अध्याय 1: सत्ता की साझेदारी (Power Sharing)

परिचय

कक्षा 10 नागरिक शास्त्र का यह अध्याय **'सत्ता की साझेदारी'** हमें बताता है कि लोकतंत्र में सत्ता को विभिन्न समूहों और संस्थानों के बीच क्यों और कैसे साझा किया जाता है। यह अध्याय दो केस स्टडीज़ - **बेल्जियम और श्रीलंका** - के माध्यम से सत्ता की साझेदारी के लाभों और इसके अभाव के परिणामों को स्पष्ट करता है।

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1. बेल्जियम और श्रीलंका: दो कहानियाँ

(क) बेल्जियम (Belgium)

(ख) श्रीलंका (Sri Lanka)

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2. सत्ता की साझेदारी वांछनीय क्यों है? (Why is Power Sharing Desirable?)

सत्ता की साझेदारी वांछनीय है क्योंकि इसके दो मुख्य कारण हैं:

(क) विवेकपूर्ण कारण (Prudential Reasons):

(ख) नैतिक कारण (Moral Reasons):

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3. सत्ता की साझेदारी के रूप (Forms of Power Sharing)

आधुनिक लोकतंत्रों में, सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूप हो सकते हैं:

(क) सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Power):

(ख) सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण (Vertical Distribution of Power):

(ग) विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी (Power Sharing Among Different Social Groups):

(घ) राजनीतिक दलों, दबाव समूहों और आंदोलनों के बीच सत्ता की साझेदारी (Power Sharing Among Political Parties, Pressure Groups, and Movements):

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

  1. बेल्जियम मॉडल की एक विशेषता नहीं है:
    (क) केंद्र सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की समान संख्या।
    (ख) राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के अधीन बनाया गया।
    (ग) ब्रुसेल्स की एक अलग सरकार जिसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व।
    (घ) सामुदायिक सरकार का गठन।

    (ख) राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के अधीन बनाया गया। (वास्तव में, राज्य सरकारें केंद्र सरकार के अधीन नहीं थीं, उन्हें स्वायत्तता दी गई थी।)

  2. श्रीलंका में बहुसंख्यक समुदाय है:
    (क) तमिल
    (ख) सिंहली
    (ग) मुस्लिम
    (घ) ईसाई

    (ख) सिंहली

  3. सत्ता के क्षैतिज वितरण का उदाहरण है:
    (क) केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकार।
    (ख) विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका।
    (ग) विभिन्न सामाजिक समूह।
    (घ) राजनीतिक दल और दबाव समूह।

    (ख) विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका।

  4. सत्ता की साझेदारी के नैतिक कारण में से एक है:
    (क) यह सामाजिक संघर्ष को कम करता है।
    (ख) यह राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करता है।
    (ग) यह लोकतंत्र की आत्मा है।
    (घ) यह बहुमत के अत्याचार से बचाता है।

    (ग) यह लोकतंत्र की आत्मा है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 30 words)

  1. सत्ता की साझेदारी क्या है?

    सत्ता की साझेदारी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है जिसमें सरकार की शक्ति को विभिन्न स्तरों (जैसे केंद्र, राज्य), अंगों (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) या सामाजिक समूहों (भाषाई, धार्मिक) के बीच विभाजित किया जाता है ताकि सभी को प्रतिनिधित्व मिल सके और संघर्ष कम हो।

  2. बेल्जियम मॉडल की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?

    बेल्जियम मॉडल की मुख्य विशेषताएँ थीं: केंद्र सरकार में फ्रेंच और डच मंत्रियों की समान संख्या, राज्य सरकारों को स्वायत्तता, ब्रुसेल्स की अलग सरकार, और सामुदायिक सरकार का गठन जो भाषाई और सांस्कृतिक मामलों को देखती थी।

  3. श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद से क्या तात्पर्य है?

    श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद का अर्थ है कि बहुसंख्यक सिंहली समुदाय ने अपनी संख्यात्मक शक्ति के आधार पर अल्पसंख्यकों (तमिलों) की इच्छाओं और हितों की उपेक्षा करते हुए सरकार और नीति-निर्माण पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश की।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दें (Answer the following questions in about 120 words)

  1. सत्ता की साझेदारी क्यों वांछनीय है? विवेकपूर्ण और नैतिक कारणों का उल्लेख करें।

