अध्याय 3: लोकतंत्र और विविधता (Democracy and Diversity)
परिचय
कक्षा 10 नागरिक शास्त्र का यह अध्याय **'लोकतंत्र और विविधता'** बताता है कि सामाजिक विविधताएँ लोकतंत्र के लिए कैसे चुनौती भी हो सकती हैं और अवसर भी। यह अध्याय सामाजिक विभाजनों, असमानताओं और भेदभावों पर चर्चा करता है और दिखाता है कि कैसे लोकतंत्र इन चुनौतियों का सामना करता है।
---1. सामाजिक अंतर, विभाजन और असमानताएँ (Social Differences, Divisions, and Inequalities)
- **सामाजिक अंतर (Social Differences):**
- ये अक्सर जन्म से ही शुरू होते हैं। हम अपनी पसंद से नहीं बल्कि अपने परिवार के आधार पर कुछ पहचानें प्राप्त करते हैं। जैसे: लिंग, जाति, धर्म, नस्ल।
- लेकिन कुछ अंतर हमारी पसंद के आधार पर भी बनते हैं, जैसे कि हम कौन सा धर्म अपनाते हैं, कौन सी भाषा सीखते हैं, कौन सा पेशा चुनते हैं।
- सामाजिक अंतरों से विभिन्न सामाजिक समूहों का निर्माण होता है।
- **सामाजिक विभाजन (Social Divisions):**
- जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरे अंतरों से जुड़ जाते हैं, तो वे सामाजिक विभाजन का रूप ले लेते हैं।
- उदाहरण के लिए, दलित समुदाय के लोग गरीब और भूमिहीन भी होते हैं, और उन्हें अक्सर भेदभाव का भी सामना करना पड़ता है। इससे उनकी एक अलग पहचान बनती है जो उन्हें दूसरों से अलग करती है।
- यह स्थिति एक समूह को दूसरे समूह से अलग करती है, जिससे संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।
- **अंतरों का अतिव्यापन और कटौती (Overlapping and Cross-cutting Differences):**
- **अतिव्यापी अंतर (Overlapping Differences):** जब एक सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से जुड़ जाता है, तो यह अतिव्यापी अंतर कहलाता है। यह सामाजिक विभाजन को मजबूत करता है।
- उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका में अश्वेत लोग गरीब, भूमिहीन और भेदभाव के शिकार हैं। यह उन्हें श्वेत लोगों से पूरी तरह से अलग करता है। यह अतिव्यापी अंतर सामाजिक विभाजन का मुख्य कारण हैं।
- **कटौती अंतर (Cross-cutting Differences):** जब एक समूह के लोग एक मुद्दे पर एक साथ होते हैं लेकिन दूसरे मुद्दे पर अलग होते हैं।
- उदाहरण: नीदरलैंड और उत्तरी आयरलैंड में धर्म के आधार पर लोग विभाजित हैं (प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक)। लेकिन नीदरलैंड में प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक दोनों अमीर और गरीब दोनों हैं, जिससे वे एक दूसरे के साथ एकजुटता महसूस करते हैं। यह कटौती अंतर सामाजिक विभाजन को कम करते हैं।
- **अतिव्यापी अंतर (Overlapping Differences):** जब एक सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से जुड़ जाता है, तो यह अतिव्यापी अंतर कहलाता है। यह सामाजिक विभाजन को मजबूत करता है।
2. विभिन्नता में सामंजस्य और संघर्ष (Accommodation of Diversity)
- सामाजिक विभाजन लोकतंत्र को प्रभावित करते हैं, लेकिन उन्हें हमेशा बुरा नहीं माना जाना चाहिए।
- **उदाहरण:** ओलंपिक पदक समारोह (टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस का मामला, मेक्सिको सिटी, 1968)। इन्होंने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज उठाई।
- **विभिन्नता को समायोजित करना (Accommodating Diversity):**
- लोकतंत्र में, विभिन्न समूहों के लिए अपनी मांगों को शांतिपूर्वक उठाना संभव है।
- यह राजनीतिक दल बनाने, चुनाव लड़ने और सार्वजनिक बहस में भाग लेने की अनुमति देता है।
- विभिन्न समूहों को उनकी शिकायतों को सुनने का अवसर मिलता है, जिससे सामाजिक विभाजन को संघर्ष में बदलने से रोका जा सकता है।
3. परिणाम (Outcomes)
- सामाजिक विभाजन के परिणाम इस बात पर निर्भर करते हैं कि लोग अपनी पहचान को कैसे देखते हैं।
- यदि लोग अपनी पहचान को **एकल और अनन्य** मानते हैं, तो संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।
- उदाहरण: उत्तरी आयरलैंड में प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक अपनी पहचान को केवल धार्मिक रूप से देखते हैं, जिससे उन्हें संघर्ष का सामना करना पड़ा।
- यदि लोग अपनी पहचान को **बहुस्तरीय और विविध** मानते हैं, तो यह संघर्ष को कम करने में मदद करता है।
