अध्याय 14: पर्यावरणीय रसायन (Environmental Chemistry)
परिचय
पर्यावरणीय रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो पर्यावरण में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं, उनके प्रभावों और उन्हें नियंत्रित करने के तरीकों का अध्ययन करती है। तीव्र औद्योगिक विकास और बढ़ती जनसंख्या ने हमारे पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाले हैं, जिससे प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हुई है। इस अध्याय में, हम विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय प्रदूषणों, उनके स्रोतों, हानिकारक प्रभावों और उनसे निपटने के लिए अपनाए जाने वाले रासायनिक दृष्टिकोणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हम विशेष रूप से वायु, जल और मृदा प्रदूषण के साथ-साथ ओजोन परत के क्षरण और ग्रीनहाउस प्रभाव जैसे वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
14.1 पर्यावरणीय प्रदूषण (Environmental Pollution)
पर्यावरणीय प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में ऐसे हानिकारक पदार्थों के प्रवेश से है जो उसके प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ते हैं और मनुष्यों, पौधों और जानवरों के लिए हानिकारक होते हैं।
- प्रदूषक (Pollutants): वे पदार्थ जो पर्यावरण में हानिकारक प्रभाव डालते हैं। ये ठोस, तरल या गैसीय हो सकते हैं।
- संदूषक (Contaminants): वे पदार्थ जो प्रकृति में सामान्य रूप से नहीं पाए जाते, लेकिन मानव गतिविधि से पर्यावरण में प्रवेश करते हैं।
14.2 वायुमंडलीय प्रदूषण (Atmospheric Pollution)
वायुमंडलीय प्रदूषण वायुमंडल में हानिकारक गैसों और कणिकीय पदार्थों की उपस्थिति है। वायुमंडल को दो मुख्य भागों में बांटा गया है जो प्रदूषण के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं:
- क्षोभमंडल (Troposphere): पृथ्वी की सतह से लगभग 10-12 km की ऊंचाई तक फैला है।
- समतापमंडल (Stratosphere): क्षोभमंडल के ऊपर लगभग 10-50 km की ऊंचाई तक फैला है।
14.2.1 क्षोभमंडलीय प्रदूषण (Tropospheric Pollution)
यह सबसे निचली परत में होने वाला प्रदूषण है। इसके मुख्य प्रदूषक हैं:
- गैसीय प्रदूषक:
- सल्फर के ऑक्साइड ($\text{SO}_2, \text{SO}_3$): जीवाश्म ईंधन के दहन और ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न होते हैं। ये अम्लीय वर्षा (acid rain) का कारण बनते हैं। $$ \text{SO}_2 + \text{O}_3 \rightarrow \text{SO}_3 + \text{O}_2 $$ $$ \text{SO}_3 + \text{H}_2\text{O} \rightarrow \text{H}_2\text{SO}_4 $$
- नाइट्रोजन के ऑक्साइड ($\text{NO}, \text{NO}_2$): वाहनों, बिजली संयंत्रों और उर्वरक उद्योगों से उत्सर्जित होते हैं। ये प्रकाश-रासायनिक धूम कोहरे (photochemical smog) और अम्लीय वर्षा में योगदान करते हैं। $$ 2\text{NO(g)} + \text{O}_2\text{(g)} \rightarrow 2\text{NO}_2\text{(g)} $$
- कार्बन मोनोऑक्साइड ($\text{CO}$): अधूरा दहन, वाहन निकास से उत्पन्न। यह विषैली गैस है जो हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर ऑक्सीजन परिवहन को बाधित करती है।
- कार्बन डाइऑक्साइड ($\text{CO}_2$): जीवाश्म ईंधन दहन से। यह ग्रीनहाउस गैस है, जो ग्लोबल वार्मिंग (global warming) का मुख्य कारण है।
- हाइड्रोकार्बन: वाहनों और उद्योगों से। ये प्रकाश-रासायनिक धूम कोहरे के घटक हैं।
- कणिकीय प्रदूषक (Particulate Pollutants):
- धूल, कोहरा (mist), धूम्र (smoke), धुआँ (fumes), स्मोग (smog)।
- स्मोग (Smog): धूम्र (smoke) और कोहरे (fog) का मिश्रण।
- **क्लासिकल स्मोग (Classical Smog):** ठंडा, आर्द्र जलवायु में होता है। धूम्र, कोहरा और $\text{SO}_2$ का मिश्रण। अपचायक प्रकृति का होता है।
