अध्याय 5: तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic Classification of Elements)

परिचय

कक्षा 10 विज्ञान का पाँचवाँ अध्याय **'तत्वों का आवर्त वर्गीकरण'** है। जैसे-जैसे अधिक तत्वों की खोज की गई, वैज्ञानिकों को उनके गुणधर्मों के आधार पर उन्हें व्यवस्थित करने की आवश्यकता महसूस हुई ताकि उनका अध्ययन आसान हो सके। इस अध्याय में हम तत्वों को वर्गीकृत करने के प्रारंभिक प्रयासों और आधुनिक आवर्त सारणी के विकास के बारे में जानेंगे, जिसने तत्वों के गुणधर्मों में एक व्यवस्थित पैटर्न प्रकट किया।

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1. तत्वों के वर्गीकरण के प्रारंभिक प्रयास (Early Attempts at Classification of Elements)

(a) डॉबेराइनर के त्रिक (Dobereiner's Triads)

(b) न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत (Newlands' Law of Octaves)

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2. मेंडेलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev's Periodic Table)

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3. आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table)

आधुनिक आवर्त सारणी का चित्रण।

(a) समूह और आवर्त की प्रवृत्तियाँ (Trends in Groups and Periods)

(b) मेंडेलीफ की सारणी की विसंगतियों का समाधान (Resolution of Anomalies of Mendeleev's Table)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

अभ्यास (पृष्ठ 81)

  1. आधुनिक आवर्त सारणी में कुल कितने वर्ग एवं आवर्त हैं?

    आधुनिक आवर्त सारणी में कुल **18 वर्ग (समूह)** और **7 आवर्त** हैं।
    • **वर्ग (Groups):** ये ऊर्ध्वाधर स्तंभ होते हैं। एक वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर बाहरी कोश के इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान रहती है, इसलिए रासायनिक गुणधर्मों में समानता होती है।
    • **आवर्त (Periods):** ये क्षैतिज पंक्तियाँ होती हैं। एक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर कोशों की संख्या समान रहती है लेकिन संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है।

  2. परमाणु संख्या 10 के तत्व की आवर्त सारणी में स्थिति की व्याख्या कीजिए।

    परमाणु संख्या 10 वाला तत्व **निऑन (Ne)** है।
    इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास **2, 8** है।
    इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर इसकी स्थिति इस प्रकार है:
    • **आवर्त (Period):** इसमें 2 कोश भरे हुए हैं (K और L), इसलिए यह **दूसरे आवर्त** से संबंधित है।
    • **वर्ग (Group):** इसके बाह्यतम कोश में 8 इलेक्ट्रॉन हैं, जिसका अर्थ है कि इसका अष्टक पूर्ण है। यह एक **उत्कृष्ट गैस (Noble Gas)** है। उत्कृष्ट गैसों को आधुनिक आवर्त सारणी के **वर्ग 18** में रखा गया है।
    अतः, निऑन (परमाणु संख्या 10) आधुनिक आवर्त सारणी के **दूसरे आवर्त और वर्ग 18** में स्थित है।

अभ्यास (पृष्ठ 87)

  1. डोबेराइनर के त्रिक क्या थे? उदाहरण सहित समझाइए।

    **डोबेराइनर के त्रिक (Dobereiner's Triads):** 1817 में, जर्मन रसायनज्ञ, जोहान वोल्फगैंग डोबेराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्वों को तीन-तीन के समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। इन समूहों को ही 'त्रिक' कहा गया।
    **नियम:** डोबेराइनर ने बताया कि एक त्रिक में, बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान, अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों का लगभग औसत होता है, और इन तीनों तत्वों के गुणधर्म भी समान होते हैं।
    **उदाहरण:**
    • **त्रिक 1: लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K)**
      • $\text{Li}$ का परमाणु द्रव्यमान = 6.9
      • $\text{K}$ का परमाणु द्रव्यमान = 39.0
      • $\text{Li}$ और $\text{K}$ का औसत परमाणु द्रव्यमान = $(6.9 + 39.0) / 2 = 45.9 / 2 = 22.95$
      • $\text{Na}$ का परमाणु द्रव्यमान = 23.0. यह औसत के लगभग बराबर है।
      • इन तीनों तत्वों के रासायनिक गुणधर्म समान हैं (जैसे जल से अभिक्रिया कर क्षार बनाना)।
    • **त्रिक 2: कैल्शियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba)**
      • $\text{Ca}$ का परमाणु द्रव्यमान = 40.1
      • $\text{Ba}$ का परमाणु द्रव्यमान = 137.3
      • $\text{Ca}$ और $\text{Ba}$ का औसत परमाणु द्रव्यमान = $(40.1 + 137.3) / 2 = 177.4 / 2 = 88.7$
      • $\text{Sr}$ का परमाणु द्रव्यमान = 87.6. यह औसत के लगभग बराबर है।

