अध्याय 5: जन-संघर्ष और आंदोलन (Popular Struggles and Movements)
परिचय
कक्षा 10 नागरिक शास्त्र का यह अध्याय **'जन-संघर्ष और आंदोलन'** बताता है कि लोकतंत्र में लोग अपने हितों और मांगों को कैसे आगे बढ़ाते हैं। यह अध्याय दिखाता है कि कैसे जन-संघर्ष और आंदोलन लोकतंत्र को मजबूत करते हैं और नीति निर्माण को प्रभावित करते हैं। नेपाल में लोकतंत्र के लिए संघर्ष और बोलीविया में जल युद्ध के उदाहरणों का उपयोग करके इन अवधारणाओं को समझाया गया है।
---1. नेपाल में लोकतंत्र के लिए आंदोलन (Movement for Democracy in Nepal)
- नेपाल ने 1990 के दशक में लोकतंत्र की स्थापना की थी, लेकिन 2002 में राजा ज्ञानेंद्र ने लोकतंत्र को भंग कर दिया और शक्तियों को अपने हाथ में ले लिया।
- **2006 का जन आंदोलन:**
- अप्रैल 2006 में, नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए एक असाधारण और व्यापक आंदोलन हुआ।
- सात राजनीतिक दलों के गठबंधन (SPA - Seven Party Alliance) ने काठमांडू में चार दिवसीय बंद (बंद) का आह्वान किया।
- माओवादी विद्रोहियों और विभिन्न अन्य संगठनों ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया।
- लोगों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया और सड़कों पर उतर आए, जिससे लगभग 3 से 5 लाख लोग प्रतिदिन इकट्ठे हुए।
- नेपाल के सुरक्षा बलों ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, जिससे कई लोग घायल हुए।
- **परिणाम:**
- राजा ज्ञानेंद्र ने अंततः लोगों की मांगों को स्वीकार किया।
- संसद को बहाल किया गया और सर्वदलीय सरकार का गठन हुआ।
- नई सरकार ने राजा की अधिकांश शक्तियों को छीन लिया और नेपाल एक संवैधानिक राजतंत्र से एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य में परिवर्तित हो गया।
बोलीविया का जल युद्ध (Bolivia's Water War)
- बोलीविया लैटिन अमेरिका का एक गरीब देश है।
- **समस्या:** विश्व बैंक के दबाव में, बोलीविया की सरकार ने कोचाबंबा शहर में नगर निगम जल आपूर्ति पर नियंत्रण बहुराष्ट्रीय कंपनी (MNC) को बेच दिया।
- इस कंपनी ने पानी की कीमतें चार गुना बढ़ा दीं, जिससे बहुत से लोगों के लिए पानी खरीदना असंभव हो गया।
- **संघर्ष:**
- फरवरी 2000 में, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, श्रम और सामुदायिक नेताओं सहित कई संगठनों ने एक गठबंधन बनाया, जिसे **FEDECOR** (फेडरेशन ऑफ कोचाबंबा ऑर्गेनाइजेशंस) कहा गया।
- इस गठबंधन ने एक आम हड़ताल का आह्वान किया, जिसने सरकार को पानी के अनुबंध को रद्द करने के लिए मजबूर किया।
- हालाँकि, सरकार ने समझौते को लागू करने से इनकार कर दिया और पुलिस द्वारा दमन शुरू किया।
- विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू हुए और अप्रैल 2000 में एक और हड़ताल हुई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
- **परिणाम:**
- सरकार को कंपनी के साथ अनुबंध रद्द करने और नगरपालिका को जल आपूर्ति वापस करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- पुरानी दर पर पानी की आपूर्ति बहाल कर दी गई।
- यह बोलीविया का जल युद्ध एक सफल जन आंदोलन का उदाहरण बन गया।
2. लोकतंत्र में जन-संघर्ष और आंदोलन (Popular Struggles and Movements in Democracy)
- नेपाल और बोलीविया दोनों मामलों में, संघर्ष एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर हुआ था।
- ये संघर्ष बताते हैं कि लोकतंत्र में लोगों की शक्ति महत्वपूर्ण है।
- **लोकतंत्र में संघर्ष:**
- लोकतंत्र में, शक्ति को कई अलग-अलग समूहों के बीच साझा किया जाता है।
- कभी-कभी, ये समूह सरकार पर अपने हित को आगे बढ़ाने के लिए दबाव डालते हैं।
- इससे संघर्ष होता है, लेकिन ये संघर्ष लोकतंत्र के लिए हानिकारक नहीं होते हैं। वे लोकतंत्र को मजबूत भी कर सकते हैं, क्योंकि वे नए सामाजिक समूहों को उभरने और अपनी पहचान बनाने का मौका देते हैं।
