अध्याय 5: द्रव्य की अवस्थाएँ (States of Matter)
परिचय
पदार्थ हमारे आस-पास विभिन्न रूपों में मौजूद होता है, जिन्हें हम **द्रव्य की अवस्थाएँ** कहते हैं। मुख्य रूप से ये ठोस, द्रव और गैस हैं। इन अवस्थाओं में पदार्थ के कणों की व्यवस्था और उनके बीच के अंतरा-आणविक बल भिन्न होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके भौतिक गुणों में अंतर आता है। इस अध्याय में, हम द्रव्य की इन विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से अध्ययन करेंगे, खासकर गैसों और द्रवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए।
5.1 अंतरा-आणविक बल (Intermolecular Forces)
पदार्थ के कणों (अणुओं, परमाणुओं या आयनों) के बीच लगने वाले आकर्षक और प्रतिकर्षक बलों को **अंतरा-आणविक बल** कहते हैं। ये बल पदार्थ की अवस्था और उसके भौतिक गुणों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अंतरा-आणविक बल सहसंयोजक या आयनिक बंधों की तुलना में बहुत कमजोर होते हैं।
5.1.1 वान् डर वाल्स बल (Van der Waals Forces)
ये कमजोर आकर्षक बल हैं जो उदासीन अणुओं के बीच मौजूद होते हैं। इनके विभिन्न प्रकार हैं:
- **लंदन बल (London Forces) या परिक्षेपण बल (Dispersion Forces):** ये सबसे कमजोर वान् डर वाल्स बल होते हैं और सभी अणुओं (ध्रुवीय और अध्रुवीय) के बीच उत्पन्न होते हैं। ये क्षणिक द्विध्रुवों के बनने के कारण होते हैं।
- **द्विध्रुव-द्विध्रुव बल (Dipole-Dipole Forces):** ये ध्रुवीय अणुओं के बीच मौजूद होते हैं जहाँ स्थायी द्विध्रुव होते हैं। विपरीत आवेश वाले सिरों के बीच आकर्षण होता है।
- **द्विध्रुव-प्रेरित द्विध्रुव बल (Dipole-Induced Dipole Forces):** ये एक स्थायी द्विध्रुवीय अणु और एक अध्रुवीय अणु के बीच होते हैं। स्थायी द्विध्रुव अध्रुवीय अणु में एक क्षणिक द्विध्रुव उत्पन्न करता है।
5.1.2 हाइड्रोजन बंध (Hydrogen Bonding)
यह एक विशेष प्रकार का द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण है जो तब होता है जब हाइड्रोजन परमाणु एक अत्यधिक विद्युत्-ऋणात्मक परमाणु (जैसे F, O, या N) से जुड़ा होता है। यह अपेक्षाकृत मजबूत अंतरा-आणविक बल है, जो पानी के कई अद्वितीय गुणों के लिए जिम्मेदार है।
5.2 गैस अवस्था (The Gaseous State)
गैसें द्रव्य की वह अवस्था हैं जहाँ अंतरा-आणविक बल बहुत कमजोर होते हैं और कणों के बीच बहुत अधिक खाली स्थान होता है। गैसों के कुछ विशिष्ट गुण हैं:
- निश्चित आकार और आयतन नहीं होता।
- संपीड्यता (Compressibility) उच्च होती है।
- कम घनत्व।
- कणों के बीच तीव्र यादृच्छिक गति।
5.2.1 गैस नियम (Gas Laws)
ये नियम गैसों के व्यवहार को दाब, आयतन, तापमान और मोलों की संख्या के संबंध में वर्णित करते हैं:
- **बॉयल का नियम (Boyle's Law):** स्थिर तापमान पर, गैस की एक निश्चित मात्रा का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है। $$ V \propto \frac{1}{P} \quad \text{या} \quad P_1V_1 = P_2V_2 $$
- **चार्ल्स का नियम (Charles's Law):** स्थिर दाब पर, गैस की एक निश्चित मात्रा का आयतन उसके परम तापमान के सीधे आनुपापाती होता है। $$ V \propto T \quad \text{या} \quad \frac{V_1}{T_1} = \frac{V_2}{T_2} $$
- **गे-लुसाक का नियम (Gay-Lussac's Law):** स्थिर आयतन पर, गैस की एक निश्चित मात्रा का दाब उसके परम तापमान के सीधे आनुपातिक होता है। $$ P \propto T \quad \text{या} \quad \frac{P_1}{T_1} = \frac{P_2}{T_2} $$
