अध्याय 3: व्यायामः सर्वदा पथ्यः (व्यायाम हमेशा हितकारी है)

परिचय

कक्षा 10 संस्कृत (शेमुषी - द्वितीयो भागः) का यह अध्याय **'व्यायामः सर्वदा पथ्यः'** स्वास्थ्य और व्यायाम के महत्व पर प्रकाश डालता है। यह पाठ हमें बताता है कि नियमित व्यायाम सभी के लिए हितकारी होता है और यह शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। प्राचीन भारत में व्यायाम को जीवन का अभिन्न अंग माना जाता था। इस पाठ में व्यायाम के विभिन्न लाभों, प्रकारों और इसके नियमों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।

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संस्कृत श्लोक और हिन्दी अनुवाद (Sanskrit Shlokas and Hindi Translation)

व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं, दीर्घायुष्यं बलं सुखम्।
आरोग्यं परमं भाग्यं, स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥1॥

संदर्भ: प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्यपुस्तक 'शेमुषी - द्वितीयो भागः' के 'व्यायामः सर्वदा पथ्यः' नामक पाठ से लिया गया है। इस श्लोक में व्यायाम के लाभों का वर्णन किया गया है।

अनुवाद: व्यायाम से स्वास्थ्य प्राप्त होता है, दीर्घ आयु, बल और सुख मिलता है। स्वास्थ्य सर्वोत्तम भाग्य है और यह सभी प्रयोजनों की सिद्धि का साधन है।

**भावार्थ:** नियमित व्यायाम करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, दीर्घायु, शारीरिक बल और सुख प्राप्त होता है। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है जो सभी कार्यों को सफल बनाता है।

न चौरहार्यं न च राजहार्यं, न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।
व्यायामकृतं धनमुत्तमं हि, तस्मात् सदा व्यायाममाचरेत्॥2॥

संदर्भ: प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्यपुस्तक 'शेमुषी - द्वितीयो भागः' के 'व्यायामः सर्वदा पथ्यः' नामक पाठ से लिया गया है। इस श्लोक में व्यायाम से प्राप्त स्वास्थ्य रूपी धन की विशेषता बताई गई है।

अनुवाद: (स्वास्थ्य रूपी यह धन) न चोरों द्वारा छीना जा सकता है, न राजा द्वारा लिया जा सकता है, न भाइयों में बाँटा जा सकता है और न ही यह भार स्वरूप है। व्यायाम से प्राप्त यह धन सर्वोत्तम है, इसलिए सदा व्यायाम करना चाहिए।

**भावार्थ:** स्वास्थ्य रूपी धन अद्वितीय है जिसे कोई छीन नहीं सकता। यह न तो बाँटने से कम होता है और न ही यह बोझ है। इसलिए व्यायाम द्वारा इस अनमोल धन को अर्जित करना चाहिए।

यथा दीपो निवातस्थो, नेङ्गते सोपमा स्मृता।
योगिनो यतचित्तस्य, युञ्जतो योगमात्मनः॥3॥

संदर्भ: प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्यपुस्तक 'शेमुषी - द्वितीयो भागः' के 'व्यायामः सर्वदा पथ्यः' नामक पाठ से लिया गया है। इस श्लोक में योगाभ्यास की महत्ता बताई गई है।

अनुवाद: जिस प्रकार हवा रहित स्थान पर रखा दीपक नहीं डगमगाता, उसी प्रकार योगाभ्यास करने वाले और मन को वश में रखने वाले योगी का चित्त स्थिर रहता है।

**भावार्थ:** योगाभ्यास से मन की चंचलता दूर होती है और मन स्थिर होता है जिससे आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

आरोग्यं भास्करादिच्छेत्, वर्षासु च नभस्तलात्।
व्यायामात् सर्वकालं तु, स्वास्थ्यं सम्पद्यते नरः॥4॥

संदर्भ: प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्यपुस्तक 'शेमुषी - द्वितीयो भागः' के 'व्यायामः सर्वदा पथ्यः' नामक पाठ से लिया गया है। इस श्लोक में व्यायाम को सभी ऋतुओं में उपयोगी बताया गया है।

अनुवाद: ग्रीष्म ऋतु में सूर्य से और वर्षा ऋतु में आकाश से आरोग्य की कामना करनी चाहिए, किंतु व्यायाम से तो सभी ऋतुओं में मनुष्य स्वास्थ्य प्राप्त करता है।

**भावार्थ:** विभिन्न ऋतुओं में विभिन्न प्राकृतिक साधनों से स्वास्थ्य लाभ हो सकता है, परंतु व्यायाम सभी मौसमों में समान रूप से लाभकारी है।

लङ्घनं स्वेदनं व्यायामः, स्नानं मार्दवमुच्यते।
क्षुत्तृष्णे च जिते येन, स जितो जगतीतले॥5॥

संदर्भ: प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्यपुस्तक 'शेमुषी - द्वितीयो भागः' के 'व्यायामः सर्वदा पथ्यः' नामक पाठ से लिया गया है। इस श्लोक में व्यायाम के विभिन्न प्रकारों का वर्णन है।

अनुवाद: लंघन (उपवास), स्वेदन (पसीना निकालना), व्यायाम, स्नान और कोमलता - इनसे जिसने भूख-प्यास पर विजय प्राप्त कर ली, वह इस संसार में विजयी हो गया।

**भावार्थ:** विभिन्न प्रकार के व्यायाम और संयम से व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण पा सकता है जो जीवन में सफलता का मूल मंत्र है।