- **प्रकाश-रासायनिक धूम कोहरा (Photochemical Smog):** गर्म, शुष्क, धूप वाली जलवायु में होता है। नाइट्रोजन के ऑक्साइड, ओजोन (Ozone), एक्रोलीन, फॉर्मेल्डिहाइड, पेरोक्सीएसिटाइल नाइट्रेट (PAN) जैसे रसायनों का मिश्रण। ऑक्सीकारक प्रकृति का होता है।
14.2.2 अम्लीय वर्षा (Acid Rain)
जब वायुमंडल में सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड वर्षा जल में घुलकर सल्फ्यूरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं, तो यह वर्षा अम्लीय हो जाती है, जिसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। इसका $\text{pH}$ मान 5.6 से कम होता है।
- प्रभाव: ऐतिहासिक इमारतों, स्मारकों का क्षरण, मिट्टी की अम्लता में वृद्धि, जलीय जीवन पर नकारात्मक प्रभाव।
14.2.3 समतापमंडलीय प्रदूषण (Stratospheric Pollution) - ओजोन परत का क्षरण (Ozone Layer Depletion)
समतापमंडल में ओजोन परत (ozone layer, $\text{O}_3$) पराबैंगनी (UV) विकिरण को अवशोषित करके पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है।
- ओजोन का निर्माण और विघटन: $$ \text{O}_2\text{(g)} \xrightarrow{\text{UV}} \text{O(g)} + \text{O(g)} $$ $$ \text{O(g)} + \text{O}_2\text{(g)} \rightleftharpoons \text{O}_3\text{(g)} $$
- ओजोन परत के क्षरण के कारण: क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) मुख्य अपराधी हैं। ये समतापमंडल में पहुँचकर UV विकिरण से टूटते हैं और क्लोरीन मुक्त मूलक ($\text{Cl} \cdot$) उत्पन्न करते हैं। $$ \text{CF}_2\text{Cl}_2\text{(g)} \xrightarrow{\text{UV}} \text{Cl} \cdot\text{(g)} + \text{CF}_2\text{Cl}\cdot\text{(g)} $$ $$ \text{Cl} \cdot\text{(g)} + \text{O}_3\text{(g)} \rightarrow \text{ClO}\cdot\text{(g)} + \text{O}_2\text{(g)} $$ $$ \text{ClO}\cdot\text{(g)} + \text{O(g)} \rightarrow \text{Cl}\cdot\text{(g)} + \text{O}_2\text{(g)} $$ एक क्लोरीन मुक्त मूलक हजारों ओजोन अणुओं को नष्ट कर सकता है।
- ओजोन छिद्र (Ozone Hole): अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत का पतला होना।
- प्रभाव: त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद, पौधों और जलीय जीवन को नुकसान।
14.2.4 ग्रीनहाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग (Greenhouse Effect and Global Warming)
- ग्रीनहाउस प्रभाव: पृथ्वी की सतह द्वारा उत्सर्जित अवरक्त (infrared) विकिरण का वायुमंडल में कुछ गैसों (ग्रीनहाउस गैसें) द्वारा अवशोषण और पुनः-उत्सर्जन, जिससे पृथ्वी की सतह का तापमान बढ़ता है।
- ग्रीनहाउस गैसें: $\text{CO}_2$ (सबसे प्रमुख), $\text{CH}_4$, $\text{N}_2\text{O}$, CFCs, $\text{O}_3$, जल वाष्प।
- ग्लोबल वार्मिंग: पृथ्वी के औसत तापमान में लगातार वृद्धि।
- प्रभाव: ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि, जलवायु पैटर्न में बदलाव, चरम मौसमी घटनाएँ।
14.3 जल प्रदूषण (Water Pollution)
जल निकायों में अवांछित पदार्थों का प्रवेश जिससे जल की गुणवत्ता में कमी आती है और यह मनुष्यों और जलीय जीवन के लिए अनुपयोगी हो जाता है।
- प्रदूषक:
- रोगजनक (Pathogens): बैक्टीरिया, वायरस (जैसे हैजा, टाइफाइड)।
- कार्बनिक अपशिष्ट (Organic Wastes): पत्तियों, घास, पशु अपशिष्ट से। ये जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम कर देते हैं, जिससे जलीय जीवन प्रभावित होता है।
- जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD - Biochemical Oxygen Demand): 5 दिनों में सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थ के जैव-अपघटन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा। उच्च BOD = अधिक प्रदूषण।
