अध्याय 4: कार्बन एवं उसके यौगिक (Carbon and its Compounds)

परिचय

कक्षा 10 विज्ञान का चौथा अध्याय **'कार्बन एवं उसके यौगिक'** कार्बन के अद्वितीय गुणधर्मों और उसके द्वारा बनाए गए विभिन्न प्रकार के यौगिकों पर केंद्रित है। कार्बन प्रकृति में अत्यंत बहुमुखी तत्व है और सभी सजीवों का आधार है। यह अध्याय हमें कार्बन की विशेष बंध बनाने की क्षमताओं, उसके अपररूपों, विभिन्न कार्बनिक यौगिकों, और दैनिक जीवन में उनके महत्व को समझने में मदद करेगा।

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1. कार्बन में आबंध (Bonding in Carbon)

कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 है, जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 4 है। इसकी सबसे बाहरी कक्षा में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं, जिसका अर्थ है कि इसे स्थिर अष्टक प्राप्त करने के लिए 4 इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने या खोने की आवश्यकता है।

इन समस्याओं को दूर करने के लिए, कार्बन अपने इलेक्ट्रॉनों को अन्य परमाणुओं (कार्बन या अन्य तत्वों) के साथ **साझा** करता है। इस प्रकार बने बंधों को **सहसंयोजक बंध (Covalent Bonds)** कहते हैं।

उदाहरण: $\text{H}_2, \text{O}_2, \text{N}_2, \text{CH}_4, \text{H}_2\text{O}, \text{NH}_3, \text{CO}_2$ में सहसंयोजक बंध

कार्बन की बहुमुखी प्रकृति (Versatile Nature of Carbon)

कार्बन में दो मुख्य गुणधर्म होते हैं जो इसे बड़ी संख्या में यौगिक बनाने में सक्षम बनाते हैं:

  1. **श्रृंखलन (Catenation):** कार्बन परमाणुओं में आपस में जुड़कर लंबी श्रृंखलाएँ, शाखित श्रृंखलाएँ और वलय (rings) बनाने का एक अनूठा गुण होता है। कार्बन-कार्बन बंध बहुत मजबूत होते हैं, जिससे बड़ी संख्या में स्थिर यौगिक बनते हैं।
  2. **चतुःसंयोजकता (Tetravalency):** कार्बन की संयोजकता 4 होती है, जिसका अर्थ है कि यह चार अन्य कार्बन परमाणुओं या अन्य एकसंयोजी तत्वों (जैसे हाइड्रोजन, हैलोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर) के साथ बंध बना सकता है।

ये गुणधर्म कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry) का आधार हैं, जो कार्बनिक यौगिकों का अध्ययन है।

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2. कार्बनिक यौगिकों के प्रकार (Types of Organic Compounds)

(a) संतृप्त और असंतृप्त कार्बन यौगिक (Saturated and Unsaturated Carbon Compounds)

(b) श्रृंखलाएँ, शाखाएँ और वलय (Chains, Branches and Rings)

कार्बन यौगिक विभिन्न संरचनाओं में पाए जाते हैं:

(c) समजातीय श्रेणी (Homologous Series)

यौगिकों की एक श्रृंखला जिसमें समान प्रकार्यात्मक समूह होते हैं और रासायनिक गुणधर्मों में समानता होती है, तथा क्रमागत सदस्यों के बीच $\text{CH}_2$ इकाई का अंतर होता है, उसे **समजातीय श्रेणी** कहते हैं।

उदाहरण: एल्केन श्रेणी: $\text{CH}_4, \text{C}_2\text{H}_6, \text{C}_3\text{H}_8$ आदि।

(d) प्रकार्यात्मक समूह (Functional Groups)

हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने वाला परमाणु या परमाणुओं का समूह जो यौगिक को विशिष्ट रासायनिक गुणधर्म प्रदान करता है, उसे **प्रकार्यात्मक समूह** कहते हैं।

प्रकार्यात्मक समूह सूत्र वर्ग उदाहरण
हैलोजन -Cl, -Br, -I हेलोएल्केन क्लोरोमेथेन ($\text{CH}_3\text{Cl}$)
एल्कोहल -OH एल्कोहल एथेनॉल ($\text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH}$)
एल्डिहाइड -CHO एल्डिहाइड एथेनल ($\text{CH}_3\text{CHO}$)
कीटोन >C=O कीटोन प्रोपेनोन ($\text{CH}_3\text{COCH}_3$)
कार्बोक्सिलिक अम्ल -COOH कार्बोक्सिलिक अम्ल एथेनोइक अम्ल ($\text{CH}_3\text{COOH}$)
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3. कार्बनिक यौगिकों का नामकरण (Nomenclature of Carbon Compounds)

आईयूपीएसी (IUPAC - International Union of Pure and Applied Chemistry) प्रणाली का उपयोग करके कार्बनिक यौगिकों का नामकरण किया जाता है।

उदाहरण:

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4. कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म (Chemical Properties of Carbon Compounds)

(a) दहन (Combustion)

