अध्याय 10: भूकम्पविभीषिका (भूकंप का भय)
परिचय
प्रस्तुत पाठ "भूकम्पविभीषिका" गुजरात के कच्छ क्षेत्र में 2001 में आए विनाशकारी भूकंप का वर्णन करता है। यह पाठ हमें प्राकृतिक आपदाओं की भयंकरता और मानव जीवन पर उनके प्रभाव से परिचित कराता है। यह बताता है कि कैसे एक पल में सब कुछ नष्ट हो सकता है और कैसे ऐसे समय में मानव को प्रकृति के सामने अपनी लाचारी महसूस होती है। साथ ही, यह आपदा के समय एकजुटता और सहायता के महत्व पर भी प्रकाश डालता है।
यह पाठ हमें प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने और आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा भी देता है।
---पाठ (Text)
अद्यपि विगतेषु दिनेषु भूकम्पेन महती जनहानिः संजाता। अद्य अपि तस्याः विभीषिकायाः स्मृतयः मनसि कम्पं जनयन्ति।
2001 तमे ख्रिस्ताब्दे, गणतन्त्रदिवसपर्वणि, यदा समग्रम् अपि भारतं नृत्य-गीत-वादित्रघोषैः उत्सवे मग्नम् आसीत्, तदा अकस्मादेव गुर्जरप्रदेशं कच्छमण्डलं ध्वस्तं जातम्। समग्रं भवनं धराशायि जातम्। भयोत्कम्पितैः प्राणैः सह निद्राणाः बहवः प्राणिनाः गृहाणां मलबावनैः पीडिताः।
हजाराणि शरीराणि क्षणमात्रेण निष्प्राणानि अभवन्। सहस्रशः जनाः भयग्रस्तं जीवनं यापयन्। हा! विभीषिका।
कच्छमण्डलस्य धेणुग्रामे, येन दृश्येन मनः व्याकुलं भवति, तत्र प्रायः सर्वे गृहाः विशीर्णाः। ग्रामस्य पञ्चशतं मानवाः मृतिकायाः गर्भे समाविष्टाः। श्मशानवत् शान्तः सः ग्रामः।
भूकम्पनस्य केन्द्रबिन्दुः भुज-नगरम् आसीत्। तत्र तु भवनानाम् उपरि भवनानि पतितानि। अत्र-तत्र मृतशराणां राशिः। शवः, शवस्य उपरि च शवः। सर्वत्र दारुणं हाहाकारम्। रुग्णालयेषु अपि रुग्णाः मरणमासन्नम्।
प्रकृति-प्रकोपस्य एतादृशं दारुणं दृश्यं कदापि न दृष्टम्। भूकम्पो हि महाविनाशकः। भूकम्पेन नद्यः स्वमार्गान् त्यजन्ति। पर्वताः विशीर्यन्ते। धरा कम्पते। धरणी विदारिता भवति।
विज्ञानिभिः कथितं यत् पृथिव्याः अन्तर्गर्भे विद्यमानाः बृहत् पाषाण-पट्टिकाः यदा कम्पितः भवन्ति, तदा भूकम्पनं जायते। तेषां कम्पनम् एव भूकम्पः इति कथ्यते।
भूगर्भवैज्ञानिकाः कथयन्ति यत् भूकम्पस्य पूर्वानुमानं न शक्यते। यतो हि अस्य उत्पत्तेः कारणं भूगर्भे एव निगूढम् अस्ति। तस्मात् कारणात् अस्य उपायः अपि अज्ञातः।
तर्हि किम् अस्ति अस्य उपायः? नूतनानि भवनानि निर्मियन्ते, तानि भूकम्प-निरोधानि कर्तव्यानि। भवन-निर्माण-नियम-कानूनं पालनम् अनिवार्यम्। नगर-नियोजनात् प्राक् भूगर्भीय-मानचित्रम् अवश्यं परिशीलनीयम्।
यद्यपि मानवः प्रकृत्याः प्रकोपं पूर्णतया निवारयितुं न शक्नोति, तथापि सः सावधानतया स्वस्य हानिं न्यूनं कर्तुं शक्नोति। यदा भूकम्पः जायते, तदा तत्क्षणमेव बहिर्गन्तव्यम्। मुक्तस्थानेषु स्थापयितव्यम्। वैद्यकीय-सहायता शीघ्रं लब्धव्यम्।