3. लामबंदी और संगठन (Mobilization and Organizations)
लोकतंत्र में जन-संघर्ष को आमतौर पर निम्नलिखित द्वारा आयोजित किया जाता है:
(क) राजनीतिक दल (Political Parties):
- राजनीतिक दल समाज के विभिन्न वर्गों के हितों को व्यक्त करते हैं।
- वे चुनावों में भाग लेते हैं और सरकार बनाने या विरोध दल के रूप में कार्य करने का लक्ष्य रखते हैं।
- वे जनमत को प्रभावित करते हैं और लोगों को लामबंद करते हैं।
(ख) दबाव समूह (Pressure Groups):
- ये ऐसे संगठन होते हैं जो सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं, लेकिन चुनाव नहीं लड़ते।
- वे सीधे सत्ता में आने के बजाय अपने सदस्यों के सामान्य हितों को बढ़ावा देते हैं।
- **प्रकार:**
- **हिताधारित समूह (Sectional Interest Groups):** ये समाज के एक विशिष्ट वर्ग (जैसे श्रमिक, व्यवसायी, पेशेवर) के हितों को बढ़ावा देते हैं। उदाहरण: ट्रेड यूनियन, व्यावसायिक संघ (जैसे FICCI)। उनका उद्देश्य अपने सदस्यों की बेहतर भलाई और लाभ सुनिश्चित करना होता है।
- **लोक कल्याणकारी समूह (Promotional/Public Interest Groups):** ये किसी विशेष वर्ग के नहीं बल्कि समाज के व्यापक हितों को बढ़ावा देते हैं। वे पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकार, या भ्रष्टाचार-विरोधी मुद्दों पर काम करते हैं। उदाहरण: BAMCEF (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लॉइज फेडरेशन), नर्मदा बचाओ आंदोलन।
- **दबाव समूहों के कार्य:**
- वे सूचनाएँ एकत्रित करते हैं और सार्वजनिक बहस को प्रभावित करते हैं।
- वे हड़ताल, विरोध प्रदर्शन और अभियान चलाकर सरकार पर दबाव डालते हैं।
- वे लॉबिंग भी करते हैं (सरकार के अधिकारियों के साथ प्रत्यक्ष बातचीत)।
- वे कभी-कभी राजनीतिक दलों से भी जुड़े होते हैं।
(ग) आंदोलन (Movements):
- आंदोलन दबाव समूहों से भिन्न होते हैं क्योंकि वे अक्सर एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए होते हैं और उनका संगठन अधिक अनौपचारिक होता है।
- वे कभी-कभी राजनीतिक दलों या दबाव समूहों से भी जुड़े होते हैं, लेकिन उनका दायरा व्यापक हो सकता है।
- उदाहरण: पर्यावरण आंदोलन, मानवाधिकार आंदोलन, महिला आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन।
- इन आंदोलनों में भाग लेने वाले व्यक्तियों और संगठनों का नेटवर्क होता है।
4. दबाव समूहों और आंदोलनों का राजनीति पर प्रभाव (Influence of Pressure Groups and Movements on Politics)
- **लोकतंत्र को मजबूत करना:**
- ये समूह विभिन्न हितों और विचारों को आवाज देकर लोकतंत्र को गहरा करते हैं।
- वे सरकार पर जनहित में निर्णय लेने के लिए दबाव डालते हैं।
- वे सरकार को जवाबदेह बनाते हैं और उसे गलत निर्णयों से बचाते हैं।
- **सरकार तक पहुँच:**
- समूहों को अपनी मांगों को सरकार तक पहुँचाने का मौका मिलता है।
- जब विभिन्न समूह सरकार पर दबाव डालते हैं, तो इससे समाज के विभिन्न वर्गों के हितों को संतुलित करने में मदद मिलती है।
- **संभावित नकारात्मक पहलू:**
- यदि दबाव समूह केवल एक विशिष्ट वर्ग के संकीर्ण हितों को बढ़ावा देते हैं और अन्य की उपेक्षा करते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए हानिकारक हो सकता है।
- कुछ दबाव समूह धन और प्रभाव का उपयोग करके अनुचित लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- लेकिन आमतौर पर, लोकतंत्र में विभिन्न समूह एक-दूसरे पर संतुलन बनाते हैं, जिससे कोई भी एक समूह समाज पर हावी नहीं हो पाता।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
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नेपाल में लोकतंत्र के लिए आंदोलन कब हुआ था?
