अध्याय 5: तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic Classification of Elements)
परिचय
कक्षा 10 विज्ञान का पाँचवाँ अध्याय **'तत्वों का आवर्त वर्गीकरण'** है। जैसे-जैसे अधिक तत्वों की खोज की गई, वैज्ञानिकों को उनके गुणधर्मों के आधार पर उन्हें व्यवस्थित करने की आवश्यकता महसूस हुई ताकि उनका अध्ययन आसान हो सके। इस अध्याय में हम तत्वों को वर्गीकृत करने के प्रारंभिक प्रयासों और आधुनिक आवर्त सारणी के विकास के बारे में जानेंगे, जिसने तत्वों के गुणधर्मों में एक व्यवस्थित पैटर्न प्रकट किया।
---1. तत्वों के वर्गीकरण के प्रारंभिक प्रयास (Early Attempts at Classification of Elements)
(a) डॉबेराइनर के त्रिक (Dobereiner's Triads)
- **वर्ष:** 1817
- **अवधारणा:** जर्मन रसायनज्ञ, जोहान वोल्फगैंग डॉबेराइनर ने समान गुणधर्म वाले तत्वों को तीन-तीन के समूहों में व्यवस्थित किया, जिन्हें **त्रिक** कहा गया।
- **नियम:** त्रिक के बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान, अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता था।
- **उदाहरण:**
- लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K)
- कैल्शियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba)
- क्लोरीन (Cl), ब्रोमीन (Br), आयोडीन (I)
- **सीमाएँ:** डॉबेराइनर उस समय ज्ञात सभी तत्वों को त्रिक में वर्गीकृत नहीं कर सके।
(b) न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत (Newlands' Law of Octaves)
- **वर्ष:** 1866
- **अवधारणा:** अंग्रेजी वैज्ञानिक, जॉन न्यूलैंड्स ने तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के क्रम में व्यवस्थित किया।
- **नियम:** उन्होंने पाया कि हर आठवें तत्व के गुणधर्म पहले तत्व के गुणधर्मों के समान थे, जैसे संगीत के अष्टक में होते हैं। (लिथियम से शुरू होने पर, सोडियम आठवाँ तत्व था और इसके गुणधर्म लिथियम के समान थे)।
- **सीमाएँ:**
- यह सिद्धांत केवल कैल्शियम तक ही लागू होता था। कैल्शियम के बाद, प्रत्येक आठवें तत्व के गुणधर्म पहले तत्व के समान नहीं थे।
- न्यूलैंड्स ने यह कल्पना की थी कि प्रकृति में केवल 56 तत्व मौजूद हैं और भविष्य में कोई और तत्व नहीं खोजा जाएगा।
- उन्होंने कुछ तत्वों को एक साथ एक ही स्लॉट में समायोजित कर दिया और असमान गुणधर्म वाले तत्वों को एक ही समूह में रख दिया। (उदा. कोबाल्ट और निकेल को फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन के साथ रखा गया, जबकि इनके गुणधर्म अलग थे)।
2. मेंडेलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev's Periodic Table)
- **वर्ष:** 1869
- **अवधारणा:** रूसी रसायनज्ञ, दिमित्री मेंडेलीफ ने तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के आधार पर व्यवस्थित किया और उनके रासायनिक गुणधर्मों (विशेषकर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के साथ उनके यौगिकों) की समानता पर ध्यान केंद्रित किया।
- **मेंडेलीफ का आवर्त नियम:** "तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमानों के आवर्ती फलन होते हैं।"
- **मेंडेलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएँ:**
- **खाली स्थान:** उन्होंने कुछ खाली स्थान छोड़े (जैसे एका-बोरॉन, एका-एल्यूमीनियम, एका-सिलिकॉन), यह अनुमान लगाते हुए कि इन स्थानों पर बाद में खोजे जाने वाले तत्व आएंगे। उनके द्वारा अनुमानित गुणधर्म नए खोजे गए तत्वों (स्कैंडियम, गैलियम, जर्मेनियम) के गुणधर्मों से काफी मिलते-जुलते थे।
- **नोबल गैसों का स्थान:** जब नोबल गैसों की खोज हुई, तो उन्हें मौजूदा सारणी को छेड़े बिना एक नए समूह में रखा जा सका।
- **मेंडेलीफ की आवर्त सारणी की सीमाएँ:**
- **हाइड्रोजन का स्थान:** हाइड्रोजन को निश्चित स्थान नहीं दिया जा सका, क्योंकि इसके गुणधर्म क्षार धातुओं और हैलोजनों दोनों से मिलते-जुलते थे।
