अध्याय 3: साना-साना हाथ जोड़ि
लेखिका: मधु कांकरिया
लेखिका परिचय
**मधु कांकरिया** (जन्म: 1957, कोलकाता) हिंदी साहित्य की एक प्रसिद्ध उपन्यासकार और कहानीकार हैं। वे अपनी संवेदनशील और विचारोत्तेजक लेखन शैली के लिए जानी जाती हैं। उनकी रचनाओं में समाज, स्त्री विमर्श और आधुनिक जीवन की विसंगतियों का गहरा चित्रण मिलता है। उन्हें विभिन्न साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 'साना-साना हाथ जोड़ि' उनकी एक यात्रा वृत्तांत है जो उनकी प्रकृति प्रेम और मानवीय संवेदनाओं को उजागर करता है।
पाठ का सार
यह पाठ लेखिका **मधु कांकरिया** की सिक्किम की यात्रा का वर्णन है, विशेष रूप से **गंगटोक** और हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों तक के सफर का। यह एक **यात्रा वृत्तांत** है जिसमें लेखिका ने प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य, वहाँ के जन-जीवन, और यात्रा के दौरान अपनी **आंतरिक अनुभूतियों** का संवेदनशील चित्रण किया है।
लेखिका गंगटोक (सिक्किम की राजधानी) से अपनी यात्रा शुरू करती हैं। वे सुबह-सुबह ही वहाँ के लोगों को **'साना-साना हाथ जोड़ि, गरब छू नेपाली'** (छोटे-छोटे हाथ जोड़कर, प्रार्थना करती हूँ नेपाली) गीत गाते हुए देखती हैं, जिसका अर्थ है कि वे अपनी सुबह को इतना सुंदर बनाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रही हैं। यह प्रार्थना लेखिका के मन को छू जाती है और उन्हें **मनुष्य और प्रकृति के सह-अस्तित्व** का एहसास कराती है।
यात्रा के दौरान, लेखिका हिमालय के विराट और मंत्रमुग्ध कर देने वाले सौंदर्य को देखती हैं। वे रास्ते में **रंग-बिरंगे पताकाओं** को देखती हैं, जो बौद्ध धर्म के शांति और अहिंसा के प्रतीक हैं। लेखिका को बताया जाता है कि ये पताकाएँ किसी शुभ कार्य या मृत्यु पर लगाई जाती हैं। वे एक जगह देखती हैं जहाँ **श्वेत पताकाएँ** लगी हैं, जो शांति और अहिंसा का प्रतीक हैं, और नारंग के पास एक जगह पर **प्रेयर व्हील** (धर्मचक्र) भी देखती हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं।
जैसे-जैसे वे ऊँचाई पर बढ़ती हैं, हिमालय का सौंदर्य बढ़ता जाता है – झरने, बादलों से ढकी पहाड़ियाँ, और चारों ओर फैली शांति। लेखिका को लगता है कि प्रकृति मनुष्य को अपने दुख-दर्द भूलकर उसकी विशालता में लीन होने का अवसर देती है। वे उन श्रमिकों को भी देखती हैं, विशेष रूप से **पहाड़ी औरतें**, जो दुर्गम रास्तों पर पत्थर तोड़कर सड़कें बना रही हैं। यह दृश्य लेखिका को विचलित करता है कि इतनी सुंदर प्रकृति के बीच भी जीवन कितना कठिन है। वे देखती हैं कि बच्चे भी अपनी माताओं के साथ काम कर रहे हैं।
आगे बढ़ते हुए, वे रास्ते में सेना के जवानों को भी देखती हैं जो देश की रक्षा के लिए विषम परिस्थितियों में भी तैनात हैं। यह देखकर लेखिका के मन में उनके प्रति **श्रद्धा और कृतज्ञता** का भाव उमड़ता है। उन्हें एहसास होता है कि देश की सुरक्षा के लिए ये जवान कितनी कठिनाइयों का सामना करते हैं।
यात्रा के अंत में, लेखिका को एहसास होता है कि प्रकृति, जीवन और मृत्यु, सुख और दुख, पुरुष और स्त्री, और जीवन की सभी सच्चाइयाँ एक साथ जुड़ी हुई हैं। वे इस यात्रा से न केवल प्रकृति के सौंदर्य से रूबरू होती हैं, बल्कि जीवन के **गहरे दर्शन और मानवीय संघर्षों** को भी समझती हैं। 'साना-साना हाथ जोड़ि' शीर्षक इस यात्रा की शुरुआत में नेपाली युवती द्वारा गाए गए प्रार्थना गीत से लिया गया है, जो पूरी यात्रा की आध्यात्मिक और संवेदनशील भावना को दर्शाता है।
