अध्याय 3: धातु एवं अधातु (Metals and Non-metals)

परिचय

कक्षा 10 विज्ञान का तीसरा अध्याय **'धातु एवं अधातु'** है। यह अध्याय तत्वों को उनके भौतिक और रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर धातुओं और अधातुओं में वर्गीकृत करता है। हम इनके विशिष्ट गुणधर्मों, एक-दूसरे के साथ उनकी अभिक्रियाओं और हमारे दैनिक जीवन में उनके विभिन्न अनुप्रयोगों का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण की प्रक्रिया (धातु कर्म) और संक्षारण जैसी समस्याओं पर भी प्रकाश डालता है।

---

1. भौतिक गुणधर्म (Physical Properties)

(a) धातुओं के भौतिक गुणधर्म (Physical Properties of Metals)

(b) अधातुओं के भौतिक गुणधर्म (Physical Properties of Non-metals)

---

2. रासायनिक गुणधर्म (Chemical Properties)

(a) धातुओं के रासायनिक गुणधर्म (Chemical Properties of Metals)

(b) अधातुओं के रासायनिक गुणधर्म (Chemical Properties of Non-metals)

---

3. धातु और अधातु कैसे अभिक्रिया करते हैं? (How do Metals and Non-metals React?)

रासायनिक अभिक्रियाओं के दौरान, परमाणु अपने अष्टक को पूर्ण करने के लिए इलेक्ट्रॉन प्राप्त करते हैं या खोते हैं या साझा करते हैं।

आयनिक यौगिक (Ionic Compounds)

एक धातु और एक अधातु के बीच इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण से बनने वाले यौगिकों को **आयनिक यौगिक** कहते हैं।

उदाहरण: $\text{NaCl}$ का निर्माण

$\text{Na} \rightarrow \text{Na}^+ + \text{e}^-$
$\text{Cl} + \text{e}^- \rightarrow \text{Cl}^-$
$\text{Na}^+ + \text{Cl}^- \rightarrow \text{NaCl}$

आयनिक यौगिकों के गुणधर्म:

---

4. धातुओं की प्राप्ति (Occurrence of Metals)

धातु कर्म (Metallurgy):

अयस्कों से शुद्ध धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातु कर्म कहते हैं। यह तीन मुख्य चरणों में होता है:

  1. **अयस्कों का सांद्रण (Concentration of Ores):** अयस्क से गैंग (अशुद्धियों) को हटाना।
  2. **सांद्रित अयस्क से धातु का निष्कर्षण (Extraction of Metal from Concentrated Ore):**
    • **उच्च अभिक्रियाशील धातुएँ:** विद्युत अपघटन द्वारा। (उदा. Na, Mg, Al)
    • **मध्यम अभिक्रियाशील धातुएँ:** कार्बोनेट अयस्क के लिए निस्तापन (Calcination) और सल्फाइड अयस्क के लिए भर्जन (Roasting) द्वारा धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करना, फिर अपचयन द्वारा धातु प्राप्त करना। (उदा. Zn, Fe, Pb, Cu)
    • निस्तापन: $\text{ZnCO}_3\text{(s)} \xrightarrow{ऊष्मा}$ ZnO(s) + CO$_2$(g)
      भर्जन: $2\text{ZnS(s) + 3O}_2\text{(g)} \xrightarrow{ऊष्मा}$ 2ZnO(s) + 2SO$_2$(g)
      अपचयन: $\text{ZnO(s) + C(s)} \rightarrow \text{Zn(s) + CO(g)}$
    • **निम्न अभिक्रियाशील धातुएँ:** केवल भर्जन द्वारा या फिर भर्जन के बाद अपचयन द्वारा। (उदा. Hg, Ag)
    • $2\text{HgS(s) + 3O}_2\text{(g)} \xrightarrow{ऊष्मा}$ 2HgO(s) + 2SO$_2$(g)
      $2\text{HgO(s)} \xrightarrow{ऊष्मा}$ 2Hg(l) + O$_2$(g)
  3. **धातुओं का परिष्करण (Refining of Metals):** निष्कर्षित धातु को और अधिक शुद्ध करना (प्रायः विद्युत अपघटनी परिष्करण द्वारा)।
---

5. संक्षारण (Corrosion)

जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, नमी या वायु के संपर्क में आती है, तो उस पर एक परत चढ़ जाती है, जिससे धातु कमजोर हो जाती है। इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं।

संक्षारण से बचाव:

---

6. मिश्र धातु (Alloys)

**मिश्र धातु** दो या दो से अधिक धातुओं या एक धातु और एक अधातु का समांगी मिश्रण होता है। मिश्र धातुओं के गुणधर्म उनके घटक धातुओं से बेहतर होते हैं।

धातुओं और अधातुओं के दैनिक उपयोग।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

अभ्यास (पृष्ठ 40)

  1. निम्नलिखित में से कौन सी धातुएँ ठंडे जल के साथ अभिक्रिया करती हैं?
    (a) सोडियम
    (b) कैल्शियम
    (c) मैग्नीशियम
    (d) आयरन

    सोडियम और कैल्शियम दोनों ठंडे जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करते हैं। मैग्नीशियम ठंडे जल के साथ धीमी गति से अभिक्रिया करता है और आयरन ठंडे जल के साथ अभिक्रिया नहीं करता।
    अतः, सही विकल्प **(a) सोडियम** और **(b) कैल्शियम** हैं।

  2. जब कोई धातु ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करती है, तो क्या होता है? एक उदाहरण दीजिए।

    जब कोई धातु ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करती है, तो वह धातु ऑक्साइड बनाती है। यह अभिक्रिया आमतौर पर ऊष्माक्षेपी होती है।
    उदाहरण: मैग्नीशियम धातु को वायु में जलाने पर यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके सफेद पाउडर, मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाती है।
    $2\text{Mg(s) + O}_2\text{(g)} \rightarrow 2\text{MgO(s)}$

अभ्यास (पृष्ठ 46)

  1. आयनिक यौगिकों के गलनांक उच्च क्यों होते हैं?