- **समस्थानिकों का स्थान:** समस्थानिकों की खोज के बाद, उनके लिए मेंडेलीफ की सारणी में कोई निश्चित स्थान नहीं था, क्योंकि उनके परमाणु द्रव्यमान भिन्न थे लेकिन रासायनिक गुणधर्म समान थे।
- **परमाणु द्रव्यमान में अनियमितता:** कुछ स्थानों पर, अधिक परमाणु द्रव्यमान वाले तत्व को कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्व से पहले रखा गया था ताकि रासायनिक समानता को बनाए रखा जा सके। (उदा. कोबाल्ट (58.9) को निकेल (58.7) से पहले)।
3. आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table)
- **वर्ष:** 1913
- **अवधारणा:** हेनरी मोसले ने दिखाया कि तत्वों का अधिक मौलिक गुणधर्म उनका **परमाणु क्रमांक** है, न कि परमाणु द्रव्यमान।
- **आधुनिक आवर्त नियम:** "तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।"
- **संरचना:** आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्वाधर स्तंभ (जिन्हें **समूह** या वर्ग कहते हैं) और 7 क्षैतिज पंक्तियाँ (जिन्हें **आवर्त** या पीरियड कहते हैं) होती हैं।
(a) समूह और आवर्त की प्रवृत्तियाँ (Trends in Groups and Periods)
- **संयोजकता (Valency):**
- **समूह में नीचे जाने पर:** संयोजकता समान रहती है (बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान रहती है)।
- **आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर:** पहले बढ़ती है और फिर घटती है (पहले 1 से 4 तक बढ़ती है, फिर 4 से 0 तक घटती है)।
- **परमाणु आकार (Atomic Size / Radius):**
- **समूह में नीचे जाने पर:** परमाणु का आकार बढ़ता है क्योंकि नए कोश जुड़ते हैं, जिससे नाभिक और बाह्यतम इलेक्ट्रॉन के बीच की दूरी बढ़ती है।
- **आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर:** परमाणु का आकार घटता है क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ने से इलेक्ट्रॉन नाभिक की ओर अधिक खींचे जाते हैं, जिससे कोश सिकुड़ते हैं।
- **धात्विक गुणधर्म (Metallic Character):**
- **समूह में नीचे जाने पर:** धात्विक गुणधर्म बढ़ता है क्योंकि बाह्यतम इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण कम होता जाता है, जिससे इलेक्ट्रॉन खोना आसान हो जाता है।
- **आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर:** धात्विक गुणधर्म घटता है क्योंकि इलेक्ट्रॉन खोने की प्रवृत्ति कम होती जाती है।
- **अधात्विक गुणधर्म (Non-metallic Character):**
- **समूह में नीचे जाने पर:** अधात्विक गुणधर्म घटता है।
- **आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर:** अधात्विक गुणधर्म बढ़ता है क्योंकि इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
- **विद्युत ऋणात्मकता (Electronegativity):**
- **समूह में नीचे जाने पर:** विद्युत ऋणात्मकता घटती है।
- **आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर:** विद्युत ऋणात्मकता बढ़ती है।
(b) मेंडेलीफ की सारणी की विसंगतियों का समाधान (Resolution of Anomalies of Mendeleev's Table)
- **हाइड्रोजन का स्थान:** आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को समूह 1 में क्षार धातुओं के साथ रखा गया है, लेकिन इसके कुछ अद्वितीय गुणधर्मों के कारण इसे अक्सर 'आवर्त सारणी में अनाथ' कहा जाता है। इसे समूह 1 में इसकी 'संयोजकता' के आधार पर रखा जाता है।
- **समस्थानिकों का स्थान:** समस्थानिकों का परमाणु क्रमांक समान होता है, इसलिए उन्हें एक ही स्थान पर रखा जाता है (जैसे क्लोरीन-35 और क्लोरीन-37 दोनों का परमाणु क्रमांक 17 है, इसलिए उन्हें क्लोरीन के स्थान पर ही रखा जाता है)।
- **परमाणु द्रव्यमान में अनियमितता:** परमाणु क्रमांक के आधार पर व्यवस्थित करने पर, कोबाल्ट (परमाणु क्रमांक 27) निकेल (परमाणु क्रमांक 28) से पहले आता है, जिससे यह अनियमितता हल हो जाती है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
अभ्यास (पृष्ठ 81)
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आधुनिक आवर्त सारणी में कुल कितने वर्ग एवं आवर्त हैं?
