अध्याय 5: जन-संघर्ष और आंदोलन (Popular Struggles and Movements)

परिचय

कक्षा 10 नागरिक शास्त्र का यह अध्याय **'जन-संघर्ष और आंदोलन'** बताता है कि लोकतंत्र में लोग अपने हितों और मांगों को कैसे आगे बढ़ाते हैं। यह अध्याय दिखाता है कि कैसे जन-संघर्ष और आंदोलन लोकतंत्र को मजबूत करते हैं और नीति निर्माण को प्रभावित करते हैं। नेपाल में लोकतंत्र के लिए संघर्ष और बोलीविया में जल युद्ध के उदाहरणों का उपयोग करके इन अवधारणाओं को समझाया गया है।

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1. नेपाल में लोकतंत्र के लिए आंदोलन (Movement for Democracy in Nepal)

बोलीविया का जल युद्ध (Bolivia's Water War)

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2. लोकतंत्र में जन-संघर्ष और आंदोलन (Popular Struggles and Movements in Democracy)

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3. लामबंदी और संगठन (Mobilization and Organizations)

लोकतंत्र में जन-संघर्ष को आमतौर पर निम्नलिखित द्वारा आयोजित किया जाता है:

(क) राजनीतिक दल (Political Parties):

(ख) दबाव समूह (Pressure Groups):

(ग) आंदोलन (Movements):

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4. दबाव समूहों और आंदोलनों का राजनीति पर प्रभाव (Influence of Pressure Groups and Movements on Politics)

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

  1. नेपाल में लोकतंत्र के लिए आंदोलन कब हुआ था?
    (क) 1990
    (ख) 2002
    (ग) 2006
    (घ) 2015

    (ग) 2006

  2. बोलीविया का जल युद्ध किससे संबंधित था?
    (क) जल प्रदूषण
    (ख) पानी के निजीकरण और मूल्य वृद्धि
    (ग) सूखे की समस्या
    (घ) पानी के अधिकार

    (ख) पानी के निजीकरण और मूल्य वृद्धि

  3. निम्नलिखित में से कौन सा हित-समूह का उदाहरण है?
    (क) पर्यावरण संरक्षण समूह
    (ख) मानवाधिकार संगठन
    (ग) ट्रेड यूनियन
    (घ) महिला आंदोलन

    (ग) ट्रेड यूनियन

  4. दबाव समूह और राजनीतिक दल में मुख्य अंतर क्या है?
    (क) दबाव समूह चुनाव लड़ते हैं, राजनीतिक दल नहीं।
    (ख) दबाव समूह सीधे सत्ता पर नियंत्रण चाहते हैं, राजनीतिक दल नहीं।
    (ग) दबाव समूह सरकार की नीतियों को प्रभावित करना चाहते हैं, राजनीतिक दल सरकार बनाना चाहते हैं।
    (घ) दबाव समूह केवल एक मुद्दे पर काम करते हैं, राजनीतिक दल कई मुद्दों पर।

    (ग) दबाव समूह सरकार की नीतियों को प्रभावित करना चाहते हैं, राजनीतिक दल सरकार बनाना चाहते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 30 words)

  1. जन-संघर्ष क्या है?

    जन-संघर्ष संगठित और बड़े पैमाने पर किए गए विरोध प्रदर्शन या आंदोलन होते हैं जिनका उद्देश्य सरकार की नीतियों या किसी सामाजिक अन्याय को बदलना होता है। ये लोकतंत्र में लोगों की शक्ति का प्रदर्शन होते हैं।

  2. दबाव समूह क्या होते हैं?

    दबाव समूह ऐसे संगठन होते हैं जो सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं लेकिन चुनाव नहीं लड़ते और सीधे सत्ता पर नियंत्रण नहीं चाहते। वे अपने सदस्यों या एक विशिष्ट उद्देश्य के हितों को बढ़ावा देते हैं।

  3. हित-समूह और लोक कल्याणकारी समूह में क्या अंतर है?