- **एवोगेड्रो का नियम (Avogadro's Law):** स्थिर तापमान और दाब पर, गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है (या मोलों की संख्या आयतन के सीधे आनुपातिक होती है)। $$ V \propto n \quad \text{या} \quad \frac{V_1}{n_1} = \frac{V_2}{n_2} $$
5.2.2 आदर्श गैस समीकरण (Ideal Gas Equation)
उपरोक्त सभी गैस नियमों को एक ही समीकरण में संयोजित किया जा सकता है, जिसे **आदर्श गैस समीकरण** कहते हैं:
$$ PV = nRT $$जहाँ $P$ दाब, $V$ आयतन, $n$ मोलों की संख्या, $R$ सार्वभौमिक गैस स्थिरांक ($8.314 \text{ J K}^{-1} \text{ mol}^{-1}$ या $0.0821 \text{ L atm K}^{-1} \text{ mol}^{-1}$), और $T$ परम तापमान (केल्विन में) है।
5.2.3 डाल्टन का आंशिक दाब का नियम (Dalton's Law of Partial Pressures)
किसी भी तापमान पर, एक गैसीय मिश्रण का कुल दाब, जो आपस में अभिक्रिया नहीं करती हैं, मिश्रण में मौजूद प्रत्येक गैस के आंशिक दाब के योग के बराबर होता है।
$$ P_{\text{total}} = P_1 + P_2 + P_3 + \ldots $$जहाँ $P_{\text{total}}$ कुल दाब और $P_1, P_2, \ldots$ विभिन्न गैसों के आंशिक दाब हैं।
5.2.4 गैसों का अणुगति सिद्धांत (Kinetic Theory of Gases)
यह सिद्धांत गैसों के मैक्रोस्कोपिक गुणों को उनके संघटक अणुओं की सूक्ष्म गति से जोड़ता है (इसकी विस्तृत चर्चा पहले ही हो चुकी है - अध्याय 13: अणुगति सिद्धांत)। इसकी मुख्य अभिधारणाएँ हैं कि गैसें बिंदु द्रव्यमान वाले कणों से बनी होती हैं जो लगातार यादृच्छिक गति में होते हैं, उनके बीच कोई बल नहीं होता है, और सभी टक्करें प्रत्यास्थ होती हैं। गैस के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा परम तापमान के सीधे आनुपातिक होती है।
5.2.5 वास्तविक गैसों का व्यवहार (Behaviour of Real Gases)
वास्तविक गैसें आदर्श गैस व्यवहार से विचलित होती हैं, खासकर उच्च दाब और कम तापमान पर। यह इसलिए होता है क्योंकि आदर्श गैस समीकरण दो अभिधारणाओं को अनदेखा करता है:
- अणुओं का आयतन नगण्य है।
- अणुओं के बीच कोई अंतरा-आणविक बल नहीं हैं।
**वान् डर वाल्स समीकरण (Van der Waals Equation)** वास्तविक गैसों के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझाने के लिए एक संशोधन प्रदान करता है:
$$ \left( P + \frac{an^2}{V^2} \right) (V - nb) = nRT $$जहाँ $a$ और $b$ वान् डर वाल्स स्थिरांक हैं जो गैस की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। $a$ अंतरा-आणविक आकर्षण बलों को ठीक करता है और $b$ अणुओं के आयतन को ठीक करता है।
**संपीड्यता गुणांक (Compressibility Factor - Z):** आदर्श गैस व्यवहार से विचलन को मापने के लिए संपीड्यता गुणांक ($Z$) का उपयोग किया जाता है।
$$ Z = \frac{PV}{nRT} $$आदर्श गैसों के लिए $Z=1$ होता है। वास्तविक गैसों के लिए $Z$ का मान $1$ से भिन्न होता है ($Z<1$ आकर्षण बलों के प्रभुत्व को दर्शाता है; $Z>1$ प्रतिकर्षण बलों के प्रभुत्व को दर्शाता है)।
5.3 द्रव अवस्था (The Liquid State)
द्रव अवस्था ठोस और गैस के बीच की मध्यवर्ती अवस्था है। द्रवों में कण ठोसों की तुलना में कम कसकर बंधे होते हैं लेकिन गैसों की तुलना में अधिक कसकर बंधे होते हैं।
- निश्चित आयतन होता है लेकिन निश्चित आकार नहीं होता (पात्र का आकार ले लेता है)।
