अध्याय 10: s-ब्लॉक तत्व (s-Block Elements)

परिचय

**s-ब्लॉक तत्व** आवर्त सारणी के वे तत्व हैं जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन सबसे बाहरी s-उपकोश में प्रवेश करता है। इसमें समूह 1 (क्षार धातुएँ - Alkali Metals) और समूह 2 (क्षारीय मृदा धातुएँ - Alkaline Earth Metals) के तत्व शामिल हैं। इन तत्वों में कम आयनन एन्थैल्पी और उच्च विद्युत्-धनात्मकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप ये आसानी से धनायन बनाते हैं। इस अध्याय में, हम इन दो समूहों के तत्वों के सामान्य गुणधर्मों, उनके यौगिकों और उनके जैविक महत्व का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

10.1 समूह 1 तत्व: क्षार धातुएँ (Group 1 Elements: Alkali Metals)

समूह 1 के तत्व लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटेशियम (K), रूबिडियम (Rb), सीज़ियम (Cs) और फ्रांसियम (Fr) हैं। इन्हें क्षार धातुएँ कहा जाता है क्योंकि ये जल के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोक्साइड (क्षार) बनाते हैं जो प्रकृति में अत्यधिक क्षारीय होते हैं। इनका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास $ns^1$ होता है।

10.1.1 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और परमाणु गुणधर्म (Electronic Configuration and Atomic Properties)

10.1.2 रासायनिक गुणधर्म (Chemical Properties)

10.1.3 क्षार धातुओं के महत्वपूर्ण यौगिक (Important Compounds of Alkali Metals)

10.1.4 असंगत व्यवहार (Anomalous Behaviour) of Lithium (Li)

लिथियम समूह 1 का पहला सदस्य है और यह अपने समूह के अन्य सदस्यों से कुछ अलग गुण प्रदर्शित करता है। इसके छोटे आकार, उच्च आयनन एन्थैल्पी और उच्च ध्रुवीकरण क्षमता के कारण होता है।

10.2 समूह 2 तत्व: क्षारीय मृदा धातुएँ (Group 2 Elements: Alkaline Earth Metals)

समूह 2 के तत्व बेरिलियम (Be), मैग्नीशियम (Mg), कैल्शियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba) और रेडियम (Ra) हैं। इन्हें क्षारीय मृदा धातुएँ कहा जाता है क्योंकि इनके ऑक्साइड क्षारीय होते हैं और इन्हें मिट्टी में पाया जाता है। इनका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास $ns^2$ होता है।

10.2.1 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और परमाणु गुणधर्म (Electronic Configuration and Atomic Properties)

10.2.2 रासायनिक गुणधर्म (Chemical Properties)

10.2.3 क्षारीय मृदा धातुओं के महत्वपूर्ण यौगिक (Important Compounds of Alkaline Earth Metals)

10.2.4 असंगत व्यवहार (Anomalous Behaviour) of Beryllium (Be)

बेरिलियम समूह 2 का पहला सदस्य है और यह अपने समूह के अन्य सदस्यों से कुछ अलग गुण प्रदर्शित करता है। यह भी अपने छोटे आकार और उच्च विद्युत्-ऋणात्मकता के कारण होता है।

10.3 s-ब्लॉक तत्वों का जैविक महत्व (Biological Importance of s-Block Elements)

सोडियम और पोटेशियम मानव शरीर में तरल पदार्थों के संतुलन, तंत्रिका आवेगों के संचरण और मांसपेशियों के संकुचन के लिए महत्वपूर्ण हैं। कैल्शियम हड्डियों और दांतों का मुख्य घटक है, और रक्त के थक्के जमने और मांसपेशियों के कार्य के लिए भी आवश्यक है। मैग्नीशियम कई एंजाइमों के लिए सह-कारक के रूप में कार्य करता है और क्लोरोफिल का एक घटक है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. s-ब्लॉक तत्व कौन से समूह में पाए जाते हैं?

    s-ब्लॉक तत्व आवर्त सारणी के समूह 1 और समूह 2 में पाए जाते हैं।

  2. क्षार धातुओं का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्या है?

    क्षार धातुओं का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास $ns^1$ है।

  3. लिथियम का असामान्य व्यवहार क्यों होता है?

    लिथियम का असामान्य व्यवहार इसके बहुत छोटे आकार, उच्च आयनन एन्थैल्पी और उच्च ध्रुवीकरण शक्ति के कारण होता है।

  4. क्षारीय मृदा धातुओं को यह नाम क्यों दिया गया है?

