अध्याय 13: हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons)

परिचय

**हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons)** कार्बनिक रसायन विज्ञान के आधारभूत यौगिक हैं, जो केवल कार्बन (C) और हाइड्रोजन (H) परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। वे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और कोयले में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और हमारे दैनिक जीवन में ईंधन, स्नेहक और कई रासायनिक उत्पादों के अग्रदूत के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह अध्याय विभिन्न प्रकार के हाइड्रोकार्बन - एल्केन, एल्कीन, एल्काइन और एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन - की संरचना, नामकरण, विरचन विधियों, भौतिक और रासायनिक गुणों और उपयोगों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।

13.1 हाइड्रोकार्बन का वर्गीकरण (Classification of Hydrocarbons)

हाइड्रोकार्बन को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

13.2 एल्केन (Alkanes)

एल्केन संतृप्त, विवृत-श्रृंखला हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनका सामान्य सूत्र $C_nH_{2n+2}$ होता है। इन्हें पैराफिन भी कहा जाता है (लैटिन: पैरा + एफिन्स = बहुत कम बंधुता)।

13.3 एल्कीन (Alkenes)

एल्कीन असंतृप्त, विवृत-श्रृंखला हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें कम से कम एक कार्बन-कार्बन दोहरा आबंध होता है। सामान्य सूत्र $C_nH_{2n}$ होता है। इन्हें ओलेफिन भी कहते हैं।

13.4 एल्काइन (Alkynes)

एल्काइन असंतृप्त, विवृत-श्रृंखला हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें कम से कम एक कार्बन-कार्बन तिहरा आबंध होता है। सामान्य सूत्र $C_nH_{2n-2}$ होता है।

13.5 एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Aromatic Hydrocarbons)

ये वे चक्रीय यौगिक हैं जिनमें विशेष स्थिरता होती है और वे हकैल के नियम ($4n+2$ $\pi$-इलेक्ट्रॉन) का पालन करते हैं। बेंजीन सबसे सरल और सबसे महत्वपूर्ण एरोमैटिक यौगिक है।

13.6 कैंसरजन्यता और विषाक्तता (Carcinogenicity and Toxicity)

बेंजीन और अन्य बहुचक्रीय एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) अस्थि मज्जा को प्रभावित कर सकते हैं और कैंसरजनित (कैंसर पैदा करने वाले) होते हैं। बेंजीन एक ज्ञात कार्सिनोजेन है जो ल्यूकेमिया का कारण बन सकता है। कई PAHs, जैसे बेंजो[a]पाइरीन, तंबाकू के धुएँ और जीवाश्म ईंधन के अपूर्ण दहन में पाए जाते हैं, और ये अत्यधिक कैंसरजनित होते हैं।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. हाइड्रोकार्बन क्या होते हैं?

    हाइड्रोकार्बन वे कार्बनिक यौगिक होते हैं जो केवल कार्बन (C) और हाइड्रोजन (H) परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं।

  2. एल्केन का सामान्य सूत्र लिखें।

    एल्केन का सामान्य सूत्र $C_nH_{2n+2}$ है।

  3. कौन से हाइड्रोकार्बन ज्यामितीय समवयवता प्रदर्शित करते हैं?

    एल्कीन ज्यामितीय (सिस-ट्रांस) समवयवता प्रदर्शित करते हैं।

  4. हकैल का नियम क्या है?

    हकैल का नियम कहता है कि एक एरोमैटिक यौगिक में $(4n+2)$ $\pi$-इलेक्ट्रॉन होने चाहिए, जहाँ $n$ एक पूर्णांक (0, 1, 2,...) है।

  5. बेंजीन द्वारा प्रदर्शित प्रमुख प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया क्या है?

    बेंजीन द्वारा प्रदर्शित प्रमुख प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Electrophilic Substitution Reaction) है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. एल्केन को पैराफिन क्यों कहा जाता है?