    सत्ता की साझेदारी कई कारणों से वांछनीय है, जिन्हें दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है: विवेकपूर्ण (Prudential) और नैतिक (Moral)।
    • **विवेकपूर्ण कारण (Prudential Reasons):**
      • **सामाजिक संघर्ष को कम करना:** सत्ता की साझेदारी सामाजिक समूहों के बीच संघर्ष की संभावना को कम करती है। यदि सत्ता को साझा नहीं किया जाता है, तो विभिन्न सामाजिक समूह सत्ता के लिए संघर्ष कर सकते हैं, जिससे हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है, जैसा कि श्रीलंका में देखा गया।
      • **राजनीतिक स्थिरता:** यह राजनीतिक व्यवस्था की स्थिरता सुनिश्चित करती है। बहुसंख्यक का अल्पसंख्यक पर वर्चस्व केवल अल्पसंख्यकों के लिए ही दमनकारी नहीं होता, बल्कि अक्सर बहुसंख्यक समुदाय के लिए भी विनाशकारी हो सकता है, क्योंकि इससे गृहयुद्ध या विभाजन हो सकता है।
      • **बेहतर निर्णय लेना:** जब विभिन्न समूहों को सत्ता में शामिल किया जाता है, तो निर्णय अधिक समावेशी और संतुलित होते हैं, क्योंकि वे विभिन्न दृष्टिकोणों और चिंताओं को ध्यान में रखते हैं।
    • **नैतिक कारण (Moral Reasons):**
      • **लोकतंत्र की आत्मा:** सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। एक लोकतांत्रिक सरकार का मूल सिद्धांत यह है कि शक्ति एक व्यक्ति या समूह के हाथ में केंद्रित नहीं होनी चाहिए, बल्कि लोगों के बीच वितरित होनी चाहिए।
      • **वैध सरकार:** एक वैध सरकार वह होती है जहाँ नागरिक भागीदारी के माध्यम से सरकार में अपना हिस्सा प्राप्त करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि लोग खुद को शासित करने के तरीके में शामिल महसूस करें।
      • **नागरिकों का अधिकार:** नागरिकों को यह अधिकार है कि उनसे कैसे शासन किया जाए, इस पर सलाह ली जाए। सत्ता की साझेदारी इस अधिकार को बनाए रखती है और सभी को शासन प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर देती है।
    इस प्रकार, सत्ता की साझेदारी न केवल संघर्ष को रोकती है और स्थिरता लाती है (विवेकपूर्ण), बल्कि यह लोकतंत्र के मूलभूत मूल्यों और सिद्धांतों को भी मजबूत करती है (नैतिक)।

  2. सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूपों का वर्णन करें।

    आधुनिक लोकतंत्रों में, सत्ता की साझेदारी कई रूपों में हो सकती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि शक्ति किसी एक समूह या व्यक्ति के हाथ में केंद्रित न हो:
    1. **सरकार के विभिन्न अंगों के बीच (क्षैतिज वितरण):**
      • सत्ता को विधायिका (जो कानून बनाती है), कार्यपालिका (जो कानूनों को लागू करती है), और न्यायपालिका (जो कानूनों की व्याख्या करती है) जैसे सरकार के विभिन्न अंगों के बीच साझा किया जाता है।
      • इसे **जांच और संतुलन की प्रणाली (Checks and Balances System)** भी कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक अंग दूसरे पर नियंत्रण रखता है, जिससे किसी भी एक अंग को असीमित शक्ति प्राप्त नहीं होती। उदाहरण के लिए, न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका करती है, लेकिन न्यायाधीश कार्यपालिका द्वारा किए गए किसी भी अवैध कार्य की जांच कर सकते हैं।
    2. **सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच (ऊर्ध्वाधर वितरण):**
      • सत्ता को सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच साझा किया जाता है: पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार (जिसे केंद्र सरकार या संघीय सरकार कहा जाता है) और प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तरों पर सरकारें (राज्य सरकारें)।
      • भारत में, हमारे पास केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और स्थानीय सरकारें (जैसे पंचायतें और नगरपालिकाएँ) हैं। सत्ता का यह विभाजन संघीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
    3. **विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच:**
      • सत्ता को विभिन्न सामाजिक समूहों, जैसे भाषाई या धार्मिक समूहों के बीच भी साझा किया जा सकता है। यह अल्पसंख्यक समुदायों को सरकार में प्रतिनिधित्व देने का एक तरीका है।
      • बेल्जियम की **सामुदायिक सरकार** इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ विभिन्न भाषाई समूहों को अपनी संस्कृति, भाषा और शिक्षा से संबंधित मामलों पर अधिकार दिए गए। भारत में, **आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र** अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हैं।
    4. **राजनीतिक दलों, दबाव समूहों और आंदोलनों के बीच:**
      • लोकतंत्र में, सत्ता विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच भी साझा की जाती है जो चुनावों में प्रतिस्पर्धा करते हैं। यदि कोई एक पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाती, तो वे **गठबंधन सरकार** बनाने के लिए एक साथ आ सकते हैं और सत्ता साझा कर सकते हैं।
      • इसके अलावा, **दबाव समूह** और **आंदोलन** भी सरकार की नीतियों को प्रभावित करके अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता साझा करते हैं। वे अपने हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और सरकार पर दबाव डालते हैं कि वह उनके दृष्टिकोणों को ध्यान में रखे, जिससे सत्ता का वितरण व्यापक होता है।
    ये विभिन्न रूप सुनिश्चित करते हैं कि लोकतंत्र में सत्ता का उपयोग मनमाना न हो और समाज के सभी वर्गों की आवाज सुनी जा सके।

(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)