अध्याय 5: खनिज और ऊर्जा संसाधन (Minerals and Energy Resources)
परिचय
कक्षा 10 भूगोल का यह अध्याय **'खनिज और ऊर्जा संसाधन'** हमें खनिजों और ऊर्जा संसाधनों के महत्व, उनके विभिन्न प्रकारों, भारत में उनके वितरण, और उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में बताता है। खनिज हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग हैं, और ऊर्जा संसाधन आर्थिक विकास की रीढ़ हैं।
---1. खनिज क्या हैं? (What are Minerals?)
- खनिज एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला सजातीय पदार्थ है जिसमें एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है। ये भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं।
- खनिज असमान रूप से वितरित होते हैं, और सामान्यतः सांद्रित होते हैं।
- कुछ खनिज दुर्गम क्षेत्रों में पाए जाते हैं (जैसे आर्कटिक महासागर का फर्श, अंटार्कटिका)।
- खनिजों का निर्माण विभिन्न भूवैज्ञानिक वातावरणों में होता है, और उन्हें बनने में लाखों वर्ष लगते हैं।
- उनकी भौतिक और रासायनिक संरचना के आधार पर उनकी पहचान की जा सकती है।
खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals)
(क) धात्विक खनिज (Metallic Minerals):
- जिनमें धातु होती है।
- **लौह खनिज (Ferrous Minerals):** इनमें लोहा होता है।
- उदाहरण: लौह अयस्क, मैंगनीज, निकेल, कोबाल्ट।
- भारत में कुल धात्विक खनिजों के उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई लौह खनिजों का है।
- **अलौह खनिज (Non-Ferrous Minerals):** इनमें लोहा नहीं होता।
- उदाहरण: तांबा, बॉक्साइट, सीसा, जस्ता, सोना।
- महत्व: धातुकर्म, इंजीनियरिंग और विद्युत उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका।
- **लौह खनिज (Ferrous Minerals):** इनमें लोहा होता है।
(ख) अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals):
- जिनमें धातु नहीं होती।
- उदाहरण: अभ्रक (Mica), नमक, पोटाश, सल्फर, ग्रेनाइट, चूना पत्थर, संगमरमर, बलुआ पत्थर।
(ग) ऊर्जा खनिज (Energy Minerals):
- जिनसे ऊर्जा प्राप्त होती है।
- उदाहरण: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम।
खनिज कहाँ पाए जाते हैं? (Where are Minerals Found?)
- खनिज आमतौर पर अयस्कों में पाए जाते हैं (अयस्क: किसी भी खनिज का संचय, जिसमें अन्य तत्व मिश्रित हों, लेकिन पर्याप्त मात्रा में हों जिससे उनका खनन आर्थिक रूप से व्यवहार्य हो)।
- खनिजों का निष्कर्षण (खनन) खनिजों की उपलब्धता, उनके आर्थिक मूल्य और खनन की व्यवहार्यता पर निर्भर करता है।
- **खनिजों की घटना के तरीके:**
- **आग्नेय और कायांतरित चट्टानें (Igneous and Metamorphic Rocks):** दरारें, जोड़, भ्रंशों (faults) और परतदार संरचनाओं में। ये शिराओं (veins) और लंबवत परतों (lodes) में पाए जाते हैं।
- उदाहरण: जस्ता, तांबा, सीसा, सोना।
- **तलछटी चट्टानें (Sedimentary Rocks):** परतें (beds) या परतें (layers)। ये संचय, निक्षेपण और जमाव के परिणामस्वरूप बनते हैं।
- उदाहरण: कोयला, लौह अयस्क, जिप्सम, पोटाश नमक, सोडियम नमक।
- **अवशिष्ट द्रव्यमान (Residual Mass):** चट्टानों के अपक्षय (weathering) के परिणामस्वरूप सतह के खनिजों का विघटन।
- उदाहरण: बॉक्साइट।
- **नदी घाटी के रेत (Alluvial Deposits):** जलोढ़ जमाव या 'प्लेसर जमाव' (placer deposits)। ये खनिज चट्टानों के अपक्षय से बनते हैं और पानी द्वारा धोकर ले जाए जाते हैं, फिर घाटी के तल और पहाड़ी आधारों पर जमा हो जाते हैं।
- उदाहरण: सोना, चांदी, टिन, प्लेटिनम। ये खनिज सामान्यतः जंग नहीं लगते।
- **महासागरीय जल (Oceanic Waters):** महासागरीय जल में भी बड़ी मात्रा में खनिज होते हैं।
- उदाहरण: नमक, ब्रोमीन, मैग्नीशियम। महासागरीय तल पर मैंगनीज नोड्यूल्स भी पाए जाते हैं।
- **आग्नेय और कायांतरित चट्टानें (Igneous and Metamorphic Rocks):** दरारें, जोड़, भ्रंशों (faults) और परतदार संरचनाओं में। ये शिराओं (veins) और लंबवत परतों (lodes) में पाए जाते हैं।
