अध्याय 1: रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण (Chemical Reactions and Equations)

परिचय

कक्षा 10 विज्ञान का पहला अध्याय **'रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण'** है। यह अध्याय हमें बताता है कि हमारे चारों ओर पदार्थों में कैसे परिवर्तन होते हैं और इन परिवर्तनों को रासायनिक समीकरणों के रूप में कैसे दर्शाया जाता है। हम जानेंगे कि रासायनिक अभिक्रियाएं क्या होती हैं, उन्हें कैसे पहचाना जाता है, और उन्हें संतुलित करना क्यों महत्वपूर्ण है।

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1. रासायनिक अभिक्रियाएँ (Chemical Reactions)

जब दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में मिलकर एक या एक से अधिक नए गुणधर्म वाले पदार्थों का निर्माण करते हैं, तो इस प्रक्रिया को **रासायनिक अभिक्रिया** कहते हैं। रासायनिक अभिक्रिया में, परमाणुओं के बीच के बंध टूटते हैं और नए बंध बनते हैं, जिससे नए पदार्थ बनते हैं।

रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रेक्षणों में शामिल हैं:

उदाहरण: मैग्नीशियम रिबन का वायु में जलना। जब मैग्नीशियम को हवा में जलाया जाता है, तो यह ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है, जो एक सफेद पाउडर है।

मैग्नीशियम + ऑक्सीजन $\rightarrow$ मैग्नीशियम ऑक्साइड
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2. रासायनिक समीकरण (Chemical Equations)

एक रासायनिक अभिक्रिया को उसके प्रतीक और सूत्रों का उपयोग करके संक्षिप्त रूप में व्यक्त करने को **रासायनिक समीकरण** कहते हैं। एक रासायनिक समीकरण में, अभिकारकों (अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थ) को तीर के बाईं ओर लिखा जाता है और उत्पादों (अभिक्रिया के परिणामस्वरूप बनने वाले पदार्थ) को तीर के दाईं ओर लिखा जाता है। तीर अभिक्रिया की दिशा को दर्शाता है।

अभिकारक $\rightarrow$ उत्पाद

उदाहरण: मैग्नीशियम के जलने का समीकरण:

Mg(s) + O$_2$(g) $\rightarrow$ MgO(s)

कोष्ठकों में लिखे गए अक्षर अभिकारकों और उत्पादों की भौतिक अवस्थाओं को दर्शाते हैं: (s) ठोस के लिए, (l) द्रव के लिए, (g) गैस के लिए, और (aq) जलीय विलयन के लिए।

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3. रासायनिक समीकरण को संतुलित करना (Balancing Chemical Equations)

**द्रव्यमान संरक्षण का नियम** कहता है कि किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है और न ही विनाश। इसका अर्थ है कि किसी रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों का कुल द्रव्यमान उत्पादों के कुल द्रव्यमान के बराबर होना चाहिए। इस नियम का पालन करने के लिए, रासायनिक समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर होनी चाहिए। इस प्रक्रिया को **रासायनिक समीकरण को संतुलित करना** कहते हैं।

रासायनिक समीकरण को संतुलित करने की विधि को **हिट एंड ट्रायल विधि** कहते हैं। इसमें परमाणुओं की संख्या को बराबर करने के लिए छोटे-से-छोटे पूर्णांक गुणांकों का उपयोग किया जाता है।

उदाहरण: असंतुलित समीकरण: $\text{Fe(s) + H}_2\text{O(g)} \rightarrow \text{Fe}_3\text{O}_4\text{(s) + H}_2\text{(g)}$

संतुलित समीकरण:

3Fe(s) + 4H$_2$O(g) $\rightarrow$ Fe$_3$O$_4$(s) + 4H$_2$(g)
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4. रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार (Types of Chemical Reactions)

रासायनिक अभिक्रियाएँ कई प्रकार की होती हैं:

(i) संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)

वह अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक एकल उत्पाद बनाते हैं।

A + B $\rightarrow$ C

उदाहरण: कैल्शियम ऑक्साइड (बिना बुझा चूना) और जल का संयोजन बुझा हुआ चूना बनाना।

CaO(s) + H$_2$O(l) $\rightarrow$ Ca(OH)$_2$(aq) + ऊष्मा

यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया भी है।

(ii) वियोजन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)