- रासायनिक प्रदूषक: कीटनाशक, शाकनाशी, पॉलीक्लोरोनेटेड बाइफेनिल (PCBs), डिटर्जेंट, भारी धातुएँ (Cd, Hg, Pb)।
- सुपोषण (Eutrophication): जल निकायों में पोषक तत्वों (नाइट्रेट, फॉस्फेट) की अत्यधिक वृद्धि, जिससे शैवाल की वृद्धि होती है, जो ऑक्सीजन का उपभोग करते हैं और जलीय जीवन को मारते हैं।
14.4 मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)
मृदा में हानिकारक पदार्थों का संचय जिससे उसकी उर्वरता और उत्पादकता कम हो जाती है।
- प्रदूषक: कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, उर्वरक, औद्योगिक अपशिष्ट, प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट।
- प्रभाव: खाद्य श्रृंखला में प्रवेश, भूमिगत जल का संदूषण, मृदा की संरचना और सूक्ष्मजीवों पर नकारात्मक प्रभाव।
14.5 हरित रसायन (Green Chemistry)
यह रासायनिक उत्पादों और प्रक्रियाओं के डिजाइन का एक दृष्टिकोण है जो खतरनाक पदार्थों के उपयोग या उत्पादन को कम या समाप्त करता है। यह पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए एक सतत (sustainable) दृष्टिकोण है।
- कम खतरनाक रासायनिक संश्लेषण।
- बेहतर परमाणु मितव्ययिता (atom economy)।
- कम खतरनाक विलायकों और सहायक पदार्थों का उपयोग।
- ऊर्जा दक्षता में वृद्धि।
- अपशिष्ट उत्पादों को कम करना।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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पर्यावरणीय रसायन क्या है?
पर्यावरणीय रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो पर्यावरण में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं, उनके प्रभावों और उन्हें नियंत्रित करने के तरीकों का अध्ययन करती है।
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ग्रीनहाउस गैसों के दो उदाहरण दें।
कार्बन डाइऑक्साइड ($\text{CO}_2$) और मीथेन ($\text{CH}_4$) प्रमुख ग्रीनहाउस गैसें हैं।
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ओजोन परत के क्षरण का मुख्य कारण क्या है?
ओजोन परत के क्षरण का मुख्य कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) का उत्सर्जन है।
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अम्लीय वर्षा का pH मान क्या होता है?
अम्लीय वर्षा का pH मान 5.6 से कम होता है।
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जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) क्या दर्शाती है?
जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) पानी में कार्बनिक प्रदूषण के स्तर को दर्शाती है; उच्च BOD का मतलब अधिक प्रदूषण है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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प्रकाश-रासायनिक धूम कोहरा (Photochemical Smog) क्या है और इसके घटक क्या हैं?
प्रकाश-रासायनिक धूम कोहरा गर्म, शुष्क और धूप वाली जलवायु में उत्पन्न होता है। यह नाइट्रोजन के ऑक्साइड, ओजोन, और विभिन्न कार्बनिक यौगिकों जैसे एक्रोलीन, फॉर्मेल्डिहाइड, और पेरोक्सीएसिटाइल नाइट्रेट (PAN) के मिश्रण से बनता है, जो सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अभिक्रिया करते हैं।
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अम्लीय वर्षा के दो हानिकारक प्रभाव बताएं।
अम्लीय वर्षा ऐतिहासिक इमारतों और स्मारकों (जैसे ताजमहल) को नुकसान पहुँचाती है, उनके क्षरण का कारण बनती है। यह मिट्टी की अम्लता को भी बढ़ाती है, जिससे पौधों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और जलीय जीवन को नुकसान पहुँचता है।
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ग्लोबल वार्मिंग से क्या आशय है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं?
