अध्याय 1: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (The Rise of Nationalism in Europe)
परिचय
कक्षा 10 इतिहास का यह अध्याय **'यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय'** 19वीं सदी के यूरोप में हुए महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करता है। यह वह दौर था जब बहु-राष्ट्रीय वंशवादी साम्राज्यों की जगह राष्ट्र-राज्यों (nation-states) ने ले ली। इस अध्याय में हम विभिन्न क्रांतियों, आंदोलनों, और नेताओं के बारे में जानेंगे जिन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया और यूरोप के नक्शे को हमेशा के लिए बदल दिया।
---1. फ्रांसीसी क्रांति और राष्ट्र का विचार (The French Revolution and the Idea of the Nation)
- **1789 की फ्रांसीसी क्रांति** ने राष्ट्रवाद का पहला स्पष्ट अभिव्यक्ति दी।
- इसने फ्रांस में राजतंत्र को समाप्त किया और सत्ता नागरिकों के हाथ में दे दी।
- फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने सामूहिक पहचान और राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने के लिए विभिन्न उपाय किए:
- **पितृभूमि (La patrie)** और **नागरिक (le citoyen)** जैसे विचारों पर जोर।
- एक नया फ्रांसीसी झंडा (तिरंगा) चुना गया।
- स्टेट्स जनरल का नाम बदलकर नेशनल असेंबली कर दिया गया और सक्रिय नागरिकों द्वारा चुना जाने लगा।
- नए राष्ट्रगान रचे गए, शपथें ली गईं और शहीदों का गुणगान हुआ।
- एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई।
- क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया और पेरिस में बोली जाने वाली फ्रेंच को राष्ट्र की भाषा बनाया गया।
- **नेपोलियन (Napoleon Bonaparte):**
- नेपोलियन ने फ्रांस में लोकतंत्र को नष्ट कर दिया, लेकिन प्रशासनिक क्षेत्र में कई क्रांतिकारी सुधार किए।
- **नेपोलियन कोड (Napoleonic Code / Civil Code of 1804):**
- जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त किए।
- कानून के समक्ष समानता और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित किया।
- सामंती व्यवस्था को समाप्त किया और किसानों को भू-दासत्व से मुक्त किया।
- शहरों में गिल्ड प्रतिबंधों को हटाया गया।
- परिवहन और संचार प्रणालियों में सुधार किया गया।
- शुरुआत में नेपोलियन की सेनाओं को 'स्वतंत्रता के अग्रदूत' के रूप में देखा गया, लेकिन जल्द ही लोग फ्रांसीसी कब्जे को दमनकारी मानने लगे (बढ़े हुए कर, सेंसरशिप, जबरन भर्ती)।
2. यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण (The Making of Nationalism in Europe)
(a) अभिजात वर्ग और नया मध्य वर्ग (The Aristocracy and the New Middle Class)
- **अभिजात वर्ग:** यूरोपीय महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वर्ग। संख्या में कम लेकिन अमीर, फ्रांसीसी बोलते थे, ग्रामीण इलाकों में बड़ी जागीरों के मालिक थे।
- **किसान वर्ग:** जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा।
- **औद्योगीकरण का उदय (18वीं सदी के उत्तरार्ध):** इसने नए सामाजिक समूहों को जन्म दिया - श्रमिक वर्ग और मध्य वर्ग (उद्योगपति, व्यापारी, पेशेवर)।
- मध्य वर्ग में शिक्षित उदारवादी राष्ट्रवाद के विचार लोकप्रिय हुए।
(b) उदारवादी राष्ट्रवाद क्या था? (What did Liberal Nationalism Stand For?)