    एल्केन को पैराफिन (लैटिन 'parum affinis' से) कहा जाता है क्योंकि वे रासायनिक रूप से बहुत कम अभिक्रियाशील होते हैं। उनकी कम अभिक्रियाशीलता संतृप्त कार्बन-कार्बन और कार्बन-हाइड्रोजन एकल आबंधों की प्रबलता और गैर-ध्रुवीय प्रकृति के कारण होती है।

  2. मार्कोवनिकोव का नियम समझाएँ।

    मार्कोवनिकोव का नियम कहता है कि जब एक असममित अभिकर्मक (जैसे HX) एक असममित एल्कीन से जुड़ता है, तो अभिकर्मक का ऋणात्मक भाग उस कार्बन परमाणु से जुड़ता है जिसमें कम हाइड्रोजन परमाणु होते हैं।

  3. टर्मिनल एल्काइन अम्लीय क्यों होते हैं?

    टर्मिनल एल्काइन अम्लीय होते हैं क्योंकि तिहरे आबंध से जुड़े कार्बन परमाणु $sp$ संकरित होते हैं, जो अधिक विद्युतऋणात्मक होते हैं। यह H-C आबंध को ध्रुवीय बनाता है, जिससे हाइड्रोजन परमाणु प्रोटॉन के रूप में आसानी से अलग हो सकता है।

  4. एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन की कैंसरजन्यता पर टिप्पणी करें।

    कुछ एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, विशेष रूप से बहुचक्रीय एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) जिनमें दो या दो से अधिक बेंजीन वलय जुड़े होते हैं, कैंसरजनित होते हैं। उदाहरण के लिए, बेंजीन और बेंजो[a]पाइरीन ल्यूकेमिया और अन्य कैंसर का कारण बन सकते हैं।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. एल्कीन की संरचना और उनके रासायनिक गुणों की व्याख्या करें, विशेष रूप से उनकी इलेक्ट्रॉनरागी योगात्मक अभिक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करें।

    एल्कीन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें कम से कम एक कार्बन-कार्बन दोहरा आबंध ($C=C$) होता है। इस दोहरे आबंध में एक मजबूत सिग्मा ($\sigma$) आबंध और एक कमजोर पाई ($\pi$) आबंध होता है। दोहरे आबंध से जुड़े कार्बन परमाणु $sp^2$ संकरित होते हैं, और वे एक समतलीय त्रिकोणीय ज्यामिति अपनाते हैं। $\pi$-आबंध इलेक्ट्रॉन घनत्व से भरपूर होता है, जो इसे इलेक्ट्रॉनरागी अभिकर्मकों के प्रति अत्यधिक अभिक्रियाशील बनाता है। $\pi$-आबंध के ऊपर और नीचे स्थित इलेक्ट्रॉन बादल आने वाले इलेक्ट्रॉनरागी के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं, जिससे योगात्मक अभिक्रियाएँ होती हैं, जहाँ दोहरा आबंध टूटता है और दो नए एकल आबंध बनते हैं।

    एल्कीन की विशिष्ट अभिक्रियाएँ इलेक्ट्रॉनरागी योगात्मक अभिक्रियाएँ होती हैं। उदाहरण के लिए, हाइड्रोजनीकरण में, $H_2$ Ni, Pt, या Pd उत्प्रेरक की उपस्थिति में दोहरे आबंध पर जुड़कर एल्केन बनाता है। हैलोजनीकरण में, हैलोजन ($Br_2$, $Cl_2$) का योग होता है, जिससे विसिनल डाइब्रोमाइड या डाइक्लोराइड बनते हैं; ब्रोमीन जल परीक्षण एक विशिष्ट असंतृप्तता परीक्षण है। हाइड्रोजन हैलाइड (HCl, HBr, HI) का योग मार्कोवनिकोव के नियम का पालन करता है, जहाँ H$^+$ उस कार्बन से जुड़ता है जिसमें पहले से ही अधिक हाइड्रोजन होते हैं। जल का योग (अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में) ऐल्कोहॉल का निर्माण करता है। इसके अतिरिक्त, एल्कीन ओजोनोअपघटन से गुजरते हैं, जिससे दोहरे आबंध के टूटने पर एल्डिहाइड और/या कीटोन बनते हैं। उच्च तापमान और दाब पर एल्कीन पॉलीमराइजेशन से गुजरते हैं, जिससे बड़े बहुलक अणु बनते हैं (जैसे पॉलिथीन)। इन अभिक्रियाओं में, $\pi$-आबंध का टूटना और नए $\sigma$-आबंधों का बनना अभिक्रियाओं को ऊर्जावान रूप से अनुकूल बनाता है।