अतो भूकम्पविभीषिकायां मानवानां सावधानता एव महत्तमः उपायः।
---शब्दार्थ (Word Meanings)
- अद्यपि (adyapi): यद्यपि
- विगतेषु दिनेषु (vigateṣu dineṣu): बीते हुए दिनों में
- भूकम्पेन (bhukampena): भूकंप से
- महती (mahatī): बहुत बड़ी
- जनहानिः (janahāniḥ): जनहानि, लोगों का नुकसान
- संजाता (saṃjātā): हुई, घटित हुई
- अद्य अपि (adya api): आज भी
- तस्याः (tasyāḥ): उसकी
- विभीषिकायाः (vibhīṣikāyāḥ): भयानकता का, आतंक का
- स्मृतयः (smṛtayaḥ): स्मृतियाँ, यादें
- मनसि (manasi): मन में
- कम्पं (kampaṃ): कंपन
- जनयन्ति (janayanti): उत्पन्न करते हैं
- 2001 तमे ख्रिस्ताब्दे (2001 tame khristābde): 2001 ईस्वी में
- गणतन्त्रदिवसपर्वणि (gaṇatantradivasaparvaṇi): गणतंत्र दिवस के पर्व पर
- यदा (yadā): जब
- समग्रम् अपि (samagram api): पूरा भी
- भारतं (bhārataṃ): भारत
- नृत्य-गीत-वादित्रघोषैः (nṛtya-gīta-vāditraghoṣaiḥ): नृत्य, गीत और वाद्यों के शोर से
- उत्सवे मग्नम् (utsave magnam): उत्सव में लीन
- आसीत् (āsīt): था
- तदा (tadā): तब
- अकस्मादेव (akasmādeva): अचानक ही
- गुर्जरप्रदेशं (gurjarapradeśaṃ): गुजरात प्रदेश का
- कच्छमण्डलं (kacchamaṇḍalaṃ): कच्छ ज़िला
- ध्वस्तं जातम् (dhvastaṃ jātam): नष्ट हो गया
- समग्रं भवनं (samagraṃ bhavanaṃ): पूरा भवन
- धराशायि जातम् (dharāśāyi jātam): धरती पर गिर गया, ढेर हो गया
- भयोत्कम्पितैः प्राणैः (bhayotkampitaiḥ prāṇaiḥ): भय से कांपते हुए प्राणों से
- सह (saha): साथ
- निद्राणाः (nidrāṇāḥ): सोए हुए
- बहवः (bahavaḥ): बहुत से
- प्राणिनाः (prāṇināḥ): प्राणी, जीव
- गृहाणां (gṛhāṇāṃ): घरों के
- मलबावनैः (malabāvanaiḥ): मलबे के ढेर से
- पीडिताः (pīḍitāḥ): पीड़ित
- हजाराणि शरीराणि (hajārāṇi śarīrāṇi): हजारों शरीर
- क्षणमात्रेण (kṣaṇamātreṇa): क्षण भर में
- निष्प्राणानि अभवन् (niṣprāṇāni abhavan): प्राणहीन हो गए
- सहस्रशः (sahasraśaḥ): हजारों
- जनाः (janāḥ): लोग
- भयग्रस्तं (bhayagrastaṃ): भय से ग्रस्त
- जीवनं यापयन् (jīvanaṃ yāpayan): जीवन जी रहे थे
- हा! (hā!): हाय! (दुःख सूचक)
- धेणुग्रामे (dheṇugrāme): धेणु नामक गाँव में
- येन (yena): जिससे
- दृश्येन (dṛśyena): दृश्य से
- मनः व्याकुलं भवति (manaḥ vyākulaṃ bhavati): मन व्याकुल होता है
- तत्र (tatra): वहाँ
- प्रायः (prāyaḥ): लगभग
- सर्वे गृहाः (sarve gṛhāḥ): सभी घर
- विशीर्णाः (viśīrṇāḥ): नष्ट हो गए, टूट गए
- पञ्चशतं मानवाः (pañcaśataṃ mānavāḥ): पाँच सौ मनुष्य
- मृतिकायाः गर्भे (mṛtikāyāḥ garbhe): मिट्टी के गर्भ में
- समाविष्टाः (samāviṣṭāḥ): समा गए
