अध्याय 13: हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons)
परिचय
**हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons)** कार्बनिक रसायन विज्ञान के आधारभूत यौगिक हैं, जो केवल कार्बन (C) और हाइड्रोजन (H) परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। वे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और कोयले में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और हमारे दैनिक जीवन में ईंधन, स्नेहक और कई रासायनिक उत्पादों के अग्रदूत के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह अध्याय विभिन्न प्रकार के हाइड्रोकार्बन - एल्केन, एल्कीन, एल्काइन और एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन - की संरचना, नामकरण, विरचन विधियों, भौतिक और रासायनिक गुणों और उपयोगों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।
13.1 हाइड्रोकार्बन का वर्गीकरण (Classification of Hydrocarbons)
हाइड्रोकार्बन को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- **संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated Hydrocarbons):** वे जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल आबंध होते हैं। इन्हें एल्केन कहते हैं।
- **असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbons):** वे जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच कम से कम एक दोहरा या तिहरा आबंध होता है।
- **एल्कीन (Alkenes):** कार्बन-कार्बन दोहरा आबंध (C=C) होता है।
- **एल्काइन (Alkynes):** कार्बन-कार्बन तिहरा आबंध (C≡C) होता है।
- **चक्रीय हाइड्रोकार्बन (Cyclic Hydrocarbons):** जिनमें कार्बन परमाणुओं की वलय संरचना होती है।
- **एलीसाइक्लिक (Alicyclic):** संतृप्त या असंतृप्त वलय संरचनाएँ, जिनमें एरोमैटिक गुण नहीं होते हैं (जैसे साइक्लोएल्केन, साइक्लोएल्कीन)।
- **एरोमैटिक (Aromatic):** विशेष प्रकार की चक्रीय, समतलीय संरचनाएँ जिनमें $\pi$-इलेक्ट्रॉनों का विस्थानीकरण होता है (जैसे बेंजीन)।
13.2 एल्केन (Alkanes)
एल्केन संतृप्त, विवृत-श्रृंखला हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनका सामान्य सूत्र $C_nH_{2n+2}$ होता है। इन्हें पैराफिन भी कहा जाता है (लैटिन: पैरा + एफिन्स = बहुत कम बंधुता)।
- **संरचना:** सभी कार्बन परमाणु $sp^3$ संकरित होते हैं और इनमें टेट्राहेड्रल ज्यामिति होती है।
- **समवयवता:** श्रृंखला समवयवता प्रदर्शित करते हैं।
- **विरचन विधियाँ:**
- **असंतृप्त हाइड्रोकार्बन से:** हाइड्रोजनीकरण (उत्प्रेरक हाइड्रोजनीकरण) - एल्कीन या एल्काइन का H$_2$ के साथ Ni, Pt, या Pd की उपस्थिति में अभिक्रिया।
- **ऐल्किल हैलाइडों से:**
- वुड्स अभिक्रिया: $2RX + 2Na \xrightarrow{\text{शुष्क ईथर}} R-R + 2NaX$ (सम संख्या वाले कार्बन वाले एल्केन के लिए)।
- अपचयन (Zn और HCl का उपयोग करके)।
- **कार्बोक्सिलिक अम्लों से:**