आधुनिक आवर्त सारणी में कुल **18 वर्ग (समूह)** और **7 आवर्त** हैं।
- **वर्ग (Groups):** ये ऊर्ध्वाधर स्तंभ होते हैं। एक वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर बाहरी कोश के इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान रहती है, इसलिए रासायनिक गुणधर्मों में समानता होती है।
- **आवर्त (Periods):** ये क्षैतिज पंक्तियाँ होती हैं। एक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर कोशों की संख्या समान रहती है लेकिन संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है।
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परमाणु संख्या 10 के तत्व की आवर्त सारणी में स्थिति की व्याख्या कीजिए।
परमाणु संख्या 10 वाला तत्व **निऑन (Ne)** है।इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास **2, 8** है।इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर इसकी स्थिति इस प्रकार है:
- **आवर्त (Period):** इसमें 2 कोश भरे हुए हैं (K और L), इसलिए यह **दूसरे आवर्त** से संबंधित है।
- **वर्ग (Group):** इसके बाह्यतम कोश में 8 इलेक्ट्रॉन हैं, जिसका अर्थ है कि इसका अष्टक पूर्ण है। यह एक **उत्कृष्ट गैस (Noble Gas)** है। उत्कृष्ट गैसों को आधुनिक आवर्त सारणी के **वर्ग 18** में रखा गया है।
अतः, निऑन (परमाणु संख्या 10) आधुनिक आवर्त सारणी के **दूसरे आवर्त और वर्ग 18** में स्थित है।
अभ्यास (पृष्ठ 87)
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डोबेराइनर के त्रिक क्या थे? उदाहरण सहित समझाइए।
**डोबेराइनर के त्रिक (Dobereiner's Triads):** 1817 में, जर्मन रसायनज्ञ, जोहान वोल्फगैंग डोबेराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्वों को तीन-तीन के समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। इन समूहों को ही 'त्रिक' कहा गया।**नियम:** डोबेराइनर ने बताया कि एक त्रिक में, बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान, अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों का लगभग औसत होता है, और इन तीनों तत्वों के गुणधर्म भी समान होते हैं।**उदाहरण:**
- **त्रिक 1: लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K)**
- $\text{Li}$ का परमाणु द्रव्यमान = 6.9
- $\text{K}$ का परमाणु द्रव्यमान = 39.0
- $\text{Li}$ और $\text{K}$ का औसत परमाणु द्रव्यमान = $(6.9 + 39.0) / 2 = 45.9 / 2 = 22.95$
- $\text{Na}$ का परमाणु द्रव्यमान = 23.0. यह औसत के लगभग बराबर है।
- इन तीनों तत्वों के रासायनिक गुणधर्म समान हैं (जैसे जल से अभिक्रिया कर क्षार बनाना)।
- **त्रिक 2: कैल्शियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba)**
- $\text{Ca}$ का परमाणु द्रव्यमान = 40.1
- $\text{Ba}$ का परमाणु द्रव्यमान = 137.3
- $\text{Ca}$ और $\text{Ba}$ का औसत परमाणु द्रव्यमान = $(40.1 + 137.3) / 2 = 177.4 / 2 = 88.7$
- $\text{Sr}$ का परमाणु द्रव्यमान = 87.6. यह औसत के लगभग बराबर है।
- **त्रिक 1: लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K)**
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न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएँ थीं?