  2. बेंजीन की संरचना और उसके इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं पर विस्तृत चर्चा करें।

    बेंजीन ($C_6H_6$) सबसे सरल एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है, जिसकी संरचना में छह कार्बन परमाणुओं का एक षट्कोणीय वलय होता है। केकुले ने पहली बार एक चक्रीय संरचना प्रस्तावित की थी जिसमें वैकल्पिक एकल और दोहरे आबंध थे, लेकिन बेंजीन की अद्वितीय स्थिरता और रासायनिक व्यवहार को समझाने के लिए अनुनाद की अवधारणा की आवश्यकता थी। आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार, बेंजीन वलय में सभी छह कार्बन परमाणु $sp^2$ संकरित होते हैं, और प्रत्येक कार्बन के पास एक असंकरित p-कक्षक होता है जो वलय के ऊपर और नीचे एक सतत $\pi$-इलेक्ट्रॉन बादल बनाने के लिए अतिव्यापन करता है। यह $\pi$-इलेक्ट्रॉन का विस्थानीकरण बेंजीन को असाधारण स्थिरता प्रदान करता है (अनुनाद ऊर्जा लगभग 150 kJ/mol)। सभी C-C आबंधों की लंबाई समान (139 pm) होती है, जो एकल (154 pm) और दोहरे (134 pm) आबंध की लंबाई के बीच की होती है, जो दर्शाता है कि आबंध न तो शुद्ध एकल हैं और न ही शुद्ध दोहरे, बल्कि इनमें दोनों के गुण हैं।

    बेंजीन की विशिष्ट रासायनिक अभिक्रियाएँ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (ESR) होती हैं। अपनी उच्च अनुनाद स्थिरता के कारण, बेंजीन योगात्मक अभिक्रियाओं के बजाय प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ पसंद करता है, क्योंकि योगात्मक अभिक्रियाएँ एरोमैटिक वलय को नष्ट कर देती हैं। ESR में, वलय पर एक हाइड्रोजन परमाणु एक इलेक्ट्रॉनरागी द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। प्रमुख ESR में नाइट्र्रीकरण, हैलोजनीकरण, सल्फोनीकरण, और फ्रीडल-क्राफ्ट्स ऐल्किलीकरण और ऐसिलिकरण शामिल हैं। उदाहरण के लिए, नाइट्र्रीकरण में, सांद्र HNO$_3$ और सांद्र H$_2$SO$_4$ के मिश्रण से एक इलेक्ट्रॉनरागी $NO_2^+$ उत्पन्न होता है जो बेंजीन वलय पर हमला करता है, जिससे नाइट्रोबेंजीन बनता है। हैलोजनीकरण में, $Cl_2$ या $Br_2$ एक लुईस अम्ल (जैसे $FeCl_3$) की उपस्थिति में वलय पर जुड़ता है। ये अभिक्रियाएँ बेंजीन वलय के $\pi$-इलेक्ट्रॉन बादल की इलेक्ट्रॉन-समृद्ध प्रकृति का लाभ उठाती हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनरागी इस पर आसानी से हमला कर सकते हैं और प्रतिस्थापन हो सकता है, जबकि वलय की एरोमैटिक प्रकृति बरकरार रहती है।


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