अध्याय 5: उपभोक्ता अधिकार (Consumer Rights)
परिचय
कक्षा 10 अर्थशास्त्र का यह अध्याय **'उपभोक्ता अधिकार'** उपभोक्ताओं के अधिकारों, उनके शोषण के कारणों, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) 1986 के प्रावधानों और उपभोक्ता आंदोलन के महत्व की व्याख्या करता है। यह अध्याय उपभोक्ताओं को जागरूक करने और उन्हें अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए सशक्त बनाने पर जोर देता है।
---1. उपभोक्ता कौन है? (Who is a Consumer?)
- एक उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो वस्तुओं और सेवाओं को अपने उपभोग के लिए खरीदता है।
- बाजार में, उपभोक्ता अक्सर विक्रेता से कमजोर स्थिति में होता है। विक्रेता के पास अधिक जानकारी, शक्ति और संसाधन होते हैं।
- इसलिए, उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए अधिकारों और कानूनों की आवश्यकता होती है।
2. उपभोक्ता शोषण के कारण (Reasons for Consumer Exploitation)
- **सीमित जानकारी:** उपभोक्ताओं को अक्सर उत्पादों की गुणवत्ता, मात्रा, कीमत, सुरक्षा और उपयोग के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती। इससे उन्हें खराब गुणवत्ता वाली या महंगी वस्तुएँ खरीदने पड़ सकती हैं।
- **सीमित प्रतियोगिता:** जब कुछ ही विक्रेता होते हैं (एकाधिकार या अल्पाधिकार), तो वे उपभोक्ताओं को खराब गुणवत्ता वाली वस्तुएँ या सेवाएँ ऊँची कीमतों पर बेच सकते हैं।
- **निरक्षरता और अज्ञानता:** कई उपभोक्ता अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते और शोषण का शिकार हो जाते हैं।
- **वितरित खरीद (Scattered Purchases):** व्यक्तिगत उपभोक्ता अक्सर छोटे पैमाने पर खरीदारी करते हैं, जिससे उनके लिए एक साथ मिलकर आवाज उठाना मुश्किल हो जाता है।
- **अनुचित व्यापार प्रथाएँ:**
- **कम तौलना/मापना:** विक्रेता जानबूझकर कम मात्रा में सामान देते हैं।
- **मिलावट:** खाद्य पदार्थों में अस्वास्थ्यकर या कम गुणवत्ता वाले पदार्थों को मिलाना।
- **अधिक शुल्क लेना:** अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक कीमत वसूलना।
- **दोषपूर्ण उत्पाद बेचना:** खराब या क्षतिग्रस्त उत्पाद बेचना।
- **झूठे या भ्रामक विज्ञापन:** उत्पादों के बारे में गलत दावे करना।
3. उपभोक्ता आंदोलन (Consumer Movement)
- उपभोक्ता आंदोलन का जन्म 1960 के दशक में भारत में हुआ था, जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और उनके शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए एक सामाजिक बल के रूप में उभरा।
- **मुख्य कारण:** खाद्य पदार्थों की कमी, कालाबाजारी, मिलावट और जमाखोरी।
- इस आंदोलन ने विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं द्वारा किए गए अनुचित व्यापार प्रथाओं से उपभोक्ताओं की सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
- 1970 के दशक तक, उपभोक्ता संगठन बड़े पैमाने पर लेख लिखने और प्रदर्शनियों का आयोजन करके उपभोक्ता जागरूकता फैला रहे थे।
4. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA), 1986
- उपभोक्ता आंदोलन के दबाव के परिणामस्वरूप, भारत सरकार ने **उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act)**, 1986 पारित किया। इसे संक्षेप में **COPRA** के नाम से जाना जाता है।
- यह अधिनियम उपभोक्ताओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने और उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
COPRA के तहत उपभोक्ताओं के अधिकार (Consumer Rights under COPRA):
COPRA ने उपभोक्ताओं को छह बुनियादी अधिकार प्रदान किए:
- **सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety):** ऐसे उत्पादों और सेवाओं से सुरक्षित रहने का अधिकार जो जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक हो सकते हैं (जैसे दोषपूर्ण बिजली के उपकरण, असुरक्षित खाद्य पदार्थ)।
- **सूचना का अधिकार (Right to be Informed):** उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार। (जैसे खाद्य पदार्थों पर एम.आर.पी., निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि)।
- **चुनने का अधिकार (Right to Choose):** विभिन्न प्रकार के उत्पादों और सेवाओं के बीच से अपनी पसंद का उत्पाद या सेवा चुनने का अधिकार। विक्रेता किसी विशेष ब्रांड को खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
- **सुनवाई का अधिकार (Right to be Heard):** उपभोक्ता के हितों पर विचार करने का अधिकार, और उनकी शिकायतों को सुना जाना। उपभोक्ता संगठनों को प्रतिनिधित्व का अधिकार।
- **निवारण का अधिकार (Right to Seek Redressal):** अनुचित व्यापार प्रथाओं या शोषण के खिलाफ शिकायत दर्ज करने और मुआवजा या समाधान प्राप्त करने का अधिकार। इसमें दोषपूर्ण उत्पाद को बदलना, पैसे वापस लेना या सेवा में कमी को ठीक करना शामिल है।
- **उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (Right to Consumer Education):** जीवन भर एक सूचित उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार। उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
