अध्याय 12: कार्बनिक रसायन: कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें (Organic Chemistry: Some Basic Principles and Techniques)
परिचय
कार्बनिक रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो कार्बन और हाइड्रोजन से बने यौगिकों (हाइड्रोकार्बन) और उनके व्युत्पन्नों के अध्ययन से संबंधित है। कार्बनिक यौगिक हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग हैं, जो भोजन, कपड़े, ईंधन, दवाएं और बहुत कुछ बनाते हैं। इस अध्याय में, हम कार्बनिक यौगिकों की प्रकृति, उनका वर्गीकरण, नामकरण, समावयवता, और इलेक्ट्रॉन के विस्थापन के प्रभावों जैसे कुछ मौलिक सिद्धांतों और तकनीकों का अध्ययन करेंगे, जो कार्बनिक अभिक्रियाओं को समझने के लिए आवश्यक हैं।
12.1 कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण (Classification of Organic Compounds)
कार्बनिक यौगिकों को उनकी संरचना के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
12.1.1 खुली श्रृंखला या एलीसाइक्लिक यौगिक (Open Chain or Aliphatic Compounds)
- ये वे यौगिक होते हैं जिनमें कार्बन परमाणु एक खुली श्रृंखला (सीधी या शाखित) में जुड़े होते हैं।
- उदाहरण: मीथेन ($\text{CH}_4$), ईथेन ($\text{CH}_3\text{CH}_3$), प्रोपेन ($\text{CH}_3\text{CH}_2\text{CH}_3$)
12.1.2 चक्रीय या वलय यौगिक (Cyclic or Ring Compounds)
- इन यौगिकों में कार्बन परमाणु एक या एक से अधिक वलयों (रिंगों) में जुड़े होते हैं। इन्हें आगे दो उपश्रेणियों में बांटा गया है:
- **एलीसाइक्लिक यौगिक (Alicyclic Compounds):** इनमें एलिफैटिक यौगिकों के समान गुण होते हैं लेकिन ये चक्रीय संरचना में होते हैं। उदाहरण: साइक्लोप्रोपेन, साइक्लोहेक्सेन।
- **एरोमैटिक यौगिक (Aromatic Compounds):** ये विशेष प्रकार के चक्रीय यौगिक होते हैं जो हकल नियम ($4n+2$ पाई इलेक्ट्रॉन) का पालन करते हैं और विशेष स्थिरता प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण: बेंजीन, नेफ़थलीन।
12.2 कार्बनिक यौगिकों का नामकरण (Nomenclature of Organic Compounds)
कार्बनिक यौगिकों के नामकरण के लिए IUPAC (International Union of Pure and Applied Chemistry) प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
12.2.1 सामान्य नामकरण (Common Nomenclature)
- यह ऐतिहासिक रूप से उपयोग किए जाने वाले नाम हैं, जो अक्सर स्रोत या गुणों पर आधारित होते हैं। उदाहरण: फॉर्मिक अम्ल (लाल चींटियों से), एसिटिक अम्ल (सिरका से)।
12.2.2 IUPAC नामकरण (IUPAC Nomenclature)
IUPAC प्रणाली नामकरण के लिए व्यवस्थित नियम प्रदान करती है, जो सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक संरचना का एक अनूठा नाम हो और प्रत्येक नाम एक अनूठी संरचना का प्रतिनिधित्व करे। इसमें मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं: **शब्द मूल (word root)**, **प्रत्यय (suffix)** और **उपसर्ग (prefix)**।
- **शब्द मूल (Word Root):** कार्बन श्रृंखला में कार्बन परमाणुओं की संख्या को इंगित करता है। (उदा. meth-, eth-, prop-, but- आदि)
- **प्राथमिक प्रत्यय (Primary Suffix):** कार्बन-कार्बन बंधों की संतृप्ति/असंतृप्ति को इंगित करता है (उदा. -ane, -ene, -yne)।
- **द्वितीयक प्रत्यय (Secondary Suffix):** कार्यात्मक समूह को इंगित करता है (उदा. -ol अल्कोहल के लिए, -al एल्डिहाइड के लिए)।
- **उपसर्ग (Prefix):** प्रतिस्थापियों या चक्रीय प्रकृति को इंगित करता है (उदा. methyl, chloro, cyclo-)।
12.3 समावयवता (Isomerism)
समावयवता वह घटना है जिसमें दो या दो से अधिक यौगिकों का आणविक सूत्र समान होता है लेकिन उनके भौतिक और रासायनिक गुण भिन्न होते हैं। यह परमाणुओं की व्यवस्था में अंतर के कारण होता है।
