अध्याय 4: एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
लेखक: शिवप्रसाद मिश्र 'रुद्र'
लेखक परिचय
शिवप्रसाद मिश्र 'रुद्र' (जन्म: 1911, मृत्यु: 2010) हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उनका जन्म बनारस (काशी) में हुआ था। उन्हें उनकी कहानियों, उपन्यासों और व्यंग्य लेखन के लिए जाना जाता है। उनकी रचनाओं में स्थानीय रंग, बोलचाल की भाषा और मानवीय संवेदनाओं का गहरा पुट होता है। 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' उनकी एक महत्वपूर्ण कहानी है जो प्रेम, त्याग और देशभक्ति को दर्शाती है।
पाठ का सार
यह कहानी बनारस की पृष्ठभूमि पर आधारित है और स्वतंत्रता आंदोलन के समय के समाज का चित्रण करती है। कहानी की मुख्य पात्र **दुलारी** नाम की एक नाचने-गाने वाली स्त्री है। उसका शरीर पहलवानों की तरह कसा हुआ है और वह अपनी बेबाकी और स्वाभिमान के लिए जानी जाती है। दुलारी को **टुन्नू** नाम का एक युवा कवि पसंद करता है। टुन्नू एक देशभक्त है और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेता है। वह दुलारी से निःस्वार्थ प्रेम करता है और उसके लिए खादी की साड़ी भी लाता है, जिसे दुलारी पहले तो ठुकरा देती है, लेकिन टुन्नू के जाने के बाद उसके लाए हुए साड़ी पर पड़े आँसुओं के धब्बों को चूमती है।
कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब टुन्नू एक स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहीद हो जाता है। टुन्नू की मृत्यु से दुलारी भीतर से टूट जाती है। वह अपने विदेशी वस्त्रों और रेशमी साड़ियों को त्याग देती है और देशप्रेम की भावना में रंग जाती है। टुन्नू की याद में वह "एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा, कासों मैं पूहूँ?" गीत गाती है, जो उसके गहरे दुख और प्रेम को व्यक्त करता है। यह गीत प्रतीकात्मक रूप से यह भी दर्शाता है कि जहाँ टुन्नू शहीद हुआ, वहीं उसने अपने प्रियतम (टुन्नू) को खो दिया।
यह कहानी दिखाती है कि कैसे कला से जुड़े लोग भी स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका निभाते हैं और उनके अंदर भी देशप्रेम की भावना होती है। दुलारी का चरित्र स्वाभिमान, प्रेम, त्याग और देशभक्ति का प्रतीक बन जाता है। लेखक ने काशी की भाषा और परम्परा को भी खूबसूरती से उभारा है।
मुख्य बिंदु
- **दुलारी:** एक स्वाभिमानी और प्रसिद्ध नाचने-गाने वाली स्त्री।
- **टुन्नू:** एक युवा कवि और देशभक्त जो दुलारी से प्रेम करता है।
- **देशप्रेम:** कहानी का केंद्रीय विषय, जिसमें दुलारी का टुन्नू की शहादत के बाद देशप्रेम में लीन होना दिखाया गया है।
- **त्याग:** दुलारी द्वारा विदेशी वस्त्रों का त्याग करना।
- **प्रतीकात्मकता:** "एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!" गीत का गहरा अर्थ, जो सिर्फ आभूषण के खोने से कहीं ज़्यादा टुन्नू के खोने के दर्द को दर्शाता है।
- **काशी का चित्रण:** कहानी में बनारस के सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश का सुंदर वर्णन है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
I. मौखिक समझ की जाँच (Page XX - काल्पनिक)
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दुलारी का चरित्र-चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
दुलारी एक नाचने-गाने वाली स्त्री है जो अपने **स्वाभिमान, बेबाकी और दृढ़ता** के लिए जानी जाती है। उसका शरीर पहलवानों की तरह सुगठित है। वह बाहरी तौर पर भले ही कठोर दिखती है, पर अंदर से बेहद **संवेदनशील और भावुक** है। वह अपने आत्म-सम्मान से कभी समझौता नहीं करती और टुन्नू के प्रति उसके निःस्वार्थ प्रेम में गहराई है। टुन्नू की शहादत के बाद वह विदेशी वस्त्रों का त्याग कर **देशप्रेम** की भावना में लीन हो जाती है, जो उसके चरित्र की महानता को दर्शाता है। वह सिर्फ एक नर्तकी नहीं, बल्कि **प्रेम, त्याग और देशभक्ति** की प्रतीक है।
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टुन्नू कौन था और दुलारी के जीवन में उसका क्या महत्व था?