    **हित-समूह** समाज के एक विशिष्ट वर्ग (जैसे व्यापारी, मजदूर) के हितों को बढ़ावा देते हैं। **लोक कल्याणकारी समूह** समाज के व्यापक हितों (जैसे पर्यावरण, मानवाधिकार) को बढ़ावा देते हैं और किसी विशिष्ट वर्ग के नहीं होते।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 120 words)

  1. नेपाल में लोकतंत्र के लिए हुए जन आंदोलन का वर्णन करें।

    नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए अप्रैल 2006 में एक असाधारण और व्यापक जन आंदोलन हुआ। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र ने 2002 में लोकतंत्र को भंग कर दिया और सारी सत्ता अपने हाथों में ले ली।
    • **शुरुआत:** सात राजनीतिक दलों के गठबंधन (SPA) ने काठमांडू में चार दिवसीय बंद (बंद) का आह्वान किया। माओवादी विद्रोहियों और विभिन्न अन्य संगठनों ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया, जिससे यह एक विशाल जन भागीदारी वाला आंदोलन बन गया।
    • **जन भागीदारी:** लोगों ने राजा द्वारा लगाए गए कर्फ्यू का उल्लंघन किया और सड़कों पर उतर आए। काठमांडू की सड़कों पर प्रतिदिन लगभग 3 से 5 लाख लोग इकट्ठे हुए, जो लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहे थे। सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया, जिससे कई लोग घायल हुए।
    • **मुख्य मांगें:** आंदोलन की मुख्य मांगें थीं: राजा को संसद को बहाल करना, एक सर्वदलीय सरकार का गठन करना, और एक नई संविधान सभा बनाना ताकि एक नया लोकतांत्रिक संविधान तैयार किया जा सके।
    • **परिणाम:** विशाल जन दबाव के सामने राजा ज्ञानेंद्र को झुकना पड़ा। उन्होंने 24 अप्रैल 2006 को लोगों की मांगों को स्वीकार किया। संसद को बहाल किया गया, और सर्वदलीय सरकार का गठन हुआ। इस आंदोलन ने नेपाल को संवैधानिक राजतंत्र से एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य में परिवर्तित करने का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे देश में वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना हुई। यह जनशक्ति और लोकतंत्र में उसके महत्व का एक सशक्त उदाहरण था।

  2. दबाव समूह और आंदोलन लोकतंत्र को कैसे मजबूत करते हैं?

    दबाव समूह और आंदोलन लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पहलू हैं जो उसे कई तरीकों से मजबूत करते हैं:
    • **विविध हितों का प्रतिनिधित्व:** दबाव समूह और आंदोलन समाज के विभिन्न वर्गों और हितों को आवाज देते हैं, जिनकी आवाजें अन्यथा अनसुनी रह सकती हैं। वे सरकार को विभिन्न सामाजिक समूहों की जरूरतों और चिंताओं से अवगत कराते हैं।
    • **सरकार पर जवाबदेही बनाए रखना:** ये समूह सरकार पर दबाव डालते हैं ताकि वह जनहित में कार्य करे और जनता के प्रति जवाबदेह बनी रहे। वे नीतियों में खामियों को उजागर करते हैं और सरकार को गलत निर्णय लेने से रोकते हैं। बोलीविया में जल युद्ध इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ लोगों के दबाव ने सरकार को निजीकरण के गलत निर्णय को पलटने पर मजबूर किया।
    • **सार्वजनिक बहस को समृद्ध करना:** दबाव समूह और आंदोलन अक्सर सार्वजनिक बहस को बढ़ावा देते हैं। वे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाते हैं और नागरिकों को उन पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे informed citizenry (सूचित नागरिकता) का निर्माण होता है।
    • **विकल्प प्रदान करना:** कभी-कभी, ये समूह सरकार या राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई गई नीतियों के वैकल्पिक दृष्टिकोण या समाधान भी प्रस्तुत करते हैं, जिससे नीति-निर्माण की प्रक्रिया अधिक व्यापक और समावेशी बनती है।
    • **लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ाना:** दबाव समूह और आंदोलन नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के अवसर प्रदान करते हैं, भले ही वे चुनाव न लड़ें। यह भागीदारी की भावना को मजबूत करता है और लोगों को महसूस कराता है कि उनकी आवाज मायने रखती है।
    • **शक्ति का संतुलन:** विभिन्न दबाव समूह एक-दूसरे पर संतुलन बनाए रखते हैं। जब कोई एक समूह सरकार पर अनुचित दबाव डालता है, तो अन्य समूह उस दबाव का विरोध कर सकते हैं, जिससे सत्ता का एक स्वस्थ संतुलन बना रहता है और कोई भी एक हित समाज पर हावी नहीं हो पाता।
    संक्षेप में, दबाव समूह और आंदोलन लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण चैनल हैं जो नागरिकों को अपनी मांगों को उठाने, सरकार पर दबाव डालने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक प्रतिनिधि और प्रतिक्रियाशील बनाने में मदद करते हैं। वे लोकतांत्रिक भागीदारी और जवाबदेही को बढ़ाते हैं।

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