वह अभिक्रिया जिसमें एक एकल अभिकारक टूटकर दो या दो से अधिक सरल उत्पाद बनाता है। ये अभिक्रियाएँ ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत ऊर्जा के अनुप्रयोग से होती हैं।

C $\rightarrow$ A + B

**उष्मीय वियोजन:** जब वियोजन ऊष्मा द्वारा होता है।

CaCO$_3$(s) $\xrightarrow{ऊष्मा}$ CaO(s) + CO$_2$(g)

**विद्युत वियोजन:** जब वियोजन विद्युत धारा द्वारा होता है।

2H$_2$O(l) $\xrightarrow{विद्युत}$ 2H$_2$(g) + O$_2$(g)

**प्रकाश वियोजन:** जब वियोजन प्रकाश ऊर्जा द्वारा होता है।

2AgCl(s) $\xrightarrow{सूर्य का प्रकाश}$ 2Ag(s) + Cl$_2$(g)

(iii) विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)

वह अभिक्रिया जिसमें अधिक क्रियाशील तत्व कम क्रियाशील तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है।

A + BC $\rightarrow$ AC + B

उदाहरण: लोहे को कॉपर सल्फेट विलयन में डुबाना।

Fe(s) + CuSO$_4$(aq) $\rightarrow$ FeSO$_4$(aq) + Cu(s)

(iv) द्विविस्थापन अभिक्रिया (Double Displacement Reaction)

वह अभिक्रिया जिसमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है। अक्सर अवक्षेप बनता है।

AB + CD $\rightarrow$ AD + CB

उदाहरण: सोडियम सल्फेट और बेरियम क्लोराइड विलयन का मिलना।

Na$_2$SO$_4$(aq) + BaCl$_2$(aq) $\rightarrow$ BaSO$_4$(s) + 2NaCl(aq)

यहाँ बेरियम सल्फेट (BaSO$_4$) का सफेद अवक्षेप बनता है।

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5. ऑक्सीकरण एवं अपचयन (Oxidation and Reduction)

ऑक्सीकरण (Oxidation)

उदाहरण: $2\text{Cu} + \text{O}_2 \rightarrow 2\text{CuO}$ (कॉपर का ऑक्सीकरण)

अपचयन (Reduction)

उदाहरण: $\text{CuO} + \text{H}_2 \rightarrow \text{Cu} + \text{H}_2\text{O}$ (कॉपर ऑक्साइड का अपचयन)

रेडॉक्स अभिक्रिया (Redox Reaction)

वह अभिक्रिया जिसमें एक अभिकारक ऑक्सीकृत होता है और दूसरा अभिकारक अपचयित होता है। ऑक्सीकरण और अपचयन हमेशा एक साथ होते हैं।

उपरोक्त उदाहरण में: $\text{CuO} + \text{H}_2 \rightarrow \text{Cu} + \text{H}_2\text{O}$

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6. दैनिक जीवन में ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रियाएँ (Oxidation-Reduction Reactions in Daily Life)

(i) संक्षारण (Corrosion)

जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, नमी या वायु के संपर्क में आती है, तो उस पर एक परत चढ़ जाती है, जिससे धातु कमजोर हो जाती है। इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं।

(ii) विकृतगंधिता (Rancidity)

जब वसायुक्त और तैलीय खाद्य पदार्थ लंबे समय तक रखे रहते हैं, तो वे वायु के संपर्क में आने पर ऑक्सीकृत हो जाते हैं, जिससे उनका स्वाद और गंध बदल जाती है। इस प्रक्रिया को विकृतगंधिता कहते हैं।

विकृतगंधिता को रोकने के उपाय:

विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाएं।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

अभ्यास (पृष्ठ 6)

  1. वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ क्यों किया जाता है?

    मैग्नीशियम रिबन को वायु में जलाने से पहले साफ किया जाता है ताकि उसकी सतह पर से मैग्नीशियम ऑक्साइड (या मैग्नीशियम कार्बोनेट) की परत हट जाए। यह परत मैग्नीशियम को ऑक्सीजन के संपर्क में आने से रोकती है और अभिक्रिया को बाधित करती है। रिबन को साफ करने से यह आसानी से जलता है और अभिक्रिया तेजी से होती है।

अभ्यास (पृष्ठ 10)

  1. निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए:
    (a) हाइड्रोजन + क्लोरीन $\rightarrow$ हाइड्रोजन क्लोराइड
    (b) बेरियम क्लोराइड + एल्यूमीनियम सल्फेट $\rightarrow$ बेरियम सल्फेट + एल्यूमीनियम क्लोराइड