- **उदारवाद (Liberalism):** 'लिबर' (Liber) शब्द पर आधारित, जिसका अर्थ है 'स्वतंत्र'।
- **राजनीतिक क्षेत्र में:**
- सरकार की सहमति (consent) पर आधारित।
- प्रतिनिधि सरकार का समर्थन।
- मताधिकार का अधिकार केवल संपत्ति धारक पुरुषों को। महिलाओं को मताधिकार से वंचित रखा गया था।
- व्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के समक्ष समानता पर जोर।
- **आर्थिक क्षेत्र में:**
- बाजारों की स्वतंत्रता।
- राज्य द्वारा लगाए गए वस्तुओं और पूंजी के आवागमन पर प्रतिबंधों का उन्मूलन।
- जोलवेरिन (Zollverein) या जर्मन शुल्क संघ (1834) का गठन: इसने शुल्क अवरोधों को समाप्त किया, मुद्राओं की संख्या 30 से 2 तक कम की।
(c) रूढ़िवाद का एक नया युग (1815 के बाद) (A New Conservatism after 1815)
- **नेपोलियन की हार (1815):** रूढ़िवादी ताकतें फिर से सत्ता में आईं।
- **रूढ़िवाद (Conservatism):** एक राजनीतिक दर्शन जो स्थापित, पारंपरिक संस्थाओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने पर जोर देता है।
- **वियना कांग्रेस (Congress of Vienna - 1815):**
- यूरोप के रूढ़िवादी शासकों द्वारा आयोजित।
- नेतृत्व: ऑस्ट्रियाई चांसलर **ड्यूक मेट्टेर्निच (Duke Metternich)**।
- **मुख्य उद्देश्य:** नेपोलियन द्वारा किए गए अधिकांश परिवर्तनों को पूर्ववत करना और यूरोप में एक नया रूढ़िवादी आदेश स्थापित करना।
- **परिणाम:**
- बॉर्बन वंश को बहाल किया गया।
- फ्रांस ने उन क्षेत्रों को खो दिया जो उसने नेपोलियन के अधीन जीते थे।
- फ्रांस की सीमाओं पर राज्यों की एक श्रृंखला स्थापित की गई ताकि भविष्य में फ्रांसीसी विस्तार को रोका जा सके।
(d) क्रांतिकारी (The Revolutionaries)
- 1815 के बाद, कई उदारवादी-राष्ट्रवादियों ने गुप्त समाजों का गठन किया।
- **गुइसेपे मेत्सिनी (Giuseppe Mazzini):**
- इतालवी क्रांतिकारी, जिसका जन्म जेनोआ में 1807 में हुआ था।
- कार्बोनारी के गुप्त समाज के सदस्य।
- 1831 में लिगुरिया में एक क्रांति का प्रयास करने के लिए निर्वासित किया गया।
- दो और भूमिगत समाज स्थापित किए: **यंग इटली (Young Italy)** मार्सिले में और **यंग यूरोप (Young Europe)** बर्न में।
- उनका मानना था कि ईश्वर ने राष्ट्रों को मानव जाति की प्राकृतिक इकाइयाँ बनाया है, इसलिए इटली को टुकड़ों के राज्यों का पैचवर्क नहीं होना चाहिए।
- मेट्टेर्निच ने उसे 'हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन' कहा।
3. क्रांतियों का युग: 1830-1848 (The Age of Revolutions: 1830-1848)
- जैसे-जैसे रूढ़िवाद मजबूत हुआ, उदारवादी और राष्ट्रवादी भूमिगत हो गए।
- **जुलाई क्रांति (1830):** बॉर्बन राजाओं को उदारवादी क्रांतिकारियों ने उखाड़ फेंका और एक संवैधानिक राजतंत्र स्थापित किया, जिसका प्रमुख लुई फिलिप था।
- **यूनानी स्वतंत्रता संग्राम (Greek War of Independence - 1821):**
- यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत किया।
- कलाकारों और कवियों ने ग्रीस को यूरोपीय सभ्यता का पालना कहकर उसके लिए समर्थन जुटाया।
- 1832 की कॉन्स्टेंटिनोपल की संधि ने ग्रीस को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।
- **रोमांटिक कल्पना और राष्ट्रीय भावना (The Romantic Imagination and National Feeling):**
- रोमांटिसिज्म (Romanticism) एक सांस्कृतिक आंदोलन था जो विज्ञान और तर्क के बजाय भावनाओं, अंतर्ज्ञान और रहस्यवादी भावनाओं पर केंद्रित था।
- कलाकारों और कवियों ने साझा संस्कृति, लोक कथाओं, लोक गीतों और लोक नृत्यों के माध्यम से एक सामूहिक राष्ट्रीय पहचान बनाई।
- भाषा ने भी राष्ट्रीय भावना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई (उदा. पोलिश भाषा का रूसी प्रभुत्व के खिलाफ प्रतिरोध)।
(a) भूख, कठिनाई और जन विद्रोह (Hunger, Hardship and Popular Revolt)
- 1830 के दशक में यूरोप में आर्थिक कठिनाइयाँ बढ़ गईं:
- जनसंख्या में वृद्धि, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में प्रवासन बढ़ा।
- छोटे उत्पादकों को इंग्लैंड से आयातित मशीनों से बने सस्ते सामानों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
- सामंती शुल्कों और दायित्वों के बोझ के कारण किसानों की दयनीय स्थिति।
- **1848 का वर्ष:**
- भोजन की कमी और व्यापक बेरोजगारी के कारण पेरिस में विद्रोह हुआ।
- लुई फिलिप भाग गया, और नेशनल असेंबली ने एक गणतंत्र घोषित किया।
- सभी वयस्क पुरुषों को मताधिकार (universal male suffrage) दिया गया।
- राष्ट्रीय कार्यशालाएं स्थापित की गईं।
(b) 1848: उदारवादियों की क्रांति (1848: The Revolution of the Liberals)
- शिक्षित मध्य वर्गों द्वारा समानांतर क्रांतियाँ।
- वे संवैधानिकवाद के सिद्धांतों पर आधारित राष्ट्र-राज्यों के निर्माण की मांग कर रहे थे:
- संसदवाद, संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन की स्वतंत्रता।
- **फ्रैंकफर्ट संसद (Frankfurt Parliament - 1848):**
- जर्मन राजनीतिक संघों के प्रतिनिधियों ने फ्रैंकफर्ट में अखिल-जर्मन नेशनल असेंबली के लिए मतदान किया।
- 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने फ्रैंकफर्ट संसद में प्रवेश किया।
- उन्होंने जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार किया, जिसमें राष्ट्र का नेतृत्व एक संवैधानिक राजतंत्र के अधीन एक राजा द्वारा किया जाना था।
- फ्रेडरिक विलियम IV, प्रशिया के राजा, ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
- महिलाओं को दर्शक के रूप में ही प्रवेश दिया गया, उन्हें मताधिकार नहीं दिया गया।
- यह प्रयास विफल रहा।
- रूढ़िवादी शक्तियाँ 1848 के बाद उदारवादी आंदोलनों को दबाने में सक्षम थीं, लेकिन वे पुरानी व्यवस्था को बहाल नहीं कर पाए।
- सामंती व्यवस्था और भू-दासत्व को समाप्त किया गया।
4. जर्मनी और इटली का निर्माण (The Making of Germany and Italy)
(a) जर्मनी: क्या सेना राष्ट्र की वास्तुकार हो सकती है? (Germany: Can the Army be the Architect of a Nation?)
- राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्य वर्ग के जर्मनों के बीच व्यापक थीं, लेकिन वे 1848 में राष्ट्र-राज्य बनाने में विफल रहे।
- **प्रशिया के नेतृत्व में एकीकरण:**
- प्रशिया ने जर्मन एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व संभाला।
- प्रशिया के मुख्यमंत्री **ओटो वॉन बिस्मार्क (Otto von Bismarck)** को इस प्रक्रिया का 'वास्तुकार' माना जाता है।
- उन्होंने प्रशिया की सेना और नौकरशाही की मदद से सात वर्षों में तीन युद्ध लड़े (डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और फ्रांस के खिलाफ) और प्रशिया की जीत हुई।
- जनवरी 1871 में, प्रशिया के राजा **विलियम I (William I)** को वर्साय में एक समारोह में जर्मन सम्राट घोषित किया गया।
- नई जर्मन साम्राज्य ने मुद्रा, बैंकिंग, कानूनी और न्यायिक प्रणालियों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया।
(b) इटली का एकीकरण (Italy Unified)
- इटली भी कई वंशवादी राज्यों में बंटा हुआ था।
- **मेत्सिनी:** 1830 के दशक में 'यंग इटली' के गठन के माध्यम से इटली को एकजुट करने का प्रयास किया।
- **सार्डिनिया-पीडमोंट के नेतृत्व में एकीकरण:**
- 1848 की क्रांतिकारी विफलताओं के बाद, सार्डिनिया-पीडमोंट के शासक किंग **विक्टर इमैनुएल II (Victor Emmanuel II)** ने इटली के राज्यों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया।
- मुख्यमंत्री **काउंट कैमिलो डी कावूर (Count Camillo de Cavour):** वह एक क्रांतिकारी या लोकतांत्रिक नहीं था, लेकिन उसने फ्रांस के साथ एक राजनयिक गठबंधन किया और 1859 में ऑस्ट्रियाई सेनाओं को हराया।
- **गुइसेपे गैरीबाल्डी (Giuseppe Garibaldi):**
- वह स्वयंसेवकों की एक सेना का नेतृत्व कर रहा था जिसे **रेड शर्ट्स (Red Shirts)** कहा जाता था।
- 1860 में, उन्होंने दक्षिणी इटली और दो सिसिली के साम्राज्य पर कब्जा कर लिया और स्थानीय किसानों का समर्थन जीता ताकि स्पेनिश शासकों को बाहर निकाला जा सके।
- 1861 में, **विक्टर इमैनुएल II** को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।
- हालांकि, जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, उदारवादी राष्ट्रवादी विचारधारा से अनभिज्ञ था।
5. ब्रिटेन की अजीबोगरीब दास्तान (The Strange Case of Britain)
- ब्रिटेन में राष्ट्र-राज्य का निर्माण किसी अचानक क्रांति या विद्रोह का परिणाम नहीं था, बल्कि एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम था।
- ब्रिटेन में विभिन्न जातीय समूह थे: अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट और आयरिश।
- **अंग्रेजी संसद:** ने 1688 में राजशाही से सत्ता छीन ली।
- **एक्ट ऑफ यूनियन (Act of Union - 1707):** इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच, जिससे 'यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन' का गठन हुआ। इसने स्कॉटलैंड को अंग्रेजी प्रभाव में ला दिया।
- **आयरलैंड:**
- कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट के बीच विभाजित।
- अंग्रेजों ने प्रोटेस्टेंटों को समर्थन दिया और कैथोलिक विद्रोहियों को दबाया।
- 1798 में वोल्फ टोन (Wolfe Tone) और उनके यूनाइटेड आयरिशमैन के नेतृत्व में एक असफल विद्रोह के बाद, आयरलैंड को 1801 में बलपूर्वक यूनाइटेड किंगडम में शामिल कर लिया गया।
- एक नया 'ब्रिटिश राष्ट्र' बनाया गया, जिसमें ब्रिटिश झंडा (यूनियन जैक), राष्ट्रगान (God Save Our Noble King/Queen), और अंग्रेजी भाषा को बढ़ावा दिया गया।
6. राष्ट्र की दृश्य कल्पना (Visualising the Nation)
- 18वीं और 19वीं सदी में, कलाकारों ने एक राष्ट्र को एक व्यक्ति के रूप में चित्रित करना शुरू किया।
- **रूपक (Allegory):** एक अमूर्त विचार को एक व्यक्ति या वस्तु के माध्यम से व्यक्त करना।
- **फ्रांस में:** राष्ट्र को **मारियान (Marianne)** के रूप में चित्रित किया गया, जो स्वतंत्रता और गणतंत्र का प्रतीक थी। उसके पास लाल टोपी, तिरंगा और सह-प्रतीक थे।
- **जर्मनी में:** राष्ट्र को **जर्मेनिया (Germania)** के रूप में चित्रित किया गया, जो ओक पत्तियों का मुकुट पहने हुए थी (जर्मन ओक वीरता का प्रतीक है)।
7. राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद (Nationalism and Imperialism)