2. भारत में धात्विक खनिजों का वितरण (Distribution of Metallic Minerals in India)
(क) लौह अयस्क (Iron Ore):
- लौह अयस्क औद्योगिक विकास का आधार है।
- भारत में लौह अयस्क के समृद्ध भंडार हैं।
- **प्रकार:**
- **मैग्नेटाइट (Magnetite):** सबसे अच्छा लौह अयस्क, 70% तक लौह सामग्री, उत्कृष्ट चुंबकीय गुण।
- **हेमेटाइट (Hematite):** सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क, 50-60% लौह सामग्री।
- **मुख्य बेल्ट:**
- **ओडिशा-झारखंड बेल्ट:** ओडिशा के सुंदरगढ़ और मयूरभंज जिलों में उच्च गुणवत्ता वाला हेमेटाइट। झारखंड में सिंहभूम जिला।
- **दुर्ग-बस्तर-चंद्रपुर बेल्ट (छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र):** छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बैलाडीला पहाड़ियाँ, उच्च ग्रेड हेमेटाइट। जापान और दक्षिण कोरिया को निर्यात।
- **बेल्लारी-चित्रदुर्ग-चिकमंगलूर-तुमकरू बेल्ट (कर्नाटक):** पश्चिमी घाट में कुद्रेमुख की खदानें (100% निर्यात इकाई)।
- **महाराष्ट्र-गोवा बेल्ट:** गोवा और महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में। कम गुणवत्ता वाला हेमेटाइट, मर्मगाँव बंदरगाह से निर्यात।
(ख) मैंगनीज (Manganese):
- स्टील और फेरो-मैंगनीज मिश्र धातु के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
- ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशकों और पेंट के निर्माण में भी उपयोग होता है।
- ओडिशा मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक है।
(ग) तांबा (Copper):
- विद्युत तारों, इलेक्ट्रॉनिक्स और रासायनिक उद्योगों में उपयोग किया जाता है।
- यह लचीला, तन्य और ऊष्मा का अच्छा चालक होता है।
- मुख्य उत्पादक: मध्य प्रदेश में बालाघाट खदानें, राजस्थान में खेतड़ी खदानें, झारखंड में सिंहभूम जिला।
(घ) बॉक्साइट (Bauxite):
- एल्यूमीनियम का अयस्क।
- बॉक्साइट जमाव लेटराइट चट्टानों के अपघटन से बनते हैं।
- ओडिशा सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य है (कोरापुट में पंचपटमाली भंडार)।
3. अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals)
(क) अभ्रक (Mica):
- प्लेटों या चादरों में बनता है।
- विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में उपयोग होता है क्योंकि इसमें उत्कृष्ट परावैद्युत शक्ति, निम्न शक्ति हानि कारक, इंसुलेटिंग गुण और उच्च वोल्टेज के प्रतिरोध की क्षमता होती है।
- मुख्य बेल्ट: छोटा नागपुर पठार के उत्तरी किनारे (झारखंड, कोडरमा-गया-हजारीबाग बेल्ट)। राजस्थान में अजमेर के पास, आंध्र प्रदेश में नेल्लोर।
(ख) चूना पत्थर (Limestone):
- कैल्शियम कार्बोनेट या कैल्शियम और मैग्नीशियम कार्बोनेट से बनी चट्टानों में पाया जाता है।
- तलछटी चट्टानों में पाया जाता है।
- सीमेंट उद्योग का मूल कच्चा माल। लौह-इस्पात उद्योग में फ्लक्स के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
4. खनिजों का संरक्षण (Conservation of Minerals)
- खनिज सीमित और अनवीकरणीय संसाधन हैं। उन्हें बनने में लाखों वर्ष लगते हैं।
- निष्कर्षण की दर से पुनर्जनन की दर बहुत धीमी होती है।
- खनन से पर्यावरणीय लागत अधिक होती है।
खनिज संरक्षण के उपाय (Measures for Mineral Conservation)
- खनिजों का सतत उपयोग।
- कचरे को कम करना।
- पुनर्चक्रण (Recycling) को बढ़ावा देना (विशेषकर धातुओं का)।
- वैकल्पिक, नवीकरणीय विकल्पों का उपयोग करना।
- बेहतर खनन तकनीक विकसित करना।
5. ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)
- ऊर्जा का उपयोग हीटिंग, लाइटिंग, खाना पकाने, परिवहन, उद्योग आदि के लिए किया जाता है।
- ऊर्जा संसाधनों को पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
(क) ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत (Conventional Sources of Energy):
- ये स्रोत लंबे समय से उपयोग किए जाते रहे हैं और सीमित भंडार वाले होते हैं।
