अध्याय 7: नियंत्रण एवं समन्वय (Control and Coordination)
परिचय
कक्षा 10 विज्ञान का सातवाँ अध्याय **'नियंत्रण एवं समन्वय'** जीवित जीवों में शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों को नियंत्रित करने और उन्हें एक साथ समन्वित तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार प्रणालियों से संबंधित है। बहुकोशिकीय जीवों में, शरीर की दक्षता और पर्यावरण के प्रति अनुकूलता के लिए विभिन्न अंगों और प्रणालियों के बीच समन्वय आवश्यक है। यह अध्याय मुख्य रूप से मानव में तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र, तथा पौधों में समन्वय पर केंद्रित है।
---1. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय (Control and Coordination in Animals)
(a) तंत्रिका तंत्र (Nervous System)
तंत्रिका तंत्र कोशिकाओं का एक संगठित नेटवर्क है जो सूचनाओं को शरीर के विभिन्न भागों में प्रसारित करता है। यह सोचने, तर्क करने और व्यवहार को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- **न्यूरॉन (Neuron) / तंत्रिका कोशिका:** तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई।
- **भाग:**
- **द्रुमिका (Dendrite):** सूचना प्राप्त करता है।
- **कोशिका काय (Cell Body):** प्राप्त जानकारी को संसाधित करता है।
- **तंत्रिकाक्ष (Axon):** सूचना को कोशिका काय से दूर ले जाता है।
- **तंत्रिकाक्ष का अंतिम सिरा (Nerve Ending):** सूचना को अगले न्यूरॉन या पेशी कोशिका तक पहुँचाता है।
- **सिनेप्स (Synapse):** दो न्यूरॉन के बीच या न्यूरॉन और एक पेशी कोशिका के बीच का सूक्ष्म अंतराल जहाँ तंत्रिका आवेग एक न्यूरॉन से दूसरे में **तंत्रिका संचारी (Neurotransmitters)** नामक रसायनों के माध्यम से संचारित होता है।
- **भाग:**
(b) प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action)
- यह पर्यावरण में किसी उत्तेजना (stimulus) के लिए एक तेज, स्वचालित और अनैच्छिक प्रतिक्रिया है।
- **उदाहरण:** गर्म वस्तु को छूने पर हाथ हटाना, खाँसना, छींकना।
- **प्रतिवर्ती चाप (Reflex Arc):** वह मार्ग जिसके माध्यम से तंत्रिका आवेग एक प्रतिवर्ती क्रिया में गुजरता है।
- **संवेदी न्यूरॉन (Sensory Neuron):** उत्तेजना को ग्राही (receptor) से मेरुरज्जु तक ले जाता है।
- **मध्यस्थ न्यूरॉन / रिले न्यूरॉन (Relay Neuron):** मेरुरज्जु में संवेदी न्यूरॉन और प्रेरक न्यूरॉन को जोड़ता है।
- **प्रेरक न्यूरॉन (Motor Neuron):** मेरुरज्जु से प्रतिक्रिया को प्रभावक (effector, जैसे पेशी या ग्रंथि) तक ले जाता है।
- प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती हैं, मस्तिष्क इसमें सीधे शामिल नहीं होता, हालांकि मस्तिष्क को बाद में सूचना मिल सकती है।
(c) मानव तंत्रिका तंत्र (Human Nervous System)
यह दो मुख्य भागों में विभाजित है:
- **केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System - CNS):**
- **मस्तिष्क (Brain):**
- **अग्रमस्तिष्क (Forebrain):** सोचने, सीखने, स्मृति, वाणी और स्वैच्छिक क्रियाओं का केंद्र। इसमें **प्रमस्तिष्क (Cerebrum)** होता है।
- **मध्यमस्तिष्क (Midbrain):** अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है (उदा. पुतली का आकार)।
- **पश्चमस्तिष्क (Hindbrain):**
- **अनुमस्तिष्क (Cerebellum):** शरीर की मुद्रा, संतुलन और स्वैच्छिक क्रियाओं की सटीकता को नियंत्रित करता है।
- **पॉन्स (Pons):** श्वसन को नियंत्रित करता है।
- **मस्तिष्कपुच्छ/मेडुला (Medulla):** अनैच्छिक क्रियाओं (रक्तचाप, हृदय गति, श्वसन, उल्टी, लार) को नियंत्रित करता है।