कार्बन यौगिक ऑक्सीजन में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड, जल, ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करते हैं।

C(s) + O$_2$(g) $\rightarrow$ CO$_2$(g) + ऊष्मा और प्रकाश
CH$_4$(g) + 2O$_2$(g) $\rightarrow$ CO$_2$(g) + 2H$_2$O(g) + ऊष्मा और प्रकाश

(b) ऑक्सीकरण (Oxidation)

एल्कोहल को क्षारीय KMnO$_4$ (पोटेशियम परमैंगनेट) या अम्लीकृत K$_2$Cr$_2$O$_7$ (पोटेशियम डाइक्रोमेट) जैसे ऑक्सीकारकों द्वारा कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकृत किया जा सकता है।

CH$_3$CH$_2$OH $\xrightarrow{क्षारीय KMnO_4 / अम्लीकृत K_2Cr_2O_7 + ऊष्मा}$ CH$_3$COOH

(c) संकलन अभिक्रिया (Addition Reaction)

असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (एल्कीन और एल्काइन) उत्प्रेरक (जैसे निकेल या पैलेडियम) की उपस्थिति में हाइड्रोजन जोड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन में परिवर्तित होते हैं। इस अभिक्रिया को **हाइड्रोजनीकरण** कहते हैं।

असंतृप्त हाइड्रोकार्बन + H$_2$ $\xrightarrow{Ni/Pd}$ संतृप्त हाइड्रोकार्बन
$\text{CH}_2=\text{CH}_2 + \text{H}_2 \xrightarrow{\text{Ni}}$ $\text{CH}_3-\text{CH}_3$

इसका उपयोग वनस्पति तेलों को वनस्पति घी में बदलने में किया जाता है।

(d) प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Substitution Reaction)

संतृप्त हाइड्रोकार्बन (एल्केन) सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में हैलोजन (जैसे क्लोरीन) के साथ अभिक्रिया करते हैं, जहाँ हाइड्रोजन परमाणु को हैलोजन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है।

CH$_4$ + Cl$_2$ $\xrightarrow{सूर्य का प्रकाश}$ CH$_3$Cl + HCl

यह एक तीव्र अभिक्रिया है, जिससे कई प्रतिस्थापित उत्पाद बनते हैं।

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5. एथेनॉल और एथेनोइक अम्ल (Ethanol and Ethanoic Acid)

(a) एथेनॉल ($\text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH}$)

(b) एथेनोइक अम्ल ($\text{CH}_3\text{COOH}$)

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6. साबुन और अपमार्जक (Soaps and Detergents)

(a) साबुन (Soaps)

साबुन लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों (वसा अम्लों) के सोडियम या पोटेशियम लवण होते हैं।

(b) अपमार्जक (Detergents)

अपमार्जक लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के अमोनियम या सल्फोनेट लवण होते हैं।

कार्बनिक यौगिकों के उपयोग।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

अभ्यास (पृष्ठ 68)

  1. आप कैसे दिखाओगे कि $\text{C}_2\text{H}_6$ एक संतृप्त हाइड्रोकार्बन है?

    $\text{C}_2\text{H}_6$ का आणविक सूत्र एथेन का है, जो एल्केन श्रेणी का एक सदस्य है।
    $\text{C}_2\text{H}_6$ को संतृप्त हाइड्रोकार्बन दिखाने के लिए, हम इसकी संरचना देख सकते हैं:
    $\text{H} \\ | \\ \text{H} - \text{C} - \text{C} - \text{H} \\ | \quad | \\ \text{H} \quad \text{H}$
    इसमें सभी कार्बन-कार्बन और कार्बन-हाइड्रोजन बंध **एकल बंध** हैं। संतृप्त हाइड्रोकार्बन वे होते हैं जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल बंध होते हैं।
    इसके अलावा, संतृप्त हाइड्रोकार्बन **योगात्मक (संकलन) अभिक्रियाएँ** नहीं दिखाते हैं (जैसे हाइड्रोजनीकरण या हैलोजेनीकरण)। अगर $\text{C}_2\text{H}_6$ को उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन या हैलोजन से अभिक्रिया कराने की कोशिश की जाए, तो कोई अभिक्रिया नहीं होगी, जो इसकी संतृप्त प्रकृति को दर्शाता है।

  2. क्या होता है जब एथेनॉल को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में 443 K पर गर्म किया जाता है? अभिक्रिया का समीकरण भी लिखिए।

    जब एथेनॉल को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में 443 K (170°C) पर गर्म किया जाता है, तो एथेनॉल का **निर्जलीकरण** (Dehydration) होता है। सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल एक प्रबल निर्जलीकारक के रूप में कार्य करता है और एथेनॉल से जल का एक अणु निकाल देता है, जिसके परिणामस्वरूप **एथीन (एक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन)** बनता है।
    अभिक्रिया का समीकरण:
    $\text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH} \xrightarrow{\text{सांद्र H}_2\text{SO}_4, \text{ 443 K}}$ $\text{CH}_2=\text{CH}_2\text{ + H}_2\text{O}$

अभ्यास (पृष्ठ 71)

  1. साबुन कठोर जल में किस प्रकार काम करता है?