- **कोयला (Coal):**
- भारत में सबसे प्रचुर मात्रा में जीवाश्म ईंधन।
- बिजली उत्पादन, उद्योग और घरेलू जरूरतों के लिए उपयोग किया जाता है।
- **प्रकार:**
- **पीट (Peat):** कम कार्बन, कम तापीय मान, अधिक नमी।
- **लिग्नाइट (Lignite):** निम्न गुणवत्ता वाला भूरा कोयला, उच्च नमी। मुख्य भंडार तमिलनाडु के नेवेली में।
- **बिटुमिनस (Bituminous):** सबसे लोकप्रिय कोयला, वाणिज्यिक उपयोग में। धातुकर्म कोयला इसका एक उच्च ग्रेड है।
- **एंथ्रेसाइट (Anthracite):** सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कठोर कोयला, उच्च कार्बन सामग्री।
- **भारत में कोयला बेल्ट:** गोंडवाना (200 मिलियन वर्ष से अधिक पुराना) और तृतीयक कोयला (55 मिलियन वर्ष पुराना)।
- गोंडवाना: दामोदर घाटी (झारखंड-बंगाल कोयला क्षेत्र: रानीगंज, झरिया, बोकारो), गोदावरी, महानदी, सोन और वर्धा घाटियाँ।
- तृतीयक: पूर्वोत्तर राज्य (मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड)।
- **पेट्रोलियम (Petroleum):**
- कपड़ा, उर्वरक और कई अन्य रसायनों के लिए कच्चा माल।
- असंपीड़ित होने के कारण, तेल क्षेत्र के ऊपर प्राकृतिक गैस पाई जाती है।
- मुख्य उत्पादक क्षेत्र:
- मुंबई हाई (सबसे बड़ा), गुजरात (अंकलेश्वर), असम (डिगबोई, नहरकटिया, मोरान-हुगरिजन)।
- **प्राकृतिक गैस (Natural Gas):**
- पर्यावरण के अनुकूल ईंधन, कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन।
- बिजली उत्पादन, उर्वरक उद्योग और सीएनजी (CNG) के रूप में वाहनों में उपयोग।
- भारत के मुख्य भंडार: कृष्णा-गोदावरी बेसिन, मुंबई हाई, खंभात की खाड़ी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह।
- हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर (HVJ) क्रॉस-कंट्री गैस पाइपलाइन महत्वपूर्ण है।
- **विद्युत (Electricity):**
- **जलविद्युत (Hydroelectricity):** बहते पानी से, नवीकरणीय।
- उदाहरण: भाखड़ा-नांगल, दामोदर घाटी, कोपली-हाइड्रो परियोजना।
- **तापीय विद्युत (Thermal Electricity):** कोयला, पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस जलाकर। अनवीकरणीय।
- **जलविद्युत (Hydroelectricity):** बहते पानी से, नवीकरणीय।
(ख) ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत (Non-Conventional Sources of Energy):
- ये नवीकरणीय होते हैं और प्रदूषण मुक्त होते हैं।
- **परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy):**
- यूरेनियम और थोरियम जैसे रेडियोधर्मी खनिजों से प्राप्त।
- भारत में यूरेनियम: झारखंड में सिंहभूम के पास अरावली श्रेणी में पाया जाता है। थोरियम: केरल के मोनाजाइट रेत में।
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र: तारापुर (महाराष्ट्र), रावतभाटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश), कैगा (कर्नाटक), काकरापारा (गुजरात)।
- **सौर ऊर्जा (Solar Energy):**
- भारत में सौर ऊर्जा के उत्पादन की अपार संभावनाएँ हैं, विशेषकर पश्चिमी राजस्थान जैसे क्षेत्रों में।
- फोटोवोल्टेइक प्रौद्योगिकी सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में यह लकड़ी और गोबर के उपलों पर निर्भरता कम करती है।
- **पवन ऊर्जा (Wind Energy):**
- पवन ऊर्जा का सबसे बड़ा एकल फार्म तमिलनाडु में नागरकोइल से मदुरै तक स्थित है।
- भारत में पवन ऊर्जा क्षमता वाले अन्य राज्य: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र और लक्षद्वीप।
- नागरकोइल और जैसलमेर देश में पवन ऊर्जा के प्रभावी उपयोग के लिए जाने जाते हैं।
- **बायोगैस (Biogas):**
- कृषि अपशिष्ट, पशु और मानव अपशिष्ट के अपघटन से बायोगैस संयंत्रों में उत्पन्न।
- ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के लिए सबसे प्रभावी।
- खाद भी प्रदान करता है।
- **ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy):**
- महासागरीय ज्वार से विद्युत उत्पादन।