- **मेरुरज्जु (Spinal Cord):** मस्तिष्क को शरीर के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। प्रतिवर्ती क्रियाओं को नियंत्रित करता है और मस्तिष्क तक सूचनाओं को ले जाता है।
- **मस्तिष्क (Brain):**
- **परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System - PNS):**
- CNS से निकलने वाली और शरीर के सभी भागों में फैली हुई तंत्रिकाएँ।
- **कपाल तंत्रिकाएँ (Cranial Nerves):** मस्तिष्क से उत्पन्न होती हैं।
- **मेरुरज्जु तंत्रिकाएँ (Spinal Nerves):** मेरुरज्जु से उत्पन्न होती हैं।
- यह शरीर और CNS के बीच सूचनाओं को ले जाती हैं।
(d) मानव में समन्वय (Coordination in Humans - Endocrine System)
तंत्रिका तंत्र के अलावा, हार्मोन भी जंतुओं में नियंत्रण और समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अंतःस्रावी तंत्र हार्मोन स्रावित करने वाली ग्रंथियों का एक समूह है।
- **हार्मोन (Hormones):** ये रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं और रक्तप्रवाह के माध्यम से लक्ष्य अंगों तक पहुँचते हैं, जहाँ वे विशिष्ट क्रियाओं को प्रभावित करते हैं।
- **प्रमुख अंतःस्रावी ग्रंथियाँ और उनके कार्य:**
- **पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland) (मास्टर ग्रंथि):** वृद्धि हार्मोन, थायराइड-उत्तेजक हार्मोन (TSH), गोनाडोट्रोपिन (LH, FSH) आदि स्रावित करती है। अन्य ग्रंथियों के कार्यों को नियंत्रित करती है।
- **थायराइड ग्रंथि (Thyroid Gland):** थायरोक्सिन हार्मोन स्रावित करती है, जो कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के उपापचय को नियंत्रित करता है।
- **अग्नाशय (Pancreas):**
- **इंसुलिन (Insulin):** रक्त शर्करा स्तर को कम करता है।
- **ग्लूकागॉन (Glucagon):** रक्त शर्करा स्तर को बढ़ाता है।
- **अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland):** एड्रेनालिन (Adrenaline) स्रावित करती है, जो 'लड़ो या भागो' (fight or flight) हार्मोन है, तनाव की स्थितियों में शरीर को तैयार करता है।
- **वृषण (Testes) (पुरुषों में):** टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) स्रावित करते हैं, जो पुरुषों में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों को नियंत्रित करता है।
- **अंडाशय (Ovaries) (महिलाओं में):** एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) स्रावित करते हैं, जो महिलाओं में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों और मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करते हैं।
- **पुनर्भरण क्रियाविधि (Feedback Mechanism):** हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने वाला तंत्र। यदि शरीर में किसी हार्मोन की कमी होती है, तो ग्रंथि उत्तेजित होती है और अधिक हार्मोन का स्राव करती है; यदि अधिकता होती है, तो स्राव कम हो जाता है। (उदा. रक्त में शर्करा स्तर का नियंत्रण)
2. पौधों में समन्वय (Coordination in Plants)
पौधों में तंत्रिका तंत्र नहीं होता है, लेकिन वे रासायनिक समन्वय (हार्मोन) के माध्यम से उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया करते हैं।
(a) तात्कालिक अनुक्रिया (Immediate Responses)
- **छूने पर छुईमुई के पौधों की गति (Movement of Touch-Me-Not plant on touching):** यह वृद्धि से संबंधित नहीं है। पौधे की कोशिकाओं में जल की मात्रा में परिवर्तन के कारण होता है, जिससे स्फीति दाब (turgor pressure) बदलता है।