- **संरचनात्मक समावयवता (Structural Isomerism):** आणविक सूत्र समान होता है, लेकिन परमाणुओं के जुड़ने का क्रम भिन्न होता है।
- श्रृंखला समावयवता (Chain Isomerism)
- स्थिति समावयवता (Position Isomerism)
- क्रियात्मक समूह समावयवता (Functional Group Isomerism)
- मध्यावयवता (Metamerism)
- चलावयवता (Tautomerism)
- **त्रिविम समावयवता (Stereoisomerism):** आणविक सूत्र और परमाणुओं के जुड़ने का क्रम समान होता है, लेकिन परमाणुओं या समूहों की अंतरिक्ष में त्रिविम व्यवस्था भिन्न होती है।
- ज्यामितीय समावयवता (Geometric Isomerism) (cis-trans)
- प्रकाशिक समावयवता (Optical Isomerism) (एनैन्शियोमर, डायस्टीरियोमर)
12.4 कार्बनिक अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉन विस्थापन के प्रभाव (Electronic Displacements in Organic Reactions)
कार्बनिक अभिक्रियाओं में, इलेक्ट्रॉन युग्मों की गति या विस्थापन अभिक्रियाशीलता को प्रभावित करते हैं।
- **प्रेरणिक प्रभाव (Inductive Effect):** सिग्मा (σ) बंध के साथ इलेक्ट्रॉन घनत्व का स्थायी विस्थापन, जो पड़ोसी परमाणुओं की विद्युतऋणात्मकता में अंतर के कारण होता है। यह दूरी के साथ घटता है।
- $+I$ प्रभाव (इलेक्ट्रॉन दाता समूह): -$\text{CH}_3$, -$\text{C}_2\text{H}_5$, एल्काइल समूह
- $-I$ प्रभाव (इलेक्ट्रॉन ग्राही समूह): -$\text{NO}_2$, -$\text{COOH}$, -$\text{X}$ (हैलोजन)
- **अनुनाद प्रभाव या मेसोमेरिक प्रभाव (Resonance Effect or Mesomeric Effect):** पाई (π) बंधों या अकेले इलेक्ट्रॉन युग्मों के संयुग्मित प्रणालियों में स्थायी विस्थापन।
- $+R$ या $+M$ प्रभाव: इलेक्ट्रॉन घनत्व को प्रणाली से बाहर धकेलता है (उदा. -$\text{OH}$, -$\text{NH}_2$)
- $-R$ या $-M$ प्रभाव: इलेक्ट्रॉन घनत्व को प्रणाली की ओर खींचता है (उदा. -$\text{NO}_2$, -$\text{CHO}$)
- **अतिसंयुग्मन (Hyperconjugation):** सिग्मा (σ) इलेक्ट्रॉन और असंतृप्त प्रणाली (π-बंध या खाली p-कक्षक) के बीच स्थायी अनुनाद। इसे "नो-बॉन्ड रेजोनेंस" भी कहा जाता है। यह कार्बोकेशन, मुक्त मूलक और एल्कीन की स्थिरता को प्रभावित करता है।
- **इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव (Electromeric Effect):** पाई (π) बंध वाले यौगिकों में एक आक्रमणकारी अभिकर्मक की उपस्थिति में पाई इलेक्ट्रॉनों का अस्थायी पूर्ण स्थानांतरण। यह एक अस्थायी प्रभाव है।
12.5 कार्बनिक अभिक्रियाओं के प्रकार (Types of Organic Reactions)
कार्बनिक अभिक्रियाओं को आम तौर पर निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
- **योगात्मक अभिक्रियाएँ (Addition Reactions):** असंतृप्त यौगिकों (एल्कीन, एल्काइन) में परमाणुओं या समूहों का जुड़ना, जिससे संतृप्त यौगिक बनते हैं।
- उदाहरण: $\text{CH}_2=\text{CH}_2 + \text{H}_2 \rightarrow \text{CH}_3-\text{CH}_3$
- **प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (Substitution Reactions):** एक परमाणु या समूह को दूसरे परमाणु या समूह द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है।
- उदाहरण: $\text{CH}_4 + \text{Cl}_2 \xrightarrow{\text{UV light}} \text{CH}_3\text{Cl} + \text{HCl}$
- **विलोपन अभिक्रियाएँ (Elimination Reactions):** एक अणु से दो परमाणुओं या समूहों का निकलना, जिससे असंतृप्तता बनती है।
- उदाहरण: $\text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH} \xrightarrow{\text{Conc. H}_2\text{SO}_4} \text{CH}_2=\text{CH}_2 + \text{H}_2\text{O}$
- **पुनर्व्यवस्था अभिक्रियाएँ (Rearrangement Reactions):** एक ही अणु के भीतर परमाणुओं या समूहों का पुनर्व्यवस्थापन, जिससे एक नया समावयवी बनता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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कार्बनिक रसायन क्या है?