मुख्य बिंदु
- यह एक **यात्रा वृत्तांत** है जो लेखिका की सिक्किम (गंगटोक) और हिमालय की यात्रा का वर्णन करता है।
- **'साना-साना हाथ जोड़ि'** नेपाली प्रार्थना गीत है जो पाठ की शुरुआत में आता है और पूरी यात्रा की भावना को दर्शाता है।
- लेखिका **प्रकृति के अनुपम सौंदर्य** (झरने, वादियाँ, बर्फ से ढकी चोटियाँ) और वहाँ के **कठोर जीवन** (पहाड़ी श्रमिकों का संघर्ष, सेना के जवानों की कठिनाइयाँ) के बीच संतुलन दर्शाती हैं।
- **रंग-बिरंगी और श्वेत पताकाएँ** (झंडे) बौद्ध धर्म के शांति और अहिंसा के प्रतीक हैं, और **प्रेयर व्हील (धर्मचक्र)** पाप धोने की मान्यता को दर्शाता है।
- लेखिका प्रकृति में **आध्यात्मिकता और शांति** का अनुभव करती हैं, लेकिन साथ ही मानवीय संघर्षों और जीवन के यथार्थ से भी परिचित होती हैं।
- पाठ **प्रकृति, मनुष्य और ईश्वर** के संबंधों पर चिंतन प्रस्तुत करता है, और बताता है कि कैसे प्रकृति मनुष्य को प्रेरणा और शक्ति देती है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
I. मौखिक समझ की जाँच (पृष्ठ XX - काल्पनिक)
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गंगटोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया है?
गंगटोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' इसलिए कहा गया है क्योंकि यहाँ के लोग बेहद मेहनती हैं। वे पहाड़ी और दुर्गम रास्तों पर दिन-रात मेहनत करके सड़कें बनाते हैं, पहाड़ों को काटते हैं, और अपनी जीविका कमाते हैं। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद, उन्होंने अपने शहर को सुंदर और समृद्ध बनाया है। उनका यह कठोर परिश्रम और जीवन जीने की दृढ़ता उन्हें 'बादशाहों' जैसा दर्जा देती है, क्योंकि वे अपनी मेहनत से अपने जीवन और शहर पर राज करते हैं।
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'साना-साना हाथ जोड़ि' का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताइए कि यह प्रार्थना लेखिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण थी।
नेपाली भाषा में 'साना-साना हाथ जोड़ि, गरब छू नेपाली' का अर्थ है **"छोटे-छोटे हाथ जोड़कर मैं प्रार्थना करती हूँ कि मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो।"** यह प्रार्थना लेखिका के लिए इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह उनके मन को शांति और सकारात्मकता से भर देती है। इस प्रार्थना ने उन्हें जीवन की सच्चाई, प्रकृति और मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था का अनुभव कराया। यह प्रार्थना उन्हें बताती है कि जीवन में कठिन संघर्षों के बावजूद, हमें हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए और अपने कर्मों को अच्छाई के लिए समर्पित करना चाहिए। यह प्रार्थना उन्हें एक आध्यात्मिक जुड़ाव का एहसास कराती है।
II. सोचें और लिखें (पृष्ठ XX - काल्पनिक)
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जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या-क्या महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं?
जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, भौगोलिक स्थिति और जनजीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं:
- **प्राकृतिक सौंदर्य:** उसने बताया कि कैसे गंगटोक से हिमालय की सुंदर वादियाँ और बर्फ से ढकी चोटियाँ दिखती हैं।
- **बौद्ध पताकाएँ:** उसने रंगीन और सफेद पताकाओं का अर्थ बताया - सफेद पताकाएँ शांति और अहिंसा की प्रतीक होती हैं और किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु पर लगाई जाती हैं, जबकि रंगीन पताकाएँ किसी शुभ कार्य की शुरुआत में लगाई जाती हैं।
- **प्रेयर व्हील (धर्मचक्र):** उसने बताया कि प्रेयर व्हील को घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं, जो बौद्ध धर्म में एक मान्यता है।
- **पहाड़ी जीवन की कठिनाइयाँ:** उसने बताया कि कैसे पहाड़ों पर जीवन बहुत कठिन है और पहाड़ी औरतें और बच्चे भी सड़कों के निर्माण जैसे कठोर श्रम में लगे रहते हैं।
- **सेना का महत्व:** उसने सेना के जवानों की विषम परिस्थितियों में भी देश की रक्षा करने की भूमिका पर प्रकाश डाला।
- **जल-प्रपात (झरने):** उसने सेवन सिस्टर्स वॉटरफॉल जैसे सुंदर झरनों के बारे में बताया।
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"कटाओ" को भारत का स्विट्जरलैंड क्यों कहा गया है? इस कथन के पक्ष में अपने विचार प्रकट कीजिए।
कटाओ को भारत का स्विट्जरलैंड इसलिए कहा गया है क्योंकि इसकी प्राकृतिक सुंदरता स्विट्जरलैंड की सुंदरता से मेल खाती है। कटाओ में चारों ओर बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ, शांत और स्वच्छ वातावरण, हरे-भरे घास के मैदान और कलकल करते झरने हैं, जो मन को मोह लेते हैं। यह स्थान प्रदूषण से मुक्त है और यहाँ की प्राकृतिक छटा अनुपम है। जिस प्रकार स्विट्जरलैंड अपनी अनुपम प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है, उसी प्रकार कटाओ भी अपनी अछूती और मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों के कारण यह उपाधि पाने का हकदार है। हालाँकि, लेखिका स्वयं मानती हैं कि कटाओ इतना सुंदर होने के बावजूद अभी तक पर्यटकों के बीच स्विट्जरलैंड जितना प्रसिद्ध नहीं है, क्योंकि यह अधिक विकसित नहीं है।
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यात्रा वृत्तांत के आधार पर बताइए कि लेखिका को प्रकृति के किस रूप ने सबसे ज़्यादा प्रभावित किया और क्यों?
यात्रा वृत्तांत के आधार पर लेखिका को प्रकृति के **अत्यंत विराट, शांत, और मंत्रमुग्ध कर देने वाले सौंदर्य** ने सबसे ज़्यादा प्रभावित किया। विशेष रूप से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियाँ, कलकल करते झरने (जैसे सेवन सिस्टर्स वॉटरफॉल), और बादलों से ढकी पहाड़ियाँ। लेखिका को प्रकृति के इस रूप में **असीम शांति और आध्यात्मिकता** का अनुभव हुआ। उन्हें लगा कि प्रकृति अपनी विशालता में मनुष्य के सारे दुखों और चिंताओं को समेट लेती है। प्रकृति की यह अलौकिक सुंदरता उन्हें जीवन की समस्याओं से परे एक शांतिपूर्ण संसार में ले जाती है, जहाँ वे स्वयं को ईश्वर के करीब महसूस करती हैं।
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प्रकृति में निहित मानवीय संघर्ष और जीवन के यथार्थ को लेखिका ने कैसे देखा है?
लेखिका ने प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य के भीतर **मानवीय संघर्ष और जीवन के यथार्थ** को भी गहराई से देखा है। उन्होंने देखा कि जहाँ एक ओर प्रकृति अपनी छटा बिखेर रही है, वहीं दूसरी ओर जीवनयापन के लिए लोग कितना संघर्ष कर रहे हैं।
- उन्होंने **पहाड़ी स्त्रियों को कठोर श्रम** करते देखा, जो पत्थरों को तोड़कर सड़कें बना रही थीं, उनकी पीठ पर बच्चों को बँधा हुआ था। यह दृश्य उन्हें विचलित कर गया कि सुंदरता के बीच भी जीवन कितना कठोर है।
- उन्होंने **सेना के जवानों को विषम परिस्थितियों** में, कड़ाके की ठंड और ऊँचाई पर देश की रक्षा करते देखा। इससे उन्हें एहसास हुआ कि देश की सुरक्षा कितनी बड़ी कीमत पर होती है।
- उन्होंने देखा कि जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य मन को शांति देता है, वहीं जीवन की वास्तविकता **कठोर परिश्रम, त्याग और बलिदान** की माँग करती है।
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