टुन्नू एक **युवा कवि और देशभक्त** था जो स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेता था। वह दुलारी से **निःस्वार्थ प्रेम** करता था और अक्सर अपनी कविताओं से उसे प्रभावित करने का प्रयास करता था। दुलारी के जीवन में टुन्नू का बहुत महत्व था। भले ही दुलारी ने शुरू में उसके प्रेम को सीधे स्वीकार नहीं किया, पर टुन्नू का प्रेम और उसकी देशभक्ति दुलारी के मन में **गहरा प्रभाव** छोड़ गई। टुन्नू की शहादत ने दुलारी के जीवन को पूरी तरह बदल दिया और उसे देशप्रेम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
II. सोचें और लिखें (Page XX - काल्पनिक)
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"एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!" गीत का प्रतीकात्मक अर्थ स्पष्ट कीजिए।
यह गीत केवल किसी आभूषण (झुलनी) के खोने का वर्णन नहीं करता, बल्कि इसका **प्रतीकात्मक अर्थ** बहुत गहरा है। यह दुलारी के जीवन में **टुन्नू जैसे अनमोल व्यक्ति के खोने** के दर्द को व्यक्त करता है। जिस स्थान पर टुन्नू शहीद हुआ, वह स्थान दुलारी के लिए "झुलनी के खोने का स्थान" बन जाता है – अर्थात, उसने अपने प्रेम और जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से को वहीं खो दिया। यह गीत दुलारी के **गहरे प्रेम, वियोग और टुन्नू की शहादत के बाद उपजे दुख** का प्रतीक है। साथ ही, यह देश के लिए दिए गए बलिदान की व्यथा को भी दर्शाता है।
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कहानी में काशी (बनारस) का चित्रण किस प्रकार किया गया है? यह कहानी में क्या भूमिका निभाता है?
कहानी में काशी का चित्रण एक ऐसे शहर के रूप में किया गया है जहाँ **गंगा-जमुनी तहज़ीब, कला, संगीत और धार्मिक परम्पराएँ** एक साथ फलती-फूलती हैं। लेखक ने काशी की गलियों, घाटों, बोलियों और सांस्कृतिक माहौल को बखूबी दर्शाया है। कहानी में काशी एक **जीवंत पृष्ठभूमि** का काम करती है जहाँ दुलारी और टुन्नू जैसे पात्र अपने जीवन जीते हैं और स्वतंत्रता आंदोलन की लौ भी यहीं से प्रज्वलित होती है। काशी का माहौल, उसकी भाषा और स्थानीय रंग कहानी को **प्रामाणिकता और गहराई** प्रदान करते हैं। यह शहर पात्रों के व्यवहार और संवादों को भी प्रभावित करता है।
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दुलारी ने विदेशी वस्त्रों का त्याग क्यों किया? यह उसके चरित्र के किस पक्ष को दर्शाता है?
दुलारी ने विदेशी वस्त्रों का त्याग **टुन्नू की शहादत और उसके मन में उपजी गहरी देशभक्ति की भावना** के कारण किया। टुन्नू ने उसे खादी की साड़ी दी थी, जिसे दुलारी ने पहले ठुकरा दिया था, पर उसकी मृत्यु के बाद उसे टुन्नू के देशप्रेम और बलिदान का महत्व समझ आया। यह घटना दुलारी के चरित्र में आए **परिवर्तन, आत्मबोध और परिपक्वता** को दर्शाती है। यह दिखाता है कि वह केवल एक नर्तकी नहीं थी, बल्कि उसके भीतर **देश के प्रति गहरा सम्मान और त्याग की भावना** भी मौजूद थी। उसका यह कार्य देशप्रेम के प्रति उसकी सच्ची निष्ठा और टुन्नू के प्रति उसके अधूरे प्रेम का प्रतीक बन जाता है।
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