कार्बनिक रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो कार्बन और हाइड्रोजन से बने यौगिकों (हाइड्रोकार्बन) और उनके व्युत्पन्नों के अध्ययन से संबंधित है।
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IUPAC नामकरण में 'शब्द मूल' क्या दर्शाता है?
IUPAC नामकरण में 'शब्द मूल' कार्बन श्रृंखला में कार्बन परमाणुओं की संख्या को दर्शाता है (जैसे meth-, eth-, prop-)।
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समावयवता को परिभाषित करें।
समावयवता वह घटना है जिसमें दो या दो से अधिक यौगिकों का आणविक सूत्र समान होता है लेकिन परमाणुओं की व्यवस्था में अंतर के कारण उनके भौतिक और रासायनिक गुण भिन्न होते हैं।
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प्रेरणिक प्रभाव किस प्रकार का इलेक्ट्रॉन विस्थापन है?
प्रेरणिक प्रभाव सिग्मा (σ) बंध के साथ इलेक्ट्रॉन घनत्व का एक स्थायी विस्थापन है जो पड़ोसी परमाणुओं की विद्युतऋणात्मकता में अंतर के कारण होता है।
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एक योगात्मक अभिक्रिया का उदाहरण दें।
एल्कीन में हाइड्रोजन का जुड़ना एक योगात्मक अभिक्रिया का उदाहरण है: $\text{CH}_2=\text{CH}_2 + \text{H}_2 \rightarrow \text{CH}_3-\text{CH}_3$।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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एलीसाइक्लिक और एरोमैटिक यौगिकों में क्या अंतर है?
एलीसाइक्लिक यौगिक चक्रीय होते हैं लेकिन उनमें एलिफैटिक यौगिकों के समान गुण होते हैं। वहीं, एरोमैटिक यौगिक भी चक्रीय होते हैं, लेकिन वे हकल नियम का पालन करते हुए विशेष स्थिरता और अनूठे रासायनिक गुण प्रदर्शित करते हैं, जैसे बेंजीन।
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श्रृंखला समावयवता और स्थिति समावयवता में अंतर स्पष्ट करें।
श्रृंखला समावयवता में कार्बन श्रृंखला की संरचना में अंतर होता है (सीधी बनाम शाखित)। स्थिति समावयवता में, कार्यात्मक समूह या प्रतिस्थापी की स्थिति में अंतर होता है जबकि कार्बन श्रृंखला समान रहती है। दोनों में आणविक सूत्र समान होते हैं।
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प्रेरणिक प्रभाव और अनुनाद प्रभाव के बीच मुख्य अंतर क्या है?
प्रेरणिक प्रभाव सिग्मा (σ) बंधों के माध्यम से इलेक्ट्रॉन घनत्व का स्थायी विस्थापन है और दूरी के साथ घटता है। अनुनाद प्रभाव पाई (π) बंधों या अकेले इलेक्ट्रॉन युग्मों के संयुग्मन के कारण इलेक्ट्रॉन घनत्व का स्थायी विस्थापन है, जो पूरी प्रणाली में वितरित होता है।
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प्रकाशिक समावयवता क्या है?