- डीकार्बोक्सिलीकरण (सोडा लाइम के साथ गर्म करके): $RCOOH + NaOH \xrightarrow{CaO, \Delta} RH + Na_2CO_3$
- कोल्बे का विद्युत अपघटनीय विधि (उच्च सम संख्या वाले एल्केन के लिए)।
- **भौतिक गुण:** गैर-ध्रुवीय, जल में अघुलनशील, C1-C4 गैसें, C5-C17 तरल, C18 और उससे ऊपर ठोस। जैसे-जैसे आणविक द्रव्यमान बढ़ता है, क्वथनांक बढ़ता है।
- **रासायनिक गुण (कम अभिक्रियाशील):**
- **हैलोजनीकरण (मुक्त मूलक प्रतिस्थापन):** $CH_4 + Cl_2 \xrightarrow{hv} CH_3Cl + HCl$ (मुक्त मूलक तंत्र)।
- **नाइट्रीकरण:** एल्केन + HNO$_3$ $\rightarrow$ नाइट्रोएल्केन।
- **सल्फोनीकरण:** एल्केन + H$_2SO_4$ $\rightarrow$ एल्किल सल्फोनिक अम्ल।
- **दहन:** $C_nH_{2n+2} + (3n+1)/2 O_2 \rightarrow nCO_2 + (n+1)H_2O$ (ऊष्माक्षेपी)।
- **पाइरोलिसिस/क्रैकिंग:** उच्च तापमान पर एल्केन का छोटे हाइड्रोकार्बन में टूटना।
- **समावयवीकरण:** निर्जल AlCl$_3$ और HCl की उपस्थिति में सीधी श्रृंखला वाले एल्केन का शाखित एल्केन में परिवर्तन।
13.3 एल्कीन (Alkenes)
एल्कीन असंतृप्त, विवृत-श्रृंखला हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें कम से कम एक कार्बन-कार्बन दोहरा आबंध होता है। सामान्य सूत्र $C_nH_{2n}$ होता है। इन्हें ओलेफिन भी कहते हैं।
- **संरचना:** दोहरे आबंध में कार्बन परमाणु $sp^2$ संकरित होते हैं और समतलीय ज्यामिति होती है। इसमें एक सिग्मा ($\sigma$) आबंध और एक पाई ($\pi$) आबंध होता है।
- **समवयवता:** ज्यामितीय (सिस-ट्रांस) समवयवता प्रदर्शित करते हैं।
- **विरचन विधियाँ:**
- **ऐल्किल हैलाइडों से (डीहाइड्रोहैलोजनीकरण):** KOH (ऐल्कोहॉलिक) की उपस्थिति में HX का विलोपन।
- **विसिनल डाइब्रोमाइडों से (डीहैलोजनीकरण):** Zn धूल के साथ अभिक्रिया।
- **ऐल्कोहॉलों से (निर्जलीकरण):** सांद्र H$_2$SO$_4$ या Al$_2$O$_3$ की उपस्थिति में जल का विलोपन।
- **ऐल्काइन से:** आंशिक हाइड्रोजनीकरण (लिंडलर उत्प्रेरक)।
- **भौतिक गुण:** एल्केन के समान (गैर-ध्रुवीय, जल में अघुलनशील, क्वथनांक आणविक द्रव्यमान के साथ बढ़ता है)।
- **रासायनिक गुण (अधिक अभिक्रियाशील - $\pi$-आबंध के कारण):**
- **योग अभिक्रियाएँ (इलेक्ट्रॉनरागी योगात्मक):**
- हाइड्रोजनीकरण: H$_2$ का योग (एल्केन में परिवर्तित)।
- हैलोजन का योग: $C=C + Br_2 \rightarrow -C(Br)-C(Br)-$ (विशिनस डाइब्रोमाइड)। ब्रोमीन जल परीक्षण।
- हाइड्रोजन हैलाइड का योग: $C=C + HX \rightarrow -C(H)-C(X)-$ (मार्कोवनिकोव का नियम)।
- जल का योग (निर्जलीकरण): H$_2$O का योग (ऐल्कोहॉल में परिवर्तित)।
- **ओजोनोअपघटन (Ozonolysis):** एल्कीन का ओजोन से अभिक्रिया करके कार्बोनिल यौगिक (एल्डिहाइड या कीटोन) बनाना।
- **पॉलीमराइजेशन:** उच्च तापमान और दाब पर छोटे एल्कीन अणुओं का दोहरा आबंध टूटकर बड़े पॉलिमर बनाना (जैसे पॉलिथीन)।
- **योग अभिक्रियाएँ (इलेक्ट्रॉनरागी योगात्मक):**
13.4 एल्काइन (Alkynes)
