अध्याय 12: पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन (Surface Areas and Volumes)

परिचय

कक्षा 10 के गणित का बारहवाँ अध्याय **'पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन' (Surface Areas and Volumes)** है। इस अध्याय में, हम विभिन्न ठोस आकृतियों, जैसे कि घनाभ (cuboid), घन (cube), बेलन (cylinder), शंकु (cone), गोला (sphere) और गोलार्ध (hemisphere) के पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन की अवधारणाओं का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय कक्षा IX में सीखे गए इन आकृतियों के सूत्रों की समीक्षा और उन्हें संयोजित करके नई ठोस आकृतियों के पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन की गणना पर केंद्रित है।

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1. ठोसों के संयोजनों का पृष्ठीय क्षेत्रफल (Surface Area of Combinations of Solids)

जब हम दो या दो से अधिक मूल ठोस आकृतियों को जोड़ते हैं, तो एक नई ठोस आकृति बनती है। ऐसी ठोस आकृतियों का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए, हमें संयोजित आकृतियों के अलग-अलग पृष्ठीय क्षेत्रफलों को जोड़ना होता है, लेकिन उन सतहों को छोड़कर जो संयोजन के दौरान छिप जाती हैं।

मुख्य आकृतियों के पृष्ठीय क्षेत्रफल के सूत्र (Formulae for Surface Areas of Key Solids)

ठोस आकृतियों के संयोजन का चित्र ---

2. ठोसों के संयोजनों का आयतन (Volume of Combinations of Solids)

जब विभिन्न ठोसों को जोड़ा जाता है, तो परिणामी ठोस का आयतन मूल ठोसों के आयतनों के योग के बराबर होता है। आयतन की गणना पृष्ठीय क्षेत्रफल की तुलना में अधिक सीधी होती है, क्योंकि इसमें कोई ओवरलैपिंग या छिपी हुई सतह नहीं होती है जिसे घटाने की आवश्यकता हो।

मुख्य आकृतियों के आयतन के सूत्र (Formulae for Volumes of Key Solids)

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3. एक ठोस को एक आकार से दूसरे आकार में रूपांतरित करना (Conversion of Solid from One Shape to Another)

जब एक ठोस को पिघलाकर या ढालाकर दूसरे आकार में रूपांतरित किया जाता है, तो रूपांतरण प्रक्रिया के दौरान ठोस का आयतन अपरिवर्तित रहता है। यह एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसका उपयोग विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक धातु के गोले को पिघलाकर कई छोटे बेलन बनाए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया में, गोले का आयतन बेलनों के कुल आयतन के बराबर होगा।

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4. शंकु का छिन्नक (Frustum of a Cone)

यदि एक शंकु को उसके आधार के समानांतर एक तल द्वारा काटा जाता है और शंकु के शीर्ष भाग को हटा दिया जाता है, तो शेष भाग को **शंकु का छिन्नक (Frustum of a Cone)** कहा जाता है।

यह एक महत्वपूर्ण नई अवधारणा है जो कक्षा 10 में पेश की गई है।

एक छिन्नक में दो वृत्ताकार आधार होते हैं जिनकी त्रिज्याएँ भिन्न होती हैं, $r_1$ और $r_2$ (जहाँ $r_1$ बड़ा आधार और $r_2$ छोटा आधार है)।

शंकु के छिन्नक के सूत्र (Formulae for Frustum of a Cone)

शंकु के छिन्नक का चित्र

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर

अभ्यास 12.1 (ठोसों के संयोजनों का पृष्ठीय क्षेत्रफल)

  1. दो घनों, जिनमें से प्रत्येक का आयतन $64 \text{ cm}^3$ है, के संलग्न फलकों को मिलाकर एक घनाभ बनाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।

    प्रत्येक घन का आयतन $V = a^3 = 64 \text{ cm}^3$।
    इसलिए, घन की भुजा $a = \sqrt[3]{64} = 4 \text{ cm}$।
    जब दो घनों को जोड़ा जाता है, तो नया घनाभ बनेगा।
    घनाभ की लंबाई $l = a + a = 4 + 4 = 8 \text{ cm}$।
    घनाभ की चौड़ाई $b = a = 4 \text{ cm}$।
    घनाभ की ऊँचाई $h = a = 4 \text{ cm}$।
    घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल $= 2(lb + bh + hl)$
    $= 2((8 \times 4) + (4 \times 4) + (4 \times 8))$
    $= 2(32 + 16 + 32)$
    $= 2(80) = 160 \text{ cm}^2$
    अतः, प्राप्त घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल **$160 \text{ cm}^2$** है।

  2. एक बर्तन एक खोखले गोलार्ध के आकार का है जिसके ऊपर एक खोखला बेलन अध्यारोपित है। गोलार्ध का व्यास 14 cm है और इस बर्तन की कुल ऊँचाई 13 cm है। इस बर्तन का आंतरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।