- उदाहरण: बेल्जियम में लोगों ने अपनी भाषाई पहचान के साथ-साथ अपनी बेल्जियम पहचान को भी स्वीकार किया, जिससे उन्हें संघर्ष से बचने में मदद मिली।
- सामाजिक विभाजन के परिणाम इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि राजनीतिक नेता विभिन्न समूहों की मांगों को कैसे उठाते हैं।
- यदि नेता केवल एक समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं और दूसरे की उपेक्षा करते हैं, तो संघर्ष बढ़ सकता है (जैसे श्रीलंका)।
- यदि नेता सभी समूहों की मांगों को समायोजित करने की कोशिश करते हैं, तो यह स्थिरता लाता है (जैसे बेल्जियम)।
- सामाजिक विभाजन के परिणाम इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि सरकार विभिन्न समूहों की मांगों पर कैसे प्रतिक्रिया करती है।
- यदि सरकार बहुसंख्यक समुदाय के हितों के नाम पर अल्पसंख्यकों की मांगों को दबाने की कोशिश करती है, तो इससे अक्सर संघर्ष होता है।
- एक लोकतंत्र को विविध समूहों की मांगों को समायोजित करना चाहिए और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
4. लोकतंत्र में विविधता को कैसे संभालें (How to Handle Diversity in Democracy)
- लोकतंत्र में विविधता को संभालने के लिए:
- **खुली चर्चा और बहस:** विभिन्न विचारों और मांगों को सुना जाना चाहिए।
- **प्रतिनिधित्व:** सभी सामाजिक समूहों को सरकार में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए (जैसे आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र)।
- **बहुमत और अल्पसंख्यक:** लोकतंत्र बहुमत के शासन का अर्थ यह नहीं है कि बहुमत समुदाय के लोग ही शासन करें। इसका अर्थ है कि हर निर्णय या चुनाव में विभिन्न व्यक्ति और समूह बहुमत बना सकते हैं और बहुमत में हो सकते हैं।
- **समावेशी नीतियाँ:** नीतियाँ ऐसी होनी चाहिए जो सभी समूहों के हितों का ध्यान रखें।
- **पहचान का सम्मान:** विभिन्न पहचानों और संस्कृतियों का सम्मान किया जाना चाहिए।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
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निम्नलिखित में से कौन सा सामाजिक अंतर का मुख्य स्रोत है?
(क) जन्म
(ख) शिक्षा
(ग) धन
(घ) उपर्युक्त सभी(घ) उपर्युक्त सभी (हालांकि जन्म मुख्य स्रोत है, शिक्षा और धन भी सामाजिक अंतर पैदा करते हैं)
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जब एक सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से जुड़ जाता है, तो उसे क्या कहते हैं?
(क) कटौती अंतर
(ख) अतिव्यापी अंतर
(ग) विविधता
(घ) समानता(ख) अतिव्यापी अंतर
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किस देश में अतिव्यापी सामाजिक अंतरों का स्पष्ट उदाहरण देखा जा सकता है?
(क) बेल्जियम
(ख) नीदरलैंड
(ग) उत्तरी आयरलैंड
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका (जहां अश्वेत गरीब और भेदभाव के शिकार दोनों हैं)
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लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन का सबसे खराब परिणाम क्या हो सकता है?
(क) सांस्कृतिक विविधता
(ख) राजनीतिक स्थिरता
(ग) गृहयुद्ध
(घ) आर्थिक विकास(ग) गृहयुद्ध
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 30 words)
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सामाजिक अंतर और सामाजिक विभाजन में क्या अंतर है?
सामाजिक अंतर लोगों के बीच सामान्य भिन्नताएँ हैं (जैसे जाति, धर्म, लिंग)। जबकि सामाजिक विभाजन तब होता है जब एक सामाजिक अंतर दूसरे कई अंतरों से जुड़ जाता है, जिससे एक समूह दूसरों से पूरी तरह अलग महसूस करता है और संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।
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अतिव्यापी अंतर और कटौती अंतर में क्या अंतर है?
**अतिव्यापी अंतर** तब होता है जब एक सामाजिक अंतर (जैसे गरीबी) कई अन्य अंतरों (जैसे जाति, नस्ल) से जुड़ जाता है, जिससे सामाजिक विभाजन गहरा होता है। **कटौती अंतर** तब होता है जब विभिन्न समूह एक मुद्दे पर एक साथ होते हैं, लेकिन दूसरे पर अलग होते हैं, जिससे सामाजिक विभाजन कमजोर होता है।
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मेक्सिको ओलंपिक का टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस का मामला क्या दर्शाता है?