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के औसत तापमान में लगातार वृद्धि है, जो ग्रीनहाउस गैसों के वायुमंडल में अत्यधिक संचय के कारण होती है। इसके परिणामों में ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि, और विश्व भर में जलवायु पैटर्न में बड़े बदलाव शामिल हैं।
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जल प्रदूषण में सुपोषण (Eutrophication) की भूमिका स्पष्ट करें।
सुपोषण जल निकायों में नाइट्रेट और फॉस्फेट जैसे पोषक तत्वों की अत्यधिक वृद्धि है, जो शैवाल और अन्य जलीय पौधों की अत्यधिक वृद्धि को बढ़ावा देती है। यह शैवाल जब मरते हैं और अपघटित होते हैं, तो वे पानी में घुलित ऑक्सीजन का उपभोग करते हैं, जिससे जलीय जीवन (मछलियों आदि) के लिए ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जो अंततः उनकी मृत्यु का कारण बन सकती है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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वायुमंडल की क्षोभमंडल और समतापमंडल परतों को समझाएं और बताएं कि इनमें प्रदूषण कैसे भिन्न होता है।
वायुमंडल को विभिन्न परतों में विभाजित किया गया है, जिनमें क्षोभमंडल (Troposphere) और समतापमंडल (Stratosphere) पर्यावरणीय रसायन विज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। क्षोभमंडल पृथ्वी की सतह से लगभग 10-12 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई सबसे निचली परत है। यह वह परत है जिसमें हम रहते हैं और जहाँ अधिकांश मौसम संबंधी घटनाएँ होती हैं। क्षोभमंडलीय प्रदूषण मुख्य रूप से मानव गतिविधियों, जैसे जीवाश्म ईंधन के दहन, औद्योगिक उत्सर्जन और वाहनों के निकास से उत्पन्न होता है। इसके प्रमुख प्रदूषकों में सल्फर के ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और कणिकीय पदार्थ शामिल हैं। यह प्रदूषण अम्लीय वर्षा, प्रकाश-रासायनिक धूम कोहरे और सांस लेने संबंधी समस्याओं का कारण बनता है।
समतापमंडल क्षोभमंडल के ठीक ऊपर, लगभग 10 से 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई परत है। इस परत में ओजोन परत मौजूद होती है, जो पृथ्वी को सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से बचाती है। समतापमंडलीय प्रदूषण मुख्य रूप से ओजोन परत के क्षरण के रूप में प्रकट होता है। यह क्षरण मुख्य रूप से क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) जैसे मानव निर्मित रसायनों के कारण होता है। CFCs समतापमंडल में पहुँचकर UV प्रकाश के प्रभाव में क्लोरीन मुक्त मूलक उत्पन्न करते हैं, जो ओजोन अणुओं को उत्प्रेरकीय रूप से नष्ट करते हैं। इस प्रकार, क्षोभमंडलीय प्रदूषण सतह के पास की वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है और प्रत्यक्ष स्वास्थ्य खतरों का कारण बनता है, जबकि समतापमंडलीय प्रदूषण ओजोन परत के माध्यम से वैश्विक पर्यावरण और जीवन को प्रभावित करता है, जिससे UV विकिरण के प्रति अधिक जोखिम होता है।
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ओजोन परत का क्षरण कैसे होता है? इसके प्रभावों की चर्चा करें।