(क) 1990
(ख) 2002
(ग) 2006
(घ) 2015(ग) 2006
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बोलीविया का जल युद्ध किससे संबंधित था?
(क) जल प्रदूषण
(ख) पानी के निजीकरण और मूल्य वृद्धि
(ग) सूखे की समस्या
(घ) पानी के अधिकार(ख) पानी के निजीकरण और मूल्य वृद्धि
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निम्नलिखित में से कौन सा हित-समूह का उदाहरण है?
(क) पर्यावरण संरक्षण समूह
(ख) मानवाधिकार संगठन
(ग) ट्रेड यूनियन
(घ) महिला आंदोलन(ग) ट्रेड यूनियन
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दबाव समूह और राजनीतिक दल में मुख्य अंतर क्या है?
(क) दबाव समूह चुनाव लड़ते हैं, राजनीतिक दल नहीं।
(ख) दबाव समूह सीधे सत्ता पर नियंत्रण चाहते हैं, राजनीतिक दल नहीं।
(ग) दबाव समूह सरकार की नीतियों को प्रभावित करना चाहते हैं, राजनीतिक दल सरकार बनाना चाहते हैं।
(घ) दबाव समूह केवल एक मुद्दे पर काम करते हैं, राजनीतिक दल कई मुद्दों पर।(ग) दबाव समूह सरकार की नीतियों को प्रभावित करना चाहते हैं, राजनीतिक दल सरकार बनाना चाहते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 30 words)
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जन-संघर्ष क्या है?
जन-संघर्ष संगठित और बड़े पैमाने पर किए गए विरोध प्रदर्शन या आंदोलन होते हैं जिनका उद्देश्य सरकार की नीतियों या किसी सामाजिक अन्याय को बदलना होता है। ये लोकतंत्र में लोगों की शक्ति का प्रदर्शन होते हैं।
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दबाव समूह क्या होते हैं?
दबाव समूह ऐसे संगठन होते हैं जो सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं लेकिन चुनाव नहीं लड़ते और सीधे सत्ता पर नियंत्रण नहीं चाहते। वे अपने सदस्यों या एक विशिष्ट उद्देश्य के हितों को बढ़ावा देते हैं।
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हित-समूह और लोक कल्याणकारी समूह में क्या अंतर है?