एल्काइन असंतृप्त, विवृत-श्रृंखला हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें कम से कम एक कार्बन-कार्बन तिहरा आबंध होता है। सामान्य सूत्र $C_nH_{2n-2}$ होता है।
- **संरचना:** तिहरे आबंध में कार्बन परमाणु $sp$ संकरित होते हैं और रैखिक ज्यामिति होती है। इसमें एक सिग्मा ($\sigma$) आबंध और दो पाई ($\pi$) आबंध होते हैं।
- **विरचन विधियाँ:**
- **विसिनल डाइब्रोमाइडों से (डीहाइड्रोहैलोजनीकरण):** ऐल्कोहॉलिक KOH और फिर सोडियम एमाइड ($NaNH_2$) के साथ।
- **कैल्शियम कार्बाइड से:** $CaC_2 + 2H_2O \rightarrow C_2H_2 + Ca(OH)_2$ (एसिटिलीन का औद्योगिक विरचन)।
- **भौतिक गुण:** एल्केन और एल्कीन के समान (गैर-ध्रुवीय, जल में अघुलनशील)।
- **रासायनिक गुण (अधिक अभिक्रियाशील - दो $\pi$-आबंध के कारण):**
- **योग अभिक्रियाएँ (इलेक्ट्रॉनरागी योगात्मक):** दो चरण में होती हैं।
- हाइड्रोजनीकरण: $C \equiv C \xrightarrow{H_2, Ni/Pt/Pd} C=C \xrightarrow{H_2, Ni/Pt/Pd} C-C$
- हैलोजन का योग।
- हाइड्रोजन हैलाइड का योग (मार्कोवनिकोव का नियम दो बार)।
- जल का योग (एसिटिलीन से एसिटेल्डिहाइड, अन्य एल्काइन से कीटोन)।
- **अम्लीय गुण:** टर्मिनल एल्काइन (जिनमें तिहरे आबंध से जुड़ा हाइड्रोजन परमाणु होता है) अम्लीय होते हैं क्योंकि $sp$ संकरित कार्बन से जुड़ा हाइड्रोजन आसानी से प्रोटोॉन खो सकता है। $CH \equiv CH + Na \rightarrow CH \equiv C^-Na^+ + 1/2 H_2$
- **चक्रीय पॉलीमराइजेशन:** लाल गर्म लौह नली से गुजरने पर एसिटिलीन बेंजीन में परिवर्तित होती है।
- **योग अभिक्रियाएँ (इलेक्ट्रॉनरागी योगात्मक):** दो चरण में होती हैं।
13.5 एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Aromatic Hydrocarbons)
ये वे चक्रीय यौगिक हैं जिनमें विशेष स्थिरता होती है और वे हकैल के नियम ($4n+2$ $\pi$-इलेक्ट्रॉन) का पालन करते हैं। बेंजीन सबसे सरल और सबसे महत्वपूर्ण एरोमैटिक यौगिक है।
- **बेंजीन की संरचना:** समतलीय, षट्कोणीय वलय, सभी C-C आबंध की लंबाई समान (139 pm, एकल और दोहरे आबंध के बीच की)। यह $\pi$-इलेक्ट्रॉनों के विस्थानीकरण के कारण अनुनाद स्थिरता दर्शाती है।
- **विरचन विधियाँ:**
- **एसिटिलीन के चक्रीय पॉलीमराइजेशन से:** $3C_2H_2 \xrightarrow{\text{लाल गर्म Fe नली}}$ $C_6H_6$
- **फिनोल से (अपचयन):** फिनोल को जिंक डस्ट के साथ गर्म करके।
- **कार्बोक्सिलिक अम्लों के डीकार्बोक्सिलीकरण से:** बेंजोइक अम्ल का सोडा लाइम के साथ।
- **ऐलिफैटिक यौगिकों का एरोमैटीकरण:** एल्केन को उत्प्रेरक (Cr$_2$O$_3$, V$_2$O$_5$, Mo$_2$O$_3$ पर Al$_2$O$_3$) की उपस्थिति में गर्म करके।
- **भौतिक गुण:** रंगहीन तरल पदार्थ, विशिष्ट गंध, जल में अघुलनशील, कार्बनिक विलायकों में घुलनशील।
- **रासायनिक गुण (इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ - E.S.R.):** बेंजीन अपनी अनुनाद स्थिरता के कारण योगात्मक अभिक्रियाओं के बजाय प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ पसंद करता है।