- भारत में: गुजरात में खंभात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, और पश्चिम बंगाल में सुंदरवन क्षेत्र।
- **भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy):**
- पृथ्वी के आंतरिक भाग से प्राप्त ऊष्मा का उपयोग करके।
- भारत में: हिमाचल प्रदेश में पार्वती घाटी (मणिकरण) और लद्दाख में पूगा घाटी में प्रायोगिक परियोजनाएँ।
6. ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण (Conservation of Energy Resources)
- ऊर्जा का आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
- बढ़ती खपत के कारण ऊर्जा संकट उत्पन्न हो रहा है।
- **ऊर्जा संरक्षण के उपाय:**
- गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का बढ़ता उपयोग।
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग।
- बिजली के उपकरणों का विवेकपूर्ण उपयोग।
- कम ऊर्जा खपत वाले उपकरणों का उपयोग।
- हर व्यक्ति द्वारा ऊर्जा का कम उपयोग करने की आदत अपनाना।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
-
निम्नलिखित में से कौन सा खनिज अपक्षयित सामग्री के अवशिष्ट द्रव्यमान को छोड़कर चट्टानों के अपघटन से बनता है?
(क) कोयला
(ख) बॉक्साइट
(ग) सोना
(घ) जस्ता(ख) बॉक्साइट
-
झारखंड में कोडरमा निम्नलिखित में से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?
(क) बॉक्साइट
(ख) अभ्रक
(ग) लौह अयस्क
(घ) तांबा(ख) अभ्रक
-
निम्नलिखित में से कौन सा एक लौह खनिज है?
(क) बॉक्साइट
(ख) मैंगनीज
(ग) अभ्रक
(घ) चूना पत्थर(ख) मैंगनीज
-
निम्नलिखित में से कौन सा ऊर्जा का गैर-पारंपरिक स्रोत है?
(क) कोयला
(ख) पेट्रोलियम
(ग) सौर ऊर्जा
(घ) प्राकृतिक गैस(ग) सौर ऊर्जा
-
निम्नलिखित में से कौन सा ऊर्जा का एक पारंपरिक स्रोत है?
(क) भूतापीय ऊर्जा
(ख) ज्वारीय ऊर्जा
(ग) सौर ऊर्जा
(घ) कोयला(घ) कोयला
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 30 words)
-
खनिज क्या हैं?
खनिज एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला सजातीय पदार्थ है जिसकी एक निश्चित रासायनिक संरचना और क्रिस्टलीय संरचना होती है। ये भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं और लाखों वर्षों में बनते हैं।
-
लौह और अलौह खनिजों में अंतर स्पष्ट करें।
**लौह खनिज** वे होते हैं जिनमें लोहे का अंश होता है, जैसे लौह अयस्क और मैंगनीज। **अलौह खनिज** वे होते हैं जिनमें लोहा नहीं होता, जैसे तांबा, बॉक्साइट, और सोना।
-
ऊर्जा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों में अंतर बताइए।
**पारंपरिक ऊर्जा स्रोत** वे हैं जिनका उपयोग लंबे समय से होता आ रहा है और जिनके भंडार सीमित हैं (जैसे कोयला, पेट्रोलियम)। **गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत** वे हैं जो नवीकरणीय और प्रदूषण मुक्त होते हैं (जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा)।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 120 words)
-
भारत में कोयले के वितरण का वर्णन करें।
भारत में कोयला ऊर्जा का सबसे प्रचुर जीवाश्म ईंधन है और इसका वितरण मुख्य रूप से दो प्रमुख भूवैज्ञानिक युगों की चट्टानों में पाया जाता है: गोंडवाना कोयला और तृतीयक कोयला।
- **गोंडवाना कोयला क्षेत्र:**
- यह भारत के कुल कोयला भंडार का लगभग 98% हिस्सा है और लगभग 200 मिलियन वर्ष से भी अधिक पुराना है।
- ये मुख्य रूप से दामोदर घाटी (झारखंड और पश्चिम बंगाल), महानदी, सोन और वर्धा नदियों की घाटियों में पाए जाते हैं।
- **प्रमुख क्षेत्र:**
- **दामोदर घाटी:** झरिया, रानीगंज, बोकारो, गिरिडीह और करगली महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं। झरिया सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है।
- **गोदावरी, महानदी, सोन और वर्धा घाटियाँ:** छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में इन घाटियों के पास कोयले के भंडार हैं। उदाहरण के लिए, ओडिशा में तालचेर और रानीगंज (पश्चिम बंगाल में) प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं।