    क्षारीय मृदा धातुओं को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इनके ऑक्साइड क्षारीय प्रकृति के होते हैं और इन्हें पृथ्वी की परत में पाया जाता है।

  5. प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक सूत्र क्या है?

    प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक सूत्र $\text{CaSO}_4.\frac{1}{2}H_2O$ है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. समूह 1 के तत्व जल के साथ अत्यधिक अभिक्रियाशील क्यों होते हैं?

    समूह 1 के तत्व जल के साथ अत्यधिक अभिक्रियाशील होते हैं क्योंकि उनके संयोजकता कोश में एक इलेक्ट्रॉन होता है जिसे वे आसानी से खोकर स्थिर धनायन बनाते हैं, और उनकी आयनन एन्थैल्पी बहुत कम होती है।

  2. विकर्ण संबंध क्या है? Li किस तत्व के साथ विकर्ण संबंध प्रदर्शित करता है?

    विकर्ण संबंध आवर्त सारणी में एक समूह के पहले तत्व और अगले समूह के दूसरे तत्व के बीच कुछ गुणों में समानता को संदर्भित करता है। लिथियम (Li) एल्यूमीनियम (Al) के साथ विकर्ण संबंध प्रदर्शित करता है।

  3. सोडियम और पोटेशियम के दो महत्वपूर्ण जैविक कार्य क्या हैं?

    सोडियम और पोटेशियम मानव शरीर में तरल पदार्थों के संतुलन को बनाए रखने और तंत्रिका आवेगों के संचरण (सोडियम-पोटेशियम पंप) के लिए महत्वपूर्ण हैं।

  4. मैग्नीशियम और कैल्शियम की कठोर जल में क्या भूमिका है?

    मैग्नीशियम और कैल्शियम के आयन (Mg$^{2+}$ और Ca$^{2+}$) जल को कठोर बनाते हैं। यह साबुन के साथ झाग बनाने में बाधा डालता है और पाइपों में परत जमा करता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. क्षार धातुओं के मुख्य गुणधर्मों की व्याख्या करें और समूह में नीचे जाने पर उनके गुणों में क्या रुझान होते हैं?

    क्षार धातुएँ (समूह 1) अत्यधिक अभिक्रियाशील, मुलायम और चाँदी के समान सफेद धातुएँ होती हैं। इनके संयोजकता कोश में एक ही इलेक्ट्रॉन ($ns^1$) होता है, जिसे ये आसानी से खोकर $+1$ ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती हैं। इनकी आयनन एन्थैल्पी बहुत कम होती है, जिससे ये प्रबल अपचायक होती हैं। ये जल के साथ तेजी से अभिक्रिया करके प्रबल क्षार और हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं।

    समूह में नीचे जाने पर (लिथियम से सीज़ियम तक) इनके परमाणु आकार में वृद्धि होती है क्योंकि नए कोश जुड़ते जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, आयनन एन्थैल्पी घटती जाती है, जिससे इलेक्ट्रॉन को हटाना आसान हो जाता है और इनकी अभिक्रियाशीलता बढ़ती जाती है। धातुई गुण और विद्युत्-धनात्मक प्रकृति भी समूह में नीचे जाने पर बढ़ती है। जलयोजन एन्थैल्पी समूह में नीचे जाने पर घटती है क्योंकि आयनिक आकार बढ़ता जाता है। इनके गलनांक और क्वथनांक समूह में नीचे जाने पर घटते जाते हैं, क्योंकि धातुई आबंध की प्रबलता कम होती जाती है।

  2. बेरिलियम का असामान्य व्यवहार क्यों होता है? एल्यूमीनियम के साथ इसके विकर्ण संबंध की व्याख्या करें।

    बेरिलियम (Be) समूह 2 का पहला सदस्य है और यह अपने समूह के अन्य सदस्यों (Mg, Ca, Sr, Ba) से काफी अलग गुण प्रदर्शित करता है। इसका असामान्य व्यवहार इसके बहुत छोटे परमाणु आकार, उच्च आयनन एन्थैल्पी और उच्च विद्युत्-ऋणात्मकता के कारण होता है। इस छोटे आकार के कारण, Be में उच्च आवेश घनत्व होता है और यह आयनिक बंधों के बजाय सहसंयोजक बंध बनाने की प्रवृत्ति रखता है, जो अन्य क्षारीय मृदा धातुओं से भिन्न है जो आयनिक यौगिक बनाते हैं। यह उभयधर्मी गुण भी प्रदर्शित करता है, यानी यह अम्लों और क्षारों दोनों के साथ अभिक्रिया करता है, जबकि समूह के अन्य सदस्य केवल क्षारों के साथ अभिक्रिया करते हैं।