- 19वीं सदी के अंतिम चौथाई तक राष्ट्रवाद अब अपने उदार-लोकतांत्रिक आदर्शों से दूर हो गया और संकीर्ण उद्देश्यों वाला एक सीमित पंथ बन गया।
- राष्ट्रवादी समूह एक-दूसरे के प्रति असहिष्णु हो गए।
- **बाल्कन क्षेत्र (The Balkans):**
- इसमें आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बानिया, ग्रीस, मैसेडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मोंटेनेग्रो शामिल थे।
- ये ओटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में थे।
- ओटोमन साम्राज्य के विघटन और स्लाव लोगों के बीच राष्ट्रवादी विचारों के प्रसार ने इस क्षेत्र को अत्यधिक विस्फोटक बना दिया।
- प्रत्येक बाल्कन राज्य अपनी पहचान और स्वतंत्रता प्राप्त करने की उम्मीद करता था।
- यह क्षेत्र बड़ी यूरोपीय शक्तियों (रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया-हंगरी) के बीच प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र बन गया, जो व्यापार और उपनिवेशों पर नियंत्रण चाहते थे।
- **परिणाम:** बाल्कन में संघर्षों की एक श्रृंखला हुई, जो अंततः **प्रथम विश्व युद्ध (First World War)** का कारण बनी।
- कई देशों ने साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलनों को विकसित किया जो राष्ट्रवादी थे, लेकिन वे राष्ट्र-राज्य बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
- राष्ट्र-राज्यों का विचार, जिसमें सभी नागरिक एक साझा पहचान और इतिहास साझा करते हैं, 19वीं सदी के अंत तक यूरोप और दुनिया भर में फैल गया।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
चर्चा करें (Discuss)
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फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?
फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान और राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए। ये कदम व्यक्तिगत निष्ठा को राजा से हटाकर राष्ट्र के प्रति समर्पित करने पर केंद्रित थे:
- **पितृभूमि और नागरिक का विचार (La patrie and le citoyen):** उन्होंने 'पितृभूमि' (पिता की भूमि) और 'नागरिक' के विचारों पर जोर दिया, जिससे एक ऐसे समुदाय की अवधारणा विकसित हुई जिसे एक संविधान के तहत समान अधिकार प्राप्त थे।
- **नया फ्रांसीसी झंडा:** राजशाही का पुराना शाही मानक झंडा हटाकर एक नया फ्रांसीसी तिरंगा झंडा चुना गया, जिसने राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक बन गया।
- **स्टेट्स जनरल का चुनाव और नामकरण:** स्टेट्स जनरल को सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा चुना जाने लगा और इसका नाम बदलकर 'नेशनल असेंबली' कर दिया गया, जिससे लोगों की संप्रभुता का एहसास हुआ।
- **नए राष्ट्रगान और शपथें:** नए राष्ट्रगान रचे गए, शपथें ली गईं, और शहीदों का गुणगान हुआ, ये सभी राष्ट्र के नाम पर किए गए।
- **केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था:** एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई, जिसने अपने क्षेत्र में सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।
- **आंतरिक सीमा शुल्क और शुल्क हटाना:** देश के भीतर वस्तुओं और पूंजी के मुक्त आवागमन की सुविधा के लिए आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए।
- **माप-तौल की एक समान प्रणाली:** पूरे देश में एक समान वजन और माप प्रणाली अपनाई गई, जिससे आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा मिला।
- **क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित करना:** क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया और पेरिस में बोली जाने वाली फ्रेंच को राष्ट्र की आम भाषा बना दिया गया, जिससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिला।
- **क्रांति के लक्ष्य का प्रचार:** क्रांतिकारियों ने यह भी घोषणा की कि फ्रांसीसी राष्ट्र का मिशन यूरोप के लोगों को निरंकुश शासन से मुक्त कराना और उन्हें राष्ट्रों में बदलना था।
इन सभी उपायों का उद्देश्य लोगों में साझा पहचान, एकता और राष्ट्र के प्रति वफादारी की भावना को बढ़ावा देना था। -
नेपोलियन के प्रशासनिक सुधारों ने उन क्षेत्रों में दक्षता बढ़ाने में कैसे मदद की जहाँ उसका शासन था?