(b) वृद्धि से संबंधित गतियाँ (Growth-related Movements - Tropism)
ये उद्दीपन की दिशा में या उससे दूर होने वाली वृद्धि-आधारित गतियाँ हैं।
- **प्रकाशावर्तन (Phototropism):** प्रकाश के प्रति अनुक्रिया में वृद्धि। (तना प्रकाश की ओर, जड़ प्रकाश से दूर)
- **गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism):** गुरुत्वाकर्षण के प्रति अनुक्रिया में वृद्धि। (जड़ें गुरुत्वाकर्षण की ओर, तना गुरुत्वाकर्षण से दूर)
- **रसायनिकानुवर्तन (Chemotropism):** रसायनों के प्रति अनुक्रिया में वृद्धि। (पराग नली का बीजांड की ओर वृद्धि)
- **जलानुवर्तन (Hydrotropism):** जल के प्रति अनुक्रिया में वृद्धि। (जड़ें जल की ओर वृद्धि करती हैं)
- **स्पर्शानुवर्तन (Thigmotropism):** स्पर्श के प्रति अनुक्रिया में वृद्धि। (प्रतान का सहारे के चारों ओर लपेटना)
(c) पादप हार्मोन (Plant Hormones / Phytohormones)
ये पौधे की वृद्धि, विकास और पर्यावरणीय उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
- **ऑक्सिन (Auxin):**
- प्ररोह के अग्रभाग में संश्लेषित होता है।
- कोशिका वृद्धि को बढ़ावा देता है।
- प्रकाशावर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- **जिबरेलिन (Gibberellins):**
- तने की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
- फूलों के विकास में सहायक।
- **साइटोकाइनिन (Cytokinins):**
- कोशिका विभाजन को बढ़ावा देता है।
- फलों और बीजों में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
- **एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid - ABA):**
- यह एक वृद्धि अवरोधक हार्मोन है।
- पत्तियों के मुरझाने (विगलन) का कारण बनता है।
- बीज की सुप्तता (dormancy) को प्रेरित करता है।
- तनाव हार्मोन के रूप में भी जाना जाता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
अभ्यास (पृष्ठ 122)
-
प्रतिवर्ती क्रिया तथा प्रतिवर्ती चाप में क्या अंतर है?
**प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action):**
- यह किसी उद्दीपन के प्रति शरीर की एक तेज, स्वचालित और अनैच्छिक अनुक्रिया है।
- यह बिना सोचे-समझे होती है और मस्तिष्क की सचेत भागीदारी के बिना नियंत्रित होती है (हालांकि मस्तिष्क को बाद में जानकारी मिल सकती है)।
- उदाहरण: गर्म वस्तु को छूने पर हाथ हटाना, खाँसना, छींकना, आँखों का झपकना।
**प्रतिवर्ती चाप (Reflex Arc):**- यह वह मार्ग है जिसके माध्यम से तंत्रिका आवेग प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान गुजरता है। यह संवेदी न्यूरॉन, रिले न्यूरॉन और प्रेरक न्यूरॉन को शामिल करता है।
- यह प्रतिवर्ती क्रिया का न्यूरॉनल आधार है। यह क्रिया करने वाले अंगों (प्रभावकों) तक ग्राही (receptor) से संकेत ले जाने वाले मार्ग का प्रतिनिधित्व करता है।
- **घटक:**
- **ग्राही (Receptor):** उद्दीपन को प्राप्त करता है (जैसे त्वचा में)।
- **संवेदी न्यूरॉन (Sensory Neuron):** ग्राही से मेरुरज्जु तक सूचना ले जाता है।
- **रिले न्यूरॉन (Relay Neuron):** मेरुरज्जु में संवेदी न्यूरॉन और प्रेरक न्यूरॉन के बीच संबंध बनाता है।
- **प्रेरक न्यूरॉन (Motor Neuron):** मेरुरज्जु से प्रभावक अंग (जैसे पेशी) तक अनुक्रिया का संकेत ले जाता है।
- **प्रभावक (Effector):** वह अंग जो अनुक्रिया करता है (जैसे हाथ की पेशियाँ)।
संक्षेप में, प्रतिवर्ती क्रिया व्यवहार है, जबकि प्रतिवर्ती चाप वह तंत्रिका मार्ग है जो उस व्यवहार को सक्षम बनाता है। -
दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य सिनेप्स में क्या होता है?
दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य के सूक्ष्म अंतराल को **सिनेप्स (Synapse)** कहते हैं। यह वह स्थान है जहाँ एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक या न्यूरॉन से पेशी/ग्रंथि कोशिका तक सूचना का संचार होता है।**सिनेप्स में होने वाली प्रक्रिया:**
- जब एक तंत्रिका आवेग (विद्युत संकेत) पहले न्यूरॉन (प्री-सिनेप्टिक न्यूरॉन) के तंत्रिकाक्ष के अंतिम सिरे तक पहुँचता है, तो यह विद्युत संकेत कुछ रासायनिक पदार्थों के स्राव को प्रेरित करता है।
- ये रासायनिक पदार्थ, जिन्हें **तंत्रिका संचारी (Neurotransmitters)** कहते हैं (जैसे एसिटाइलकोलीन), सिनेप्टिक दरार (दो न्यूरॉन के बीच का गैप) में मुक्त होते हैं।
- ये तंत्रिका संचारी पदार्थ दूसरे न्यूरॉन (पोस्ट-सिनेप्टिक न्यूरॉन) की द्रुमिका पर मौजूद विशिष्ट ग्राही (receptors) से जुड़ते हैं।
- यह जुड़ाव दूसरे न्यूरॉन में एक नए विद्युत आवेग (या तो उत्तेजक या निरोधात्मक) को उत्पन्न करता है।
- इस प्रकार, विद्युत संकेत रासायनिक संकेत में परिवर्तित होकर सिनेप्स को पार करता है और फिर से विद्युत संकेत में बदलकर अगले न्यूरॉन में आगे बढ़ता है।
यह रासायनिक संचार तंत्रिका तंत्र में सूचना के एकतरफा प्रवाह को सुनिश्चित करता है और सूचना प्रसंस्करण (processing) और एकीकरण (integration) की अनुमति देता है।- मस्तिष्क का कौन सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
मस्तिष्क का **अनुमस्तिष्क (Cerebellum)** नामक भाग शरीर की स्थिति (posture) तथा संतुलन (balance) का अनुरक्षण करता है।- यह पश्चमस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण भाग है जो प्रमस्तिष्क के नीचे और मस्तिष्क स्टेम के पीछे स्थित होता है।
- यह स्वैच्छिक क्रियाओं की सटीकता (precision) को भी नियंत्रित करता है, जैसे साइकिल चलाना, पेंसिल उठाना, सीधी रेखा में चलना आदि। जब हम कोई जटिल स्वैच्छिक गति करते हैं तो अनुमस्तिष्क यह सुनिश्चित करता है कि ये गतियाँ सुचारू और समन्वित हों।
- शराब के सेवन से अनुमस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति लड़खड़ाकर चलता है और संतुलन खो देता है।
- हम अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
अगरबत्ती की गंध का पता हम निम्नलिखित चरणों में लगाते हैं:- **उद्दीपन का ग्रहण:** अगरबत्ती के जलने से सुगंधित कण वायु में फैलते हैं। ये कण हमारी नाक में प्रवेश करते हैं।