- **नाइट्रीकरण:** सांद्र HNO$_3$ और सांद्र H$_2$SO$_4$ के मिश्रण के साथ।
- **हैलोजनीकरण:** निर्जल FeCl$_3$/AlCl$_3$ जैसे लुईस अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में।
- **सल्फोनीकरण:** सांद्र H$_2$SO$_4$ या ओलियम के साथ।
- **फ्रीडल-क्राफ्ट्स ऐल्किलीकरण:** निर्जल AlCl$_3$ की उपस्थिति में ऐल्किल हैलाइड के साथ।
- **फ्रीडल-क्राफ्ट्स ऐसिलिकरण:** निर्जल AlCl$_3$ की उपस्थिति में ऐसिल हैलाइड या ऐनहाइड्राइड के साथ।
- **दहन:** पूरी तरह से जलकर CO$_2$ और H$_2$O बनाता है (धुएँदार लौ के साथ)।
- **निर्देशी प्रभाव (Directive Influence):** बेंजीन वलय पर प्रतिस्थापियों की उपस्थिति आने वाले इलेक्ट्रॉनरागी के लिए वलय पर स्थिति (ऑर्थो, मेटा, पैरा) को निर्देशित करती है।
- **ऑर्थो-पैरा निर्देशक समूह:** इलेक्ट्रॉन दाता समूह (जैसे -OH, -NH$_2$, -CH$_3$, -OR, -X)।
- **मेटा निर्देशक समूह:** इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह (जैसे -NO$_2$, -COOH, -CHO, -CN)।
13.6 कैंसरजन्यता और विषाक्तता (Carcinogenicity and Toxicity)
बेंजीन और अन्य बहुचक्रीय एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) अस्थि मज्जा को प्रभावित कर सकते हैं और कैंसरजनित (कैंसर पैदा करने वाले) होते हैं। बेंजीन एक ज्ञात कार्सिनोजेन है जो ल्यूकेमिया का कारण बन सकता है। कई PAHs, जैसे बेंजो[a]पाइरीन, तंबाकू के धुएँ और जीवाश्म ईंधन के अपूर्ण दहन में पाए जाते हैं, और ये अत्यधिक कैंसरजनित होते हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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हाइड्रोकार्बन क्या होते हैं?
हाइड्रोकार्बन वे कार्बनिक यौगिक होते हैं जो केवल कार्बन (C) और हाइड्रोजन (H) परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं।
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एल्केन का सामान्य सूत्र लिखें।
एल्केन का सामान्य सूत्र $C_nH_{2n+2}$ है।
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कौन से हाइड्रोकार्बन ज्यामितीय समवयवता प्रदर्शित करते हैं?
एल्कीन ज्यामितीय (सिस-ट्रांस) समवयवता प्रदर्शित करते हैं।
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हकैल का नियम क्या है?
हकैल का नियम कहता है कि एक एरोमैटिक यौगिक में $(4n+2)$ $\pi$-इलेक्ट्रॉन होने चाहिए, जहाँ $n$ एक पूर्णांक (0, 1, 2,...) है।
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बेंजीन द्वारा प्रदर्शित प्रमुख प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया क्या है?
बेंजीन द्वारा प्रदर्शित प्रमुख प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Electrophilic Substitution Reaction) है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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एल्केन को पैराफिन क्यों कहा जाता है?