5. उपभोक्ता विवाद निवारण प्रणाली (Consumer Dispute Redressal Mechanism)
COPRA के तहत, उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण के लिए एक त्रि-स्तरीय न्यायिक तंत्र स्थापित किया गया:
- **जिला स्तर (District Level):** ₹20 लाख तक के दावों के लिए।
- **राज्य स्तर (State Level):** ₹20 लाख से ₹1 करोड़ तक के दावों के लिए।
- **राष्ट्रीय स्तर (National Level):** ₹1 करोड़ से अधिक के दावों के लिए।
- यदि उपभोक्ता जिला स्तर के न्यायालय के निर्णय से संतुष्ट नहीं होता, तो वह राज्य स्तर के न्यायालय में अपील कर सकता है, और फिर राष्ट्रीय स्तर के न्यायालय में।
- इस प्रणाली ने लाखों उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की है।
- उपभोक्ता संगठन (consumer organisations) उपभोक्ता जागरूकता फैलाने और शिकायतों में उपभोक्ताओं की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
6. उपभोक्ता आंदोलन की चुनौतियाँ और भविष्य (Challenges and Future of Consumer Movement)
- **चुनौतियाँ:**
- **जागरूकता की कमी:** अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में और कम शिक्षित लोगों के बीच उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी है।
- **जटिल प्रक्रिया:** न्याय प्राप्त करने की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है, जिससे छोटे दावों वाले उपभोक्ता हतोत्साहित होते हैं।
- **प्रभावी कार्यान्वयन की कमी:** कभी-कभी कानूनों का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन नहीं हो पाता।
- **उपभोक्ता संगठनों की सीमित पहुँच:** कई उपभोक्ता संगठन स्थानीय स्तर पर सीमित हैं और उन्हें वित्तीय सहायता की कमी का सामना करना पड़ता है।
- **आगे का रास्ता:**
- उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ाना।
- न्याय प्रक्रिया को सरल और तेज बनाना।
- उपभोक्ता संगठनों को मजबूत करना और उन्हें अधिक प्रभावी बनाना।
- उत्पाद मानकों और सुरक्षा नियमों को सख्त करना और उनका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- डिजिटल लेनदेन और ई-कॉमर्स में उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
7. कुछ महत्वपूर्ण मानक चिन्ह (Some Important Standardisation Marks)
- ये चिन्ह उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा के बारे में उपभोक्ताओं को आश्वस्त करते हैं।
- **ISI Mark:** औद्योगिक उत्पादों (जैसे बिजली के उपकरण, सीमेंट) पर।
- **Agmark:** कृषि उत्पादों (जैसे अनाज, खाद्य तेल, अंडे) पर।
- **BIS Hallmark:** सोने के आभूषणों पर (शुद्धता के लिए)।
- **ECOMARK:** पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों पर।
- **FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India):** सभी खाद्य उत्पादों पर।
इन चिन्हों को देखकर उपभोक्ता गुणवत्ता और सुरक्षा के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं, भले ही उनके पास उत्पाद के बारे में पूरी जानकारी न हो।
---पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) किस वर्ष पारित किया गया था?
(क) 1976
(ख) 1986
(ग) 1996
(घ) 2006(ख) 1986
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निम्नलिखित में से कौन सा उपभोक्ता का अधिकार नहीं है?
(क) सुरक्षा का अधिकार
(ख) हड़ताल करने का अधिकार
(ग) सूचना का अधिकार
(घ) चुनने का अधिकार(ख) हड़ताल करने का अधिकार
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सोने के आभूषणों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए किस मानक चिन्ह का उपयोग किया जाता है?
(क) ISI
(ख) Agmark
(ग) BIS Hallmark
(घ) ECOMARK(ग) BIS Hallmark
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जिला उपभोक्ता न्यायालय में कितने मूल्य तक के मामलों की सुनवाई की जाती है?
(क) ₹10 लाख तक
(ख) ₹20 लाख तक
(ग) ₹50 लाख तक
(घ) ₹1 करोड़ तक(ख) ₹20 लाख तक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 30 words)
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उपभोक्ता शोषण के दो मुख्य कारण बताएँ।
उपभोक्ता शोषण के दो मुख्य कारण हैं: **सीमित जानकारी**, जिससे उपभोक्ता गुणवत्ता, सुरक्षा आदि के बारे में भ्रमित हो सकते हैं; और **सीमित प्रतियोगिता**, जिससे विक्रेता मनमानी कीमतें या खराब गुणवत्ता वाले उत्पाद बेच सकते हैं।
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उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार क्या है?
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को जीवन भर एक सूचित उपभोक्ता बनने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्राप्त हो। इसका अर्थ है कि उन्हें अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे समझदारी से निर्णय ले सकें।
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Agmark और ISI मार्क का क्या महत्व है?