- **घ्राण ग्राही (Olfactory Receptors):** हमारी नाक के अंदर ऊपरी हिस्से में विशेष संवेदी कोशिकाएँ होती हैं जिन्हें **घ्राण ग्राही (Olfactory receptors)** कहते हैं। ये ग्राही गंध के कणों को पहचानते हैं।
- **संकेत का उत्पादन:** जब गंध के कण घ्राण ग्राहियों से जुड़ते हैं, तो ये ग्राही एक विद्युत रासायनिक आवेग (तंत्रिका संकेत) उत्पन्न करते हैं।
- **तंत्रिका आवेग का संचरण:** यह तंत्रिका आवेग घ्राण तंत्रिकाओं (Olfactory nerves) के माध्यम से मस्तिष्क के **अग्रमस्तिष्क (Forebrain)** में स्थित **घ्राण पिंड (Olfactory lobes)** तक पहुँचता है।
- **व्याख्या और पहचान:** मस्तिष्क का घ्राण पिंड इन संकेतों की व्याख्या करता है और हमें अगरबत्ती की गंध का अनुभव कराता है। यह हमें यह पहचानने में मदद करता है कि यह अगरबत्ती की गंध है, न कि किसी अन्य चीज़ की।
अभ्यास (पृष्ठ 125)
-
पादप हार्मोन क्या हैं?
पादप हार्मोन, जिन्हें **फाइटोहोर्मोन (Phytohormones)** भी कहते हैं, वे रासायनिक पदार्थ होते हैं जो पौधों द्वारा बहुत कम मात्रा में संश्लेषित होते हैं और पौधों की वृद्धि, विकास और पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया सहित विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हार्मोन एक स्थान पर उत्पन्न होते हैं और फिर पौधे के अन्य भागों में स्थानांतरित होकर अपने प्रभाव डालते हैं।**मुख्य पादप हार्मोन और उनके कार्य:**
- **ऑक्सिन (Auxin):** यह प्ररोह (shoot) के अग्रभाग में संश्लेषित होता है और कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि को प्रेरित करता है। यह प्रकाशावर्तन (प्रकाश की ओर मुड़ना) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- **जिबरेलिन (Gibberellins):** ये तने की वृद्धि, बीजों के अंकुरण और फूलों के विकास को बढ़ावा देते हैं।
- **साइटोकाइनिन (Cytokinins):** ये तेजी से कोशिका विभाजन वाले क्षेत्रों (जैसे फलों और बीजों में) में पाए जाते हैं और कोशिका विभाजन को बढ़ावा देते हैं।
- **एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid - ABA):** यह एक वृद्धि अवरोधक हार्मोन है। यह पत्तियों के मुरझाने (विगलन) का कारण बनता है, बीज की सुप्तता (dormancy) को प्रेरित करता है, और पौधे को तनाव (जैसे सूखा) के प्रति अनुक्रिया करने में मदद करता है (इसलिए इसे तनाव हार्मोन भी कहा जाता है)।
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छुईमुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश के प्रति प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?