1968 के मेक्सिको ओलंपिक में टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस द्वारा नस्लीय भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन यह दर्शाता है कि सामाजिक असमानताएँ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी मुखर हो सकती हैं, और खेल जैसे गैर-राजनीतिक मंच भी सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर कर सकते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 120 words)
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सामाजिक विभाजन कैसे राजनीति को प्रभावित करते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या करें।
सामाजिक विभाजन राजनीति को कई तरह से प्रभावित करते हैं, जिससे राजनीतिक स्थिरता और सरकार की नीतियों पर सीधा असर पड़ता है:
- **मतदान व्यवहार:** सामाजिक विभाजन अक्सर मतदान व्यवहार को प्रभावित करते हैं। लोग अपने जातीय, धार्मिक या भाषाई समूह के आधार पर मतदान करते हैं, जिससे राजनीतिक दल भी इन विभाजनों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। इससे एक समुदाय के हितों को दूसरे के मुकाबले प्राथमिकता दी जा सकती है।
- **राजनीतिक दलों का गठन:** सामाजिक विभाजन अक्सर विशेष हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनीतिक दलों के गठन को जन्म देते हैं। ये दल अपने समूह की मांगों को सरकार के सामने रखते हैं। उदाहरण के लिए, दलितों, पिछड़ों या भाषाई समूहों पर आधारित दल।
- **संघर्ष और हिंसा:** यदि सामाजिक विभाजनों को ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो वे संघर्ष और हिंसा में बदल सकते हैं। जैसा कि श्रीलंका में देखा गया, सिंहली और तमिल समुदायों के बीच भाषाई और धार्मिक विभाजन ने गृहयुद्ध का रूप ले लिया, जिसके विनाशकारी परिणाम हुए।
- **नीति-निर्माण पर प्रभाव:** सरकार की नीतियाँ अक्सर इन सामाजिक विभाजनों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। नीतियाँ या तो विभिन्न समूहों को समायोजित करने का प्रयास कर सकती हैं (जैसे बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी) या एक समूह के वर्चस्व को बढ़ावा दे सकती हैं (जैसे श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद)।
- **स्थिरता या अस्थिरता:** सामाजिक विभाजनों के प्रति राजनीतिक नेताओं और सरकार की प्रतिक्रिया देश की राजनीतिक स्थिरता को निर्धारित करती है। यदि विविधता को स्वीकार किया जाता है और उसे समायोजित किया जाता है, तो यह स्थिरता ला सकता है। यदि इसे दबाया जाता है, तो यह अस्थिरता और संघर्ष को जन्म दे सकता है।
संक्षेप में, सामाजिक विभाजन राजनीति में एक अपरिहार्य वास्तविकता हैं। चुनौती इन विभाजनों को ऐसे तरीके से प्रबंधित करना है जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखे, समावेशिता को बढ़ावा दे और समाज में सद्भाव सुनिश्चित करे। -
लोकतंत्र में सामाजिक विविधता को समायोजित करना क्यों महत्वपूर्ण है?
लोकतंत्र में सामाजिक विविधता को समायोजित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की स्थिरता, विकास और वास्तविक लोकतांत्रिक भावना के लिए आवश्यक है:
- **सामाजिक संघर्ष को रोकना:** लोकतंत्र में विभिन्न सामाजिक समूह होते हैं जिनके अलग-अलग हित और पहचान होती हैं। यदि इन विविधताओं को समायोजित नहीं किया जाता है, तो वे संघर्ष, हिंसा और यहाँ तक कि गृहयुद्ध का कारण बन सकती हैं, जैसा कि श्रीलंका के मामले में देखा गया। विविधता को समायोजित करने से शांति और सद्भाव बना रहता है।
- **राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना:** जब सभी प्रमुख सामाजिक समूहों को सरकार में उचित प्रतिनिधित्व और भागीदारी मिलती है, तो वे राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा महसूस करते हैं। यह अलगाव की भावना को कम करता है और राजनीतिक व्यवस्था में विश्वास पैदा करता है, जिससे स्थिरता आती है। बेल्जियम इसका एक सफल उदाहरण है।
- **लोकतंत्र को मजबूत करना:** लोकतंत्र का सार केवल बहुमत के शासन में नहीं है, बल्कि अल्पसंख्यक हितों का सम्मान करने और सभी की आवाज सुनने में भी है। विविधता को समायोजित करने से लोकतंत्र अधिक समावेशी, प्रतिनिधि और न्यायपूर्ण बनता है। यह लोकतंत्र की आत्मा है।
- **बेहतर निर्णय लेना:** जब विभिन्न दृष्टिकोणों और अनुभवों वाले लोग निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं, तो वे अधिक संतुलित, व्यापक और प्रभावी नीतियाँ बनाते हैं। इससे उन नीतियों से बचा जा सकता है जो केवल एक समूह के लिए फायदेमंद हों और दूसरों को नुकसान पहुँचाएँ।
- **राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना:** विविधता को समायोजित करने से लोगों को अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखने के साथ-साथ एक बड़े राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा महसूस करने में मदद मिलती है। यह विभिन्न समुदायों के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे राष्ट्रीय एकता मजबूत होती है।
इसलिए, लोकतंत्र में सामाजिक विविधता को समायोजित करना न केवल एक व्यावहारिक आवश्यकता है जो संघर्षों को रोकती है, बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता भी है जो लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखती है और सभी नागरिकों के लिए न्याय और सम्मान सुनिश्चित करती है।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)