- इस प्रकार के कोयले में मुख्यतः बिटुमिनस प्रकार का कोयला होता है, जो धातुकर्म कोयला के लिए महत्वपूर्ण है।
- **तृतीयक कोयला क्षेत्र:**
- ये भंडार लगभग 55 मिलियन वर्ष पुराने हैं और इनका वितरण अपेक्षाकृत सीमित है।
- ये मुख्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों जैसे मेघालय (गारो, खासी, जयंतिया पहाड़ियों), असम (मकुम, नामचुक), अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में पाए जाते हैं।
- इनमें लिग्नाइट और कुछ हद तक बिटुमिनस कोयला भी शामिल है। तमिलनाडु के नेवेली में लिग्नाइट के बड़े भंडार पाए जाते हैं, जिसका उपयोग मुख्य रूप से विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।
भारत को अपने औद्योगिक और ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयले पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि, कोयला एक अनवीकरणीय संसाधन है और इसके खनन तथा उपयोग से पर्यावरणीय चिंताएँ जुड़ी हुई हैं। - **गोंडवाना कोयला क्षेत्र:**
-
ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है? ऊर्जा संरक्षण के लिए चार उपाय बताइए।
**ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?**ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है क्योंकि:
- **सीमित भंडार:** ऊर्जा के अधिकांश पारंपरिक स्रोत (कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस) अनवीकरणीय हैं और उनके भंडार सीमित हैं। जिस गति से हम इनका उपभोग कर रहे हैं, वे भविष्य में समाप्त हो सकते हैं।
- **पर्यावरणीय प्रभाव:** पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से प्रदूषण (वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण) और ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- **आर्थिक निर्भरता:** ऊर्जा के आयात पर निर्भरता से देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ता है और ऊर्जा सुरक्षा बाधित होती है।
- **सतत विकास:** दीर्घकालिक आर्थिक विकास और मानव कल्याण सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा की उपलब्धता और स्थिरता महत्वपूर्ण है। ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग सतत विकास को बढ़ावा देता है।
- **भविष्य की पीढ़ियाँ:** यदि हम वर्तमान दर से ऊर्जा का उपभोग करते रहे, तो भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्याप्त ऊर्जा उपलब्ध नहीं होगी।
**ऊर्जा संरक्षण के लिए चार उपाय:**- **गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाना:** सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत, बायोमास और भूतापीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय और पर्यावरण-अनुकूल स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। ये प्रदूषण नहीं फैलाते और असीमित मात्रा में उपलब्ध हैं।
- **सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना:** व्यक्तिगत वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन (बस, ट्रेन, मेट्रो) का उपयोग करके ईंधन की खपत और वायु प्रदूषण को काफी कम किया जा सकता है। इससे सड़कों पर भीड़भाड़ भी कम होती है।
- **कम ऊर्जा खपत वाले उपकरणों का उपयोग:** घरों और उद्योगों में ऊर्जा-कुशल उपकरणों (जैसे LED लाइट्स, BEE स्टार-रेटेड उपकरण) का उपयोग करना चाहिए। ये कम बिजली की खपत करते हैं, जिससे ऊर्जा की बचत होती है।
- **व्यक्तिगत स्तर पर जागरूकता और जिम्मेदारी:** हर व्यक्ति को ऊर्जा का अनावश्यक उपयोग कम करना चाहिए, जैसे उपयोग में न होने पर लाइटें, पंखे और उपकरण बंद करना। ऊर्जा के प्रति जागरूक व्यवहार समग्र ऊर्जा संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
इन उपायों को अपनाकर हम ऊर्जा संसाधनों पर निर्भरता कम कर सकते हैं, पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रित कर सकते हैं, और भविष्य की पीढ़ियों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)