  2. न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएँ थीं?

    न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित थीं:
    • **केवल कैल्शियम तक लागू:** यह सिद्धांत केवल हल्के तत्वों (कैल्शियम तक) पर ही लागू हो पाया। कैल्शियम के बाद, प्रत्येक आठवें तत्व के गुणधर्म पहले तत्व के समान नहीं पाए गए।
    • **तत्वों की सीमित संख्या का अनुमान:** न्यूलैंड्स ने यह मान लिया था कि प्रकृति में केवल 56 तत्व मौजूद हैं और भविष्य में कोई और तत्व नहीं खोजा जाएगा, जो गलत साबित हुआ।
    • **तत्वों का गलत स्थान:** उन्होंने अपने सिद्धांत में तत्वों को फिट करने के लिए कभी-कभी दो तत्वों को एक ही स्लॉट में रख दिया (जैसे कोबाल्ट और निकेल को एक साथ) और असमान गुणधर्म वाले तत्वों को एक ही समूह में रख दिया (जैसे कोबाल्ट और निकेल को फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन के साथ, जबकि उनके गुणधर्म भिन्न हैं)।
    • **अक्रिय गैसों की अनदेखी:** उस समय अक्रिय गैसों की खोज नहीं हुई थी। जब उनकी खोज हुई, तो अष्टक सिद्धांत की अवधारणा अप्रभावी हो गई क्योंकि अब आठवां तत्व नहीं बल्कि नौवां तत्व पहले तत्व के समान होता।

अभ्यास (पाठ्यपुस्तक के अंत में)

  1. आधुनिक आवर्त सारणी में किसी समूह में नीचे जाने पर धात्विक गुण किस प्रकार परिवर्तित होता है?

    आधुनिक आवर्त सारणी में किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर धात्विक गुणधर्म **बढ़ता** है।
    **कारण:**
    • एक समूह में नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है क्योंकि नए ऊर्जा कोश जुड़ते जाते हैं।
    • कोशों की संख्या बढ़ने से नाभिक और बाह्यतम इलेक्ट्रॉन के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
    • इससे बाह्यतम इलेक्ट्रॉन पर नाभिकीय आकर्षण बल कम हो जाता है।
    • परिणामस्वरूप, इलेक्ट्रॉन को खोना आसान हो जाता है, और धातुओं की इलेक्ट्रॉन खोने की प्रवृत्ति ही उनके धात्विक गुणधर्म को दर्शाती है।

  2. आधुनिक आवर्त सारणी में कौन से दो तत्व समस्थानिकों की समस्या को हल करते हैं?

    समस्थानिकों की समस्या मेंडेलीफ की आवर्त सारणी की एक सीमा थी, क्योंकि समस्थानिकों के रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं लेकिन परमाणु द्रव्यमान भिन्न होते हैं, जिससे उन्हें अलग-अलग स्थान देने की समस्या उत्पन्न होती थी।
    आधुनिक आवर्त सारणी **परमाणु क्रमांक** के आधार पर व्यवस्थित है, न कि परमाणु द्रव्यमान के आधार पर। समस्थानिकों का **परमाणु क्रमांक समान** होता है। उदाहरण के लिए, क्लोरीन-35 और क्लोरीन-37 दोनों का परमाणु क्रमांक 17 है।
    इसलिए, आधुनिक आवर्त सारणी में, सभी समस्थानिकों को उनके मूल तत्व के साथ **एक ही स्थान पर** रखा गया है क्योंकि उनका परमाणु क्रमांक समान है, जिससे समस्थानिकों की समस्या स्वचालित रूप से हल हो जाती है।



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