नेपोलियन बोनापार्ट ने हालांकि फ्रांस में लोकतंत्र को नष्ट कर दिया था, लेकिन उसने प्रशासन के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी सुधार किए, जिन्हें **नेपोलियन कोड (Napoleonic Code) या 1804 का नागरिक संहिता** कहा जाता है। इन सुधारों ने उन क्षेत्रों में दक्षता बढ़ाने में मदद की जहाँ उसका शासन था:
- **जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों का उन्मूलन:** इसने जन्म के आधार पर सभी विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया, जिससे समाज में योग्यता और समानता को बढ़ावा मिला।
- **कानून के समक्ष समानता और संपत्ति का अधिकार:** संहिता ने कानून के समक्ष समानता स्थापित की और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित किया, जिससे लोगों में सुरक्षा और विश्वास की भावना बढ़ी।
- **सामंती व्यवस्था का अंत:** नेपोलियन ने सामंती व्यवस्था को समाप्त कर दिया और किसानों को भू-दासत्व (serfdom) और जागीरदारी शुल्कों से मुक्त कर दिया, जिससे किसानों को अधिक स्वतंत्रता और आर्थिक अवसर मिले।
- **गिल्ड प्रतिबंधों को हटाना:** शहरों में कारीगरों के गिल्ड (guilds) पर लगे प्रतिबंधों को हटा दिया गया। इससे व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिला, क्योंकि कारीगरों को अधिक स्वतंत्रता मिली।
- **परिवहन और संचार प्रणालियों में सुधार:** नेपोलियन ने परिवहन और संचार प्रणालियों में सुधार किया। बेहतर सड़कें, नहरें और संचार नेटवर्क माल और विचारों के आवागमन को आसान बनाते थे, जिससे आर्थिक दक्षता बढ़ती थी।
- **मानक माप और वजन प्रणाली:** उसने एक समान वजन और माप प्रणाली लागू की और एक सामान्य राष्ट्रीय मुद्रा को अपनाया। इससे व्यापार और वाणिज्य सरल हो गया, क्योंकि व्यापारियों को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रणालियों से निपटना नहीं पड़ता था।
- **केंद्रीकृत प्रशासन:** उसने एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की, जिससे प्रशासन में एकरूपता और दक्षता आई।
ये सुधार आधुनिक प्रशासनिक प्रणालियों की नींव थे और उन्होंने नेपोलियन के शासन वाले क्षेत्रों में शासन, व्यापार और दैनिक जीवन को सुव्यवस्थित करके दक्षता में महत्वपूर्ण वृद्धि की। हालांकि इन सुधारों में जबरन भर्ती और सेंसरशिप जैसी नकारात्मक बातें भी थीं, लेकिन प्रशासनिक क्षेत्र में उनके दूरगामी सकारात्मक प्रभाव थे। -
ड्यूक मेट्टेर्निच ने 'जब फ्रांस छींकता है, तो बाकी यूरोप को सर्दी हो जाती है' टिप्पणी क्यों की? स्पष्ट करें।
ऑस्ट्रियाई चांसलर **ड्यूक मेट्टेर्निच** ने यह प्रसिद्ध टिप्पणी इसलिए की थी क्योंकि वह **फ्रांस में होने वाले राजनीतिक परिवर्तनों के यूरोप पर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव** को अच्छी तरह समझते थे। यह टिप्पणी फ्रांस को यूरोपीय राजनीति के लिए एक ज्वलनशील केंद्र के रूप में देखती है, जहाँ किसी भी बड़ी घटना का पूरे महाद्वीप पर डोमिनो प्रभाव पड़ता है।**स्पष्टीकरण:**
- **क्रांति का केंद्र:** 1789 की फ्रांसीसी क्रांति ने न केवल फ्रांस में राजशाही को उखाड़ फेंका बल्कि 'स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व' के विचार पूरे यूरोप में फैला दिए। इसने निरंकुश शासकों को भयभीत कर दिया और उदारवादी व राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरित किया।
- **नेपोलियन का प्रभाव:** नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने सैन्य अभियानों के माध्यम से इन क्रांतिकारी विचारों को यूरोप के एक बड़े हिस्से में निर्यात किया, सामंती व्यवस्था को समाप्त किया और विभिन्न क्षेत्रों में नागरिक संहिता लागू की। भले ही उसने लोकतंत्र को समाप्त कर दिया, उसके प्रशासनिक सुधारों ने पुरानी व्यवस्था को चुनौती दी।