एल्केन को पैराफिन (लैटिन 'parum affinis' से) कहा जाता है क्योंकि वे रासायनिक रूप से बहुत कम अभिक्रियाशील होते हैं। उनकी कम अभिक्रियाशीलता संतृप्त कार्बन-कार्बन और कार्बन-हाइड्रोजन एकल आबंधों की प्रबलता और गैर-ध्रुवीय प्रकृति के कारण होती है।
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मार्कोवनिकोव का नियम समझाएँ।
मार्कोवनिकोव का नियम कहता है कि जब एक असममित अभिकर्मक (जैसे HX) एक असममित एल्कीन से जुड़ता है, तो अभिकर्मक का ऋणात्मक भाग उस कार्बन परमाणु से जुड़ता है जिसमें कम हाइड्रोजन परमाणु होते हैं।
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टर्मिनल एल्काइन अम्लीय क्यों होते हैं?
टर्मिनल एल्काइन अम्लीय होते हैं क्योंकि तिहरे आबंध से जुड़े कार्बन परमाणु $sp$ संकरित होते हैं, जो अधिक विद्युतऋणात्मक होते हैं। यह H-C आबंध को ध्रुवीय बनाता है, जिससे हाइड्रोजन परमाणु प्रोटॉन के रूप में आसानी से अलग हो सकता है।
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एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन की कैंसरजन्यता पर टिप्पणी करें।
कुछ एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, विशेष रूप से बहुचक्रीय एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) जिनमें दो या दो से अधिक बेंजीन वलय जुड़े होते हैं, कैंसरजनित होते हैं। उदाहरण के लिए, बेंजीन और बेंजो[a]पाइरीन ल्यूकेमिया और अन्य कैंसर का कारण बन सकते हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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एल्कीन की संरचना और उनके रासायनिक गुणों की व्याख्या करें, विशेष रूप से उनकी इलेक्ट्रॉनरागी योगात्मक अभिक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करें।
एल्कीन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें कम से कम एक कार्बन-कार्बन दोहरा आबंध ($C=C$) होता है। इस दोहरे आबंध में एक मजबूत सिग्मा ($\sigma$) आबंध और एक कमजोर पाई ($\pi$) आबंध होता है। दोहरे आबंध से जुड़े कार्बन परमाणु $sp^2$ संकरित होते हैं, और वे एक समतलीय त्रिकोणीय ज्यामिति अपनाते हैं। $\pi$-आबंध इलेक्ट्रॉन घनत्व से भरपूर होता है, जो इसे इलेक्ट्रॉनरागी अभिकर्मकों के प्रति अत्यधिक अभिक्रियाशील बनाता है। $\pi$-आबंध के ऊपर और नीचे स्थित इलेक्ट्रॉन बादल आने वाले इलेक्ट्रॉनरागी के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं, जिससे योगात्मक अभिक्रियाएँ होती हैं, जहाँ दोहरा आबंध टूटता है और दो नए एकल आबंध बनते हैं।
एल्कीन की विशिष्ट अभिक्रियाएँ इलेक्ट्रॉनरागी योगात्मक अभिक्रियाएँ होती हैं। उदाहरण के लिए, हाइड्रोजनीकरण में, $H_2$ Ni, Pt, या Pd उत्प्रेरक की उपस्थिति में दोहरे आबंध पर जुड़कर एल्केन बनाता है। हैलोजनीकरण में, हैलोजन ($Br_2$, $Cl_2$) का योग होता है, जिससे विसिनल डाइब्रोमाइड या डाइक्लोराइड बनते हैं; ब्रोमीन जल परीक्षण एक विशिष्ट असंतृप्तता परीक्षण है। हाइड्रोजन हैलाइड (HCl, HBr, HI) का योग मार्कोवनिकोव के नियम का पालन करता है, जहाँ H$^+$ उस कार्बन से जुड़ता है जिसमें