ओजोन परत, जो समतापमंडल में मौजूद है, पृथ्वी पर जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण ढाल का काम करती है, सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण को अवशोषित करती है। ओजोन का निर्माण और विघटन प्राकृतिक रूप से होता है, लेकिन मानव निर्मित रसायन, विशेष रूप से क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) और हैलॉन, इस संतुलन को बिगाड़ते हैं जिससे ओजोन परत का क्षरण होता है। CFCs, जो रेफ्रिजरेंट, एरोसोल प्रणोदक और अग्निशामक में उपयोग होते थे, समतापमंडल में पहुँचते हैं जहाँ UV विकिरण उन्हें तोड़कर क्लोरीन मुक्त मूलक ($\text{Cl} \cdot$) मुक्त करते हैं। ये क्लोरीन मूलक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं और ओजोन अणुओं के साथ अभिक्रिया करके उन्हें ऑक्सीजन में तोड़ते हैं, जिससे स्वयं क्लोरीन मूलक पुनः उत्पन्न हो जाता है और चक्र जारी रहता है।
यह उत्प्रेरकीय चक्र एक एकल क्लोरीन परमाणु को हजारों ओजोन अणुओं को नष्ट करने में सक्षम बनाता है, जिससे ओजोन परत पतली हो जाती है, जिसे अक्सर "ओजोन छिद्र" कहा जाता है, विशेष रूप से अंटार्कटिका जैसे ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर। ओजोन परत के क्षरण के गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभाव होते हैं। यह त्वचा कैंसर (मेलेनोमा सहित), मोतियाबिंद, और प्रतिरक्षा प्रणाली के दमन की घटनाओं में वृद्धि करता है क्योंकि अधिक UV विकिरण पृथ्वी की सतह तक पहुँचती है। इसके अतिरिक्त, बढ़ा हुआ UV विकिरण पौधों की वृद्धि, समुद्री फाइटोप्लैंकटन और जलीय खाद्य श्रृंखला को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे पारिस्थितिक तंत्रों पर दूरगामी नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इन चिंताओं के कारण CFCs के उत्पादन और उपयोग को वैश्विक स्तर पर प्रतिबंधित कर दिया गया है।
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हरित रसायन क्या है? पर्यावरण संरक्षण में इसकी भूमिका को स्पष्ट करें।
हरित रसायन (Green Chemistry) रासायनिक उत्पादों और प्रक्रियाओं के डिजाइन का एक नवीन दर्शन है जिसका उद्देश्य खतरनाक पदार्थों के उपयोग या उत्पादन को कम करना या समाप्त करना है। यह पारंपरिक "प्रदूषण नियंत्रण" दृष्टिकोण से परे जाकर, समस्या के स्रोत पर ही प्रदूषण को रोकने पर केंद्रित है। हरित रसायन के बारह सिद्धांत हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख सिद्धांतों में अपशिष्ट को रोकना, परमाणु मितव्ययिता (atom economy) को अधिकतम करना (यानी, अभिकारकों के अधिक से अधिक परमाणुओं को अंतिम उत्पाद में शामिल करना), कम खतरनाक रासायनिक संश्लेषण को डिजाइन करना, सुरक्षित विलायक और सहायक पदार्थों का उपयोग करना, ऊर्जा दक्षता में वृद्धि करना, नवीकरणीय फीडस्टॉक का उपयोग करना, और अभिकर्मकों के उत्प्रेरकीय उपयोग को बढ़ावा देना शामिल हैं।
पर्यावरण संरक्षण में हरित रसायन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उद्योगों को ऐसे उत्पाद बनाने और ऐसी प्रक्रियाएँ विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो कम ऊर्जा का उपभोग करें, कम अपशिष्ट उत्पन्न करें, और कम विषैले या गैर-विषैले रसायनों का उपयोग करें। उदाहरण के लिए, यह हानिकारक क्लोरीनेटेड विलायकों के स्थान पर पानी या सुपरक्रिटिकल $\text{CO}_2$ का उपयोग करने को बढ़ावा देता है। यह अभिकर्मकों के पुनर्चक्रण और बायोडिग्रेडेबल उत्पादों के विकास पर भी जोर देता है। हरित रसायन न केवल पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने में मदद करता है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य की रक्षा करता है, संसाधनों का संरक्षण करता है, और दीर्घावधि में रासायनिक उद्योगों के लिए आर्थिक लाभ भी प्रदान करता है, जिससे एक अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ा जा सकता है।
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