    बेरिलियम एल्यूमीनियम (Al) के साथ **विकर्ण संबंध** प्रदर्शित करता है। इसका मतलब है कि Be के गुण Al के गुणों के समान होते हैं, भले ही वे अलग-अलग समूहों और आवर्तों में हों। यह समानता मुख्य रूप से उनके समान आवेश/त्रिज्या अनुपात के कारण होती है, जिसके परिणामस्वरूप उनके आयनों में समान ध्रुवीकरण शक्ति होती है। उदाहरण के लिए, Be और Al दोनों सहसंयोजक यौगिक बनाते हैं, दोनों ही अम्लों और क्षारों के साथ अभिक्रिया करते हैं (उभयधर्मी प्रकृति), और दोनों के हैलाइडों की ब्रिज्ड संरचना होती है। उनके ऑक्साइड भी समान होते हैं, उदाहरण के लिए BeO और Al$_2$O$_3$ दोनों उभयधर्मी होते हैं। यह विकर्ण संबंध आवर्त सारणी में पड़ोसी तत्वों के बीच कुछ समानताएँ समझाने में मदद करता है।

  3. सोडियम कार्बोनेट (वॉशिंग सोडा) के निर्माण के लिए सॉल्वे प्रक्रिया का वर्णन करें।

    सोडियम कार्बोनेट (Na$_2$CO$_3$), जिसे आमतौर पर वॉशिंग सोडा कहा जाता है, का निर्माण सॉल्वे प्रक्रिया (या अमोनिया-सोडा प्रक्रिया) द्वारा औद्योगिक पैमाने पर किया जाता है। यह प्रक्रिया एक बहुत ही कुशल और लागत प्रभावी विधि है। इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से तीन कच्चे माल का उपयोग होता है: सोडियम क्लोराइड (NaCl), अमोनिया (NH$_3$), और चूना पत्थर (CaCO$_3$) या कार्बन डाइऑक्साइड का स्रोत।

    सॉल्वे प्रक्रिया के मुख्य चरण इस प्रकार हैं:

    1. **अमोनियाकल ब्राइन का संतृप्तिकरण:** पहले, अमोनिया गैस को सोडियम क्लोराइड के संतृप्त विलयन (ब्राइन) में से गुजारा जाता है ताकि अमोनियाकल ब्राइन प्राप्त हो।
    2. **कार्बन डाइऑक्साइड का पारित करना:** फिर, इस अमोनियाकल ब्राइन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस को गुजारा जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड चूना पत्थर को गर्म करके प्राप्त की जाती है। यह अभिक्रिया के परिणामस्वरूप सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट (NaHCO$_3$) और अमोनियम क्लोराइड (NH$_4$Cl) बनता है। सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट पानी में कम घुलनशील होने के कारण अवक्षेपित हो जाता है। $$ \text{NaCl}(aq) + \text{NH}_3(g) + \text{H}_2\text{O}(l) + \text{CO}_2(g) \rightarrow \text{NaHCO}_3(s) + \text{NH}_4\text{Cl}(aq) $$
    3. **सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट का गर्म करना:** अवक्षेपित सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट को छानकर अलग कर लिया जाता है और फिर गर्म किया जाता है (कैल्सीनेशन) जिससे सोडियम कार्बोनेट, कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनता है। $$ 2\text{NaHCO}_3(s) \xrightarrow{\text{heat}} \text{Na}_2\text{CO}_3(s) + \text{H}_2\text{O}(l) + \text{CO}_2(g) $$
    4. **अमोनिया का पुनर्चक्रण:** इस प्रक्रिया में, अमोनियम क्लोराइड विलयन को चूना पत्थर के कैल्सीनेशन से प्राप्त कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड (बुझा हुआ चूना) के साथ गर्म करके अमोनिया को पुनर्चक्रित किया जाता है। $$ 2\text{NH}_4\text{Cl}(aq) + \text{Ca(OH)}_2(s) \rightarrow 2\text{NH}_3(g) + \text{CaCl}_2(aq) + 2\text{H}_2\text{O}(l) $$ पुनर्चक्रित अमोनिया का उपयोग अगले बैच के लिए किया जाता है, जिससे प्रक्रिया अधिक आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल हो जाती है। सोडियम कार्बोनेट (एन्हाइड्रस सोडा ऐश) को बाद में क्रिस्टलीकृत करके वॉशिंग सोडा ($\text{Na}_2\text{CO}_3 \cdot 10\text{H}_2\text{O}$) प्राप्त किया जाता है।


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