_{ब्रह्मांड}$ हमेशा धनात्मक होना चाहिए।

6.11 गिब्स ऊर्जा (Gibbs Energy - G)

गिब्स ऊर्जा (या गिब्स मुक्त ऊर्जा) एक ऊष्मागतिक फलन है जो स्थिर तापमान और दाब पर स्वतः प्रवर्तता का निर्धारण करता है। यह एक अवस्था फलन है।

$$ G = H - TS $$

स्थिर तापमान और दाब पर गिब्स ऊर्जा में परिवर्तन ($\Delta G$) इस प्रकार दिया जाता है:

$$ \Delta G = \Delta H - T\Delta S $$

जहाँ $T$ केल्विन में तापमान है।

स्वतः प्रवर्तता के लिए गिब्स ऊर्जा का मानदंड:

तापमान $\Delta G$ के मान और स्वतः प्रवर्तता को प्रभावित करता है, खासकर जब $\Delta H$ और $\Delta S$ के संकेत विपरीत होते हैं।

6.12 ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम (Third Law of Thermodynamics)

"पूर्ण शून्य तापमान (0 K) पर, एक पूर्ण क्रिस्टलीय ठोस की एन्ट्रॉपी शून्य होती है।" यह हमें विभिन्न पदार्थों की निरपेक्ष एन्ट्रॉपी मानों की गणना करने में मदद करता है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. ऊष्मागतिकी क्या है?

    ऊष्मागतिकी विज्ञान की वह शाखा है जो ऊर्जा के विभिन्न रूपों के बीच संबंधों और ऊर्जा परिवर्तनों के साथ होने वाले भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन करती है।

  2. एक खुला निकाय किसे कहते हैं?

    एक खुला निकाय वह होता है जो परिवेश के साथ ऊर्जा और पदार्थ दोनों का आदान-प्रदान कर सकता है।

  3. प्रथम नियम के अनुसार आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन का सूत्र क्या है?

    प्रथम नियम के अनुसार आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन का सूत्र $\Delta U = q + w$ है, जहाँ $q$ ऊष्मा और $w$ कार्य है।

  4. एन्थैल्पी की इकाई क्या है?

    एन्थैल्पी की इकाई जूल (J) या किलो-जूल (kJ) होती है।

  5. एन्ट्रॉपी क्या मापती है?

    एन्ट्रॉपी किसी निकाय की अव्यवस्था या यादृच्छिकता (disorder or randomness) का माप है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. अवस्था फलन और पथ फलन में अंतर स्पष्ट करें।

    अवस्था फलन वे गुण होते हैं जिनका मान निकाय की वर्तमान अवस्था पर निर्भर करता है, न कि उस पथ पर जिससे वह अवस्था प्राप्त हुई है (जैसे $P, V, T, U, H, S, G$)। पथ फलन वे गुण होते हैं जिनका मान प्रक्रिया के पथ पर निर्भर करता है (जैसे ऊष्मा $q$ और कार्य $w$)।

  2. ऊष्माक्षेपी और ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं में क्या अंतर है?

    ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं में ऊष्मा निकाय से परिवेश में मुक्त होती है ($\Delta H < 0$), जबकि ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं में ऊष्मा परिवेश से निकाय द्वारा अवशोषित की जाती है ($\Delta H > 0$)।

  3. हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन का नियम समझाएँ।

    हेस का नियम कहता है कि यदि एक अभिक्रिया एक या अधिक चरणों में होती है, तो कुल एन्थैल्पी परिवर्तन उन सभी व्यक्तिगत चरणों के एन्थैल्पी परिवर्तनों का बीजगणितीय योग होता है। यह पथ पर निर्भर नहीं करता।

  4. गिब्स ऊर्जा का स्वतः प्रवर्तता के लिए क्या मानदंड है?

    स्थिर $T$ और $P$ पर, यदि $\Delta G < 0$, तो प्रक्रिया स्वतः प्रवर्तित है; यदि $\Delta G > 0$, तो प्रक्रिया स्वतः प्रवर्तित नहीं है; और यदि $\Delta G = 0$, तो प्रक्रिया साम्यावस्था में है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को उदाहरण सहित समझाएँ और इसकी सीमाओं पर भी प्रकाश डालें।

    ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम, जिसे ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहते हैं, यह बताता है कि ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है; इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। गणितीय रूप से, इसे $\Delta U = q + w$ के रूप में व्यक्त किया जाता है, जहाँ $\Delta U$ आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन है, $q$ निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा है, और $w$ निकाय पर किया गया कार्य है। उदाहरण के लिए, जब एक इंजन में ईंधन जलता है, तो रासायनिक ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित होती है, जो फिर यांत्रिक कार्य करने के लिए उपयोग की जाती है। इस प्रक्रिया में, ऊर्जा की कुल मात्रा ब्रह्मांड में स्थिर रहती है। एक बंद निकाय में, यदि निकाय को ऊष्मा दी जाती है (q धनात्मक) और उस पर कार्य किया जाता है (w धनात्मक), तो उसकी आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