- कम संपीड्य।
- तरल (fluidity) होते हैं।
5.3.1 द्रवों के गुण (Properties of Liquids)
- **वाष्प दाब (Vapour Pressure):** एक बंद पात्र में दिए गए तापमान पर तरल और उसकी वाष्प के बीच साम्यावस्था में वाष्प द्वारा डाला गया दाब।
- **पृष्ठ तनाव (Surface Tension):** तरल की सतह के अणुओं पर लगने वाले अंदरूनी आकर्षण बलों के कारण सतह का न्यूनतम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति। यह तरल सतह को एक खींची हुई झिल्ली की तरह व्यवहार कराता है।
- **श्यानता (Viscosity):** तरल की परतों के बीच घर्षण के कारण तरल के प्रवाह के प्रतिरोध का माप। अधिक श्यानता वाले तरल पदार्थ अधिक धीरे बहते हैं।
5.4 ठोस अवस्था (The Solid State)
ठोस अवस्था में, कण कसकर बंधे होते हैं और उनके बीच अंतरा-आणविक बल बहुत मजबूत होते हैं। कण केवल अपनी माध्य स्थिति के आसपास दोलन कर सकते हैं।
- निश्चित आकार और आयतन होता है।
- कम संपीड्य।
- अनाकार (Amorphous) या क्रिस्टलीय (Crystalline) हो सकते हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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द्रव्य की तीन मुख्य अवस्थाएँ क्या हैं?
द्रव्य की तीन मुख्य अवस्थाएँ ठोस, द्रव और गैस हैं।
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वान् डर वाल्स बल क्या हैं?
वान् डर वाल्स बल वे कमजोर आकर्षक बल हैं जो उदासीन अणुओं के बीच मौजूद होते हैं।
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बॉल्स का नियम क्या बताता है?
बॉल्स का नियम बताता है कि स्थिर तापमान पर, गैस की एक निश्चित मात्रा का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
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आदर्श गैस समीकरण लिखें।
आदर्श गैस समीकरण है: $PV = nRT$।
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पृष्ठ तनाव को परिभाषित करें।
पृष्ठ तनाव तरल की सतह के अणुओं पर लगने वाले अंदरूनी आकर्षण बलों के कारण सतह का न्यूनतम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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हाइड्रोजन बंध क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
हाइड्रोजन बंध एक विशेष प्रकार का द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण है जो तब होता है जब हाइड्रोजन परमाणु एक अत्यधिक विद्युत्-ऋणात्मक परमाणु (F, O, N) से जुड़ा होता है। यह पानी के अद्वितीय गुणों, जैसे उच्च क्वथनांक, के लिए जिम्मेदार है।
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चार्ल्स का नियम और गे-लुसाक का नियम क्या अंतर रखते हैं?
चार्ल्स का नियम स्थिर दाब पर आयतन और तापमान के संबंध को बताता है, जबकि गे-लुसाक का नियम स्थिर आयतन पर दाब और तापमान के संबंध को बताता है। दोनों में तापमान परम होना चाहिए।
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वास्तविक गैसें आदर्श गैस व्यवहार से क्यों विचलित होती हैं?
वास्तविक गैसें आदर्श गैस व्यवहार से इसलिए विचलित होती हैं क्योंकि वे अंतरा-आणविक बलों की उपस्थिति और अणुओं के परिमित आयतन की उपेक्षा नहीं कर सकतीं, खासकर उच्च दाब और कम तापमान पर।
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श्यानता को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?