छुईमुई (Mimosa pudica) पादप की पत्तियों की गति और प्रकाश के प्रति प्ररोह की गति (प्रकाशावर्तन) के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं:
- **गति का कारण:**
- **छुईमुई की पत्ती की गति:** यह **स्फूर्ति दाब (turgor pressure)** में परिवर्तन के कारण होती है। जब पत्ती को छुआ जाता है, तो पत्तियों के आधार पर (पुलविनस में) स्थित कोशिकाओं से जल निकल जाता है, जिससे उनकी स्फीति समाप्त हो जाती है और पत्तियाँ मुरझा जाती हैं। यह वृद्धि-आधारित गति नहीं है।
- **प्रकाश के प्रति प्ररोह की गति (प्रकाशावर्तन):** यह **विभेदक वृद्धि (differential growth)** के कारण होती है। प्ररोह के एक तरफ (जो प्रकाश से दूर होता है) ऑक्सिन हार्मोन अधिक जमा होता है, जिससे उस तरफ की कोशिकाएँ अधिक तेजी से बढ़ती हैं और प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़ जाता है। यह एक वृद्धि-आधारित गति है।
- **प्रेरक उद्दीपन:**
- **छुईमुई:** स्पर्श (Thigmonasty) यांत्रिक उद्दीपन।
- **प्ररोह:** प्रकाश (Phototropism) प्रकाशीय उद्दीपन।
- **गठन का समय:**
- **छुईमुई:** बहुत तेजी से होती है (कुछ सेकंड के भीतर)।
- **प्ररोह:** धीरे-धीरे होती है (घंटे या दिनों में)।
- **दिशात्मकता:**
- **छुईमुई:** यह एक **दिशाहीन गति (nastic movement)** है। अनुक्रिया उद्दीपन की दिशा पर निर्भर नहीं करती है; पत्ती सिर्फ सिकुड़ जाती है, चाहे उसे कहीं से भी छुआ जाए।
- **प्ररोह:** यह एक **दिशात्मक गति (tropic movement)** है। अनुक्रिया उद्दीपन की दिशा पर निर्भर करती है; प्ररोह हमेशा प्रकाश स्रोत की ओर बढ़ता है।
संक्षेप में, छुईमुई की गति एक त्वरित, गैर-दिशात्मक और वृद्धि-स्वतंत्र रक्षात्मक अनुक्रिया है, जबकि प्रकाशावर्तन एक धीमी, दिशात्मक और वृद्धि-आधारित पर्यावरणीय अनुक्रिया है। - **गति का कारण:**
अभ्यास (पाठ्यपुस्तक के अंत में)
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जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
जंतुओं में रासायनिक समन्वय मुख्य रूप से **अंतःस्रावी तंत्र (Endocrine System)** द्वारा होता है। यह तंत्र **हार्मोन (Hormones)** नामक रासायनिक संदेशवाहकों का उपयोग करता है जो सीधे रक्तप्रवाह में स्रावित होते हैं और शरीर के विभिन्न भागों में लक्ष्य कोशिकाओं या अंगों तक पहुँचते हैं।**रासायनिक समन्वय की प्रक्रिया:**
- **हार्मोन का उत्पादन:** विभिन्न अंतःस्रावी ग्रंथियाँ (जैसे पीयूष ग्रंथि, थायराइड, अग्नाशय, अधिवृक्क, वृषण, अंडाशय) विशिष्ट हार्मोन का उत्पादन करती हैं।
- **हार्मोन का स्राव:** उत्पादित हार्मोन सीधे रक्तप्रवाह में स्रावित होते हैं।
- **हार्मोन का परिवहन:** रक्त हार्मोन को पूरे शरीर में ले जाता है।
- **लक्ष्य कोशिकाओं पर क्रिया:** प्रत्येक हार्मोन की क्रिया केवल उन विशिष्ट कोशिकाओं या अंगों पर होती है जिनमें उस हार्मोन के लिए विशिष्ट ग्राही (receptors) होते हैं। जब हार्मोन ग्राही से जुड़ता है, तो यह लक्ष्य कोशिका में एक विशेष प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है।
- **क्रियाओं का समन्वय:** हार्मोन विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं जैसे वृद्धि, विकास, उपापचय, प्रजनन, भावनात्मक प्रतिक्रियाओं और पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया को नियंत्रित और समन्वित करते हैं।
**उदाहरण:**- **रक्त शर्करा नियंत्रण:** अग्नाशय द्वारा स्रावित इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है, जबकि ग्लूकागॉन इसे बढ़ाता है। यह एक साथ मिलकर रक्त शर्करा का संतुलन बनाए रखते हैं।
- **तनाव अनुक्रिया:** अधिवृक्क ग्रंथि द्वारा स्रावित एड्रेनालिन तनाव की स्थितियों में शरीर को तैयार करता है (हृदय गति, रक्तचाप और श्वसन दर बढ़ाता है)।
- **वृद्धि और विकास:** पीयूष ग्रंथि से वृद्धि हार्मोन शरीर की वृद्धि को नियंत्रित करता है, जबकि थायराइड ग्रंथि से थायरोक्सिन उपापचय और शारीरिक विकास को नियंत्रित करता है।
इस प्रकार, रासायनिक समन्वय धीमा लेकिन अधिक व्यापक और दीर्घकालिक प्रभाव प्रदान करता है, जो तंत्रिका समन्वय (जो तेज और बिंदु-से-बिंदु होता है) का पूरक होता है। -
मधुमेह के कुछ लक्षण क्या हैं? इसका इलाज कैसे किया जाता है?