**हित-समूह** समाज के एक विशिष्ट वर्ग (जैसे व्यापारी, मजदूर) के हितों को बढ़ावा देते हैं। **लोक कल्याणकारी समूह** समाज के व्यापक हितों (जैसे पर्यावरण, मानवाधिकार) को बढ़ावा देते हैं और किसी विशिष्ट वर्ग के नहीं होते।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 120 words)
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नेपाल में लोकतंत्र के लिए हुए जन आंदोलन का वर्णन करें।
नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए अप्रैल 2006 में एक असाधारण और व्यापक जन आंदोलन हुआ। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र ने 2002 में लोकतंत्र को भंग कर दिया और सारी सत्ता अपने हाथों में ले ली।
- **शुरुआत:** सात राजनीतिक दलों के गठबंधन (SPA) ने काठमांडू में चार दिवसीय बंद (बंद) का आह्वान किया। माओवादी विद्रोहियों और विभिन्न अन्य संगठनों ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया, जिससे यह एक विशाल जन भागीदारी वाला आंदोलन बन गया।
- **जन भागीदारी:** लोगों ने राजा द्वारा लगाए गए कर्फ्यू का उल्लंघन किया और सड़कों पर उतर आए। काठमांडू की सड़कों पर प्रतिदिन लगभग 3 से 5 लाख लोग इकट्ठे हुए, जो लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहे थे। सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया, जिससे कई लोग घायल हुए।
- **मुख्य मांगें:** आंदोलन की मुख्य मांगें थीं: राजा को संसद को बहाल करना, एक सर्वदलीय सरकार का गठन करना, और एक नई संविधान सभा बनाना ताकि एक नया लोकतांत्रिक संविधान तैयार किया जा सके।
- **परिणाम:** विशाल जन दबाव के सामने राजा ज्ञानेंद्र को झुकना पड़ा। उन्होंने 24 अप्रैल 2006 को लोगों की मांगों को स्वीकार किया। संसद को बहाल किया गया, और सर्वदलीय सरकार का गठन हुआ। इस आंदोलन ने नेपाल को संवैधानिक राजतंत्र से एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य में परिवर्तित करने का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे देश में वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना हुई। यह जनशक्ति और लोकतंत्र में उसके महत्व का एक सशक्त उदाहरण था।
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दबाव समूह और आंदोलन लोकतंत्र को कैसे मजबूत करते हैं?
दबाव समूह और आंदोलन लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पहलू हैं जो उसे कई तरीकों से मजबूत करते हैं:
- **विविध हितों का प्रतिनिधित्व:** दबाव समूह और आंदोलन समाज के विभिन्न वर्गों और हितों को आवाज देते हैं, जिनकी आवाजें अन्यथा अनसुनी रह सकती हैं। वे सरकार को विभिन्न सामाजिक समूहों की जरूरतों और चिंताओं से अवगत कराते हैं।
- **सरकार पर जवाबदेही बनाए रखना:** ये समूह सरकार पर दबाव डालते हैं ताकि वह जनहित में कार्य करे और जनता के प्रति जवाबदेह बनी रहे। वे नीतियों में खामियों को उजागर करते हैं और सरकार को गलत निर्णय लेने से रोकते हैं। बोलीविया में जल युद्ध इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ लोगों के दबाव ने सरकार को निजीकरण के गलत निर्णय को पलटने पर मजबूर किया।
- **सार्वजनिक बहस को समृद्ध करना:** दबाव समूह और आंदोलन अक्सर सार्वजनिक बहस को बढ़ावा देते हैं। वे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाते हैं और नागरिकों को उन पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे informed citizenry (सूचित नागरिकता) का निर्माण होता है।
- **विकल्प प्रदान करना:** कभी-कभी, ये समूह सरकार या राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई गई नीतियों के वैकल्पिक दृष्टिकोण या समाधान भी प्रस्तुत करते हैं, जिससे नीति-निर्माण की प्रक्रिया अधिक व्यापक और समावेशी बनती है।
- **लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ाना:** दबाव समूह और आंदोलन नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के अवसर प्रदान करते हैं, भले ही वे चुनाव न लड़ें। यह भागीदारी की भावना को मजबूत करता है और लोगों को महसूस कराता है कि उनकी आवाज मायने रखती है।
- **शक्ति का संतुलन:** विभिन्न दबाव समूह एक-दूसरे पर संतुलन बनाए रखते हैं। जब कोई एक समूह सरकार पर अनुचित दबाव डालता है, तो अन्य समूह उस दबाव का विरोध कर सकते हैं, जिससे सत्ता का एक स्वस्थ संतुलन बना रहता है और कोई भी एक हित समाज पर हावी नहीं हो पाता।
संक्षेप में, दबाव समूह और आंदोलन लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण चैनल हैं जो नागरिकों को अपनी मांगों को उठाने, सरकार पर दबाव डालने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक प्रतिनिधि और प्रतिक्रियाशील बनाने में मदद करते हैं। वे लोकतांत्रिक भागीदारी और जवाबदेही को बढ़ाते हैं।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)