Agmark कृषि उत्पादों की शुद्धता और गुणवत्ता को प्रमाणित करता है, जबकि ISI मार्क औद्योगिक उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। ये चिन्ह उपभोक्ताओं को गुणवत्ता के बारे में आश्वस्त करते हैं और उन्हें सही उत्पाद चुनने में मदद करते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 120 words)
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA), 1986 के तहत उपभोक्ताओं को प्रदान किए गए किन्हीं तीन अधिकारों की व्याख्या करें।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA), 1986 ने उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान किए। उनमें से तीन प्रमुख अधिकार निम्नलिखित हैं:
- **सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety):** यह अधिकार उपभोक्ताओं को उन वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षित रहने का आश्वासन देता है जो उनके जीवन या संपत्ति के लिए खतरनाक हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई बिजली का उपकरण दोषपूर्ण है और उससे कोई दुर्घटना हो सकती है, तो उपभोक्ता को सुरक्षा का अधिकार है। निर्माता को सुरक्षित उत्पाद बनाने चाहिए और उनके उपयोग के बारे में चेतावनी देनी चाहिए।
- **सूचना का अधिकार (Right to be Informed):** इस अधिकार के तहत, उपभोक्ताओं को उन वस्तुओं और सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है जो वे खरीद रहे हैं। इसमें उत्पाद की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मानक, कीमत और उपयोग के निर्देश शामिल हैं। उदाहरण के लिए, खाद्य पदार्थों पर निर्माण और समाप्ति तिथि, सामग्री और पोषण संबंधी जानकारी का होना इसी अधिकार के तहत आता है। यह अधिकार उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने में मदद करता है।
- **निवारण का अधिकार (Right to Seek Redressal):** यह अधिकार उपभोक्ताओं को शोषण या अनुचित व्यापार प्रथाओं की स्थिति में मुआवजा या समाधान प्राप्त करने का अवसर देता है। यदि किसी उपभोक्ता को दोषपूर्ण उत्पाद मिलता है या सेवा में कमी पाई जाती है, तो वह शिकायत दर्ज कर सकता है और उत्पाद बदलने, पैसे वापस पाने, या सेवा को ठीक करवाने की मांग कर सकता है। COPRA ने इस अधिकार को लागू करने के लिए त्रि-स्तरीय न्यायिक प्रणाली (जिला, राज्य और राष्ट्रीय आयोग) स्थापित की है।
ये अधिकार उपभोक्ताओं को बाजार में एक मजबूत स्थिति प्रदान करते हैं और उन्हें अन्याय के खिलाफ खड़े होने में मदद करते हैं। -
एक उपभोक्ता के रूप में, बाजार में शोषण से बचने के लिए आपको क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
एक उपभोक्ता के रूप में, बाजार में शोषण से बचने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कई सावधानियाँ बरतना महत्वपूर्ण है:
- **जानकारी प्राप्त करें:** किसी भी उत्पाद या सेवा को खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता, मात्रा, मूल्य, सामग्री, उपयोग, वारंटी और सुरक्षा संबंधी जानकारी ध्यान से पढ़ें। झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से सावधान रहें।
- **गुणवत्ता चिन्ह देखें:** उत्पादों पर लगे मानक चिन्हों (जैसे ISI, Agmark, BIS Hallmark, FSSAI, ECOMARK) की जांच करें। ये चिन्ह उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा का आश्वासन देते हैं।
- **पक्की रसीद लें:** प्रत्येक खरीद के लिए हमेशा एक पक्की रसीद या बिल अवश्य लें। यह खरीद का प्रमाण है और किसी भी विवाद की स्थिति में आपके पास कानूनी सबूत के रूप में काम आता है। वारंटी कार्ड पर भी दुकानदार के हस्ताक्षर और मुहर सुनिश्चित करें।
- **MRP से अधिक भुगतान न करें:** अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक कीमत का भुगतान न करें। यदि कोई विक्रेता अधिक कीमत वसूलता है, तो इसकी शिकायत करें।
- **जागरूक रहें:** अपने उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जानें (सुरक्षा, सूचना, चयन, सुनवाई, निवारण, उपभोक्ता शिक्षा)। यदि आपको लगता है कि आपका शोषण हुआ है, तो शिकायत दर्ज करने में संकोच न करें।
- **उपभोक्ता संगठनों से जुड़ें:** उपभोक्ता संगठनों के बारे में जानें और उनसे सहायता प्राप्त करें। वे उपभोक्ताओं को शिक्षित करने और उनकी शिकायतों में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- **पैकेजिंग की जाँच करें:** सुनिश्चित करें कि पैकेजिंग सीलबंद हो और उसमें कोई छेड़छाड़ न की गई हो, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों और दवाओं के लिए।
- **ऑनलाइन खरीद में सावधानी:** ऑनलाइन खरीदारी करते समय विश्वसनीय वेबसाइटों का उपयोग करें, उत्पाद समीक्षाएँ पढ़ें, और वापसी/रिफंड नीतियों की स्पष्टता जांचें।
इन सावधानियों को अपनाकर, आप एक जागरूक और सशक्त उपभोक्ता बन सकते हैं और बाजार में अपने हितों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकते हैं।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)