नास्ति मूलमनौषधं, नास्ति मूलमनौषधम्।
व्यायामात् परमौषधं, नास्ति रोगाणुभेषजम्॥6॥

संदर्भ: प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्यपुस्तक 'शेमुषी - द्वितीयो भागः' के 'व्यायामः सर्वदा पथ्यः' नामक पाठ से लिया गया है। इस श्लोक में व्यायाम को सर्वोत्तम औषधि बताया गया है।

अनुवाद: कोई भी बीमारी बिना कारण के नहीं होती (सभी रोगों का कोई न कोई कारण होता है)। व्यायाम से बढ़कर कोई औषधि नहीं है और रोगों की कोई दवा नहीं है (अर्थात व्यायाम ही सर्वोत्तम दवा है)।

**भावार्थ:** व्यायाम एक ऐसी रामबाण औषधि है जो न केवल रोगों को दूर करती है बल्कि उन्हें होने से भी रोकती है।

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मुख्य बिंदु (Key Points)

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व्याकरण-बिंदु (Grammar Points)

1. संधि-विच्छेद (Sandhi-Vichchhed)

2. समास-विग्रह (Samasa-Vigraha)

3. प्रत्यय (Pratyaya)

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

एकपदेन उत्तरत (एक शब्द में उत्तर दें)

  1. व्यायामात् किं लभ्यते?

    स्वास्थ्यं

  2. किं परमं भाग्यं उच्यते?

    आरोग्यं

  3. केन जिते सति जगतीतले जयः भवति?

    क्षुत्तृष्णे

  4. व्यायामात् परमं किम्?

    औषधं

  5. योगिनः चित्तं कस्योपमां स्मरति?

    दीपस्य

पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूर्ण वाक्य में उत्तर दें)

  1. व्यायामस्य कानि चत्वारि लाभाः सन्ति?

    व्यायामात् स्वास्थ्यं, दीर्घायुष्यं, बलं, सुखं च लभ्यते।

  2. स्वास्थ्यं किमर्थं साधनं भवति?

    स्वास्थ्यं सर्वेषां अर्थानां सिद्धये साधनं भवति।

  3. व्यायामकृतं धनं कथं विशिष्टं भवति?

    व्यायामकृतं धनं न चौरैः हार्यं, न राज्ञा हार्यं, न भ्रातृभिः भाज्यं, न च भारकारि भवति।

  4. योगिनः चित्तं कथं भवति?

    योगिनः चित्तं यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मनः निवातस्थ दीपवत् स्थिरं भवति।

  5. व्यायामस्य औषधत्वं कथं वर्णितम्?

    व्यायामात् परमौषधं नास्ति, रोगाणां भेषजं नास्तीति व्यायामस्य औषधत्वं वर्णितम्।

सन्धिं/सन्धिच्छेदं कुरुत (संधि/संधि विच्छेद करें)

  1. व्यायामात् = **व्यायाम + आत्**
  2. स्वास्थ्यं = **स्वास्थ्य + अम्**
  3. दीर्घायुष्यं = **दीर्घ + आयुष्यम्**
  4. परमं = **परम + अम्**
  5. नास्ति = **न + अस्ति**
  6. मूलमनौषधं = **मूलम् + अनौषधम्**
  7. रोगाणुभेषजम् = **रोगाणु + भेषजम्**
  8. सोपमा = **सा + उपमा**
  9. योगिनो = **योगिनः + उ**
  10. भ्रातृभाज्यं = **भ्रातृ + भाज्यम्**

अधोलिखितानां पदानां पर्यायपदानि पाठात् चित्वा लिखत (निम्नलिखित पदों के पर्यायवाची शब्द पाठ से चुनकर लिखें)

  1. व्यायामः = **शारीरिकः परिश्रमः** (पाठ में सीधा पर्याय नहीं, पर भाव से)
  2. स्वास्थ्यं = **आरोग्यं**
  3. दीर्घायुष्यं = **चिरंजीवित्वम्** (पाठ में सीधा नहीं)
  4. सुखम् = **आनन्दः** (पाठ में सीधा नहीं)
  5. भाग्यं = **लक्ष्मीः** (पाठ में सीधा नहीं)
  6. योगी = **यतचित्तः**
  7. औषधं = **भेषजम्**

अधोलिखितानां पदानां विलोमपदानि पाठात् चित्वा लिखत (निम्नलिखित पदों के विलोम शब्द पाठ से चुनकर लिखें)

  1. स्वास्थ्यं × **रोगः**
  2. दीर्घायुष्यं × **अल्पायुष्यम्**
  3. सुखम् × **दुःखम्**
  4. परमं × **अपरम्**
  5. हार्यं × **अहार्यम्**
  6. भाज्यं × **अभाज्यम्**
  7. स्थिरः × **चञ्चलः**

रेखाङ्कित-पदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (रेखांकित पद के आधार पर प्रश्न निर्माण करें)

  1. **व्यायामात्** लभते स्वास्थ्यं।

    **कस्मात्** लभते स्वास्थ्यं?

  2. स्वास्थ्यं **सर्वार्थसाधनम्**।

    स्वास्थ्यं **किम्**?

  3. व्यायामकृतं धनं **उत्तमं**।

    व्यायामकृतं धनं **कीदृशं**?

  4. योगिनः चित्तं **दीपवत्** स्थिरम्।

    योगिनः चित्तं **कथम्** स्थिरम्?

  5. व्यायामात् परमं **औषधं**।

    व्यायामात् परमं **किम्**?

(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)