श्यानता मुख्य रूप से अंतरा-आणविक बलों की प्रबलता, तापमान (तापमान बढ़ने पर श्यानता घटती है) और अणुओं के आकार तथा आकृति से प्रभावित होती है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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गैसों के नियमों (बॉल्स, चार्ल्स, गे-लुसाक और एवोगेड्रो के नियम) की व्याख्या करें और बताएं कि वे आदर्श गैस समीकरण को कैसे जन्म देते हैं।
गैसों के नियम गैसों के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले मूलभूत प्रायोगिक संबंध हैं। **बॉल्स का नियम** (स्थिर तापमान पर) बताता है कि गैस का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है ($V \propto 1/P$)। इसका मतलब है कि यदि आप दाब बढ़ाते हैं, तो आयतन घटता है। **चार्ल्स का नियम** (स्थिर दाब पर) बताता है कि गैस का आयतन उसके परम तापमान के सीधे आनुपातिक होता है ($V \propto T$)। यानी, तापमान बढ़ने पर आयतन बढ़ता है। **गे-लुसाक का नियम** (स्थिर आयतन पर) बताता है कि गैस का दाब उसके परम तापमान के सीधे आनुपातिक होता है ($P \propto T$)। अंत में, **एवोगेड्रो का नियम** (स्थिर तापमान और दाब पर) बताता है कि गैस का आयतन उसमें उपस्थित मोलों की संख्या के सीधे आनुपातिक होता है ($V \propto n$)।
इन सभी नियमों को एक साथ मिलाकर **आदर्श गैस समीकरण** प्राप्त किया जा सकता है। बॉल्स के नियम ($V \propto 1/P$), चार्ल्स के नियम ($V \propto T$), और एवोगेड्रो के नियम ($V \propto n$) को संयोजित करने पर हमें $V \propto \frac{nT}{P}$ प्राप्त होता है। जब हम आनुपातिकता चिह्न हटाते हैं और एक स्थिरांक $R$ (सार्वभौमिक गैस स्थिरांक) पेश करते हैं, तो हमें परिचित आदर्श गैस समीकरण मिलता है: $PV = nRT$। यह समीकरण एक आदर्श गैस के व्यवहार का वर्णन करता है, एक सैद्धांतिक गैस जिसमें कणों के बीच कोई अंतरा-आणविक बल नहीं होता है और अणुओं का आयतन नगण्य होता है। यह रासायनिक गणनाओं में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और वास्तविक गैसों के व्यवहार के लिए एक उपयोगी सन्निकटन प्रदान करता है, खासकर कम दाब और उच्च तापमान पर।
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वान् डर वाल्स समीकरण का महत्व समझाएं और यह आदर्श गैस समीकरण से किस प्रकार भिन्न है।
वान् डर वाल्स समीकरण वास्तविक गैसों के व्यवहार का वर्णन करने के लिए आदर्श गैस समीकरण ($PV=nRT$) का एक महत्वपूर्ण संशोधन है। आदर्श गैस समीकरण यह मानता है कि गैस के अणु बिंदु द्रव्यमान होते हैं (कोई आयतन नहीं घेरते) और उनके बीच कोई अंतरा-आणविक बल नहीं होते हैं। ये धारणाएँ केवल बहुत कम दाब और उच्च तापमान पर ही मान्य होती हैं। हालांकि, उच्च दाब और कम तापमान पर, वास्तविक गैसें आदर्श व्यवहार से विचलित होती हैं क्योंकि अणुओं का अपना आयतन होता है और उनके बीच आकर्षक बल महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
वान् डर वाल्स समीकरण इन दो कमियों को दूर करता है। इसमें दो सुधार पद शामिल हैं:
- **दाब सुधार पद ($\frac{an^2}{V^2}$):** यह अंतरा-आणविक आकर्षक बलों के कारण होने वाले दाब में कमी के लिए खाता है। अणुओं के बीच आकर्षण बल दीवारों से टकराने वाले अणुओं की बल को कम करते हैं, जिससे दाब कम हो जाता है। स्थिरांक $a$ आकर्षक बलों की प्रबलता का माप है।
- **आयतन सुधार पद ($nb$):** यह अणुओं द्वारा ही घेरे गए वास्तविक आयतन के लिए खाता है। आदर्श गैस में, हम मानते हैं कि गैस कणों के लिए उपलब्ध संपूर्ण आयतन पात्र का आयतन $V$ है। लेकिन वास्तविक गैस में, कण स्वयं कुछ आयतन घेरते हैं, इसलिए कणों की गति के लिए उपलब्ध प्रभावी आयतन $V-nb$ होता है। स्थिरांक $b$ एक मोल गैस के अणुओं द्वारा घेरे गए आयतन का माप है।
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