- **1830 और 1848 की क्रांतियाँ:** मेट्टेर्निच की टिप्पणी विशेष रूप से 1830 और 1848 की क्रांतियों के संदर्भ में प्रासंगिक है:
- **जुलाई क्रांति (1830):** फ्रांस में बॉर्बन राजाओं को उखाड़ फेंका गया और एक संवैधानिक राजतंत्र स्थापित हुआ। इस घटना के तुरंत बाद ब्रुसेल्स में विद्रोह हुआ जिसके परिणामस्वरूप बेल्जियम यूनाइटेड किंगडम ऑफ नीदरलैंड्स से अलग हो गया। पूरे यूरोप में राष्ट्रवादी आंदोलन तेज हो गए।
- **1848 की क्रांति:** जब फ्रांस में लुई फिलिप को उखाड़ फेंका गया और गणतंत्र घोषित किया गया, तो इसकी लहरें तुरंत जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया-हंगरी और अन्य यूरोपीय देशों में फैल गईं, जहाँ उदारवादियों और राष्ट्रवादियों ने अपने अधिकारों और संवैधानिक सरकार के लिए विद्रोह किए।
- **फ्रांस की केंद्रीयता:** फ्रांस उस समय यूरोप के सांस्कृतिक, बौद्धिक और राजनीतिक केंद्र के रूप में देखा जाता था। जब फ्रांस में कोई राजनीतिक उथल-पुथल होती थी ('छींकना'), तो इसके विचार और प्रभाव तेजी से यूरोप के अन्य हिस्सों में फैल जाते थे ('सर्दी होना'), जिससे अन्य देशों में भी अस्थिरता और क्रांतियाँ पैदा होती थीं।
मेट्टेर्निच एक रूढ़िवादी नेता था और वह क्रांतिकारी परिवर्तनों का विरोधी था। उसकी टिप्पणी फ्रांस की उस शक्ति और प्रभाव को उजागर करती है जो यूरोपीय राजतंत्रों के लिए एक निरंतर खतरा था। वह जानता था कि फ्रांस में कोई भी छोटी सी राजनीतिक अशांति पूरे महाद्वीप में बड़े पैमाने पर विद्रोहों और अस्थिरता को जन्म दे सकती है। -
जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
जर्मनी का एकीकरण (1866-1871) एक जटिल और लंबी प्रक्रिया थी, जिसे मुख्य रूप से प्रशिया के नेतृत्व में पूरा किया गया। 1848 में उदारवादियों द्वारा राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास विफल होने के बाद, प्रशिया ने यह बीड़ा उठाया। इस प्रक्रिया को संक्षेप में निम्नलिखित चरणों में समझा जा सकता है:
- **1848 का उदारवादी प्रयास और उसकी विफलता:**
- 1848 में, जर्मन क्षेत्रों में उदारवादी राष्ट्रवादियों ने एक संवैधानिक राजतंत्र के तहत जर्मनी को एकजुट करने का प्रयास किया। फ्रैंकफर्ट संसद का गठन किया गया और एक जर्मन संविधान का मसौदा तैयार किया गया।
- हालांकि, प्रशिया के राजा फ्रेडरिक विलियम IV ने ताज स्वीकार करने से इनकार कर दिया, और अभिजात वर्ग, सेना और रूढ़िवादियों ने उदारवादियों को दबा दिया। यह प्रयास विफल रहा।
- **प्रशिया का नेतृत्व और बिस्मार्क की भूमिका:**
- इस विफलता के बाद, प्रशिया ने जर्मन एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथों में ले लिया।
- प्रशिया के मुख्यमंत्री **ओटो वॉन बिस्मार्क (Otto von Bismarck)** इस प्रक्रिया के मुख्य 'वास्तुकार' थे। उन्होंने 'रक्त और लौह' (Blood and Iron) की नीति अपनाई, जिसका अर्थ था सैन्य शक्ति और युद्ध के माध्यम से एकीकरण।
- **सात वर्षों में तीन युद्ध:**
- बिस्मार्क ने प्रशिया की सेना और नौकरशाही की मदद से सात वर्षों की अवधि में तीन युद्ध लड़े (डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और फ्रांस के खिलाफ) और प्रशिया की जीत हुई।
- **डेनमार्क के साथ युद्ध (1864):** श्लेस्विग और होल्स्टीन के प्रश्न पर।
- **ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध (1866 - ऑस्ट्रो-प्रशियाई युद्ध):** इसने जर्मन राज्यों से ऑस्ट्रियाई प्रभाव को समाप्त कर दिया और उत्तरी जर्मन परिसंघ (North German Confederation) का मार्ग प्रशस्त किया, जिसकी अध्यक्षता प्रशिया ने की।
- **फ्रांस के साथ युद्ध (1870-1871 - फ्रेंको-प्रशियाई युद्ध):** इसने दक्षिणी जर्मन राज्यों को प्रशिया के साथ एकजुट होने के लिए मजबूर किया, जिससे जर्मन साम्राज्य का गठन हुआ।
- **जर्मन साम्राज्य की घोषणा (1871):**
- जनवरी 1871 में, वर्साय (फ्रांस) के महल के दर्पण हॉल में एक समारोह आयोजित किया गया।