- श्मशानवत् (śmaśānavat): श्मशान के समान
- शान्तः (śāntaḥ): शांत
- केन्द्रबिन्दुः (kendrabinduḥ): केंद्रबिंदु
- भुज-नगरम् (bhuja-nagaram): भुज नगर
- तत्र तु (tatra tu): वहाँ तो
- भवनानाम् उपरि भवनानि (bhavanānām upari bhavanāni): भवनों के ऊपर भवन
- पतितानि (patitāni): गिर गए
- अत्र-तत्र (atra-tatra): यहाँ-वहाँ
- मृतशराणां राशिः (mṛtaśarāṇāṃ rāśiḥ): मृत शरीरों का ढेर
- शवः, शवस्य उपरि च शवः (śavaḥ, śavasyopari ca śavaḥ): शव, और शव के ऊपर शव
- सर्वत्र (sarvatra): सब जगह
- दारुणं हाहाकारम् (dāruṇaṃ hāhākāram): भयंकर हाहाकार
- रुग्णालयेषु अपि (rugṇālayeṣu api): अस्पतालों में भी
- रुग्णाः (rugṇāḥ): रोगी
- मरणमासन्नम् (maraṇamāsannam): मृत्यु के करीब
- प्रकृति-प्रकोपस्य (prakṛti-prakopasya): प्रकृति के प्रकोप का
- एतादृशं (etādṛśaṃ): इस प्रकार का
- दारुणं दृश्यं (dāruṇaṃ dṛśyaṃ): भयंकर दृश्य
- कदापि (kadāpi): कभी भी
- न दृष्टम् (na dṛṣṭam): नहीं देखा गया
- महाविनाशकः (mahāvināśakaḥ): महाविनाशक
- नद्यः (nadyaḥ): नदियाँ
- स्वमार्गान् (svamārgān): अपने मार्ग को
- त्यजन्ति (tyajanti): छोड़ देती हैं
- पर्वताः (parvatāḥ): पर्वत
- विशीर्यन्ते (viśīryante): टूट जाते हैं, बिखर जाते हैं
- धरा (dharā): पृथ्वी
- कम्पते (kampate): कांपती है
- धरणी (dharaṇī): पृथ्वी
- विदारिता भवति (vidāritā bhavati): फट जाती है, दरार पड़ जाती है
- विज्ञानिभिः (vijñānibhiḥ): वैज्ञानिकों द्वारा
- कथितं (kathitaṃ): कहा गया
- यत् (yat): कि
- पृथिव्याः (pṛthivyāḥ): पृथ्वी के
- अन्तर्गर्भे (antargarbhe): भीतरी गर्भ में
- विद्यमानाः (vidyamānāḥ): विद्यमान
- बृहत् पाषाण-पट्टिकाः (bṛhat pāṣāṇa-paṭṭikāḥ): बड़ी पत्थर की प्लेटें (भूपटल)
- यदा (yadā): जब
- कम्पितः भवन्ति (kampitaḥ bhavanti): कम्पित होते हैं
- जायते (jāyate): उत्पन्न होता है
- तेषां (teṣāṃ): उनका
- कम्पनम् एव (kampanam eva): कंपन ही
- कथ्यते (kathyate): कहा जाता है
- भूगर्भवैज्ञानिकाः (bhugarbhavaijñānikāḥ): भूगर्भवेत्ता, भू-वैज्ञानिक
- पूर्वानुमानं (pūrvānumānaṃ): पूर्वानुमान
- न शक्यते (na śakyate): नहीं किया जा सकता
- यतो हि (yato hi): क्योंकि
- अस्य उत्पत्तेः (asya utpatteḥ): इसकी उत्पत्ति का
- कारणं (kāraṇaṃ): कारण
- निगूढम् अस्ति (nigūḍham asti): छिपा हुआ है
- तस्मात् कारणात् (tasmāt kāraṇāt): उस कारण से
- उपायः (upāyaḥ): उपाय
- अज्ञातः (ajñātaḥ): अज्ञात
- तर्हि (tarhi): तो
- किम् अस्ति (kim asti): क्या है
- नूतनानि भवनानि (nūtanāni bhavanāni): नए भवन
- निर्मियन्ते (nirmīyante): बनाए जाते हैं
- तानि (tāni): वे
- भूकम्प-निरोधानि (bhukampa-nirodhāni): भूकंप-प्रतिरोधी