    आयनिक यौगिक आयनों से बने होते हैं (धनायन और ऋणायन)। इन विपरीत आवेशित आयनों के बीच एक बहुत प्रबल **स्थिरवैद्युत आकर्षण बल** (electrostatic force of attraction) होता है। इस प्रबल आकर्षण बल को तोड़ने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि आयनिक यौगिकों के गलनांक और क्वथनांक बहुत उच्च होते हैं।

  2. आपकी रसोई में उपयोग किए जाने वाले दो अम्लीय और दो क्षारीय पदार्थों के नाम बताइए।

    **रसोई में उपयोग होने वाले अम्लीय पदार्थ:**
    • सिरका (एसिटिक अम्ल)
    • नींबू का रस (साइट्रिक अम्ल)
    • टमाटर (ऑक्सैलिक अम्ल)
    **रसोई में उपयोग होने वाले क्षारीय पदार्थ:**
    • बेकिंग सोडा (सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट)
    • साबुन (क्षारीय गुण वाला)
    • डिटर्जेंट (क्षारीय गुण वाला)

अभ्यास (पाठ्यपुस्तक के अंत में)

  1. कारण बताइए:
    (a) प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
    (b) सोडियम, पोटैशियम एवं लिथियम को तेल के अंदर संग्रहित किया जाता है।
    (c) एल्यूमीनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है, फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तनों के लिए किया जाता है।
    (d) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।

    **(a) प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।**

    प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है क्योंकि ये धातुएँ अत्यंत **कम अभिक्रियाशील** होती हैं। ये वायु, जल या अन्य रसायनों से आसानी से अभिक्रिया नहीं करती हैं, जिसके कारण ये अपनी चमक नहीं खोतीं और संक्षारित नहीं होतीं। ये **आघातवर्ध्य और तन्य** भी होती हैं, जिससे इन्हें आसानी से विभिन्न आकृतियों में ढाला जा सकता है और तार बनाए जा सकते हैं।
    **(b) सोडियम, पोटैशियम एवं लिथियम को तेल के अंदर संग्रहित किया जाता है।**
    सोडियम, पोटैशियम एवं लिथियम अत्यंत **अभिक्रियाशील धातुएँ** हैं। ये वायु में उपस्थित ऑक्सीजन और नमी (जल) के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करती हैं, जिससे आग लग सकती है। इस तीव्र अभिक्रिया को रोकने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए इन्हें केरोसिन तेल में डुबोकर रखा जाता है, क्योंकि तेल इन्हें वायु और नमी के संपर्क में आने से रोकता है।
    **(c) एल्यूमीनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है, फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तनों के लिए किया जाता है।
    एल्यूमीनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु होने के बावजूद, इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तनों के लिए किया जाता है क्योंकि यह वायु में ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके अपनी सतह पर एल्यूमीनियम ऑक्साइड ($\text{Al}_2\text{O}_3$) की एक पतली, मजबूत और अदृश्य परत बना लेता है। यह ऑक्साइड परत निष्क्रिय होती है और आगे की अभिक्रिया को रोककर धातु को संक्षारण से बचाती है। साथ ही, एल्यूमीनियम ऊष्मा का अच्छा चालक है और इसका घनत्व कम होता है, जो इसे खाना बनाने के बर्तनों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाता है।
    **(d) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
    कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है क्योंकि धातुओं को उनके ऑक्साइड से प्राप्त करना **धातुओं को उनके कार्बोनेट या सल्फाइड की तुलना में अधिक आसान** होता है। ऑक्साइड को कार्बन जैसे अपचायकों द्वारा आसानी से अपचयित किया जा सकता है। सल्फाइड अयस्कों को भर्जन (ऑक्सीजन की उपस्थिति में गर्म करना) और कार्बोनेट अयस्कों को निस्तापन (सीमित वायु में गर्म करना) द्वारा ऑक्साइड में बदला जाता है।
    $\text{ZnCO}_3\text{(s)} \xrightarrow{\text{निस्तापन}}$ ZnO(s) + CO$_2$(g)
    $2\text{ZnS(s) + 3O}_2\text{(g)} \xrightarrow{\text{भर्जन}}$ 2ZnO(s) + 2SO$_2$(g)

  2. आप अपने दैनिक जीवन में संक्षारण से बचाव के लिए दो तरीके सुझाइए।

    दैनिक जीवन में संक्षारण से बचाव के दो तरीके:
    1. **पेंटिंग या ग्रीसिंग:** लोहे की वस्तुओं जैसे दरवाजों, खिड़कियों, ग्रिल, और साइकिल को नियमित रूप से पेंट या ग्रीस करके उन्हें हवा और नमी के संपर्क से बचाया जा सकता है, जिससे जंग लगने से बचाव होता है।
    2. **यशदलेपन (Galvanizing):** लोहे की चादरों या वस्तुओं पर जिंक की एक पतली परत चढ़ाकर जंग से बचाया जा सकता है। जैसे लोहे की बाल्टियाँ, पाइप आदि। जिंक की परत लोहे को संक्षारण से बचाती है।
    (अन्य तरीके: तेल लगाना, क्रोमियम लेपन, एनोडीकरण, मिश्र धातु बनाना)।



(ब्राusज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)