- प्रशिया के राजा **विलियम I (Wilhelm I)** को जर्मन सम्राट घोषित किया गया।
- इस प्रकार, जर्मनी एक राष्ट्र-राज्य के रूप में एकीकृत हुआ।
- **नया जर्मन साम्राज्य:**
- नए जर्मन साम्राज्य ने मुद्रा, बैंकिंग, कानूनी और न्यायिक प्रणालियों के आधुनिकीकरण पर बहुत जोर दिया, जिसे प्रशिया के मॉडल पर आधारित किया गया।
- **1848 का उदारवादी प्रयास और उसकी विफलता:**
- **विखंडन की स्थिति:**
- 19वीं सदी के मध्य में, इटली सात राज्यों में बंटा हुआ था, जिनमें से केवल सार्डिनिया-पीडमोंट पर एक इतालवी राजशाही का शासन था।
- उत्तरी भाग ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्ग साम्राज्य के अधीन था, मध्य भाग पोप के अधीन था, और दक्षिणी क्षेत्र स्पेन के बॉर्बन राजाओं के अधीन थे।
- **मेत्सिनी और शुरुआती क्रांतिकारी प्रयास:**
- 1830 के दशक में, **गुइसेपे मेत्सिनी (Giuseppe Mazzini)** ने 'यंग इटली' (Young Italy) जैसे गुप्त समाजों का गठन करके इटली को एकजुट करने का प्रयास किया। उनका मानना था कि इटली को छोटे-छोटे राज्यों का पैचवर्क नहीं होना चाहिए बल्कि एक एकीकृत गणराज्य होना चाहिए।
- हालांकि, 1831 और 1848 के उनके क्रांतिकारी प्रयास विफल हो गए।
- **सार्डिनिया-पीडमोंट का नेतृत्व:**
- क्रांतिकारी विफलताओं के बाद, इटली को एकजुट करने की जिम्मेदारी सार्डिनिया-पीडमोंट के शासक **किंग विक्टर इमैनुएल II (King Victor Emmanuel II)** पर आ गई।
- उनके मुख्यमंत्री **काउंट कैमिलो डी कावूर (Count Camillo de Cavour)** ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। कावूर न तो एक क्रांतिकारी था और न ही लोकतांत्रिक, लेकिन वह इटली को एकजुट करने के लिए एक कुशल कूटनीतिज्ञ था।
- **युद्ध और कूटनीति:**
- कावूर ने फ्रांस के साथ एक चतुर राजनयिक गठबंधन किया। 1859 में, सार्डिनिया-पीडमोंट ने ऑस्ट्रियाई सेनाओं को हराया, जिससे उत्तरी इटली के कई राज्य सार्डिनिया-पीडमोंट में शामिल हो गए।
- **गैरीबाल्डी और दक्षिणी इटली:**
- 1860 में, **गुइसेपे गैरीबाल्डी (Giuseppe Garibaldi)** के नेतृत्व में स्वयंसेवकों की एक बड़ी सेना, जिन्हें 'रेड शर्ट्स' (Red Shirts) कहा जाता था, ने दक्षिणी इटली और दो सिसिली के साम्राज्य की ओर कूच किया।
- उन्होंने स्थानीय किसानों का समर्थन जीता और स्पेनिश बॉर्बन शासकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला।
- इसके बाद गैरीबाल्डी ने दक्षिण में अपनी जीती हुई भूमि को किंग विक्टर इमैनुएल II को सौंप दिया।
- **रोम का अधिग्रहण और एकीकरण का समापन:**
- 1861 में, **विक्टर इमैनुएल II** को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।
- हालांकि, अभी भी रोम (पोप के राज्यों) पर कब्जा करना बाकी था। 1870 में, जब फ्रेंको-प्रशियाई युद्ध के दौरान फ्रांस ने अपनी सेनाओं को रोम से हटा लिया, तो इतालवी सैनिकों ने रोम पर कब्जा कर लिया और इसे इटली की राजधानी बना दिया, जिससे एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।
- **क्रांति का अभाव:**
- **यूरोप:** फ्रांस, जर्मनी, इटली जैसे देशों में राष्ट्रवाद का उदय अक्सर खूनी क्रांतियों (जैसे फ्रांसीसी क्रांति) और युद्धों (जैसे जर्मन एकीकरण के लिए बिस्मार्क के युद्ध, इतालवी एकीकरण के युद्ध) से जुड़ा था।
- **ब्रिटेन:** ब्रिटेन में 1688 की 'गौरवपूर्ण क्रांति' (Glorious Revolution) ने राजशाही से सत्ता छीन ली, लेकिन यह एक अपेक्षाकृत रक्तहीन प्रक्रिया थी। इसके बाद राष्ट्र-राज्य का निर्माण किसी अचानक क्रांति या विद्रोह के बजाय धीरे-धीरे हुआ।
- **जातीय पहचान बनाम साझा संस्कृति:**
- **यूरोप:** अक्सर, एक भाषा, साझा संस्कृति, या सामान्य इतिहास वाले लोग एक एकीकृत राष्ट्र-राज्य बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