- कर्तव्यानि (kartavyāni): किए जाने चाहिए
- भवन-निर्माण-नियम-कानूनं (bhavana-nirmāṇa-niyama-kānūnaṃ): भवन निर्माण के नियम-कानून का
- पालनम् अनिवार्यम् (pālanam anivāryam): पालन अनिवार्य है
- नगर-नियोजनात् प्राक् (nagara-niyojanāt prāk): नगर-नियोजन से पहले
- भूगर्भीय-मानचित्रम् (bhugarbhīya-mānacitram): भूगर्भीय मानचित्र
- अवश्यं (avaśyaṃ): अवश्य
- परिशीलनीयम् (pariśīlanīyam): ध्यान से देखना चाहिए, अध्ययन करना चाहिए
- यद्यपि (yadyapi): यद्यपि
- मानवः (mānavaḥ): मनुष्य
- प्रकृत्याः (prakṛtyāḥ): प्रकृति का
- प्रकोपं (prakopaṃ): प्रकोप
- पूर्णतया (pūrṇatayā): पूर्ण रूप से
- निवारयितुं (nivārayituṃ): रोकने के लिए
- न शक्नोति (na śaknoti): समर्थ नहीं है
- तथापि (tathāpi): फिर भी
- सावधानतया (sāvadhānatayā): सावधानी से
- स्वस्य (svasya): अपनी
- हानिं (hāniṃ): हानि
- न्यूनं कर्तुं (nyūnaṃ kartuṃ): कम करने के लिए
- शक्नोति (śaknoti): समर्थ है
- तत्क्षणमेव (tatkṣaṇameva): उसी क्षण ही
- बहिर्गन्तव्यम् (bahirgantavyam): बाहर जाना चाहिए
- मुक्तस्थानेषु (muktastāneṣu): खुले स्थानों में
- स्थापयितव्यम् (sthāpayitavyam): ठहरना चाहिए
- वैद्यकीय-सहायता (vaidyakīya-sahāyatā): चिकित्सीय सहायता
- शीघ्रं (śīghraṃ): शीघ्र, जल्दी
- लब्धव्यम् (labdhavyam): प्राप्त करनी चाहिए
- अतो (ato): इसलिए
- मानवानां (mānavānāṃ): मनुष्यों की
- सावधानता (sāvadhānatā): सावधानी
- एव (eva): ही
- महत्तमः (mahattamaḥ): सबसे बड़ा
- उपायः (upāyaḥ): उपाय
सारांश (Summary)
यह पाठ गुजरात के कच्छ क्षेत्र में 2001 में आए भयानक भूकंप का वर्णन करता है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर, जब पूरा भारत उत्सव में मग्न था, अचानक गुजरात का कच्छ ज़िला पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। कई इमारतें धराशायी हो गईं, और भय से कांपते हुए सो रहे अनेक प्राणी घरों के मलबे में दबकर मर गए। पल भर में हजारों शरीर निष्प्राण हो गए, और हजारों लोग भयग्रस्त जीवन जी रहे थे। धेणु गाँव में तो लगभग सभी घर टूट गए और गाँव के पाँच सौ लोग मिट्टी में समा गए, जिससे गाँव श्मशान की तरह शांत हो गया।
भूकंप का केंद्रबिंदु भुज-नगर था, जहाँ एक के ऊपर एक इमारतें गिर गईं। हर जगह मृत शरीरों का ढेर और भयंकर हाहाकार मचा हुआ था। अस्पतालों में भी रोगी मृत्यु के करीब थे। प्रकृति के प्रकोप का ऐसा भयंकर दृश्य पहले कभी नहीं देखा गया था। भूकंप को महाविनाशक बताया गया है, जो नदियों के मार्ग बदल देता है, पर्वतों को तोड़ देता है, और धरती को कंपित व विदारित कर देता है।