    कठोर जल में कैल्शियम ($\text{Ca}^{2+}$) और मैग्नीशियम ($\text{Mg}^{2+}$) आयन होते हैं। साबुन लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों (वसा अम्लों) के सोडियम या पोटेशियम लवण होते हैं। जब साबुन को कठोर जल में घोला जाता है, तो साबुन के आयन कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों के साथ अभिक्रिया करके **अविलेय कैल्शियम लवण या मैग्नीशियम लवण** बनाते हैं।
    ये अविलेय लवण पानी में घुलते नहीं हैं और **सफेद अवक्षेप (स्कम)** के रूप में अलग हो जाते हैं। इस स्कम के कारण झाग नहीं बन पाता और सफाई प्रक्रिया बाधित होती है। यही कारण है कि कठोर जल में साबुन अच्छी तरह से काम नहीं करता।
    $\text{2C}_{17}\text{H}_{35}\text{COONa(s) + CaCl}_2\text{(aq)} \rightarrow \text{(C}_{17}\text{H}_{35}\text{COO)}_2\text{Ca(s) + 2NaCl(aq)}$
    $\text{(सोडियम स्टियरेट) (कैल्शियम क्लोराइड) (कैल्शियम स्टियरेट-स्कम)}$

  2. कोई पाँच ऐसे प्रकार्यात्मक समूह लिखिए, जिन्हें कार्बन यौगिकों में पाया जाता है।

    कार्बन यौगिकों में पाए जाने वाले पाँच प्रकार्यात्मक समूह:
    1. **हैलोजन:** -Cl (क्लोरो), -Br (ब्रोमो), -I (आयोडो)
    2. **एल्कोहल:** -OH (हाइड्रॉक्सिल)
    3. **एल्डिहाइड:** -CHO (एल्डिहाइड)
    4. **कीटोन:** >C=O (कीटोनिक)
    5. **कार्बोक्सिलिक अम्ल:** -COOH (कार्बोक्सिल)

अभ्यास (पाठ्यपुस्तक के अंत में)

  1. एथेनॉल से एथेनोइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया क्यों कहते हैं?

    एथेनॉल ($\text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH}$) से एथेनोइक अम्ल ($\text{CH}_3\text{COOH}$) में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते हैं क्योंकि इस अभिक्रिया में एथेनॉल में **ऑक्सीजन जुड़ती है**।
    एथेनॉल को क्षारीय पोटेशियम परमैंगनेट ($\text{KMnO}_4$) या अम्लीकृत पोटेशियम डाइक्रोमेट ($\text{K}_2\text{Cr}_2\text{O}_7$) जैसे ऑक्सीकारक अभिकर्मकों के साथ गर्म करने पर, एथेनॉल का ऑक्सीकरण होता है। ऑक्सीकरण की परिभाषा के अनुसार, किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का जुड़ना या हाइड्रोजन का हटना ऑक्सीकरण कहलाता है। इस अभिक्रिया में, एथेनॉल के एक कार्बन पर दो हाइड्रोजन परमाणु एक ऑक्सीजन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं, जिससे कार्बोक्सिलिक अम्ल समूह बनता है।
    $\text{CH}_3\text{CH}_2\text{OH} + [\text{O}] \xrightarrow{\text{ऑक्सीकारक}}$ $\text{CH}_3\text{COOH} + \text{H}_2\text{O}$

  2. अल्कोहल और कार्बोक्सिलिक अम्ल के बीच अंतर करने के लिए दो परीक्षण बताइए।

    एल्कोहल और कार्बोक्सिलिक अम्ल के बीच अंतर करने के लिए दो परीक्षण:
    1. **सोडियम कार्बोनेट ($\text{Na}_2\text{CO}_3$) या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट ($\text{NaHCO}_3$) परीक्षण:**
    • **कार्बोक्सिलिक अम्ल:** कार्बोक्सिलिक अम्ल (जैसे एथेनोइक अम्ल) सोडियम कार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करके $\text{CO}_2$ गैस उत्पन्न करते हैं, जो चूने के पानी को दुधिया कर देती है।
    • 2CH$_3$COOH + Na$_2$CO$_3$ $\rightarrow$ 2CH$_3$COONa + H$_2$O + CO$_2$
    • **एल्कोहल:** एल्कोहल (जैसे एथेनॉल) इन अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया नहीं करते और कोई $\text{CO}_2$ गैस उत्पन्न नहीं करते।
    2. **लिटमस परीक्षण:**
    • **कार्बोक्सिलिक अम्ल:** कार्बोक्सिलिक अम्ल अम्लीय प्रकृति के होते हैं, इसलिए वे नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
    • **एल्कोहल:** एल्कोहल उदासीन प्रकृति के होते हैं, इसलिए वे लिटमस पेपर के रंग में कोई परिवर्तन नहीं करते हैं।



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