प्रकाशिक समावयवता त्रिविम समावयवता का एक प्रकार है जिसमें यौगिकों का आणविक सूत्र और परमाणुओं के जुड़ने का क्रम समान होता है, लेकिन उनकी त्रिविम व्यवस्था ऐसी होती है कि वे एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं हो सकते (गैर-अध्यारोपण योग्य दर्पण छवियाँ होते हैं), और वे समतल ध्रुवित प्रकाश को घुमाते हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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कार्बनिक यौगिकों के वर्गीकरण के विभिन्न तरीकों का वर्णन करें।
कार्बनिक यौगिकों को उनकी संरचना के आधार पर व्यापक रूप से वर्गीकृत किया जाता है। मुख्य रूप से, उन्हें खुली श्रृंखला (एलिफैटिक) और चक्रीय (रिंग) यौगिकों में बांटा जा सकता है। खुली श्रृंखला वाले यौगिकों में कार्बन परमाणु एक सीधी या शाखित श्रृंखला में जुड़े होते हैं, जैसे मीथेन, ईथेन, या आइसोब्यूटेन। इन यौगिकों को आगे संतृप्त (केवल एकल बंध वाले) या असंतृप्त (द्वि- या त्रि-बंध वाले) में विभाजित किया जा सकता है।
दूसरी ओर, चक्रीय यौगिकों में कार्बन परमाणु एक या एक से अधिक वलय बनाते हैं। इन्हें फिर से एलीसाइक्लिक और एरोमैटिक यौगिकों में उप-वर्गीकृत किया जाता है। एलीसाइक्लिक यौगिकों में चक्रीय संरचना होती है लेकिन उनके रासायनिक गुण एलिफैटिक यौगिकों के समान होते हैं, जैसे साइक्लोहेक्सेन। इसके विपरीत, एरोमैटिक यौगिकों में बेंजीन जैसे विशिष्ट वलय होते हैं, जो विशेष स्थिरता और रासायनिक प्रतिक्रियाएँ दिखाते हैं, और हकल के $(4n+2)\pi$ इलेक्ट्रॉन नियम का पालन करते हैं। यह वर्गीकरण कार्बनिक यौगिकों की विशाल विविधता को व्यवस्थित करने और उनके गुणों की भविष्यवाणी करने में मदद करता है।
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IUPAC नामकरण के प्रमुख सिद्धांतों को समझाएं और एक उदाहरण दें।
IUPAC नामकरण एक मानकीकृत प्रणाली है जो कार्बनिक यौगिकों के लिए स्पष्ट और अद्वितीय नाम प्रदान करती है। इस प्रणाली का मूल सिद्धांत एक यौगिक के नाम को तीन प्रमुख भागों में तोड़ना है: शब्द मूल, प्राथमिक प्रत्यय और द्वितीयक प्रत्यय, साथ ही उपसर्ग यदि आवश्यक हो। शब्द मूल सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला में कार्बन परमाणुओं की संख्या को इंगित करता है (जैसे 'पेंट' 5 कार्बन के लिए)। प्राथमिक प्रत्यय (जैसे -ane, -ene, -yne) यह दर्शाता है कि कार्बन श्रृंखला संतृप्त है या उसमें द्वि- या त्रि-बंध मौजूद हैं। द्वितीयक प्रत्यय कार्यात्मक समूह की उपस्थिति को इंगित करता है (जैसे -ol अल्कोहल के लिए, -al एल्डिहाइड के लिए)।
उपसर्गों का उपयोग उन प्रतिस्थापियों (जैसे 'क्लोरो', 'मिथाइल') या चक्रीय संरचनाओं ('साइक्लो-') को दर्शाने के लिए किया जाता है जो मुख्य श्रृंखला या कार्यात्मक समूह का हिस्सा नहीं हैं। नामकरण प्रक्रिया में सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला का चयन करना, कार्यात्मक समूहों और प्रतिस्थापियों की पहचान करना, और उन्हें सबसे कम संभव संख्या देना शामिल है। उदाहरण के लिए, $\text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH}$ को 'इथेनॉल' कहा जाता है: 'इथ-' (2 कार्बन), '-an-' (एकल बंध), '-ol' (अल्कोहल कार्यात्मक समूह)। यह व्यवस्थित दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि दुनिया भर में रसायनज्ञ एक ही संरचना को एक ही नाम से समझ सकें।
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