न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित थीं:
- **केवल कैल्शियम तक लागू:** यह सिद्धांत केवल हल्के तत्वों (कैल्शियम तक) पर ही लागू हो पाया। कैल्शियम के बाद, प्रत्येक आठवें तत्व के गुणधर्म पहले तत्व के समान नहीं पाए गए।
- **तत्वों की सीमित संख्या का अनुमान:** न्यूलैंड्स ने यह मान लिया था कि प्रकृति में केवल 56 तत्व मौजूद हैं और भविष्य में कोई और तत्व नहीं खोजा जाएगा, जो गलत साबित हुआ।
- **तत्वों का गलत स्थान:** उन्होंने अपने सिद्धांत में तत्वों को फिट करने के लिए कभी-कभी दो तत्वों को एक ही स्लॉट में रख दिया (जैसे कोबाल्ट और निकेल को एक साथ) और असमान गुणधर्म वाले तत्वों को एक ही समूह में रख दिया (जैसे कोबाल्ट और निकेल को फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन के साथ, जबकि उनके गुणधर्म भिन्न हैं)।
- **अक्रिय गैसों की अनदेखी:** उस समय अक्रिय गैसों की खोज नहीं हुई थी। जब उनकी खोज हुई, तो अष्टक सिद्धांत की अवधारणा अप्रभावी हो गई क्योंकि अब आठवां तत्व नहीं बल्कि नौवां तत्व पहले तत्व के समान होता।
अभ्यास (पाठ्यपुस्तक के अंत में)
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आधुनिक आवर्त सारणी में किसी समूह में नीचे जाने पर धात्विक गुण किस प्रकार परिवर्तित होता है?
आधुनिक आवर्त सारणी में किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर धात्विक गुणधर्म **बढ़ता** है।**कारण:**
- एक समूह में नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है क्योंकि नए ऊर्जा कोश जुड़ते जाते हैं।
- कोशों की संख्या बढ़ने से नाभिक और बाह्यतम इलेक्ट्रॉन के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
- इससे बाह्यतम इलेक्ट्रॉन पर नाभिकीय आकर्षण बल कम हो जाता है।
- परिणामस्वरूप, इलेक्ट्रॉन को खोना आसान हो जाता है, और धातुओं की इलेक्ट्रॉन खोने की प्रवृत्ति ही उनके धात्विक गुणधर्म को दर्शाती है।
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आधुनिक आवर्त सारणी में कौन से दो तत्व समस्थानिकों की समस्या को हल करते हैं?
समस्थानिकों की समस्या मेंडेलीफ की आवर्त सारणी की एक सीमा थी, क्योंकि समस्थानिकों के रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं लेकिन परमाणु द्रव्यमान भिन्न होते हैं, जिससे उन्हें अलग-अलग स्थान देने की समस्या उत्पन्न होती थी।आधुनिक आवर्त सारणी **परमाणु क्रमांक** के आधार पर व्यवस्थित है, न कि परमाणु द्रव्यमान के आधार पर। समस्थानिकों का **परमाणु क्रमांक समान** होता है। उदाहरण के लिए, क्लोरीन-35 और क्लोरीन-37 दोनों का परमाणु क्रमांक 17 है।इसलिए, आधुनिक आवर्त सारणी में, सभी समस्थानिकों को उनके मूल तत्व के साथ **एक ही स्थान पर** रखा गया है क्योंकि उनका परमाणु क्रमांक समान है, जिससे समस्थानिकों की समस्या स्वचालित रूप से हल हो जाती है।
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