    गोलार्ध का व्यास $= 14 \text{ cm}$।
    गोलार्ध की त्रिज्या $r = 14/2 = 7 \text{ cm}$।
    बेलन की त्रिज्या भी $r = 7 \text{ cm}$ है।
    बर्तन की कुल ऊँचाई $= 13 \text{ cm}$।
    बेलन की ऊँचाई $h = \text{कुल ऊँचाई} - \text{गोलार्ध की त्रिज्या}$
    $h = 13 - 7 = 6 \text{ cm}$।
    बर्तन का आंतरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल = गोलार्ध का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
    $= 2\pi r^2 + 2\pi rh$
    $= 2\pi r(r + h)$
    $= 2 \times \frac{22}{7} \times 7 \times (7 + 6)$
    $= 2 \times 22 \times 13$
    $= 44 \times 13 = 572 \text{ cm}^2$
    अतः, बर्तन का आंतरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल **$572 \text{ cm}^2$** है।

अभ्यास 12.2 (ठोसों के संयोजनों का आयतन)

  1. एक ठोस एक अर्धगोले पर खड़े एक शंकु के आकार का है, जिसकी त्रिज्याएँ 1 cm हैं और शंकु की ऊँचाई उसकी त्रिज्या के बराबर है। इस ठोस का आयतन $\pi$ के पदों में ज्ञात कीजिए।

    दिया है: शंकु की त्रिज्या $r = 1 \text{ cm}$।
    शंकु की ऊँचाई $h = r = 1 \text{ cm}$।
    अर्धगोले की त्रिज्या $r = 1 \text{ cm}$।
    ठोस का आयतन = शंकु का आयतन + अर्धगोले का आयतन
    $= \frac{1}{3}\pi r^2 h + \frac{2}{3}\pi r^3$
    $= \frac{1}{3}\pi (1)^2 (1) + \frac{2}{3}\pi (1)^3$
    $= \frac{1}{3}\pi + \frac{2}{3}\pi$
    $= \frac{3}{3}\pi = \pi \text{ cm}^3$
    अतः, ठोस का आयतन **$\pi \text{ cm}^3$** है।

अभ्यास 12.3 (ठोस को एक आकार से दूसरे में रूपांतरित करना और छिन्नक)

  1. त्रिज्या 4.2 cm वाले धातु के एक गोले को पिघलाकर 6 cm त्रिज्या वाले एक बेलन के रूप में ढाला जाता है। बेलन की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।

    गोले की त्रिज्या $R = 4.2 \text{ cm}$।
    बेलन की त्रिज्या $r = 6 \text{ cm}$।
    माना बेलन की ऊँचाई $H$ है।
    जब गोले को बेलन में ढाला जाता है, तो आयतन अपरिवर्तित रहता है।
    गोले का आयतन = बेलन का आयतन
    $\frac{4}{3}\pi R^3 = \pi r^2 H$
    $\frac{4}{3} \times (4.2)^3 = (6)^2 \times H$
    $\frac{4}{3} \times 4.2 \times 4.2 \times 4.2 = 36 \times H$
    $4 \times 1.4 \times 4.2 \times 4.2 = 36 \times H$
    $H = \frac{4 \times 1.4 \times 4.2 \times 4.2}{36}$
    $H = \frac{4 \times 1.4 \times 0.7 \times 4.2}{6}$ (यहाँ $4.2/6 = 0.7$)
    $H = 1.4 \times 0.7 \times 4.2 / 3 = 1.4 \times 0.7 \times 1.4 = 1.372 \text{ cm}$
    अतः, बेलन की ऊँचाई **$1.372 \text{ cm}$** है।

  2. एक शंकु के छिन्नक की ऊँचाई 4 cm है और इसके वृत्ताकार सिरों की परिधि 18 cm और 6 cm हैं। छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।

    छिन्नक की ऊँचाई $h = 4 \text{ cm}$।
    बड़े सिरे की परिधि $2\pi r_1 = 18 \text{ cm} \implies r_1 = \frac{18}{2\pi} = \frac{9}{\pi} \text{ cm}$।
    छोटे सिरे की परिधि $2\pi r_2 = 6 \text{ cm} \implies r_2 = \frac{6}{2\pi} = \frac{3}{\pi} \text{ cm}$।
    छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई $l = \sqrt{h^2 + (r_1 - r_2)^2}$
    $l = \sqrt{4^2 + (\frac{9}{\pi} - \frac{3}{\pi})^2}$
    $l = \sqrt{16 + (\frac{6}{\pi})^2} = \sqrt{16 + \frac{36}{\pi^2}}$
    $l = \sqrt{\frac{16\pi^2 + 36}{\pi^2}} = \frac{\sqrt{16\pi^2 + 36}}{\pi} = \frac{2\sqrt{4\pi^2 + 9}}{\pi}$
    छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल $\text{CSA} = \pi (r_1 + r_2) l$
    $\text{CSA} = \pi (\frac{9}{\pi} + \frac{3}{\pi}) \times \frac{2\sqrt{4\pi^2 + 9}}{\pi}$
    $\text{CSA} = \pi (\frac{12}{\pi}) \times \frac{2\sqrt{4\pi^2 + 9}}{\pi}$
    $\text{CSA} = 12 \times \frac{2\sqrt{4\pi^2 + 9}}{\pi} = \frac{24\sqrt{4\pi^2 + 9}}{\pi} \text{ cm}^2$
    अतः, छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल **$\frac{24\sqrt{4\pi^2 + 9}}{\pi} \text{ cm}^2$** है।



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