    हालांकि ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा के संरक्षण के बारे में एक महत्वपूर्ण बयान देता है, इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं। यह नियम यह नहीं बताता कि कोई विशेष प्रक्रिया स्वतः प्रवर्तित होगी या नहीं। उदाहरण के लिए, एक गर्म वस्तु का ठंडे परिवेश में ठंडा होना स्वतः प्रवर्तित है, लेकिन ठंडी वस्तु का स्वतः ही गर्म होना नहीं। प्रथम नियम दोनों प्रक्रियाओं में ऊर्जा के संरक्षण की अनुमति देता है, लेकिन यह हमें दिशा नहीं बताता। यह ऊष्मा के प्रवाह की दिशा, अर्थात ऊष्मा हमेशा उच्च तापमान से निम्न तापमान की ओर क्यों बहती है, के बारे में कोई जानकारी नहीं देता। यह नियम यह भी नहीं बताता कि कितनी ऊर्जा को उपयोगी कार्य में परिवर्तित किया जा सकता है। इन सीमाओं को दूर करने के लिए ऊष्मागतिकी के द्वितीय और तृतीय नियम की आवश्यकता पड़ती है, जो प्रक्रियाओं की स्वतः प्रवर्तता और दिशा को समझाने में मदद करते हैं।

  2. एन्थैल्पी, एन्ट्रॉपी और गिब्स मुक्त ऊर्जा को परिभाषित करें और समझाएँ कि ये स्वतः प्रवर्तता से कैसे संबंधित हैं।

    **एन्थैल्पी (H)** एक ऊष्मागतिक अवस्था फलन है जिसे $H = U + PV$ के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह स्थिर दाब पर होने वाले ऊष्मा परिवर्तनों का माप है। एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के लिए, एन्थैल्पी परिवर्तन ($\Delta H$) ऋणात्मक होता है, जिसका अर्थ है कि अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा मुक्त होती है। एक ऊष्माशोषी अभिक्रिया के लिए, $\Delta H$ धनात्मक होता है, जिसका अर्थ है कि अभिक्रिया के लिए ऊष्मा अवशोषित होती है। एक प्रक्रिया के स्वतः प्रवर्तित होने के लिए, ऊर्जा का कम होना (यानी, एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया) अनुकूल होता है, क्योंकि यह एक अधिक स्थिर अवस्था की ओर ले जाता है।

    **एन्ट्रॉपी (S)** एक ऊष्मागतिक अवस्था फलन है जो निकाय की अव्यवस्था या यादृच्छिकता का माप है। यह ब्रह्मांड की कुल एन्ट्रॉपी की वृद्धि से संबंधित ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम का एक महत्वपूर्ण घटक है। प्राकृतिक रूप से, निकाय अधिक अव्यवस्थित होने की ओर प्रवृत्त होते हैं। उदाहरण के लिए, ठोसों की तुलना में गैसों की एन्ट्रॉपी अधिक होती है। एक स्वतः प्रवर्तित प्रक्रिया में, ब्रह्मांड की कुल एन्ट्रॉपी (निकाय और परिवेश की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन का योग) हमेशा बढ़ती है ($\Delta S_{ब्रह्मांड} > 0$)। इस प्रकार, एन्ट्रॉपी में वृद्धि भी स्वतः प्रवर्तता के लिए एक अनुकूल कारक है।

    **गिब्स मुक्त ऊर्जा (G)** एक ऊष्मागतिक अवस्था फलन है जो स्वतः प्रवर्तता के लिए सबसे व्यापक मानदंड प्रदान करता है, विशेष रूप से स्थिर तापमान और दाब पर होने वाली प्रक्रियाओं के लिए। इसे $G = H - TS$ के रूप में परिभाषित किया जाता है, और इसका परिवर्तन $\Delta G = \Delta H - T\Delta S$ द्वारा दिया जाता है। स्वतः प्रवर्तता के लिए, गिब्स ऊर्जा में परिवर्तन $\Delta G$ ऋणात्मक होना चाहिए। यदि $\Delta G < 0$, तो प्रक्रिया स्वतः प्रवर्तित है; यदि $\Delta G > 0$, तो यह स्वतः प्रवर्तित नहीं है; और यदि $\Delta G = 0$, तो निकाय साम्यावस्था में है। गिब्स ऊर्जा एन्थैल्पी (ऊर्जा घटक) और एन्ट्रॉपी (अव्यवस्था घटक) दोनों को ध्यान में रखती है। कम तापमान पर $\Delta H$ हावी होता है, जबकि उच्च तापमान पर $T\Delta S$ पद अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, जिससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि तापमान कैसे अभिक्रियाओं की स्वतः प्रवर्तता को प्रभावित कर सकता है। यह ऊर्जा और अव्यवस्था के बीच संतुलन स्थापित करके स्वतः प्रवर्तता का एक संपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है।


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