**मधुमेह (Diabetes Mellitus):** यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या उत्पादित इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है, जिससे रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है।**मधुमेह के कुछ प्रमुख लक्षण:**
- **बहुमूत्रता (Frequent urination / Polyuria):** बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में।
- **बहुप्यास (Increased thirst / Polydipsia):** बहुत अधिक प्यास लगना।
- **बहुभोजिता (Increased hunger / Polyphagia):** बहुत अधिक भूख लगना।
- **वजन कम होना:** बिना किसी प्रयास के वजन कम होना (टाइप 1 में अधिक आम)।
- **थकान (Fatigue):** लगातार कमजोरी और थकान महसूस होना।
- **धुंधली दृष्टि (Blurred vision):** आँखों की रोशनी धुंधली होना।
- **घावों का धीरे भरना:** चोट लगने या घाव होने पर उनका धीरे-धीरे ठीक होना।
- **त्वचा में खुजली और संक्रमण:** त्वचा में खुजली, बार-बार फंगल या बैक्टीरियल संक्रमण।
- **हाथों या पैरों में झुनझुनी या सुन्नता:** तंत्रिका क्षति के कारण।
**मधुमेह का इलाज:**मधुमेह का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित और नियंत्रित किया जा सकता है ताकि जटिलताओं को रोका जा सके। इलाज का तरीका मधुमेह के प्रकार पर निर्भर करता है:
- **टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes):**
- यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है जहाँ अग्नाशय बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बनाता है।
- **इलाज:** मुख्य उपचार **इंसुलिन इंजेक्शन** हैं। रोगी को जीवन भर इंसुलिन के बाहरी स्रोत की आवश्यकता होती है। इसे नियमित रूप से नियंत्रित आहार और शारीरिक गतिविधि के साथ जोड़ा जाता है।
- **टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes):**
- यह तब होता है जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या कोशिकाओं में इंसुलिन का प्रतिरोध विकसित हो जाता है।
- **इलाज:**
- **स्वस्थ आहार (Healthy Diet):** संतुलित आहार, शर्करा और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट का सेवन सीमित करना।
- **नियमित व्यायाम (Regular Exercise):** शारीरिक गतिविधि से रक्त शर्करा का स्तर कम होता है और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है।
- **दवाएँ (Medications):** डॉक्टर रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए मौखिक दवाएं लिख सकते हैं जो इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाती हैं, इंसुलिन संवेदनशीलता को सुधारती हैं, या भोजन से ग्लूकोज के अवशोषण को कम करती हैं।
- **इंसुलिन थेरेपी:** कुछ मामलों में, टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को भी इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है, खासकर यदि अन्य उपचार प्रभावी न हों।
- **नियमित निगरानी:** रक्त शर्करा के स्तर की नियमित जांच महत्वपूर्ण है ताकि उपचार को समायोजित किया जा सके।
मधुमेह के प्रबंधन में जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सक द्वारा निर्देशित उपचार योजना का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि जटिलताओं जैसे हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, तंत्रिका क्षति और दृष्टि हानि से बचा जा सके।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)