पहले से ही अधिक हाइड्रोजन होते हैं। जल का योग (अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में) ऐल्कोहॉल का निर्माण करता है। इसके अतिरिक्त, एल्कीन ओजोनोअपघटन से गुजरते हैं, जिससे दोहरे आबंध के टूटने पर एल्डिहाइड और/या कीटोन बनते हैं। उच्च तापमान और दाब पर एल्कीन पॉलीमराइजेशन से गुजरते हैं, जिससे बड़े बहुलक अणु बनते हैं (जैसे पॉलिथीन)। इन अभिक्रियाओं में, $\pi$-आबंध का टूटना और नए $\sigma$-आबंधों का बनना अभिक्रियाओं को ऊर्जावान रूप से अनुकूल बनाता है।
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बेंजीन की संरचना और उसके इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं पर विस्तृत चर्चा करें।
बेंजीन ($C_6H_6$) सबसे सरल एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है, जिसकी संरचना में छह कार्बन परमाणुओं का एक षट्कोणीय वलय होता है। केकुले ने पहली बार एक चक्रीय संरचना प्रस्तावित की थी जिसमें वैकल्पिक एकल और दोहरे आबंध थे, लेकिन बेंजीन की अद्वितीय स्थिरता और रासायनिक व्यवहार को समझाने के लिए अनुनाद की अवधारणा की आवश्यकता थी। आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार, बेंजीन वलय में सभी छह कार्बन परमाणु $sp^2$ संकरित होते हैं, और प्रत्येक कार्बन के पास एक असंकरित p-कक्षक होता है जो वलय के ऊपर और नीचे एक सतत $\pi$-इलेक्ट्रॉन बादल बनाने के लिए अतिव्यापन करता है। यह $\pi$-इलेक्ट्रॉन का विस्थानीकरण बेंजीन को असाधारण स्थिरता प्रदान करता है (अनुनाद ऊर्जा लगभग 150 kJ/mol)। सभी C-C आबंधों की लंबाई समान (139 pm) होती है, जो एकल (154 pm) और दोहरे (134 pm) आबंध की लंबाई के बीच की होती है, जो दर्शाता है कि आबंध न तो शुद्ध एकल हैं और न ही शुद्ध दोहरे, बल्कि इनमें दोनों के गुण हैं।
बेंजीन की विशिष्ट रासायनिक अभिक्रियाएँ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (ESR) होती हैं। अपनी उच्च अनुनाद स्थिरता के कारण, बेंजीन योगात्मक अभिक्रियाओं के बजाय प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ पसंद करता है, क्योंकि योगात्मक अभिक्रियाएँ एरोमैटिक वलय को नष्ट कर देती हैं। ESR में, वलय पर एक हाइड्रोजन परमाणु एक इलेक्ट्रॉनरागी द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। प्रमुख ESR में नाइट्र्रीकरण, हैलोजनीकरण, सल्फोनीकरण, और फ्रीडल-क्राफ्ट्स ऐल्किलीकरण और ऐसिलिकरण शामिल हैं। उदाहरण के लिए, नाइट्र्रीकरण में, सांद्र HNO$_3$ और सांद्र H$_2$SO$_4$ के मिश्रण से एक इलेक्ट्रॉनरागी $NO_2^+$ उत्पन्न होता है जो बेंजीन वलय पर हमला करता है, जिससे नाइट्रोबेंजीन बनता है। हैलोजनीकरण में, $Cl_2$ या $Br_2$ एक लुईस अम्ल (जैसे $FeCl_3$) की उपस्थिति में वलय पर जुड़ता है। ये अभिक्रियाएँ बेंजीन वलय के $\pi$-इलेक्ट्रॉन बादल की इलेक्ट्रॉन-समृद्ध प्रकृति का लाभ उठाती हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनरागी इस पर आसानी से हमला कर सकते हैं और प्रतिस्थापन हो सकता है, जबकि वलय की एरोमैटिक प्रकृति बरकरार रहती है।
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