    **(a) हाइड्रोजन + क्लोरीन $\rightarrow$ हाइड्रोजन क्लोराइड**

    असंतुलित: $\text{H}_2\text{(g) + Cl}_2\text{(g)} \rightarrow \text{HCl(g)}$
    संतुलित: $\text{H}_2\text{(g) + Cl}_2\text{(g)} \rightarrow 2\text{HCl(g)}$
    **(b) बेरियम क्लोराइड + एल्यूमीनियम सल्फेट $\rightarrow$ बेरियम सल्फेट + एल्यूमीनियम क्लोराइड**
    असंतुलित: $\text{BaCl}_2\text{(aq) + Al}_2\text{(SO}_4)_3\text{(aq)} \rightarrow \text{BaSO}_4\text{(s) + AlCl}_3\text{(aq)}$
    संतुलित: $3\text{BaCl}_2\text{(aq) + Al}_2\text{(SO}_4)_3\text{(aq)} \rightarrow 3\text{BaSO}_4\text{(s) + 2AlCl}_3\text{(aq)}$

अभ्यास (पृष्ठ 13)

  1. निम्नलिखित में से कौन ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ हैं और कौन ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ हैं?
    (a) श्वसन
    (b) नाइट्रोजन और ऑक्सीजन का संयोजन

    **(a) श्वसन:**

    श्वसन एक **ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया** है क्योंकि इसमें ग्लूकोज ऑक्सीजन के साथ मिलकर कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाता है और ऊर्जा (ऊष्मा) मुक्त करता है।
    C$_6$H$_{12}$O$_6$(aq) + 6O$_2$(g) $\rightarrow$ 6CO$_2$(g) + 6H$_2$O(l) + ऊर्जा
    **(b) नाइट्रोजन और ऑक्सीजन का संयोजन:**
    नाइट्रोजन और ऑक्सीजन का संयोजन नाइट्रिक ऑक्साइड बनाने के लिए **ऊष्माशोषी अभिक्रिया** है, क्योंकि इस अभिक्रिया को होने के लिए ऊर्जा (ऊष्मा) की आवश्यकता होती है।
    N$_2$(g) + O$_2$(g) + ऊष्मा $\rightarrow$ 2NO(g)

अभ्यास (पृष्ठ 14)

  1. कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे की कील डालने पर विलयन का रंग क्यों बदल जाता है?

    जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट ($\text{CuSO}_4$) के नीले विलयन में डुबोया जाता है, तो एक **विस्थापन अभिक्रिया** होती है। लोहा (Fe) कॉपर (Cu) से अधिक अभिक्रियाशील होता है, इसलिए यह कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर को विस्थापित कर देता है।
    Fe(s) + CuSO$_4$(aq) (नीला) $\rightarrow$ FeSO$_4$(aq) (हल्का हरा) + Cu(s)
    इस अभिक्रिया के कारण कॉपर सल्फेट का नीला रंग **फेरस सल्फेट ($\text{FeSO}_4$) के हल्के हरे रंग में** बदल जाता है और लोहे की कील पर भूरे रंग की कॉपर धातु की परत जम जाती है।

अभ्यास (पृष्ठ 15)

  1. ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रिया को एक उदाहरण के साथ समझाइए।

    एक अभिक्रिया जिसमें एक अभिकारक ऑक्सीकृत होता है (ऑक्सीजन प्राप्त करता है या हाइड्रोजन खोता है) और दूसरा अभिकारक अपचयित होता है (ऑक्सीजन खोता है या हाइड्रोजन प्राप्त करता है), उसे **ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रिया** या **रेडॉक्स अभिक्रिया** कहते हैं।
    **उदाहरण:**
    CuO(s) + H$_2$(g) $\xrightarrow{ऊष्मा}$ Cu(s) + H$_2$O(l)
    इस अभिक्रिया में:
    • कॉपर ऑक्साइड ($\text{CuO}$) से ऑक्सीजन हट जाती है और यह कॉपर ($\text{Cu}$) में **अपचयित** हो जाता है।
    • हाइड्रोजन ($\text{H}_2$) ऑक्सीजन प्राप्त करता है और जल ($\text{H}_2\text{O}$) में **ऑक्सीकृत** हो जाता है।
    यहाँ $\text{CuO}$ एक ऑक्सीकारक है और $\text{H}_2$ एक अपचायक है।



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