वैज्ञानिकों ने बताया है कि पृथ्वी के अंदर स्थित बड़ी-बड़ी पाषाण-पट्टिकाओं (भूपटल) के कम्पित होने से भूकंप उत्पन्न होता है। भूगर्भवैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि इसकी उत्पत्ति का कारण भूमि के गर्भ में ही छिपा हुआ है, और इसलिए इसका उपाय भी अज्ञात है।
तो फिर इसका उपाय क्या है? नए भवनों को भूकंप-प्रतिरोधी बनाना चाहिए। भवन निर्माण के नियम-कानूनों का पालन अनिवार्य है। नगर-नियोजन से पहले भूगर्भीय-मानचित्र का अवश्य अध्ययन करना चाहिए। यद्यपि मनुष्य प्रकृति के प्रकोप को पूर्ण रूप से रोक नहीं सकता, फिर भी वह सावधानी से अपनी हानि को कम कर सकता है। जब भूकंप आए, तो उसी क्षण बाहर निकलना चाहिए और खुले स्थानों पर ठहरना चाहिए। चिकित्सीय सहायता शीघ्र प्राप्त करनी चाहिए। इसलिए, भूकंप के भय से बचाव के लिए मनुष्यों की सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय है।
---अभ्यास प्रश्न (Exercise Questions)
1. एकपदेन उत्तरत (एक शब्द में उत्तर दें):
-
भूकम्पेन का संजाता?
जनहानिः
-
कस्मिन अब्दे भूकम्पः अभवत्?
2001 तमे ख्रिस्ताब्दे
-
भूकम्पनस्य केन्द्रबिन्दुः किम् आसीत्?
भुज-नगरम्
-
भूगर्भवैज्ञानिकाः कस्य पूर्वानुमानं न शक्यते इति कथयन्ति?
भूकम्पस्य
-
मानवः सावधानतया किं कर्तुं शक्नोति?
हानिं न्यूनम्
2. पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूर्ण वाक्य में उत्तर दें):
-
केषां स्मृतयः मनसि कम्पं जनयन्ति?
भूकम्पविभीषिकायाः स्मृतयः मनसि कम्पं जनयन्ति।
-
गणतन्त्रदिवसपर्वणि किं जातम्?
गणतन्त्रदिवसपर्वणि गुर्जरप्रदेशं कच्छमण्डलं ध्वस्तं जातम्।
-
धेणुग्रामे कति मानवाः मृतिकायाः गर्भे समाविष्टाः?
धेणुग्रामे पञ्चशतं मानवाः मृतिकायाः गर्भे समाविष्टाः।
-
विज्ञानिभिः भूकम्पस्य किं कारणं कथितम्?
विज्ञानिभिः कथितं यत् पृथिव्याः अन्तर्गर्भे विद्यमानाः बृहत् पाषाण-पट्टिकाः यदा कम्पितः भवन्ति, तदा भूकम्पनं जायते।
-
भूकम्पे सति किं कर्तव्यम्?
भूकम्पे सति तत्क्षणमेव बहिर्गन्तव्यम्, मुक्तस्थानेषु स्थापयितव्यम्, वैद्यकीय-सहायता शीघ्रं लब्धव्यम् च।
3. श्लोकानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत (श्लोकों के अनुसार रिक्त स्थानों की पूर्ति करें - हालांकि यह पाठ गद्य में है, फिर भी अभ्यास के लिए):
- अद्य अपि तस्याः ____ स्मृतयः मनसि कम्पं जनयन्ति।
विभीषिकायाः
- समग्रं भवनं ____ जातम्।
धराशायि
- ग्रामस्य पञ्चशतं मानवाः ____ गर्भे समाविष्टाः।
मृतिकायाः
- भूकम्पनस्य ____ भुज-नगरम् आसीत्।
केन्द्रबिन्दुः
- यदा भूकम्पः जायते, तदा तत्क्षणमेव ____।
बहिर्गन्तव्यम्
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ़ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। प्रकटन भिन्न हो सकता है।)