अध्याय 13: विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव (Magnetic Effects of Electric Current)

परिचय

कक्षा 10 विज्ञान का तेरहवाँ अध्याय **'विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव' (Magnetic Effects of Electric Current)** विद्युत और चुंबकत्व के बीच के गहरे संबंध की पड़ताल करता है। हम सीखेंगे कि कैसे एक विद्युत धारा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है, और कैसे चुंबकीय क्षेत्र में रखी धारावाही चालक पर बल लगता है। यह अध्याय विद्युत मोटरों और जनरेटर जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के कार्य सिद्धांत की नींव रखता है, और हमें घरेलू विद्युत परिपथों की सुरक्षा को समझने में मदद करता है।

---

1. चुंबकीय क्षेत्र और क्षेत्र रेखाएँ (Magnetic Field and Field Lines)

एक चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ उसके बल का पता लगाया जा सकता है, **चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field)** कहलाता है।

---

2. विद्युत धारावाही चालक के कारण चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field due to a Current-carrying Conductor)

हैंस क्रिश्चियन ऑस्टेड (Hans Christian Ørsted) ने 1820 में यह खोज की कि जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो उसके चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

(a) सीधे चालक से विद्युत धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field due to Current through a Straight Conductor)

(b) वृत्ताकार पाश से विद्युत धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field due to Current through a Circular Loop)

(c) परिनालिका से विद्युत धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field due to Current in a Solenoid)

**परिनालिका (Solenoid):** कुचालक तांबे के तार के कई वृत्ताकार फेरों (turns) की बेलनाकार कुंडली।

(d) विद्युत चुंबक (Electromagnet)

एक धारावाही परिनालिका के अंदर एक **नरम लोहे का क्रोड (soft iron core)** रखने पर बनने वाला चुंबक **विद्युत चुंबक** कहलाता है।

---

3. चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल (Force on a Current-carrying Conductor in a Magnetic Field)

जब एक धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस पर एक **बल (force)** लगता है।

---

4. विद्युत मोटर (Electric Motor)

**विद्युत मोटर** एक ऐसा उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

विद्युत मोटर का कार्य सिद्धांत ---

5. विद्युत चुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction)

माइकल फैराडे (Michael Faraday) ने 1831 में खोजा कि एक चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन से एक चालक में विद्युत धारा प्रेरित (induce) हो सकती है। इस परिघटना को **विद्युत चुंबकीय प्रेरण** कहते हैं।

---

6. विद्युत जनित्र (Electric Generator)

**विद्युत जनित्र** एक ऐसा उपकरण है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

विद्युत जनित्र का कार्य सिद्धांत ---

7. घरेलू विद्युत परिपथ (Domestic Electric Circuits)

हमारे घरों में विद्युत आपूर्ति मुख्य तारों (mains) से आती है, जिसमें दो मुख्य तार होते हैं:

घरेलू परिपथों में सभी उपकरण **समांतर क्रम (parallel)** में जुड़े होते हैं, ताकि प्रत्येक उपकरण को समान विभवांतर मिल सके और वे स्वतंत्र रूप से संचालित हो सकें।

(a) अतिभारण (Overloading)

जब परिपथ में बहुत अधिक विद्युत उपकरण एक साथ चलाए जाते हैं या लाइव और न्यूट्रल तार सीधे संपर्क में आते हैं (शॉर्ट-सर्किट), तो परिपथ में धारा अत्यधिक बढ़ जाती है। इसे **अतिभारण** कहते हैं।

(b) लघुपथन (Short-circuiting)

जब विद्युन्मय तार और उदासीन तार सीधे संपर्क में आ जाते हैं (इन्सुलेशन खराब होने के कारण), तो परिपथ का प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है और बहुत बड़ी धारा प्रवाहित होती है। इसे **लघुपथन** कहते हैं।

(c) सुरक्षा युक्तियाँ (Safety Devices)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

अभ्यास के प्रश्न

  1. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के कोई दो गुण लिखिए।

    चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं और चुंबक के अंदर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती हुई बंद वक्र बनाती हैं।
    कोई भी दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद (intersect) नहीं करतीं। यदि वे करतीं, तो इसका अर्थ होगा कि प्रतिच्छेद बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी, जो संभव नहीं है।

  2. किसी धारावाही सीधी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र कैसा होता है?

    किसी धारावाही सीधी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र **एकसमान (uniform)** होता है। चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परिनालिका के अक्ष के समांतर सीधी रेखाओं के रूप में होती हैं, जो दर्शाती हैं कि क्षेत्र अंदर हर जगह समान प्रबलता का है।

  3. विद्युत मोटर का सिद्धांत क्या है?

    विद्युत मोटर का सिद्धांत यह है कि जब एक **धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस पर एक बल लगता है।** यह बल चालक को गति प्रदान करता है, जिससे विद्युत ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा निर्धारित होती है।

  4. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए कौन-सी सावधानी बरतनी चाहिए?

    घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण (overloading) से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए:
    **एक ही सॉकेट से कई उपकरण न जोड़ें:** एक ही सॉकेट या विस्तारक पट्टी (extension cord) पर बहुत अधिक उपकरणों को जोड़ने से बचें, क्योंकि इससे परिपथ में अत्यधिक धारा प्रवाहित हो सकती है।
    **फ्यूज या MCB का उपयोग करें:** उचित रेटिंग वाले विद्युत फ्यूज या मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (MCB) का उपयोग करें जो अतिभारण होने पर स्वचालित रूप से परिपथ को तोड़ दें।
    **क्षतिग्रस्त तारों को बदलें:** क्षतिग्रस्त या घिसे हुए विद्युत तारों को तुरंत बदलें, क्योंकि वे लघुपथन (short-circuiting) और अतिभारण का कारण बन सकते हैं।
    **उच्च शक्ति वाले उपकरणों को एक ही समय में न चलाएं:** वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर, हीटर जैसे उच्च शक्ति वाले उपकरणों को एक ही समय में चलाने से बचें।



(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)