- **ब्रिटेन:** ब्रिटिश द्वीप समूह में विभिन्न जातीय समूह थे जैसे अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट और आयरिश। इनमें से प्रत्येक समूह की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराएँ थीं। 'ब्रिटिश राष्ट्र' एक प्राकृतिक जातीय इकाई के रूप में मौजूद नहीं था।
- **संसद के माध्यम से एकीकरण (एक्ट ऑफ यूनियन):**
- **यूरोप:** एकीकरण अक्सर सैन्य विजय या लोकप्रिय आंदोलनों के माध्यम से होता था।
- **ब्रिटेन:** 'यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन' का निर्माण 1707 के 'एक्ट ऑफ यूनियन' के माध्यम से हुआ, जिसने इंग्लैंड और स्कॉटलैंड को एकजुट किया। यह एक संसदीय अधिनियम था, न कि कोई लोकप्रिय जन विद्रोह या युद्ध। इस अधिनियम ने धीरे-धीरे स्कॉटलैंड पर अंग्रेजी संसद और संस्कृति का प्रभुत्व स्थापित किया।
- **आयरलैंड का जबरन अधिग्रहण:**
- **यूरोप:** राष्ट्रवादी आंदोलन स्व-शासन और स्वतंत्रता पर केंद्रित थे।
- **ब्रिटेन:** आयरलैंड को 1801 में बलपूर्वक यूनाइटेड किंगडम में शामिल कर लिया गया, जब कैथोलिक विद्रोहियों को अंग्रेजी सेना ने दबा दिया। यह एकीकरण के बजाय प्रभुत्व का मामला था।
- **नए ब्रिटिश पहचान का निर्माण:**
- **यूरोप:** राष्ट्र-राज्यों ने अक्सर एक साझा इतिहास और संस्कृति के आधार पर अपनी पहचान को पुनर्जीवित या आविष्कार किया।
- **ब्रिटेन:** एक नया 'ब्रिटिश राष्ट्र' कृत्रिम रूप से एक 'एकीकृत' संस्कृति को बढ़ावा देकर बनाया गया था, जिसमें ब्रिटिश झंडा (यूनियन जैक), राष्ट्रगान (गॉड सेव आवर नोबल किंग/क्वीन), और अंग्रेजी भाषा को प्रमुखता दी गई।
- **ओटोमन साम्राज्य का विघटन:**
- बाल्कन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा सदियों से ओटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था।
- 19वीं सदी में ओटोमन साम्राज्य कमजोर और विघटित होने लगा, जिससे इस क्षेत्र के अधीन राष्ट्रों को अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करने का अवसर मिला। लेकिन यह प्रक्रिया बहुत अव्यवस्थित थी।
- **स्लाव राष्ट्रवाद का उदय:**
- बाल्कन क्षेत्र में विभिन्न जातीय समूह रहते थे, जिन्हें सामूहिक रूप से 'स्लाव' कहा जाता था।
- जैसे-जैसे ओटोमन साम्राज्य का नियंत्रण कमजोर हुआ, इन स्लाव लोगों में राष्ट्रवाद की भावना विकसित होने लगी। उन्होंने अपनी पहचान और स्वतंत्रता का दावा करना शुरू कर दिया, जो अक्सर एक-दूसरे के खिलाफ होता था।
- प्रत्येक जातीय समूह अपने लिए अधिक क्षेत्र की मांग करता था और एक-दूसरे के हितों को नजरअंदाज करता था।
- **ऐतिहासिक दावों का पुनरुत्थान:**
- बाल्कन के लोगों ने अक्सर इतिहास का उपयोग यह साबित करने के लिए किया कि वे कभी स्वतंत्र थे, लेकिन बाद में विदेशी शक्तियों द्वारा अधीन कर लिए गए थे। इससे उनकी पहचान और स्वतंत्रता की इच्छा और भी प्रबल हुई।
- **एक-दूसरे पर प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या:**
- जैसे-जैसे बाल्कन राज्यों ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की, वे अत्यधिक ईर्ष्यालु और प्रतिस्पर्धी बन गए।
- प्रत्येक राज्य दूसरों की तुलना में अधिक क्षेत्र प्राप्त करना चाहता था और अपनी पहचान को मजबूत करना चाहता था, जिससे लगातार संघर्ष होते रहे।
- **बड़ी शक्तियों की प्रतिद्वंद्विता:**
- बाल्कन क्षेत्र में तनाव इस तथ्य से और बढ़ गया कि यह यूरोपीय बड़ी शक्तियों (जैसे रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया-हंगरी) के बीच प्रतिद्वंद्विता का क्षेत्र बन गया था।
- प्रत्येक शक्ति बाल्कन पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती थी, क्योंकि यह व्यापार, नौसैनिक शक्ति और रणनीतिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण था।
- ये शक्तियाँ अक्सर बाल्कन राज्यों के बीच संघर्षों को बढ़ावा देती थीं या उनका समर्थन करती थीं, जिससे स्थिति और भी अस्थिर हो जाती थी।